18-06-2021, 11:29 AM
उस दिन मैं दफ्तर से काफी लेट आया था। रात को सोते वक्त अपनी और जहरा की बातें नज़ीला भाभी ने मुझे बाद में बतायीं। मैं तो खुद ज़हरा को चोदने के लिये बेकरार था। अगले दिन शाम को दफ्तर से आने के बाद मैं नज़ीला भाभी के साथ बैठ कर शराब पी रहा था तो उन्होंने ज़हरा को भी कंपनी देने के लिये बुला लिया। ज़हरा आयी तो मैं उसके हुस्न को देखता ही रह गया।
जब से ज़हरा चंडीगढ़ आयी थी मैंने तो उसे हमेशा जींस और कुर्ता-टॉप में ही देखा था। आज शायद नज़ीला भाभी की सलाह से उसने हल्के गुलाबी रंग की पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसका बेपनाह हुस्न छलक रहा था। होंठों पे लाल लिपस्टिक और गालों पे गुलाबी रूज़ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के कातिलाना सैंडल पहने हुए थे।
ज़हरा भी हमारे साथ बैठ कर ड्रिंक करने लगी लेकिन ज़हरा मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी। मैं और नज़ीला भाभी ही बातें कर रहे थे और ज़हरा चुपचाप अपना पैग पी रही थी। हमने दो-दो पैग खतम किये तो ज़हरा के हावभाव से साफ था कि उसे अच्छा खासा नशा होने लगा। नज़ीला भाभी ने जानबूझ कर ज़हरा के लिये तगड़े पैग बनाये थे। अब ज़हरा हमारी बातों पे खुल कर खिलखिलाते हुए हंस रही थी।
मुझे भी हल्का सुरूर था और खुद नज़ीला भाभी भी नशे में झूम रही थीं। कातिलाना मुस्कुराहट के साथ उन्होंने मुझे आँख मार कर इशारा किया तो मैंने बेशरम होकर ज़हरा से पूछा, “क्या खयाल है ज़हरा जी? पसंद आया आपको मेरा लंड? कल तो आप शरमा कर अंदर ही भाग गयी थीं!”
ज़हरा ने शरमा कर मुस्कुराते हुए अपनी भाभी की तरफ देखा तो नज़ीला भाभी हंसते हुए बोली, “हाय अल्लाह… देखो कैसे शर्मा रही है…! अरे शरम हया छोड़… नहीं तो बस केले-बैंगन से काम चलाती रहेगी तमाम ज़िंदगी… सच में रवि! ज़हरा तो बेकरार है तुम्हारा लंड लेने के लिये!”
“हाँ रवि! छः साल से अपनी तमन्नाओं को दबा रखा था… अब और बर्दाश्त नहीं होता… भाभी जान की तरह प्लीज़ मेरी प्यास भी बुझा दो!” ज़हरा ज़रा खुलते हुए बोली।
मैं बोला, “क्यों शर्मिंदा कर रही हैं मुझे, बेकरार तो मैं हूँ इतने दिनों से आप जैसी ख़ूबसूरत हसीना को चोदने के लिये!”
ये सुनते ही ज़हरा के गालों पर लाली आ गयी। हमने एक-एक पैग और पिया तो नज़ीला भाभी ने उनके बेडरूम में चलने का इशारा किया। मैं बाथरूम में पेशाब करके नज़ीला भाभी के बेडरूम में पहुँचा और दो मिनट के बाद वो दोनों भी सैंडल खटखटती हुई नशे में झुमती कमरे में आयीं। नशे में होने की वजह से ज़हरा की चाल में लड़खड़ाहट साफ नज़र आ रही थी।
दोनों बेड पर बैठ गयीं। मैं उठ कर ज़हरा के पास आया और उसके गालों को चूमने लगा। नशे की मस्ती के बावजूद उसे बहुत शरमा आ रही थी। मैं अपने पैर लंबे करके पलंग पर बैठ गया और ज़हरा को अपनी गोद में खींच लिया और उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठों को चूमा। फिर मैंने जीभ से उसके होंठ चाटे और जीभ मुँह में डालने का प्रयास किया लेकिन उसने मुँह नहीं खोला।
“क्या हुआ ज़हरा जी? आपको अच्छा नहीं लग रहा क्या?” मैंने पूछा।
ज़हरा हंसते हुए धीरे से बोली, “नहीं-नहीं रवि! बस थोड़ा ऑउट ऑफ प्रैक्टिस हो गयी हूँ ना!”
