18-06-2021, 05:54 PM
अपडेट -4
भले ही माँ बाप इस दुनिया मे नही थे....पर आस पास के लोगो मे जो मेरी इमेज बनी हुई थी...शायद उसी के चलते मुझे इस हालत मे भी कोई नज़र उठा कर देखने की कॉसिश नही कर रहा था.....एक बार तो मुझे अपने आप पर फकर सा महसूस हुआ...पर अगले ही पल मे मेरे दिमाग़ मे अजीब -2 तरहा के ख़याल आने लगे.....क्या सच मे लोग मेरी इज़्ज़त करते हैं, और मुझसे डरते है...जो बारिश मे भीग रही एक जवान लड़की पर नज़र नही डालते....या फिर मुझ मे कोई कमी तो नही....
अभी मैं इन्ही ख़यालो मे खोई हुई थी......कि मुझे मेरे पास से कुछ चरमराने की आवाज़ सुनाई दी....जैसे ही मेने उस ओर देखा, तो वहाँ पर कोई लड़का खड़ा था......उसने कॉलेज की यूनिफॉर्म पहन रखी थी....पर टाइ और बेल्ट नही लगा रखी थी. जिससे पता चल सके कि वो किस कॉलेज का स्टूडेंट है…और कंधे पर बॅग लटका रखा था....वो साथ वाले पेड़ के नीचे खड़ा होकर शायद बस का वेट कर रहा था.....
लड़का हमारे मोहल्ले का नही था....और ना ही मेने उससे पहले यहाँ देखा था.....मैं अभी उसी की तरफ देख रही थी, कि उस लड़के ने मेरी तरफ देखा.....जैसे ही उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मेने अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया.....और रोड के उस तरफ देखने लगी. जिस तरफ से बस आनी थी...
भले ही मेने उससे अपनी नज़रें हटा ली थी....पर नजाने क्यों मुझे अभी भी उसकी नज़रें अपनी बदन पर चूबती हुई महसूस हो रही थी....बारिश अभी भी लगातार जारी थी.....और उस तरफ टकटकी लगाए देख रही थी....पर मन मे यही सोच रही थी, कि वो अभी भी मेरी तरफ देख रहा है...नज़ाने क्यों मैं अपने आप को उस तरफ देखने से ना रोक पाई. और जब मेने उस लड़के की तरफ देखा, तो मेरे होश ऐसे उड़ गये.......मानो जैसे मेने किसी का कतल होते हुए देख लिया हो.....
वो लड़का अभी भी मेरी तरफ देख रहा था...हमारे बीच कोई 7-8 फुट का फाँसला था......और वो मेरे बदन को बड़ी अजीब सी नज़रों से देख रहा था.......और उसका राइट हॅंड उसकी पेंट की ज़िप के ऊपेर धीरे-2 रेंग रहा था......."इसकी इतनी हिम्मत कि मुझे ऐसे देखे" मैं मन ही मन कहा. दिल तो कर रहा था कि, अभी जाकर उसको गले से पकड़ दो चान्टे जड दूं.
एक कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट की ये हिम्मत जो मुझे देख कर छि...आज तक कॉलेज के लड़को ने इतनी हिम्मत नही की थी…मेरे सख़्त रवैये की वजह से मेरे कॉलेज के स्टूडेंट्स ने भी आँख उठा कर मेरी तरफ नही देखा था....और ये तो.....मैने अभी उसकी तरफ कदम बढ़ाया ही था, कि मुझे बस का हॉर्न सुनाई दिया.....मैं वहीं रुक गयी...आज शायद इसकी किस्मत अच्छी थी....अगर बस ना आती तो पता नही मैं इसका क्या हाल करती......जैसे ही बस रुकी, मेने एक बार उसकी तरफ गुस्से से खा जाने वाली नज़रों से देखा और बस मे चढ़ गयी.....वैसे जब मैं उसकी तरफ बढ़ी थी..तो वो भी थोड़ा घबरा गया था....
ये सोच कर मेने अपने मन को तसल्ली दी....ओह्ह नो आज भी बस मे बहुत भीड़ थी....खड़े होने को भी मुस्किल था...खैर किसी तरह मेने अपने खड़े होने के लिए जगह बनाई....और मेरे बस के डोर की तरफ देखा..वो लड़का भी बस मे चढ़ चुका था....और वो बिल्कुल मेरे पीछे खड़ा था....बस चल पड़ी....थोडी देर बाद मेने एक बार अपनी गर्दन को थोड़ा सा घुमा कर पीछे की तरफ देखा..वो मुझसे थोड़ा सा फाँसला बनाए हुए खड़ा था....मैने सोचा अभी जो थोड़ी देर पहले मैने कदम उठाया था......वो सही था....
खैर जैसे ही अगला स्टॉप आया....बस एक दम से और भर गयी.....बस के दोनो डोर से लोग बस मे चढ़ रहे थे...और मुझे ना चाहते हुए भी और पीछे हटना पड़ा....और अगले ही पल उसकी छाती मेरी पीठ पर आ लगी..हाइट मे वो मेरे से 1-2 इंच कम ही था....शायद अभी अपनी ग्रोत एअर मे था....आज तक मुझे ऐसी सिचुयेशन का सामना नही करना पड़ा था.....उसकी चेस्ट मेरी पीठ से रगड़ खा रही थी....और जैसे ही बस चली, बस मे खड़े लोग अपने आप को अड्जस्ट करने लगे.....
