22-06-2021, 03:55 PM
इधर जितेश अपना मनी ऑर्डर करने के बाद में जाकर एक ढाबे पर बैठ गया। असल में वो ढाबा उसका स्पेशल अड्डा था। सड़क के किनारे बना ढाबा वैसे तो राहगीरों आने जाने वाले ट्रक और बसों के ड्राइवरों को खाना खिलाने के लिए बना था। लेकिन इसके पीछे दो खुफिया आहते थे। जहां से सारे गलत काम करने वाले लोग आ करके अपनी मीटिंग में करते थे और ढाबे वाला का भी उसमें हिस्सा होता था। जितनी पीछे जा कर के अपने हाथों में जाकर बैठ गया था। कुछ देर बाद उसके बाकी (रहीम, साकी , गुड्डू , विनोद) साथी भी आ गए। इन सबमे विनोद सबसे बड़ा था | बाकि सब जितेश के हमउम्र ही थे |
आते ही साकी ने पूछा बताओ जितेश क्या बात है इतना अर्जेंट क्या है जो बुला दिया?
जितेश बोला - पहले साँस तो ले ले | एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए - गुड्डन 4 बना के ले आ |
जितेश बोला - जैसा कि तुम सबको ही पता है कि हम यहां किसलिए इकठ्ठा हुए हैं, एक औरत है। जिस को ढूंढने के लिए सूर्य देव ने दिन रात एक कर दिया है, लेकिन वह औरत को से नहीं मिली है और वह औरत सूर्यदेव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब सूर्य देव चाहता है कि इस औरत को ढूंढने में हम उसकी मदद करें। तो साथियों तुम लोग क्या कहते हो, क्या हमें उसकी मदद करनी चाहिए या नहीं?
साकी - हम उसकी मदद तो कर देंगे लेकिन समस्या यह है कि उसने जो भी हमारे साथ क्या हम उसे कैसे भुला दें?
जितेश बोला - तुम सही कह रहे हो साकी , लेकिन फिर भी सोच लो। अच्छा खासा पैसा सूर्यदेव दे रहा है।
साकी - हां, वह बात तो ठीक है जितेश लेकिन क्या सिर्फ पैसे के लिए ही हम अपनी जान से से जोखिम में डाल दें। अगर सूर्यदेव का बस चलता तो आज हम जिंदा ही नहीं होते और अब तुम चाहते हो कि हम उसी सूर्यदेव से समझौता कर ले नहीं नहीं।
जितेश बोला -मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए। हम अपना बदला ले सकते हैं।
विनोद गंभीरता से - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश साफ-साफ कहो।
जितेश बोला -मेरा कहने का मतलब है देखो सूर्यदेव ने हम सब को धोखा दिया। सूर्यदेव ने हम सब के साथ हम सब को जान से मारने की कोशिश भी करी, ठीक है, लेकिन उसके बावजूद हम सब बच गए और सब अपनी अपनी दुनिया में चले गए। अभी सूर्यदेव की जान सांसत में है। असल बात यह है कि वह औरत एक लड़के का कत्ल कर के भागी है और वह लड़का किसी छोटे मोटे आदमी का लड़का नहीं है, वह भी विलास डॉन का लड़का है।
तुम्हें तो पता ही है विलास मंत्री जी का कभी दाहिना हाथ हुआ करता था वो अलग बात है आजकल दोनों की बन रही हो लेकिन फिर भी! |
साकी और रहीम की आंखे फ़ैल गयी - वह विलास ........ वह बड़ा माफिया डॉन |
जितेश - हां वही विलास माफिया डॉन।
