20-06-2021, 07:57 PM
(This post was last modified: 20-06-2021, 08:03 PM by vijayveg. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रीमा अन्दर तक बुरी तरह काँप गयी | उफ्फ्फ एक पल को तो रीमा को लगा अब चुद गयी, सब ख़त्म हो गया |
गिरधारी का खून से फफकता लाल सुपाडा सीधे रीमा के गुलाबी गीले संकरे कसे मुहाने से सटा था और बस गिरधारी के कमर हिलाने भर की देर थी की रीमा का औरत के रूप में सारा वजूद ख़त्म होने की देर थी | उसके औरत होने का गर्वीला अहसास कराने वाली उसकी चूत गिरधारी के मुसल लंड से कुचली जाने वाली थी | वो सारी लाज शर्म, वो सारी कोशिशे जो उसने खुद को बचा के रखने की की थी वो सब ख़त्म हो गयी | कौन कौन नहीं था जो उसको चोदना चाहता था, उसके चाहने वालो लाखो में थे लेकिन वो मिली किसे | उसने अपने को पति के सिवा सिर्फ रोहित और अब जितेश को सौपा था | बाकि सब उसकी चूत के मुहाने तक पंहुच कर लौट आये | आज वो सारी कोशिशे ख़त्म होती दिख रही थी | एक आदमी उसकी मर्जी के बिना उसके स्वाभिमान को, उसके औरत होने के खूबसूरत अहसास को, अपने मर्दानी अभिमान से कुचलने जा रहा था | रीमा इस भयानक अहसास से सिहर गयी, अब उसके अन्दर का वो अहसास जब वो अपने जिस्म को देख देख कर फूली नहीं समाती थी और अपने को दिलासा देती थी रीमा तेरी वासना कितनी भी पागल हो लेकिन तेरी चूत इसके जाल में नहीं फंसती | आज के बाद वो ग़लतफ़हमी भी दूर हो जाएगी | कुछ ऐसा खास नहीं बचेगा जिस पर वो फूली समां सके | इस रेप के बाद वो कभी खुद से नजरे नहीं मिला पायेगी | रीमा ने पिछले कुछ समय में मुसीबतों में फंसने पर अपने जिस्म को चारा बनाया ताकि मुसीबतों से निकल सके, लेकिन अपने जिस्म की, अपने औरत होने की पहचान उसका गौरव उसकी गुलाबी मखमली चूत सुरंग में किसी ऐरे गैर को लंड नहीं गुसने दिया | जितेश के साथ रौ में बह गयी थी वर्ना वो भी रीमा की चूत को हासिल नहीं कर पाता | बस दो ही भाग्यशाली थे इस दुनिया में जो रीमा की गुलाबी सुरंग का सफ़र कर सके उसके पति के अलावा | सबसे बड़ी बात थी दोनों के साथ रीमा की सहमती थी | अपने जिस्म की गहराइयाँ छुवाने से पहले उसने मन छु लिया था | लेकिन यहाँ तो गिरधारी जग्गू से ज्यादा किस्मत वाला निकला |
अब रीमा की भयानक चुदाई का दौर शुरू होने वाला था और गिरधारी की लाटरी लग गयी थी | रीमा की चूत का मखमली गरम अहसास पाते ही जग्गू का लंड खून के उबाल से तेज तेज झटके खाने लगा | गिरधारी ने कमर का हल्का झटका लगाया [b]लेकिन रीमा की कसी चूत ने वो ठोकर रोक ली और रीमा ने अपने चुताड़ो को तेजी से पीछे की तरफ धकेला | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया |
[/b]
गिरधारी ने उसी रौ में पूरी कमर पेल कर झटका मारा, गिरधारी ने कमर का जोर का झटका लगाया ....| अचानक से रीमा को पता नहीं क्या हुआ उसके चूतड़ कमर सहित अपने आप ही नीचे की तरफ बिस्तर पर दब गए, रीमा का पेट पिचक गया | जिस हालत में चूत लंड लेने के लिए चूतड़ सहित कमर उचका देती है, वहां रीमा की कमर नीचे की तरफ दब गयी | पूरी ताकत से गिरधारी की कमर से लगा झटका खाकर उसका सख्त लंड रीमा की चूत की फांको के ऊपर हिस्से से टकराता हुआ, उसके चूत दाने को कसकर मसलता हुआ उसके चिकने चूत त्रिकोण पर सरपट फिसल गया | रीमा के सारे बुझे अरमान जग गए | एक दम से जैसे उसके जिस्म का खून दौड़ने लगा, दिमाग चलने लगा | रीमा के मन में पहला अहसास - बस चुदने की आखिरी सीमा छूकर समझ लो वापस आ गयी | हाय बच गयी, लाज बच गयी आज, अब न छोडूंगी इसको |
