20-06-2021, 04:02 PM
अपडेट 6
मैं घर के पीछे बाग मे टहल रही थी….घने पैड थे चारो तरफ….वहाँ पर घर का कोई भी इंसान नही था….और ना ही बाहर…तभी एक दम राज मेरे सामने आ गया….मैं उसे देख कर डर गयी….और घर की तरफ जाने लगी, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया…..जब मेने उससे अपना हाथ छोड़ने के लिए कहा तो, वो कहने लगा कि उसे मुझसे कुछ बात करनी है….मेने कहा कहो जो भी कहना है….पर मेरा हाथ छोड़ दो. पर मॅम उसने मेरा हाथ नही छोड़ा…..और कहने लगा कि, वो मुझसे फ्रेंडशिप करना चाहता है….मैने उसे सॉफ इनकार कर दिया…तो कहने लगा कि वो मेरे बिना जी नही पाएगा. जब से मेने तुम्हे देखा है, उसी पल से मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ…..
मैं: फिर क्या हुआ ललिता…..
ललिता: मेने उसे सॉफ इनकार कर दिया….और ये भी बताया कि मेरे पापा बहुत ज़्यादा रिस्ट्रिक्ट है…अगर उन्हे पता चला तो वो मुझे जान से मार देंगे….पर वो फिर भी नही माना…..और उसने मुझे धक्का देकर पेड़ के साथ लगा दिया और फिर उसने….
मैं: हां-2 ललिता बोलो….फिर उसने क्या किया…?
ललिता: फिर उसने मुझे ज़बरदस्ती किस किया…लिप्स पर…..मेने बहुत बार अपने लिप्स को अलग किया….पर हर बार वो ज़बरदस्ती किस करने लगता….मुझे बहुत डर लग रहा था. कि कही कोई मुझे ढूंढता हुआ इधर ना आ जाए….मैने उसे कई बार मना किया…पर वो मुझे 15 मिनट तक किस करता रहा….
जब मैं घर आई तो मैं बहुत डर गयी थी मॅम…मेरे हाथ पैर काँपने लगे थे. फिर उसने मुझे शादी मे बहुत तंग किया…मुझे जब अकेला देखता तो मुझे ज़बरदस्ती टच करता…..मेरे प्राइवेट पार्ट्स भी….
मैं: ललिता तुम फिकर ना करो….मैं उस हरामजादे को देख लूँगी…
ललिता: नही नही मिस आप कुछ ना करना….मैं संभाल लूँगी….आप सच मे मेरे पापा को नही जानती…वो कोई बात नही सुनेगे…और मुझे कॉलेज से घर मे बैठा लेंगे..
मैं ललिता की बात सुन कर एक दम से परेशान हो गयी थी…मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं ललिता की कैसे हेल्प करूँ…ललिता का डर सिर्फ़ राज की वजह से नही था. उसके पापा की तरफ से भी था…खैर मेने सोच लिया था कि, मैं ललिता की मदद ज़रूर करूँगी, पर कैसे ये मुझे भी नही पता था….दिन ब दिन बीत रहे थे…मुझे कॉलेज जाय्न किए हुए, 15 दिन हो चुके थे….
ललिता को परेशान देख कर मैं भी परेशान हो जाती थी…मैं चाहते हुए भी उसकी कोई हेल्प नही कर पा रही थी….पर एक दिन जय सर ने कॉलेज मे छुट्टी के बाद टीचर्स मीटिंग रखी. वजह ये थी कि, इस साल हमारे कॉलेज मे बहुत ज़्यादा न्यू ऐड्मीशन हुई थी….ज़्यादा बच्चों को हॅंडेल करना मुस्किल हो रहा था….उसी बात पर डिसक्यूसषन होना था…सब अपनी अपनी राय दे रहे थे…पर मेरा ध्यान ललिता मे था…
जय सर:- मिस डॉली…..आपका क्या विचार है….
