19-06-2021, 11:23 PM
“अरे! आदर्श अभी उठा नहीं?” ठाकुर भूपेन्द्र चिंतातुर हो कर कह रहे थे। उनका बेटा तो सदा ही सूर्योदय से पहले ही उठ जाता है। कभी कभी तो चिड़ियाँ भी नहीं जागतीं, वो तब उठ जाता है। आज क्या हो गया!
लक्ष्मी देवी ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। उनको तो अच्छी तरह मालूम था कि ऊपर क्या हो रहा है।
“उसकी तबियत तो ठीक है!” ठाकुर साहब खुद से ही बात कर रहे थे।
“और तो और, बिटिया भी नीचे नहीं आई!” उनकी चिंता बढती जा रही थी। आज लक्ष्मी देवी काम कर रही थीं.. ऐसा एक अर्से के बाद हुआ है.. क्या हुआ होगा बिटिया को!
“मैं जा कर देख कर आता हूँ.. पता नहीं क्या हो गया!”
“ठाकुर साहब.. आज वहां न जाइए..” उन्होंने एक अर्थपूर्ण भाव से यह बात कही।
“अरे क्यों?”
“क्योंकि आप वहां जायेंगे तो उनको बाधा होगी..”
“बाधा होगी..? मगर.. ओह.. ओओओओहह! अच्छा अच्छा!” अब उनको समझ आया!
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लक्ष्मी देवी ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। उनको तो अच्छी तरह मालूम था कि ऊपर क्या हो रहा है।
“उसकी तबियत तो ठीक है!” ठाकुर साहब खुद से ही बात कर रहे थे।
“और तो और, बिटिया भी नीचे नहीं आई!” उनकी चिंता बढती जा रही थी। आज लक्ष्मी देवी काम कर रही थीं.. ऐसा एक अर्से के बाद हुआ है.. क्या हुआ होगा बिटिया को!
“मैं जा कर देख कर आता हूँ.. पता नहीं क्या हो गया!”
“ठाकुर साहब.. आज वहां न जाइए..” उन्होंने एक अर्थपूर्ण भाव से यह बात कही।
“अरे क्यों?”
“क्योंकि आप वहां जायेंगे तो उनको बाधा होगी..”
“बाधा होगी..? मगर.. ओह.. ओओओओहह! अच्छा अच्छा!” अब उनको समझ आया!
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