22-06-2021, 10:48 PM
अपडेट - 9
ललिता ने दोनो हाथो से अपनी टीशर्ट को पकड़ कर धीरे-2 आगे से ऊपेर उठाना शुरू कर दिया…जैसे ही ललिता की टीशर्ट उसकी चुचियों तक आई…तो ललिता के हाथ रुक गये…उसने घबराते हुए फिर से मेरी तरफ एक बार देखा..और फिर से नज़ारे झुका ली….राज ने आगे बढ़ कर ललिता की टीशर्ट को पकड़ कर झटके से ऊपेर उठा दिया…ललिता की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गयी…..
ललिता ने नीचे ब्रा भी नही पहनी हुई थी….उसकी सेब जितनी बड़ी चुचियाँ. जो कि अभी आकर लेना शुरू ही हुई थी…उनको राज ने अपने दोनो हाथों मे भर कर मसलना शुरू कर दिया….और फिर नीचे झुक लेफ्ट वाली चुचि को मूह मे भर कर चूसने लगा….पता नही क्या हो गया था मुझे जो बुत की तरह खड़ी वहाँ ये सब कुछ देख रही थी….शायद मेरी जिंदगी का वो हिस्सा था….जो ना मेने आज तक ना ही महसूस किया था…और ना ही, मेने देखा था….
जैसे ही राज ने ललिता की चुचि को मूह मे भरा….ललिता ने अपने सर को पीछे की ओर लुड़का दिया….राज ने लगभग ललिता की सेब जितनी बड़ी चुचि को पूरा मूह मे भर लिया था…और उसे ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था…ये सब देखते हुए आज मुझे पहली बार अपनी पेंटी के अंदर अजीब सी सरसराहट महसूस होने लगी थी…फिर राज ने ललिता की एक चुचि को मूह से बाहर निकाला और दूसरी चुचि को मूह मे भर कर चूसने लगा. ललिता के हाथ लगतार राज की पीठ पर थिरक रहे थी…और वो आँखे बंद किए हुए खड़ी थी…फिर कुछ देर बाद राज ने ललिता की चुचि को मूह से बाहर निकाला और ललिता के कंधे पर हाथ रख कर उसे नीचे बैठने के लिए दबाने लगा….
ललिता ने एक बार फिर से चोर नज़रों से मेरी ओर देखा और नीचे घुटनो के बल बैठ गयी…राज ने मेरी ओर देखा और कमीनी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए, अपनी पेंट की ज़िप को खोलने लगा…ये देख मेरा कलेजा मूह को आ गया…और अगले ही पल राज का बाबूराव बाहर हवा मे आकर झटके खाने लगा…राज ने ललिता को फिर से कुछ कहा, तो ललिता ने अपना हाथ ऊपेर उठा कर राज के बाबूराव को पकड़ लिया…और फिर कुछ पल रुकने के बाद अपने होंटो को राज के बाबूराव के सुपाडे की तरफ बढ़ाने लगी….मेरे कान साए-2 करने लगे थे..
मुझे यकीन नही हो रहा था कि, मेरे ही क्लास के स्टूडेंट्स मेरे सामने ये सब कर रहे है….और मेरे देखते ही देखते ललिता ने राज के बाबूराव के सुपाडे को मूह मे भर लिया, और अपना सर आगे पीछे करते हुए उसके बाबूराव को सक करने लगी…राज मेरी ओर देख कर अपने दाँत निकाल रहा था….उसने ललिता के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया…ये देख मैं एक दम से हैरान रह गयी…
राज का आधे से ज़्यादा लंड ललिता के मूह के अंदर बाहर हो रहा था…एक मिनिट दो मिनिट मे पता नही कब से खड़ी वहाँ ये सब देख रही थी…जैसे मेरे जिस्म मे जान ही ना बची हो…तभी मैं एक दम से चोंक उठी…राज ने अपना बाबूराव ललिता के हलक मे उतार दिया था…और ललिता उसको पीछे की ओर धकेलने की कॉसिश कर रही थी… फिर राज धीरे-2 शांत हुआ, और अपना बाबूराव ललिता के मूह से बाहर निकाला…ललिता एक दम से आगे की तरफ लूड़क गयी…उसने अपने दोनो हाथों को ज़मीन पर टिका लिया…
मैं बुत सी बनी अभी भी वही खड़ी थी…..ललिता नीचे मूह किए हुए खांस रही थी….और उसके मूह से लार थूक और राज के लंड का वीर्य बाहर निकल रहा था… राज ने एक बार मेरी तरफ देखा और अपने बाबूराव को हिलाया और फिर अंदर करके ज़िप बंद कर ली…और फिर धीरे धीरे और आगे बढ़ गया….ललिता नीचे मूह लटकाए हुए अभी भी खांस रही थी….मैने जल्दी से भाग कर उससे पकड़ा और उसे ऊपेर उठाया….