मैं: जी वो मैं सोच रही थी कि, अब हमे हर क्लास के दो-2 सेक्षन कर देने चाहिए. जिससे बच्चों को हॅंडल करने मे आसानी हो….
जय सर,:- वो तो मिस्टर, राजेश भी यही कह रहे है….पर एक दम से सेक्षन मे क्लास को डिवाइड नही कर सकते….ऐसे तो टीचर्स कम पड़ जाएँगे….और नये टीचर को ढूँढने और रखने मे बहुत टाइम लग जाएगा….
मैं: सर, मेरे ख़याल से पहले हमे, +1, +2 के क्लासस के सेक्षन्स को अलग कर देना चाहिए, लड़कियों के लिए अलग सेक्षन और लड़को के लिए अलग….फिर उसके बाद सबसे छोटी क्लासस के…. बाकी के क्लासस के सेक्षन हम टाइम ब टाइम बनाते रहेंगे…और धीरे-2 नये टीचर्स भी मिलते रहेंगे…..
जय सर: दट’स आ गुड आइडिया…तो ठीक आप सभी टीचर्स को किसी बात पर कुछ कहना है…..
उसके बाद जय सर को सबने अपने सहमति जता दी….मैं बहुत खुस थी कि, मेरे इस उठाए कदम से ललिता को कुछ तो राहत मिलेगी..कम से कम क्लास मे वो अपनी स्टडी पर अच्छे से ध्यान दे पाएगी….
अगले वीक तक 4 क्लासस को डिवाइड करके दो-2 सेक्षन बना दिए गये….मुझे इसमे एक और फ़ायदा ये हुआ कि, टीचर्स की डिमॅंड बढ़ने से नये जॉब कॉलेज मे खाली थे. मैने एक दिन जय सर, से भाभी के बारे मे बात की, तो वो झट से मान गये….और भाभी को अगले ही दिन इंटरव्यू मे बुला लिया…मेरा रेफार्र्न्स होने के कारण उन्हे जॉब भी मिल गयी….6000 सॅलरी से भाभी भी बेहद खुश थी….कुछ ना होने से तो अच्छा ही था…धीरे टाइम बीत रहा था…पर राज अभी भी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा था.
कॉलेज आते हुए वो ललिता को बस मे किसी ना किसी बहाने से तंग करता रहता था…पर मेने एक बात नोटीस की थी…कि अब ललिता उसकी हरकतों से उतनी परेशान नही दिखाई देती थी….मेने सोचा शायद मेरा वहेम हो….मई का लास्ट चल रहा था…और अगले 1 जून से कॉलेज मे सम्मर वकेशन्स शुरू हो रही थी…और दूसरी तरफ भैया अब और ज़्यादा नशा करने लगे थे….घर पर हर समय लड़ाई झगड़ा करते रहते थी…पैसो के लिए झगड़ा होना हमारे घर मे आम से बात हो गयी थी….
एक दिन मैं शाम को सो कर उठी थी….तो मुझे भैया और भाभी के लड़ने के आवाज़ सुनाई दी….मैं जैसे ही रूम से बाहर आई तो भैया भाभी के बालो को पकड़ कर खेंचते हुए अंदर ले जा रहे थे…और बहुत गंदी-2 गालियाँ बक रहे थे…” चल साली तुझे दिखाता हूँ….कि अपने पति की इज़्ज़त कैसे की जाती है….” भैया ने भाभी के बालो से पकड़ कर खेंचते हुए कहा….मुझसे ये सब देखा ना गया…और मैं बीच मे आ गयी…और भाभी को भैया से छुड़वाने लगी…” भैया क्या कर रहे हो… छोड़ो भाभी को….क्यों गली मोहल्ले के लोगो को तमाशा लगा कर दिखा रहे हो…
भैया: डॉली तू हट जा बीच मे से….आज इसे बताता हूँ कि पति के साथ कैसे पेश आया जाता है….
मैं: नही भैया मैं नही हटने वाली छोड़ो भाभी को….