मैंने फिर उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिये और उसका नीचे वाला होंठ अपने होंठों के बीच ले कर चूसा तो जहरा के जिस्म में झुरझुरी फ़ैल गयी और उसके दोनों निप्पल खड़े होने लगे। जहरा भी अब मेरा साथ देने लगी और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे की जीभें चूसने लगे। फिर मैं अपना हाथ उसके पेट से उसके मम्मों पर ले गया और नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा। उसके मम्मों को सहलाते हुए मैं बोला, “ज़हरा जी, मम्मे तो बहुत बड़े-बड़े हैं और सख्त भी हैं!”
वो कुछ नहीं बोली। कुछ देर तक मम्मे सहलाने के बाद मैंने उसकी नाइटी के हुक खोल दिये और फ़िर से उसके होंठों को चूमने लगा और फिर उसके मम्मे को दबाने और सहलाने लगा। मेरी उंगलियाँ छूते ही उसके निप्पल खड़े हो गये। इतने में मैंने महसूस किया कि नज़ीला भाभी मेरा बरमूडा मेरी टाँगों से नीचे खिसका रही है।
फिर उन्होंने मेरा अंडरवीयर और टी-शर्ट भी उतार दी। मैंने भी ज़हरा की नाइटी और ब्रा और पैंटी उसके जिस्म से अलग कर दी। नज़ीला भाभी तो पहले ही कब नंगी हो गयी थीं मुझे पता ही नहीं चला।
अब मैं बिल्कुल नंगा दो नंगी हसिनाओं के साथ एक ही बिस्तार पर मौजूद था। नज़ीला भाभी ने चॉकलेट रंग के पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे और उनकी ननद ज़हरा ने सफेद रंग के ऊँची हील के सैंडल। दोनों का नंगा हुस्न देखकर मैं तो पागल हो गया।
जब से ज़हरा चंडीगढ़ आयी थी मैंने तो उसे हमेशा जींस और कुर्ता-टॉप में ही देखा था। आज शायद नज़ीला भाभी की सलाह से उसने हल्के गुलाबी रंग की पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसका बेपनाह हुस्न छलक रहा था। होंठों पे लाल लिपस्टिक और गालों पे गुलाबी रूज़ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के कातिलाना सैंडल पहने हुए थे।
ज़हरा भी हमारे साथ बैठ कर ड्रिंक करने लगी लेकिन ज़हरा मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी। मैं और नज़ीला भाभी ही बातें कर रहे थे और ज़हरा चुपचाप अपना पैग पी रही थी। हमने दो-दो पैग खतम किये तो ज़हरा के हावभाव से साफ था कि उसे अच्छा खासा नशा होने लगा। नज़ीला भाभी ने जानबूझ कर ज़हरा के लिये तगड़े पैग बनाये थे। अब ज़हरा हमारी बातों पे खुल कर खिलखिलाते हुए हंस रही थी।
मुझे भी हल्का सुरूर था और खुद नज़ीला भाभी भी नशे में झूम रही थीं। कातिलाना मुस्कुराहट के साथ उन्होंने मुझे आँख मार कर इशारा किया तो मैंने बेशरम होकर ज़हरा से पूछा, “क्या खयाल है ज़हरा जी? पसंद आया आपको मेरा लंड? कल तो आप शरमा कर अंदर ही भाग गयी थीं!”
