18-06-2021, 10:39 AM
उसने मेरी कमीज को ऊपर करना शुरू किया तो दिल जोर से धड़का पर उसकी मर्दानगी के आगे मैं लाचार थी। कुछ ही क्षण में उसने मेरी कमीज को मेरे बदन से अलग कर दिया । शमीज में कसी मेरी चूचियाँ देख कर वो पागल सा हो गया।
उसने मेरी शमीज को ऊपर उठाया और मेरी गोरी गोरी चूचियों को देखने लगा। मैं तो मदहोश हो गई थी और मेरी आँखें बंद थी। तभी मुझे अपनी चुचूक पर उसके होंठों का एहसास हुआ। मेरा तो सारा शरीर झनझना उठा। वो मेरी चूची को मुँह में भर भर कर चूस रहा था और दूसरी को मसल रहा था।
एक बारिश तो बाहर हो रही थी और दूसरी मेरी पेंटी के अंदर। मेरी चूत पानी पानी हो रही थी। मेरी होंठ और चूचियों को चूसने के बाद रवि के होंठ नीचे बढ़ने लगे। पहले मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया।
सलवार अगले ही पल मेरे पाँव चूम रही थी। रवि पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा और चूमने लगा।
मेरे अंदर एक आग सी भरती जा रही थी। दिल कर रहा था कि रवि जल्दी से मेरी चूत में कुछ घुसा दे। तभी रवि ने मेरी पेंटी भी नीचे खींच दी। अब मैं बिल्कुल नंगी उसके सामने खड़ी थी। रवि ने मुझे वही पर पड़ी एक चारपाई पर लेटाया और मेरी टाँगें खुली करके मेरी चूत को चाटने लगा।
चूत पर जीभ के एहसास मात्र से ही मेरी चूत झड़ गई। ये सब अति-उतेजना के कारण हुआ। रवि मेरी चूत से निकले सारे रस को पी गया। तभी रवि खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा। मैं उसको नंगा होते हुए देख रही थी।
उसने अपनी कमीज और बनियान उतारी तो उसके बदन को देख कर उसकी मजबूती का एहसास हो रहा था।
फिर जब उसने अपनी पैंट उतारी तो उसके अंडरवियर पर मेरी नजर गई। उसके अंडरवियर में बनी गाँठ को देख कर मैं सिहर उठी। गाँठ से उसके मोटे लण्ड का अंदाजा लग रहा था। जब उसने अपना अंडरवियर उतारा तो उसके लम्बे और मोटे लण्ड को देख कर मेरे मुँह से “हाय राम” निकला तो वो हँस पड़ा।
उसका लण्ड सात-आठ इंच लम्बा और तीन-चार इंच मोटा था। तन कर खड़ा लण्ड बहुत भयानक लग रहा था। जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो। मुझे चुदाई का कुछ भी पता नहीं था पर शादी वाले दिन और अपनी सहेलियों से जो पता लगा था उसके अनुसार तो यह मोटा सा लण्ड =======> मेरी छोटी सी चूत (.) में घुसने वाला था।
रवि आगे आया और उसने अपना लण्ड मेरे मुँह की तरफ किया और मुझे चूसने के लिए बोला। पर मैंने पहले कभी ये नहीं किया था तो मैंने मना कर दिया और बहुत कहने पर भी मैंने वो अपने मुँह में नहीं लिया। जब मैं नहीं मानी तो रवि फिर से मेरी जांघों के बीच बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा।
मैं तो जैसे मस्ती के मारे मरी जा रही थी। बाहर बारिश अभी भी पूरे जोर से हो रही थी। कुछ देर मेरी चूत चाटने और चूसने के बाद रवि ने थोड़ा सा थूक मेरी चूत और अपने लण्ड पर लगाया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया।
गर्म लोहे की छड़ जैसा लण्ड महसूस होते ही एक बार फिर से मेरा सारा शरीर झनझना उठा। दिल भी कर रहा था कि रवि पूरा घुसा दे, पर पहली बार था तो डर भी बहुत लग रहा था।
तभी रवि ने लण्ड जोर से चूत पर दबाया तो मुझे दर्द का एहसास हुआ। मैं डर के मारे रवि को अपने ऊपर से दूर धकेलने की कोशिश करने लगी। पर रवि पक्का खिलाड़ी था। उसने मुझे हिलने भी नहीं दिया और एक जोरदार धक्का लगा कर लण्ड का मोटा सुपारा मेरी चूत में घुसा दिया।
सुपारा अंदर जाते ही जैसे मेरी तो जान ही निकल गई। लण्ड की मोटाई के लिए मेरी चूत बहुत तंग थी। अभी मैं संभल भी नहीं पाई थी कि रवि ने अपने लंड को थोडा सा बाहर निकला और एक और जोरदार धक्का लगा कर करीब दो इंच लण्ड मेरी चूत में फंसा दिया।
मेरी चीख निकल जाती वो तो रवि ने एक हाथ से मेरा मुँह दबा लिया। मेरी आँखों से आँसुओं की धार बह निकली थी। सच में बहुत दर्द महसूस हो रहा था।
रवि थोड़ा रुका और मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और मुझे समझाने लगा कि कुछ ही देर में दर्द खत्म हो जाएगा। बस थोड़ा सा सहन करो फिर बहुत मज़ा आएगा। पर मेरी चूत तो जैसे दो हिस्सों में फटने को हो रही थी। लग रहा था कि जैसे कोई चूत को किसी धारदार चीज से चीर रहा हो।