रहीम की विलास का नाम सुनते ही फट गयी - तब तो भाई अपन को इस लफड़े में नहीं पड़ना है। पता चला कुत्ते की मौत मारे जाएंगे। साला सिक्युरिटी का चक्कर और होगा सो अलग |
गुड्डू को ज्यादा दीन दुनिया से मतलब नहीं था | उसे जो काम बोला जाता था बस वो करके अपनी दुनिया में | उसे राजनीती और इस अँधेरी दुनिया के मायाजाल से कोई लेना देना नहीं था |
रहीम ही नहीं दहशत तो विनोद और साकी के दिलो में भी घर कर गयी थी | विलास था भी तो पूरा कसाई | एक बार एक आदमी की गलती से विलास की 50 लाख की अफीम पकड़ी गयी थी फिर क्या था पुरे गैंग के सामने उसके दोनों हाथ काट दिए | तब से अब तक उससे भीख मंगवाकर वसूली कर रहा है | विलास के कारनामे जिसने भी सुने थे उसे पता था वो पूरा का पूरा जल्लाद है |
विनोद - हम ठीक ठाक कमा लेते है, शाम को जमकर दारू पीते है और टांगे नोचते है और फिर टांगे फैला कर चूत पेलते है | सुकून की जिंदगी है | मतलब भर का खाना, पैसा और चूत तीनो है अपनी जिंदगी में | तुम चाहते हो हम सब ये ऐसो आराम छोड़कर कुत्ते की मौत मरे |
जितेश - ऐसा कुछ नहीं है ताकि तुम बिना वजह डर रहे हो |
विनोद जितेश की बात काटता हुआ - मैंने तुमसे ज्बायादा दुनिया देखि है | पांच गोली लगने के बाद भी जिन्तदा बच गया था | डर की बात मुझसे मत करो | बात है अपना नुकसान देखने की, विनोद जिंदगी के इस पड़ाव पर किसी नए लफड़े में नहीं पड़ना चाहता। मेरी वाली मेरी फाड़ के रख देगी अगर जान पायी | वो हर रात इसी शर्त पर तो चोदने देती है की कोई गलत काम न करू मै | जैसे ही उसे पता चलेगा, चूत तो हाथ से जाएगी ही ऊपर से साला लात मार कर अपनी जिंदगी से भी बाहर कर देगी |
साकी - बुढाऊ को इश्क हो गया है |
विनोद - साला क्या करू, चूत चीज ही ऐसी है |
जितेश - बात सही है तुमारी |
साकी - अबे ठरकी तू तो प्यार की बात ही मत कर |
जितेशबोला - काम की बात करते है देखो तुम लोग समझ नहीं रहे हो। जो भी पैसे हैं वो हम सब आपस में बराबर बराबर बांट लेंगे और उसके बाद वह लड़की हमें सूर्यदेव को देनी होगी |
रहीम - लेकिन भाई जान सबसे पहला सवाल लाख टके का है कि वह औरत है कहां ? हमें कैसे मिलेगी | कैसे हम सूर्यदेव से बात करने जा सकते है जब तक हमें लड़की की जानकारी न हो |
जितेश - यह समझ लो औरतों में मिल जाएगी। अब बस बात पैसे की करनी है और अपनी शर्तों पर करनी है।
विनोद - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश?
विनोद - वह औरत क्या चलकर हमारे पास आएगी कि चलो मुझे सूर्यदेव के पास ले चलो। जो कुछ कहना है साफ-साफ बताओ।
विनोद - कहीं तुमने उस औरत का पता तो नहीं लगा लिया है।
जितेश ने बात पलट दी - नहीं नहीं, ऐसा नहीं है। उस औरत को मुझे भी ढूंढना है, लेकिन मेरे पास कुछ सूत्र है जिससे शायद हमें उस औरत को ढूढ़ने में आसानी होगी |
साकी - यह कौन सा सूत्र है, मैं भी जानना चाहूंगा?