मैं: ललिता तुम ठीक तो हो ना….?
ललिता ने हां मे सर हिलाया और अपनी टीशर्ट नीचे की और चलने लगी….”ललिता रूको एक मिनिट…कहाँ जा रही हो…..” मेरी बात सुन कर ललिता रुक गयी…
मैं: ललिता तुम ये सब क्यों कर रही हो….तुम्हारी ऐसी क्या मजबूरी है..जो तुम आज अपनी टीचर के सामने ये सब करने पर मजबूर हो गयी हो….
ललिता: (सर को झुकाए हुए) नही मॅम मेरी कोई मजबूरी नही है….
मैं: तो फिर तुम ये सब क्यों कर रही हो….
ललिता: प्लीज़ मॅम अभी मैं इस बारे मे बात नही करना चाहती…(ललिता के हाथ पैर डर के मारे कांप रहे थे….)
मैं: ठीक है ललिता तुम चलो…शाम को तुमसे बात करती हूँ…
मैं ललिता के पीछे चलती हुए नीचे आ गयी….फिर मैं ललिता को वॉशरूम मे ले गयी….और वहाँ पर उसने अपना हुलिया ठीक किया….करीब 1 घंटे बाद ललिता कुछ नॉर्मल हो गयी थी….
मैं: ललिता अब बताओ तुम्हारी क्या प्राब्लम है….क्यों तुम ये सब कुछ सहन कर रही हो….क्या मजबूरी है तुम्हारी…देख मेने पहले ही कहा था….कि अगर वो तुम्हे किसी बात पर ब्लॅकमेल कर रहा है तो मुझे बता….
ललिता: (थोड़ा सा खीजते हुए) मॅम मेने पहले भी कहा था ना…..वो मुझे ब्लॅकमेल नही कर रहा….
मैं: तो फिर तुम क्यों अपने ऊपेर हो रहे इस जुलम को सहन कर रही हो….
ललिता: (ललिता ने एक बार मेरी आँखो मे देखा और उसके आँसू झलक आए) मुझे खुद भी नही पता मॅम….
मैं: (उसकी आँखो मे झाँकते हुए) हाइ ललिता कही तुम उससे प्यार तो नही करने लगी ना…(मेने प्यार से ललिता के गालो को सहलाते हुए कहा….)
ललिता: (ना मे गर्दन हिलाते हुए) नही मॅम मुझे खुद ही कुछ समझ मे नही आ रहा.
मैं: ललिता देख या तूम उससे प्यार करने लगी है….या फिर वो तुझे किसी बात को लेकर ब्लॅकमेल कर रहा है…..तू भले ही मुझसे छुपा पर…मैं ये पता लगा कर रहूंगी….मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नही करने दूँगी….
मैं उठ कर वहाँ से चली आई…पर मन मे ढेर सारे ऐसे सवाल थे….जिनका जवाब मिलना आसान नही था…..रात को भी मैं यही सोचती रही…पर ये बात मेरी समझ से परे थी कि, ललिता आख़िर ये सब क्यों कर रही है….अगली सुबह जब मैं तैयार होकर नीचे आई तो पता चला कि, हम लोग खज़ार जा रहे है. जो कि डलहोजि से 1 घंटे की दूरी पर था…मैने देखा कि आज ललिता लड़कियों के साथ खड़ी थी…और राज अकेला एक साइड मे खड़ा था…वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था….