मेने भैया के हाथो को पकड़ कर भाभी को छुड़वाने की कोशिस करते हुए कहा…तो भैया ने मुझे एक दम से धक्का दे दिया…मैं अपने आप को संभाल नही पाई, और नीचे गिर गयी…भैया भाभी को रूम मे ले गये…और इससे पहले कि खड़ी होकर कुछ कर पाती ….भैया ने डोर अंदर से लॉक कर दिया….मैं डोर को पीटती रही..पर भैया ने डोर नही खोला…अंदर से भाभी के सिसकने और रोने की आवाज़ आती रही. मैं बेबस से वही खड़ी होकर भैया भैया पुकारती रही….और रोने लगी…करीब 3 मिनिट बाद डोर खुला और भैया रूम से बाहर निकल कर घर से बाहर चले गये…
मैं जलदी से भाभी के रूम मे भागी, तो सामने का नज़ारा देख मेरे होश उड़ गये. भाभी ज़मीन पर बैठी हुई थी…और उनकी सलवार और पेंटी उनकी एक टाँग मे अटकी हुई थी…भाभी अपनी पीठ दीवार से टकाए हुए, सूबक रही थी….मैने जल्दी से भाभी को पकड़ कर बेड पर बैठा दिया….”भाभी मैं मैं पानी लेकर आती हूँ….” भाभी ने अपनी पेंटी और सलवार को पकड़ा जो, उनके लेफ्ट टाँग मे लटक रही थी, और उसे पहनते हुए बोली….”रहने दो दीदी…मैं ठीक हूँ…साला हिजड़ा है तुम्हारा भाई….” भाभी ने सलवार और पेंटी पहनी और अपने आँसू सॉफ करते हुए बोली…
भाभी: आए डॉली तू क्यों रो रही है….ये सब आज पहली बार तो नही हुआ हमारे घर पर…(तभी बाहर से हमारे पडोस मे रहने वाला लड़का भागता हुआ आया….)
लड़का: दीदी दीदी वो चेतन अंकल का बाहर रोड पर आक्सिडेंट हो गया है….
मैं घर के पीछे बाग मे टहल रही थी….घने पैड थे चारो तरफ….वहाँ पर घर का कोई भी इंसान नही था….और ना ही बाहर…तभी एक दम राज मेरे सामने आ गया….मैं उसे देख कर डर गयी….और घर की तरफ जाने लगी, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया…..जब मेने उससे अपना हाथ छोड़ने के लिए कहा तो, वो कहने लगा कि उसे मुझसे कुछ बात करनी है….मेने कहा कहो जो भी कहना है….पर मेरा हाथ छोड़ दो. पर मॅम उसने मेरा हाथ नही छोड़ा…..और कहने लगा कि, वो मुझसे फ्रेंडशिप करना चाहता है….मैने उसे सॉफ इनकार कर दिया…तो कहने लगा कि वो मेरे बिना जी नही पाएगा. जब से मेने तुम्हे देखा है, उसी पल से मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ…..
मैं: फिर क्या हुआ ललिता…..
ललिता: मेने उसे सॉफ इनकार कर दिया….और ये भी बताया कि मेरे पापा बहुत ज़्यादा रिस्ट्रिक्ट है…अगर उन्हे पता चला तो वो मुझे जान से मार देंगे….पर वो फिर भी नही माना…..और उसने मुझे धक्का देकर पेड़ के साथ लगा दिया और फिर उसने….
मैं: हां-2 ललिता बोलो….फिर उसने क्या किया…?
ललिता: फिर उसने मुझे ज़बरदस्ती किस किया…लिप्स पर…..मेने बहुत बार अपने लिप्स को अलग किया….पर हर बार वो ज़बरदस्ती किस करने लगता….मुझे बहुत डर लग रहा था. कि कही कोई मुझे ढूंढता हुआ इधर ना आ जाए….मैने उसे कई बार मना किया…पर वो मुझे 15 मिनट तक किस करता रहा….