जितेश - अच्छा ठीक है साथियो ..... चलो, मैं तुम्हें सच बता देता हूं | वो औरत मेरे कब्जे में है |
चारो की आंखें चमक पड़ी।
साकी - अरे वाह, तब तो समझ लो, लॉटरी हमारे हाथ में है।
जितेश - इसीलिए तो दोस्तों मैं यहां आया हूं। लाटरी हमारे हाथ में है। हमें बस उसे भुनाना बाकी है और हम मनमाना पैसा वसूल करेंगे। सूर्य देव से, क्योंकि सूर्य देव को औरत हर हाल में चाहिए, लेकिन हम पैसा लेने के बाद चंपत हो जाएंगे।
विनोद - चम्बापत हो जायेगे मतलब नहीं नहीं नहीं यह अपने धंधे का वसूल नहीं है। भाई अगर हम कीमत पूरी लेते हैं तो हम पूरा काम भी करते हैं। तुम जो कह रहे हो उस से मैं सहमत नहीं हूं। सूर्य देव भले ही बहुत ही घटिया आदमी हो लेकिन हम उसके साथ धोखा क्यों करें? अपना ईमान धरम नहीं ख़राब करना |
जितेश - मैं धोखा करने को नहीं कह रहा हूं। मैं सिर्फ इतना कहना हम उस औरत को नहीं देंगे क्योंकि वह औरत बहुत भली है। और उसे अगर सूर्य देव को हमने दे दिया तो सूर्य देव उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा।
साकी - तू साला फिर से कब से चूतों के चक्कर में पड़ने लगा? पिछले चूत के मिले धोखे अभी तक भुला नहीं और तूने नयी पकड़ ली |
विनोद - बेटा शादी कर ले इधर-उधर की सड़क छाप तो चक्कर में रहेगा ना तो साला ऐसे कुत्ते की मौत मारा जाएगा। इसलिए मैं बता रहा हूं।
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है। मैं बता रहा हूं ना बहुत बहुत ही भली औरत है।
रहीम - तू कब से औरत की चक्कर में पड़ गया | कही इश्कबाजी तो शुरू नहीं कर दी |
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है।
बिनोद - मुद्दे की बात करते हैं।
साकी- मेरा भी यही ख्याल है कि मुद्दे की बात करते हैं। उस औरत से तूने साला क्या सेटिंग कर रखी है? हमें से मतलब नहीं है।
बिनोद - जैसा कि तूने बताया, औरत तेरे कब्जे में है तो अब आगे क्या करें?
जितेश - हमें सूर्य देव से मिलना पड़ेगा |
विनोद - बिना असलहा मै वहां नहीं जाऊंगा |
जितेश - मेरे पास २ है और कुछ कारतूस |
विनोद - मुझे लगता है इतना काफी नहीं होगा।
आते ही साकी ने पूछा बताओ जितेश क्या बात है इतना अर्जेंट क्या है जो बुला दिया?
जितेश बोला - पहले साँस तो ले ले | एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए - गुड्डन 4 बना के ले आ |
जितेश बोला - जैसा कि तुम सबको ही पता है कि हम यहां किसलिए इकठ्ठा हुए हैं, एक औरत है। जिस को ढूंढने के लिए सूर्य देव ने दिन रात एक कर दिया है, लेकिन वह औरत को से नहीं मिली है और वह औरत सूर्यदेव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब सूर्य देव चाहता है कि इस औरत को ढूंढने में हम उसकी मदद करें। तो साथियों तुम लोग क्या कहते हो, क्या हमें उसकी मदद करनी चाहिए या नहीं?
साकी - हम उसकी मदद तो कर देंगे लेकिन समस्या यह है कि उसने जो भी हमारे साथ क्या हम उसे कैसे भुला दें?