कल जो उसने घटिया हरकत मेरे सामने की थी…उस बात को लेकर डरने की बजाए उसके चेहरे पर घमंड की मुस्कान फेली हुए थी….मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया. मैं उसके पास गयी….अब मैने दूसरा तरीका इस्तेमाल करने की सोची…कि एक बार प्यार से समझा कर भी देख लूँ….
मैं: राज मुझे तुमसे बात करनी है…
राज: हां कहो….
मैं: राज तुम ये सब ललिता के साथ क्यों कर रहे हो….तुम उसके साथ -2 अपनी भी लाइफ बर्बाद कर रहे हो….
राज: तुम अपना ग्यान अपने पास रखो…और जाकर उस ललिता को समझाओ…मैं उसके साथ कोई ज़बरदस्ती तो नही कर रहा….
मैं: वो सब मुझे पता नही…पर मैं ललिता के साथ कुछ ग़लत नही होने दूँगी…
राज: अच्छा बेहन लगती है क्या तुम्हारी…..तो चल ठीक है….आज मैं ललिता की फुद्दि की सील तोड़ने वाला हूँ…उसको बचा सकती हो तो बचा लो
ये कह कर राज बस की तरफ चला गया….मैं हक्कीबक्की वही दंग खड़ी रह गयी… मैं अब क्या करूँ…और क्या ना करूँ कि, ललिता के जिंदगी खराब होने से बच जाए….मैं जल्दी से ललिता के पास गयी….और उससे साइड मे बुला कर ले गये….
मैं: ललिता देख आज के बाद तुम राज की कोई बात नही मनोगी….और ना ही उसके पास आज के बाद जाओगी…समझ रही हो ना….
ललिता: पर क्यों मॅम मैं नही रोक पाती अपने आप को…पता नही मुझे क्या हो गया है. मैं ये नही कहती कि, मैं राज से प्यार करने लगी हूँ…पर पता नही क्यों मैं उसे रोक नही पाती….आप जाओ अब मुझे और उस टॉपिक पर और बात नही करनी….
मैं: ललिता देखो जो तुम कर रही हो…वो ठीक नही है…जो तुम दोनो ने कल किया. वो कही से भी सही नही है….अपने आप को रोको ललिता…
ललिता: क्यों रोकू….आप जाएँ यहाँ से….
ललिता ने दोनो हाथो से अपनी टीशर्ट को पकड़ कर धीरे-2 आगे से ऊपेर उठाना शुरू कर दिया…जैसे ही ललिता की टीशर्ट उसकी चुचियों तक आई…तो ललिता के हाथ रुक गये…उसने घबराते हुए फिर से मेरी तरफ एक बार देखा..और फिर से नज़ारे झुका ली….राज ने आगे बढ़ कर ललिता की टीशर्ट को पकड़ कर झटके से ऊपेर उठा दिया…ललिता की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गयी…..
ललिता ने नीचे ब्रा भी नही पहनी हुई थी….उसकी सेब जितनी बड़ी चुचियाँ. जो कि अभी आकर लेना शुरू ही हुई थी…उनको राज ने अपने दोनो हाथों मे भर कर मसलना शुरू कर दिया….और फिर नीचे झुक लेफ्ट वाली चुचि को मूह मे भर कर चूसने लगा….पता नही क्या हो गया था मुझे जो बुत की तरह खड़ी वहाँ ये सब कुछ देख रही थी….शायद मेरी जिंदगी का वो हिस्सा था….जो ना मेने आज तक ना ही महसूस किया था…और ना ही, मेने देखा था….
जैसे ही राज ने ललिता की चुचि को मूह मे भरा….ललिता ने अपने सर को पीछे की ओर लुड़का दिया….राज ने लगभग ललिता की सेब जितनी बड़ी चुचि को पूरा मूह मे भर लिया था…और उसे ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था…ये सब देखते हुए आज मुझे पहली बार अपनी पेंटी के अंदर अजीब सी सरसराहट महसूस होने लगी थी…फिर राज ने ललिता की एक चुचि को मूह से बाहर निकाला और दूसरी चुचि को मूह मे भर कर चूसने लगा. ललिता के हाथ लगतार राज की पीठ पर थिरक रहे थी…और वो आँखे बंद किए हुए खड़ी थी…फिर कुछ देर बाद राज ने ललिता की चुचि को मूह से बाहर निकाला और ललिता के कंधे पर हाथ रख कर उसे नीचे बैठने के लिए दबाने लगा….