इससे पहले आगे कोई चुक हो रीमा ने गिरधारी का चाकू वाला हाथ हटाते हुए उसे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया दिया और उसका फौलादी लंड हाथ में ले मुठीयाने लगी | वासना में गोते लगता गिरधारी इससे पहले कुछ सोच पाता |
रीमा - गाड़ मारने के लिए लंड चिकना भी तो होना चाहिए, ऐसे सुखा पत्थर जैसा लंड मेरी गाड़ की गुलाबी सुरंग की मखमली दीवारों को छील के रख देगा |
गिरधारी तेजी से हांफता हुआ - हाँ हाँ हाँ मैडम गीला करो चिकना करो, फिर सटासट पेलता हूँ आपकी गांड में |
रीमा ने गिरधारी का लंड मुहँ में ले लिया | वो पहले भी गिरधारी का लंड चूस चुकी थी इसलिए उसके लिए कोई बहुत नयी या अजीब बात नहीं थी | बड़े आराम से चूसने लगी |
गिरधारी भी रीमा की चुसाई से मस्त हो गया | रीमा ने कही से सीखा नहीं लेकिन लंड चूसने में उसका कोई जवाब नहीं था | ये उसका नेचुरल टैलेंट था, वो जिस भी मर्द का लंड मुहँ में ले ले, उसका थोड़ी देर में वासना में पागल होना तय था | इतनी शिद्दत से चूसती थी लंड को, सामने वाला मर्द कराह कराह के मर जाये | गिरधारी की हालत भी रीमा ने ख़राब कर दी थी | उसके बाए हाथ से चाकू छूटकर बेड पर अलग पड़ा था और वो आँखे बंद किये रीमा के जादुई लंड चुदाई के आनंद सागर में गोते लगा रहा था | रीमा ने गिरधारी का एक हाथ अपने सर पर रख लिया | गिरधारी उसके सर को पकड़ कर लंड पर ठेलने लगा | गिरधारी का लंड रीमा के मुहँ की गहराई में उतरने लगा | रीमा के मुहँ से गो गों गों गों की आवाजे निकलने लगी | भले ही रीमा गिरधारी का लंड चूस रही हो, उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह रही हो, लंड के गले तक उतरने से उसकी आंखे लालिमा लिए पानी से भर आई हो लेकिन उसकी नजरे चाकू पर ही टिकी थी | गिरधारी ने रीमा के सर को जोर से अपने लंड पर ठेला, उसका पूरा लंड रीमा के गले तक पैबस्त हो गया | रीमा तेज फुंफकार भरी आवाज के साथ अपने जिस्म में हवा भरती हुई ऊपर उठी और एक झटके में बेड पर पड़े चाकू को उठाकर गिरधारी के लंड पर भोंकना चाहती थी लेकिन चाकू लगा गिरधारी की बायीं जांघ में | गिरधारी दर्द से चीख पड़ा | रीमा तेजी से बेड बायीं तरफ लुढकी और नीचे पहुंच गयी | नीचे लोहे की राड रखी थी | उसे उठाकर जब तक गिरधारी रीमा के इस अप्रत्याशित कदम से संभलता तब तक उसके सर पर दे मारी |
गिरधारी वही लुढ़क गया | उसके सर से खून की धार बह चली | रीमा को समझ नहीं आया वो बेहोश हुआ है या मर गया |
रीमा उसे घसीटती ही किसी तरह से बाथरूम में लायी | फिर खुद को अच्छी तरह साफ़ किया | उसका खून रीमा को लग गया था|रीमा ने जितेश कपड़ो के ढेर में से अपने लायक कपड़े निकाले और पहन लिए | हालाँकि अब उसे जितेश के कपड़ो से भी नफरत थी लेकिन बाहर नंगी तो नहीं जा सकती | पैंटी उसकी गिरधारीने काट दी थी और ब्रा वो जल्दी जल्दी में पहनना भूल गयी | आखिरकार एक टी शर्ट टाइप का कपड़ा उसने निकाला जो सुने सुडौल बड़े स्तनों के लिए नाकाफी था लेकिन फिलहाल रीमा को जिस्म ढकने से मतलब था | उसके स्तन ऊपर से तो ढके थे लेकिन नीचे से खुले थे | रीमा ने इसलिए सर से लेकर सीने तक तौलिया ढक ली |
उसने जितेश के एक बैग से नोट की दो गड्डी निकली | तौलियां को अच्छी तरह से सर को ढका | गिरधारी को बाथरूम में ही मरने के लिए छोड़कर तेजी से सामने वाले दरवाजे से ही गली में निकल कर एक तरफ चलने लगी | उसे नहीं पता था वो कहाँ जा रही है क्या होगा | लेकिन वहां रुकना अब उसके लिए खतरे से खाली नहीं था | जो हुवा है उसके बाद अब जितेश भी उसके खून का प्यासा हो जायेगा |