जितेश बोला - तुम सही कह रहे हो साकी , लेकिन फिर भी सोच लो। अच्छा खासा पैसा सूर्यदेव दे रहा है।
साकी - हां, वह बात तो ठीक है जितेश लेकिन क्या सिर्फ पैसे के लिए ही हम अपनी जान से से जोखिम में डाल दें। अगर सूर्यदेव का बस चलता तो आज हम जिंदा ही नहीं होते और अब तुम चाहते हो कि हम उसी सूर्यदेव से समझौता कर ले नहीं नहीं।
जितेश बोला -मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए। हम अपना बदला ले सकते हैं।
विनोद गंभीरता से - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश साफ-साफ कहो।
जितेश बोला -मेरा कहने का मतलब है देखो सूर्यदेव ने हम सब को धोखा दिया। सूर्यदेव ने हम सब के साथ हम सब को जान से मारने की कोशिश भी करी, ठीक है, लेकिन उसके बावजूद हम सब बच गए और सब अपनी अपनी दुनिया में चले गए। अभी सूर्यदेव की जान सांसत में है। असल बात यह है कि वह औरत एक लड़के का कत्ल कर के भागी है और वह लड़का किसी छोटे मोटे आदमी का लड़का नहीं है, वह भी विलास डॉन का लड़का है।
तुम्हें तो पता ही है विलास मंत्री जी का कभी दाहिना हाथ हुआ करता था वो अलग बात है आजकल दोनों की बन रही हो लेकिन फिर भी! |
साकी और रहीम की आंखे फ़ैल गयी - वह विलास ........ वह बड़ा माफिया डॉन |
जितेश - हां वही विलास माफिया डॉन।
रहीम की विलास का नाम सुनते ही फट गयी - तब तो भाई अपन को इस लफड़े में नहीं पड़ना है। पता चला कुत्ते की मौत मारे जाएंगे। साला सिक्युरिटी का चक्कर और होगा सो अलग |
गुड्डू को ज्यादा दीन दुनिया से मतलब नहीं था | उसे जो काम बोला जाता था बस वो करके अपनी दुनिया में | उसे राजनीती और इस अँधेरी दुनिया के मायाजाल से कोई लेना देना नहीं था |
रहीम ही नहीं दहशत तो विनोद और साकी के दिलो में भी घर कर गयी थी | विलास था भी तो पूरा कसाई | एक बार एक आदमी की गलती से विलास की 50 लाख की अफीम पकड़ी गयी थी फिर क्या था पुरे गैंग के सामने उसके दोनों हाथ काट दिए | तब से अब तक उससे भीख मंगवाकर वसूली कर रहा है | विलास के कारनामे जिसने भी सुने थे उसे पता था वो पूरा का पूरा जल्लाद है |
विनोद - हम ठीक ठाक कमा लेते है, शाम को जमकर दारू पीते है और टांगे नोचते है और फिर टांगे फैला कर चूत पेलते है | सुकून की जिंदगी है | मतलब भर का खाना, पैसा और चूत तीनो है अपनी जिंदगी में | तुम चाहते हो हम सब ये ऐसो आराम छोड़कर कुत्ते की मौत मरे |
जितेश - ऐसा कुछ नहीं है ताकि तुम बिना वजह डर रहे हो |
विनोद जितेश की बात काटता हुआ - मैंने तुमसे ज्बायादा दुनिया देखि है | पांच गोली लगने के बाद भी जिन्तदा बच गया था | डर की बात मुझसे मत करो | बात है अपना नुकसान देखने की, विनोद जिंदगी के इस पड़ाव पर किसी नए लफड़े में नहीं पड़ना चाहता। मेरी वाली मेरी फाड़ के रख देगी अगर जान पायी | वो हर रात इसी शर्त पर तो चोदने देती है की कोई गलत काम न करू मै | जैसे ही उसे पता चलेगा, चूत तो हाथ से जाएगी ही ऊपर से साला लात मार कर अपनी जिंदगी से भी बाहर कर देगी |
साकी - बुढाऊ को इश्क हो गया है |
विनोद - साला क्या करू, चूत चीज ही ऐसी है |
जितेश - बात सही है तुमारी |
साकी - अबे ठरकी तू तो प्यार की बात ही मत कर |
जितेशबोला - काम की बात करते है देखो तुम लोग समझ नहीं रहे हो। जो भी पैसे हैं वो हम सब आपस में बराबर बराबर बांट लेंगे और उसके बाद वह लड़की हमें सूर्यदेव को देनी होगी |
रहीम - लेकिन भाई जान सबसे पहला सवाल लाख टके का है कि वह औरत है कहां ? हमें कैसे मिलेगी | कैसे हम सूर्यदेव से बात करने जा सकते है जब तक हमें लड़की की जानकारी न हो |
जितेश - यह समझ लो औरतों में मिल जाएगी। अब बस बात पैसे की करनी है और अपनी शर्तों पर करनी है।
विनोद - तुम कहना क्या चाहते हो जितेश?