ललिता ने एक बार फिर से चोर नज़रों से मेरी ओर देखा और नीचे घुटनो के बल बैठ गयी…राज ने मेरी ओर देखा और कमीनी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए, अपनी पेंट की ज़िप को खोलने लगा…ये देख मेरा कलेजा मूह को आ गया…और अगले ही पल राज का बाबूराव बाहर हवा मे आकर झटके खाने लगा…राज ने ललिता को फिर से कुछ कहा, तो ललिता ने अपना हाथ ऊपेर उठा कर राज के बाबूराव को पकड़ लिया…और फिर कुछ पल रुकने के बाद अपने होंटो को राज के बाबूराव के सुपाडे की तरफ बढ़ाने लगी….मेरे कान साए-2 करने लगे थे..
मुझे यकीन नही हो रहा था कि, मेरे ही क्लास के स्टूडेंट्स मेरे सामने ये सब कर रहे है….और मेरे देखते ही देखते ललिता ने राज के बाबूराव के सुपाडे को मूह मे भर लिया, और अपना सर आगे पीछे करते हुए उसके बाबूराव को सक करने लगी…राज मेरी ओर देख कर अपने दाँत निकाल रहा था….उसने ललिता के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया…ये देख मैं एक दम से हैरान रह गयी…
राज का आधे से ज़्यादा लंड ललिता के मूह के अंदर बाहर हो रहा था…एक मिनिट दो मिनिट मे पता नही कब से खड़ी वहाँ ये सब देख रही थी…जैसे मेरे जिस्म मे जान ही ना बची हो…तभी मैं एक दम से चोंक उठी…राज ने अपना बाबूराव ललिता के हलक मे उतार दिया था…और ललिता उसको पीछे की ओर धकेलने की कॉसिश कर रही थी… फिर राज धीरे-2 शांत हुआ, और अपना बाबूराव ललिता के मूह से बाहर निकाला…ललिता एक दम से आगे की तरफ लूड़क गयी…उसने अपने दोनो हाथों को ज़मीन पर टिका लिया…
मैं बुत सी बनी अभी भी वही खड़ी थी…..ललिता नीचे मूह किए हुए खांस रही थी….और उसके मूह से लार थूक और राज के लंड का वीर्य बाहर निकल रहा था… राज ने एक बार मेरी तरफ देखा और अपने बाबूराव को हिलाया और फिर अंदर करके ज़िप बंद कर ली…और फिर धीरे धीरे और आगे बढ़ गया….ललिता नीचे मूह लटकाए हुए अभी भी खांस रही थी….मैने जल्दी से भाग कर उससे पकड़ा और उसे ऊपेर उठाया….
मैं: ललिता तुम ठीक तो हो ना….?
ललिता ने हां मे सर हिलाया और अपनी टीशर्ट नीचे की और चलने लगी….”ललिता रूको एक मिनिट…कहाँ जा रही हो…..” मेरी बात सुन कर ललिता रुक गयी…
मैं: ललिता तुम ये सब क्यों कर रही हो….तुम्हारी ऐसी क्या मजबूरी है..जो तुम आज अपनी टीचर के सामने ये सब करने पर मजबूर हो गयी हो….
ललिता: (सर को झुकाए हुए) नही मॅम मेरी कोई मजबूरी नही है….
मैं: तो फिर तुम ये सब क्यों कर रही हो….
ललिता: प्लीज़ मॅम अभी मैं इस बारे मे बात नही करना चाहती…(ललिता के हाथ पैर डर के मारे कांप रहे थे….)
मैं: ठीक है ललिता तुम चलो…शाम को तुमसे बात करती हूँ…
मैं ललिता के पीछे चलती हुए नीचे आ गयी….फिर मैं ललिता को वॉशरूम मे ले गयी….और वहाँ पर उसने अपना हुलिया ठीक किया….करीब 1 घंटे बाद ललिता कुछ नॉर्मल हो गयी थी….
मैं: ललिता अब बताओ तुम्हारी क्या प्राब्लम है….क्यों तुम ये सब कुछ सहन कर रही हो….क्या मजबूरी है तुम्हारी…देख मेने पहले ही कहा था….कि अगर वो तुम्हे किसी बात पर ब्लॅकमेल कर रहा है तो मुझे बता….