जब मैं घर आई तो मैं बहुत डर गयी थी मॅम…मेरे हाथ पैर काँपने लगे थे. फिर उसने मुझे शादी मे बहुत तंग किया…मुझे जब अकेला देखता तो मुझे ज़बरदस्ती टच करता…..मेरे प्राइवेट पार्ट्स भी….
मैं: ललिता तुम फिकर ना करो….मैं उस हरामजादे को देख लूँगी…
ललिता: नही नही मिस आप कुछ ना करना….मैं संभाल लूँगी….आप सच मे मेरे पापा को नही जानती…वो कोई बात नही सुनेगे…और मुझे कॉलेज से घर मे बैठा लेंगे..
मैं ललिता की बात सुन कर एक दम से परेशान हो गयी थी…मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं ललिता की कैसे हेल्प करूँ…ललिता का डर सिर्फ़ राज की वजह से नही था. उसके पापा की तरफ से भी था…खैर मेने सोच लिया था कि, मैं ललिता की मदद ज़रूर करूँगी, पर कैसे ये मुझे भी नही पता था….दिन ब दिन बीत रहे थे…मुझे कॉलेज जाय्न किए हुए, 15 दिन हो चुके थे….
ललिता को परेशान देख कर मैं भी परेशान हो जाती थी…मैं चाहते हुए भी उसकी कोई हेल्प नही कर पा रही थी….पर एक दिन जय सर ने कॉलेज मे छुट्टी के बाद टीचर्स मीटिंग रखी. वजह ये थी कि, इस साल हमारे कॉलेज मे बहुत ज़्यादा न्यू ऐड्मीशन हुई थी….ज़्यादा बच्चों को हॅंडेल करना मुस्किल हो रहा था….उसी बात पर डिसक्यूसषन होना था…सब अपनी अपनी राय दे रहे थे…पर मेरा ध्यान ललिता मे था…
जय सर:- मिस डॉली…..आपका क्या विचार है….
मैं: जी वो मैं सोच रही थी कि, अब हमे हर क्लास के दो-2 सेक्षन कर देने चाहिए. जिससे बच्चों को हॅंडल करने मे आसानी हो….
जय सर,:- वो तो मिस्टर, राजेश भी यही कह रहे है….पर एक दम से सेक्षन मे क्लास को डिवाइड नही कर सकते….ऐसे तो टीचर्स कम पड़ जाएँगे….और नये टीचर को ढूँढने और रखने मे बहुत टाइम लग जाएगा….
मैं: सर, मेरे ख़याल से पहले हमे, +1, +2 के क्लासस के सेक्षन्स को अलग कर देना चाहिए, लड़कियों के लिए अलग सेक्षन और लड़को के लिए अलग….फिर उसके बाद सबसे छोटी क्लासस के…. बाकी के क्लासस के सेक्षन हम टाइम ब टाइम बनाते रहेंगे…और धीरे-2 नये टीचर्स भी मिलते रहेंगे…..
जय सर: दट’स आ गुड आइडिया…तो ठीक आप सभी टीचर्स को किसी बात पर कुछ कहना है…..
उसके बाद जय सर को सबने अपने सहमति जता दी….मैं बहुत खुस थी कि, मेरे इस उठाए कदम से ललिता को कुछ तो राहत मिलेगी..कम से कम क्लास मे वो अपनी स्टडी पर अच्छे से ध्यान दे पाएगी….
अगले वीक तक 4 क्लासस को डिवाइड करके दो-2 सेक्षन बना दिए गये….मुझे इसमे एक और फ़ायदा ये हुआ कि, टीचर्स की डिमॅंड बढ़ने से नये जॉब कॉलेज मे खाली थे. मैने एक दिन जय सर, से भाभी के बारे मे बात की, तो वो झट से मान गये….और भाभी को अगले ही दिन इंटरव्यू मे बुला लिया…मेरा रेफार्र्न्स होने के कारण उन्हे जॉब भी मिल गयी….6000 सॅलरी से भाभी भी बेहद खुश थी….कुछ ना होने से तो अच्छा ही था…धीरे टाइम बीत रहा था…पर राज अभी भी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा था.