विनोद - वह औरत क्या चलकर हमारे पास आएगी कि चलो मुझे सूर्यदेव के पास ले चलो। जो कुछ कहना है साफ-साफ बताओ।
विनोद - कहीं तुमने उस औरत का पता तो नहीं लगा लिया है।
जितेश ने बात पलट दी - नहीं नहीं, ऐसा नहीं है। उस औरत को मुझे भी ढूंढना है, लेकिन मेरे पास कुछ सूत्र है जिससे शायद हमें उस औरत को ढूढ़ने में आसानी होगी |
साकी - यह कौन सा सूत्र है, मैं भी जानना चाहूंगा?
जितेश - अच्छा ठीक है साथियो ..... चलो, मैं तुम्हें सच बता देता हूं | वो औरत मेरे कब्जे में है |
चारो की आंखें चमक पड़ी।
साकी - अरे वाह, तब तो समझ लो, लॉटरी हमारे हाथ में है।
जितेश - इसीलिए तो दोस्तों मैं यहां आया हूं। लाटरी हमारे हाथ में है। हमें बस उसे भुनाना बाकी है और हम मनमाना पैसा वसूल करेंगे। सूर्य देव से, क्योंकि सूर्य देव को औरत हर हाल में चाहिए, लेकिन हम पैसा लेने के बाद चंपत हो जाएंगे।
विनोद - चम्बापत हो जायेगे मतलब नहीं नहीं नहीं यह अपने धंधे का वसूल नहीं है। भाई अगर हम कीमत पूरी लेते हैं तो हम पूरा काम भी करते हैं। तुम जो कह रहे हो उस से मैं सहमत नहीं हूं। सूर्य देव भले ही बहुत ही घटिया आदमी हो लेकिन हम उसके साथ धोखा क्यों करें? अपना ईमान धरम नहीं ख़राब करना |
जितेश - मैं धोखा करने को नहीं कह रहा हूं। मैं सिर्फ इतना कहना हम उस औरत को नहीं देंगे क्योंकि वह औरत बहुत भली है। और उसे अगर सूर्य देव को हमने दे दिया तो सूर्य देव उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा।
साकी - तू साला फिर से कब से चूतों के चक्कर में पड़ने लगा? पिछले चूत के मिले धोखे अभी तक भुला नहीं और तूने नयी पकड़ ली |
विनोद - बेटा शादी कर ले इधर-उधर की सड़क छाप तो चक्कर में रहेगा ना तो साला ऐसे कुत्ते की मौत मारा जाएगा। इसलिए मैं बता रहा हूं।
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है। मैं बता रहा हूं ना बहुत बहुत ही भली औरत है।
रहीम - तू कब से औरत की चक्कर में पड़ गया | कही इश्कबाजी तो शुरू नहीं कर दी |
जितेश - नहीं ऐसा नहीं है।
बिनोद - मुद्दे की बात करते हैं।
साकी- मेरा भी यही ख्याल है कि मुद्दे की बात करते हैं। उस औरत से तूने साला क्या सेटिंग कर रखी है? हमें से मतलब नहीं है।
बिनोद - जैसा कि तूने बताया, औरत तेरे कब्जे में है तो अब आगे क्या करें?
जितेश - हमें सूर्य देव से मिलना पड़ेगा |
विनोद - बिना असलहा मै वहां नहीं जाऊंगा |
जितेश - मेरे पास २ है और कुछ कारतूस |
विनोद - मुझे लगता है इतना काफी नहीं होगा।