ललिता: (थोड़ा सा खीजते हुए) मॅम मेने पहले भी कहा था ना…..वो मुझे ब्लॅकमेल नही कर रहा….
मैं: तो फिर तुम क्यों अपने ऊपेर हो रहे इस जुलम को सहन कर रही हो….
ललिता: (ललिता ने एक बार मेरी आँखो मे देखा और उसके आँसू झलक आए) मुझे खुद भी नही पता मॅम….
मैं: (उसकी आँखो मे झाँकते हुए) हाइ ललिता कही तुम उससे प्यार तो नही करने लगी ना…(मेने प्यार से ललिता के गालो को सहलाते हुए कहा….)
ललिता: (ना मे गर्दन हिलाते हुए) नही मॅम मुझे खुद ही कुछ समझ मे नही आ रहा.
मैं: ललिता देख या तूम उससे प्यार करने लगी है….या फिर वो तुझे किसी बात को लेकर ब्लॅकमेल कर रहा है…..तू भले ही मुझसे छुपा पर…मैं ये पता लगा कर रहूंगी….मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नही करने दूँगी….
मैं उठ कर वहाँ से चली आई…पर मन मे ढेर सारे ऐसे सवाल थे….जिनका जवाब मिलना आसान नही था…..रात को भी मैं यही सोचती रही…पर ये बात मेरी समझ से परे थी कि, ललिता आख़िर ये सब क्यों कर रही है….अगली सुबह जब मैं तैयार होकर नीचे आई तो पता चला कि, हम लोग खज़ार जा रहे है. जो कि डलहोजि से 1 घंटे की दूरी पर था…मैने देखा कि आज ललिता लड़कियों के साथ खड़ी थी…और राज अकेला एक साइड मे खड़ा था…वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था….
कल जो उसने घटिया हरकत मेरे सामने की थी…उस बात को लेकर डरने की बजाए उसके चेहरे पर घमंड की मुस्कान फेली हुए थी….मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया. मैं उसके पास गयी….अब मैने दूसरा तरीका इस्तेमाल करने की सोची…कि एक बार प्यार से समझा कर भी देख लूँ….
मैं: राज मुझे तुमसे बात करनी है…
राज: हां कहो….
मैं: राज तुम ये सब ललिता के साथ क्यों कर रहे हो….तुम उसके साथ -2 अपनी भी लाइफ बर्बाद कर रहे हो….
राज: तुम अपना ग्यान अपने पास रखो…और जाकर उस ललिता को समझाओ…मैं उसके साथ कोई ज़बरदस्ती तो नही कर रहा….
मैं: वो सब मुझे पता नही…पर मैं ललिता के साथ कुछ ग़लत नही होने दूँगी…
राज: अच्छा बेहन लगती है क्या तुम्हारी…..तो चल ठीक है….आज मैं ललिता की फुद्दि की सील तोड़ने वाला हूँ…उसको बचा सकती हो तो बचा लो
ये कह कर राज बस की तरफ चला गया….मैं हक्कीबक्की वही दंग खड़ी रह गयी… मैं अब क्या करूँ…और क्या ना करूँ कि, ललिता के जिंदगी खराब होने से बच जाए….मैं जल्दी से ललिता के पास गयी….और उससे साइड मे बुला कर ले गये….
मैं: ललिता देख आज के बाद तुम राज की कोई बात नही मनोगी….और ना ही उसके पास आज के बाद जाओगी…समझ रही हो ना….
ललिता: पर क्यों मॅम मैं नही रोक पाती अपने आप को…पता नही मुझे क्या हो गया है. मैं ये नही कहती कि, मैं राज से प्यार करने लगी हूँ…पर पता नही क्यों मैं उसे रोक नही पाती….आप जाओ अब मुझे और उस टॉपिक पर और बात नही करनी….
मैं: ललिता देखो जो तुम कर रही हो…वो ठीक नही है…जो तुम दोनो ने कल किया. वो कही से भी सही नही है….अपने आप को रोको ललिता…
ललिता: क्यों रोकू….आप जाएँ यहाँ से….