गिरधारी का खून से फफकता लाल सुपाडा सीधे रीमा के गुलाबी गीले संकरे कसे मुहाने से सटा था और बस गिरधारी के कमर हिलाने भर की देर थी की रीमा का औरत के रूप में सारा वजूद ख़त्म होने की देर थी | उसके औरत होने का गर्वीला अहसास कराने वाली उसकी चूत गिरधारी के मुसल लंड से कुचली जाने वाली थी | वो सारी लाज शर्म, वो सारी कोशिशे जो उसने खुद को बचा के रखने की की थी वो सब ख़त्म हो गयी | कौन कौन नहीं था जो उसको चोदना चाहता था, उसके चाहने वालो लाखो में थे लेकिन वो मिली किसे | उसने अपने को पति के सिवा सिर्फ रोहित और अब जितेश को सौपा था | बाकि सब उसकी चूत के मुहाने तक पंहुच कर लौट आये | आज वो सारी कोशिशे ख़त्म होती दिख रही थी | एक आदमी उसकी मर्जी के बिना उसके स्वाभिमान को, उसके औरत होने के खूबसूरत अहसास को, अपने मर्दानी अभिमान से कुचलने जा रहा था | रीमा इस भयानक अहसास से सिहर गयी, अब उसके अन्दर का वो अहसास जब वो अपने जिस्म को देख देख कर फूली नहीं समाती थी और अपने को दिलासा देती थी रीमा तेरी वासना कितनी भी पागल हो लेकिन तेरी चूत इसके जाल में नहीं फंसती | आज के बाद वो ग़लतफ़हमी भी दूर हो जाएगी | कुछ ऐसा खास नहीं बचेगा जिस पर वो फूली समां सके | इस रेप के बाद वो कभी खुद से नजरे नहीं मिला पायेगी | रीमा ने पिछले कुछ समय में मुसीबतों में फंसने पर अपने जिस्म को चारा बनाया ताकि मुसीबतों से निकल सके, लेकिन अपने जिस्म की, अपने औरत होने की पहचान उसका गौरव उसकी गुलाबी मखमली चूत सुरंग में किसी ऐरे गैर को लंड नहीं गुसने दिया | जितेश के साथ रौ में बह गयी थी वर्ना वो भी रीमा की चूत को हासिल नहीं कर पाता | बस दो ही भाग्यशाली थे इस दुनिया में जो रीमा की गुलाबी सुरंग का सफ़र कर सके उसके पति के अलावा | सबसे बड़ी बात थी दोनों के साथ रीमा की सहमती थी | अपने जिस्म की गहराइयाँ छुवाने से पहले उसने मन छु लिया था | लेकिन यहाँ तो गिरधारी जग्गू से ज्यादा किस्मत वाला निकला |
अब रीमा की भयानक चुदाई का दौर शुरू होने वाला था और गिरधारी की लाटरी लग गयी थी | रीमा की चूत का मखमली गरम अहसास पाते ही जग्गू का लंड खून के उबाल से तेज तेज झटके खाने लगा | गिरधारी ने कमर का हल्का झटका लगाया [b]लेकिन रीमा की कसी चूत ने वो ठोकर रोक ली और रीमा ने अपने चुताड़ो को तेजी से पीछे की तरफ धकेला | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया |
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गिरधारी ने उसी रौ में पूरी कमर पेल कर झटका मारा, गिरधारी ने कमर का जोर का झटका लगाया ....| अचानक से रीमा को पता नहीं क्या हुआ उसके चूतड़ कमर सहित अपने आप ही नीचे की तरफ बिस्तर पर दब गए, रीमा का पेट पिचक गया | जिस हालत में चूत लंड लेने के लिए चूतड़ सहित कमर उचका देती है, वहां रीमा की कमर नीचे की तरफ दब गयी | पूरी ताकत से गिरधारी की कमर से लगा झटका खाकर उसका सख्त लंड रीमा की चूत की फांको के ऊपर हिस्से से टकराता हुआ, उसके चूत दाने को कसकर मसलता हुआ उसके चिकने चूत त्रिकोण पर सरपट फिसल गया | रीमा के सारे बुझे अरमान जग गए | एक दम से जैसे उसके जिस्म का खून दौड़ने लगा, दिमाग चलने लगा | रीमा के मन में पहला अहसास - बस चुदने की आखिरी सीमा छूकर समझ लो वापस आ गयी | हाय बच गयी, लाज बच गयी आज, अब न छोडूंगी इसको |