ज़हरा ने शरमा कर मुस्कुराते हुए अपनी भाभी की तरफ देखा तो नज़ीला भाभी हंसते हुए बोली, “हाय अल्लाह… देखो कैसे शर्मा रही है…! अरे शरम हया छोड़… नहीं तो बस केले-बैंगन से काम चलाती रहेगी तमाम ज़िंदगी… सच में रवि! ज़हरा तो बेकरार है तुम्हारा लंड लेने के लिये!”
“हाँ रवि! छः साल से अपनी तमन्नाओं को दबा रखा था… अब और बर्दाश्त नहीं होता… भाभी जान की तरह प्लीज़ मेरी प्यास भी बुझा दो!” ज़हरा ज़रा खुलते हुए बोली।
मैं बोला, “क्यों शर्मिंदा कर रही हैं मुझे, बेकरार तो मैं हूँ इतने दिनों से आप जैसी ख़ूबसूरत हसीना को चोदने के लिये!”
ये सुनते ही ज़हरा के गालों पर लाली आ गयी। हमने एक-एक पैग और पिया तो नज़ीला भाभी ने उनके बेडरूम में चलने का इशारा किया। मैं बाथरूम में पेशाब करके नज़ीला भाभी के बेडरूम में पहुँचा और दो मिनट के बाद वो दोनों भी सैंडल खटखटती हुई नशे में झुमती कमरे में आयीं। नशे में होने की वजह से ज़हरा की चाल में लड़खड़ाहट साफ नज़र आ रही थी।
दोनों बेड पर बैठ गयीं। मैं उठ कर ज़हरा के पास आया और उसके गालों को चूमने लगा। नशे की मस्ती के बावजूद उसे बहुत शरमा आ रही थी। मैं अपने पैर लंबे करके पलंग पर बैठ गया और ज़हरा को अपनी गोद में खींच लिया और उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठों को चूमा। फिर मैंने जीभ से उसके होंठ चाटे और जीभ मुँह में डालने का प्रयास किया लेकिन उसने मुँह नहीं खोला।
“क्या हुआ ज़हरा जी? आपको अच्छा नहीं लग रहा क्या?” मैंने पूछा।
ज़हरा हंसते हुए धीरे से बोली, “नहीं-नहीं रवि! बस थोड़ा ऑउट ऑफ प्रैक्टिस हो गयी हूँ ना!”
मैंने फिर उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिये और उसका नीचे वाला होंठ अपने होंठों के बीच ले कर चूसा तो जहरा के जिस्म में झुरझुरी फ़ैल गयी और उसके दोनों निप्पल खड़े होने लगे। जहरा भी अब मेरा साथ देने लगी और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे की जीभें चूसने लगे। फिर मैं अपना हाथ उसके पेट से उसके मम्मों पर ले गया और नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा। उसके मम्मों को सहलाते हुए मैं बोला, “ज़हरा जी, मम्मे तो बहुत बड़े-बड़े हैं और सख्त भी हैं!”
वो कुछ नहीं बोली। कुछ देर तक मम्मे सहलाने के बाद मैंने उसकी नाइटी के हुक खोल दिये और फ़िर से उसके होंठों को चूमने लगा और फिर उसके मम्मे को दबाने और सहलाने लगा। मेरी उंगलियाँ छूते ही उसके निप्पल खड़े हो गये। इतने में मैंने महसूस किया कि नज़ीला भाभी मेरा बरमूडा मेरी टाँगों से नीचे खिसका रही है।
फिर उन्होंने मेरा अंडरवीयर और टी-शर्ट भी उतार दी। मैंने भी ज़हरा की नाइटी और ब्रा और पैंटी उसके जिस्म से अलग कर दी। नज़ीला भाभी तो पहले ही कब नंगी हो गयी थीं मुझे पता ही नहीं चला।
अब मैं बिल्कुल नंगा दो नंगी हसिनाओं के साथ एक ही बिस्तार पर मौजूद था। नज़ीला भाभी ने चॉकलेट रंग के पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे और उनकी ननद ज़हरा ने सफेद रंग के ऊँची हील के सैंडल। दोनों का नंगा हुस्न देखकर मैं तो पागल हो गया।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!