उसने मेरी शमीज को ऊपर उठाया और मेरी गोरी गोरी चूचियों को देखने लगा। मैं तो मदहोश हो गई थी और मेरी आँखें बंद थी। तभी मुझे अपनी चुचूक पर उसके होंठों का एहसास हुआ। मेरा तो सारा शरीर झनझना उठा। वो मेरी चूची को मुँह में भर भर कर चूस रहा था और दूसरी को मसल रहा था।
एक बारिश तो बाहर हो रही थी और दूसरी मेरी पेंटी के अंदर। मेरी चूत पानी पानी हो रही थी। मेरी होंठ और चूचियों को चूसने के बाद रवि के होंठ नीचे बढ़ने लगे। पहले मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया।
सलवार अगले ही पल मेरे पाँव चूम रही थी। रवि पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा और चूमने लगा।
मेरे अंदर एक आग सी भरती जा रही थी। दिल कर रहा था कि रवि जल्दी से मेरी चूत में कुछ घुसा दे। तभी रवि ने मेरी पेंटी भी नीचे खींच दी। अब मैं बिल्कुल नंगी उसके सामने खड़ी थी। रवि ने मुझे वही पर पड़ी एक चारपाई पर लेटाया और मेरी टाँगें खुली करके मेरी चूत को चाटने लगा।
चूत पर जीभ के एहसास मात्र से ही मेरी चूत झड़ गई। ये सब अति-उतेजना के कारण हुआ। रवि मेरी चूत से निकले सारे रस को पी गया। तभी रवि खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा। मैं उसको नंगा होते हुए देख रही थी।
उसने अपनी कमीज और बनियान उतारी तो उसके बदन को देख कर उसकी मजबूती का एहसास हो रहा था।
फिर जब उसने अपनी पैंट उतारी तो उसके अंडरवियर पर मेरी नजर गई। उसके अंडरवियर में बनी गाँठ को देख कर मैं सिहर उठी। गाँठ से उसके मोटे लण्ड का अंदाजा लग रहा था। जब उसने अपना अंडरवियर उतारा तो उसके लम्बे और मोटे लण्ड को देख कर मेरे मुँह से “हाय राम” निकला तो वो हँस पड़ा।
उसका लण्ड सात-आठ इंच लम्बा और तीन-चार इंच मोटा था। तन कर खड़ा लण्ड बहुत भयानक लग रहा था। जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो। मुझे चुदाई का कुछ भी पता नहीं था पर शादी वाले दिन और अपनी सहेलियों से जो पता लगा था उसके अनुसार तो यह मोटा सा लण्ड =======> मेरी छोटी सी चूत (.) में घुसने वाला था।
रवि आगे आया और उसने अपना लण्ड मेरे मुँह की तरफ किया और मुझे चूसने के लिए बोला। पर मैंने पहले कभी ये नहीं किया था तो मैंने मना कर दिया और बहुत कहने पर भी मैंने वो अपने मुँह में नहीं लिया। जब मैं नहीं मानी तो रवि फिर से मेरी जांघों के बीच बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा।
मैं तो जैसे मस्ती के मारे मरी जा रही थी। बाहर बारिश अभी भी पूरे जोर से हो रही थी। कुछ देर मेरी चूत चाटने और चूसने के बाद रवि ने थोड़ा सा थूक मेरी चूत और अपने लण्ड पर लगाया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया।
गर्म लोहे की छड़ जैसा लण्ड महसूस होते ही एक बार फिर से मेरा सारा शरीर झनझना उठा। दिल भी कर रहा था कि रवि पूरा घुसा दे, पर पहली बार था तो डर भी बहुत लग रहा था।
तभी रवि ने लण्ड जोर से चूत पर दबाया तो मुझे दर्द का एहसास हुआ। मैं डर के मारे रवि को अपने ऊपर से दूर धकेलने की कोशिश करने लगी। पर रवि पक्का खिलाड़ी था। उसने मुझे हिलने भी नहीं दिया और एक जोरदार धक्का लगा कर लण्ड का मोटा सुपारा मेरी चूत में घुसा दिया।
सुपारा अंदर जाते ही जैसे मेरी तो जान ही निकल गई। लण्ड की मोटाई के लिए मेरी चूत बहुत तंग थी। अभी मैं संभल भी नहीं पाई थी कि रवि ने अपने लंड को थोडा सा बाहर निकला और एक और जोरदार धक्का लगा कर करीब दो इंच लण्ड मेरी चूत में फंसा दिया।
मेरी चीख निकल जाती वो तो रवि ने एक हाथ से मेरा मुँह दबा लिया। मेरी आँखों से आँसुओं की धार बह निकली थी। सच में बहुत दर्द महसूस हो रहा था।
रवि थोड़ा रुका और मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और मुझे समझाने लगा कि कुछ ही देर में दर्द खत्म हो जाएगा। बस थोड़ा सा सहन करो फिर बहुत मज़ा आएगा। पर मेरी चूत तो जैसे दो हिस्सों में फटने को हो रही थी। लग रहा था कि जैसे कोई चूत को किसी धारदार चीज से चीर रहा हो।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!