कॉलेज आते हुए वो ललिता को बस मे किसी ना किसी बहाने से तंग करता रहता था…पर मेने एक बात नोटीस की थी…कि अब ललिता उसकी हरकतों से उतनी परेशान नही दिखाई देती थी….मेने सोचा शायद मेरा वहेम हो….मई का लास्ट चल रहा था…और अगले 1 जून से कॉलेज मे सम्मर वकेशन्स शुरू हो रही थी…और दूसरी तरफ भैया अब और ज़्यादा नशा करने लगे थे….घर पर हर समय लड़ाई झगड़ा करते रहते थी…पैसो के लिए झगड़ा होना हमारे घर मे आम से बात हो गयी थी….
एक दिन मैं शाम को सो कर उठी थी….तो मुझे भैया और भाभी के लड़ने के आवाज़ सुनाई दी….मैं जैसे ही रूम से बाहर आई तो भैया भाभी के बालो को पकड़ कर खेंचते हुए अंदर ले जा रहे थे…और बहुत गंदी-2 गालियाँ बक रहे थे…” चल साली तुझे दिखाता हूँ….कि अपने पति की इज़्ज़त कैसे की जाती है….” भैया ने भाभी के बालो से पकड़ कर खेंचते हुए कहा….मुझसे ये सब देखा ना गया…और मैं बीच मे आ गयी…और भाभी को भैया से छुड़वाने लगी…” भैया क्या कर रहे हो… छोड़ो भाभी को….क्यों गली मोहल्ले के लोगो को तमाशा लगा कर दिखा रहे हो…
भैया: डॉली तू हट जा बीच मे से….आज इसे बताता हूँ कि पति के साथ कैसे पेश आया जाता है….
मैं: नही भैया मैं नही हटने वाली छोड़ो भाभी को….
मेने भैया के हाथो को पकड़ कर भाभी को छुड़वाने की कोशिस करते हुए कहा…तो भैया ने मुझे एक दम से धक्का दे दिया…मैं अपने आप को संभाल नही पाई, और नीचे गिर गयी…भैया भाभी को रूम मे ले गये…और इससे पहले कि खड़ी होकर कुछ कर पाती ….भैया ने डोर अंदर से लॉक कर दिया….मैं डोर को पीटती रही..पर भैया ने डोर नही खोला…अंदर से भाभी के सिसकने और रोने की आवाज़ आती रही. मैं बेबस से वही खड़ी होकर भैया भैया पुकारती रही….और रोने लगी…करीब 3 मिनिट बाद डोर खुला और भैया रूम से बाहर निकल कर घर से बाहर चले गये…
मैं जलदी से भाभी के रूम मे भागी, तो सामने का नज़ारा देख मेरे होश उड़ गये. भाभी ज़मीन पर बैठी हुई थी…और उनकी सलवार और पेंटी उनकी एक टाँग मे अटकी हुई थी…भाभी अपनी पीठ दीवार से टकाए हुए, सूबक रही थी….मैने जल्दी से भाभी को पकड़ कर बेड पर बैठा दिया….”भाभी मैं मैं पानी लेकर आती हूँ….” भाभी ने अपनी पेंटी और सलवार को पकड़ा जो, उनके लेफ्ट टाँग मे लटक रही थी, और उसे पहनते हुए बोली….”रहने दो दीदी…मैं ठीक हूँ…साला हिजड़ा है तुम्हारा भाई….” भाभी ने सलवार और पेंटी पहनी और अपने आँसू सॉफ करते हुए बोली…
भाभी: आए डॉली तू क्यों रो रही है….ये सब आज पहली बार तो नही हुआ हमारे घर पर…(तभी बाहर से हमारे पडोस मे रहने वाला लड़का भागता हुआ आया….)
लड़का: दीदी दीदी वो चेतन अंकल का बाहर रोड पर आक्सिडेंट हो गया है….