इससे पहले आगे कोई चुक हो रीमा ने गिरधारी का चाकू वाला हाथ हटाते हुए उसे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया दिया और उसका फौलादी लंड हाथ में ले मुठीयाने लगी | वासना में गोते लगता गिरधारी इससे पहले कुछ सोच पाता |
रीमा - गाड़ मारने के लिए लंड चिकना भी तो होना चाहिए, ऐसे सुखा पत्थर जैसा लंड मेरी गाड़ की गुलाबी सुरंग की मखमली दीवारों को छील के रख देगा |
गिरधारी तेजी से हांफता हुआ - हाँ हाँ हाँ मैडम गीला करो चिकना करो, फिर सटासट पेलता हूँ आपकी गांड में |
रीमा ने गिरधारी का लंड मुहँ में ले लिया | वो पहले भी गिरधारी का लंड चूस चुकी थी इसलिए उसके लिए कोई बहुत नयी या अजीब बात नहीं थी | बड़े आराम से चूसने लगी |
गिरधारी भी रीमा की चुसाई से मस्त हो गया | रीमा ने कही से सीखा नहीं लेकिन लंड चूसने में उसका कोई जवाब नहीं था | ये उसका नेचुरल टैलेंट था, वो जिस भी मर्द का लंड मुहँ में ले ले, उसका थोड़ी देर में वासना में पागल होना तय था | इतनी शिद्दत से चूसती थी लंड को, सामने वाला मर्द कराह कराह के मर जाये | गिरधारी की हालत भी रीमा ने ख़राब कर दी थी | उसके बाए हाथ से चाकू छूटकर बेड पर अलग पड़ा था और वो आँखे बंद किये रीमा के जादुई लंड चुदाई के आनंद सागर में गोते लगा रहा था | रीमा ने गिरधारी का एक हाथ अपने सर पर रख लिया | गिरधारी उसके सर को पकड़ कर लंड पर ठेलने लगा | गिरधारी का लंड रीमा के मुहँ की गहराई में उतरने लगा | रीमा के मुहँ से गो गों गों गों की आवाजे निकलने लगी | भले ही रीमा गिरधारी का लंड चूस रही हो, उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह रही हो, लंड के गले तक उतरने से उसकी आंखे लालिमा लिए पानी से भर आई हो लेकिन उसकी नजरे चाकू पर ही टिकी थी | गिरधारी ने रीमा के सर को जोर से अपने लंड पर ठेला, उसका पूरा लंड रीमा के गले तक पैबस्त हो गया | रीमा तेज फुंफकार भरी आवाज के साथ अपने जिस्म में हवा भरती हुई ऊपर उठी और एक झटके में बेड पर पड़े चाकू को उठाकर गिरधारी के लंड पर भोंकना चाहती थी लेकिन चाकू लगा गिरधारी की बायीं जांघ में | गिरधारी दर्द से चीख पड़ा | रीमा तेजी से बेड बायीं तरफ लुढकी और नीचे पहुंच गयी | नीचे लोहे की राड रखी थी | उसे उठाकर जब तक गिरधारी रीमा के इस अप्रत्याशित कदम से संभलता तब तक उसके सर पर दे मारी |
गिरधारी वही लुढ़क गया | उसके सर से खून की धार बह चली | रीमा को समझ नहीं आया वो बेहोश हुआ है या मर गया |
रीमा उसे घसीटती ही किसी तरह से बाथरूम में लायी | फिर खुद को अच्छी तरह साफ़ किया | उसका खून रीमा को लग गया था|रीमा ने जितेश कपड़ो के ढेर में से अपने लायक कपड़े निकाले और पहन लिए | हालाँकि अब उसे जितेश के कपड़ो से भी नफरत थी लेकिन बाहर नंगी तो नहीं जा सकती | पैंटी उसकी गिरधारीने काट दी थी और ब्रा वो जल्दी जल्दी में पहनना भूल गयी | आखिरकार एक टी शर्ट टाइप का कपड़ा उसने निकाला जो सुने सुडौल बड़े स्तनों के लिए नाकाफी था लेकिन फिलहाल रीमा को जिस्म ढकने से मतलब था | उसके स्तन ऊपर से तो ढके थे लेकिन नीचे से खुले थे | रीमा ने इसलिए सर से लेकर सीने तक तौलिया ढक ली |
उसने जितेश के एक बैग से नोट की दो गड्डी निकली | तौलियां को अच्छी तरह से सर को ढका | गिरधारी को बाथरूम में ही मरने के लिए छोड़कर तेजी से सामने वाले दरवाजे से ही गली में निकल कर एक तरफ चलने लगी | उसे नहीं पता था वो कहाँ जा रही है क्या होगा | लेकिन वहां रुकना अब उसके लिए खतरे से खाली नहीं था | जो हुवा है उसके बाद अब जितेश भी उसके खून का प्यासा हो जायेगा |