और हम दोनो एक दूसरे से और चिपक गये......मेरे आगे एक औरत खड़ी थी....बस मे आते जाते हुए एक दो बार उससे बात हुई थी....वो सरकारी बॅंक मे एंप्लायी थी....और मुझे वो काफ़ी खुले विचारो वाली लगती थी….मेरा सूट बारिश के पानी से एक दम भीगा हुआ मेरे बदन से चिपका हुआ था…जैसे ही मुझे अपने भीगे हुए सलवार कमीज़ की याद आई तो मैं एक दम से घबरा गयी….वो लड़का ठीक मेरे पीछे खड़ा था. और उसे कमीज़ के अंदर से मेरी ब्लॅक ब्रा ज़रूर नज़र आ रही होगी….”ये सोचते ही मेरा बदन एक दम से कांप गया….
तभी उसने अपना हाथ उठा कर सीट के हॅंडेल पर रख दिया….जगह बहुत तंग थी. इसलिए उस लड़के का हाथ मेरी राइट जाँघ पर साइड से रगड़ खाने लगा….वो ये सब जान बूझ कर कर रहा था…मेने उसकी तरफ फेस घुमा कर देखा तो वो बाहर देखने की आक्टिंग करते हुए अपने सर को झुकाए हुए खड़ा था….”बदतामीज…..” मेने मन ही मन उसे गाली दी…और फिर से आगे की तरफ देखने लगी…”तभी मुझे अपने चुतड़ों की दरार मे कुछ हार्ड और गरम सा अहसास हुआ, मेरे बदन मे मानो जैसे करेंट दौड़ गया हो….पूरे बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी….
पर दिल मे मर्दो के लिए बेपानाह नफ़रत ने मुझे और भड़का दिया…मेने गुस्से से पीछे मूड कर उसकी तरफ देखा…तो वो सामने की तरफ देख रहा था..मेने उसकी ओर देखते हुए गुस्से से कहा…” पीछे होकर खड़े हो जाओ…..” मेने अपनी तिरछी नज़रों से पीछे नीचे की और देखा तो, उसका बदन नीचे से मेरे चुतड़ों पर चिपका हुआ था. और अगले ही पल मेरी रूह ये सोच कर कांप गयी कि, उसका बाबूराव मेरे चुतड़ों की दरार मे चुभ रहा है…..”पीछे कहाँ जगह है…आपको दिखाई दे रही है….” उसने हॉंसला दिखाते हुए कहा…मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गयी….
और आगे की ओर देखने लगी….अब मुझे उसका बाबूराव और हार्ड होता हुआ महसूस हो रहा था…और मुझे अपनी गान्ड के छेद पर अजीब सी सरसराहट महसूस हो रही थी…मेरे बदन का रोम-2 थरथराने लगा था….मे आँखे बंद होती जा रही थी…तभी बस एक बार फिर रुकी….इस बार बस एक कॉलेज के बाहर रुकी थी….बस मे कॉलेज के कई स्टूडेंट्स थे..जो वहाँ पर उतरे…बस मे थोड़ी सी जगह बनी..मेने फिर से उसकी तरफ गुस्से से देखा तो, उसने अपना सर झटका…जैसे मेरा मज़ाक उड़ा रहा हो…
और फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ कर साइड मे किया, और खुद आगे निकल कर मेरे से आगे खड़ा हो गया…”खुश” उसने चिढ़ाने वाली स्माइल के साथ कहा….कुछ लोग उतरे तो कुछ लोग और चढ़ भी गये…बस फिर से ठूंस कर भर गयी….उस लड़के ने फिर से एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सीधा होकर खड़ा हो गया…”हद है यार डॉली” मैने मन ही मन अपने आप को कोसा….और सोचने लगी कि, शायद मेने उस लड़के के साथ सही नही किया…कई बार वक़्त और हालात ही ऐसे हो जाते है कि, सामने वाले की ग़लती ना होने पर भी वो आपको कसूरवार लगने लगता है..
मुझे अपने आप मे बहुत गिल्टी फील हो रहा था…कि उस बेचारे का क्या दोष….बस मे भीड़ ही इतनी ज़्यादा है, कि हर कोई एक दूसरे से मजबूरन सटा हुआ था…मैं अभी यही सोच रही थी कि, मेरी 11थ क्लास की स्टूडेंट ललिता जिसका जिकर मेने शुरू मे इंट्रो मे किया था….वो मेरे आगे आकर खड़ी हो गयी…मैं सीधी खड़ी थी..और ललिता उस लड़के साथ सीट के हॅंडेल को पकड़ कर खड़ी थी….
ललिता: गुड मॉर्निंग मॅम….
मैं: गुड मॉर्निंग ललिता हाउ आर यू…?
ललिता: फाइन…..
मैं: अर्रे तुम तो भीग गये हो…
इसके आगे अगले अपडेट में ....
भले ही माँ बाप इस दुनिया मे नही थे....पर आस पास के लोगो मे जो मेरी इमेज बनी हुई थी...शायद उसी के चलते मुझे इस हालत मे भी कोई नज़र उठा कर देखने की कॉसिश नही कर रहा था.....एक बार तो मुझे अपने आप पर फकर सा महसूस हुआ...पर अगले ही पल मे मेरे दिमाग़ मे अजीब -2 तरहा के ख़याल आने लगे.....क्या सच मे लोग मेरी इज़्ज़त करते हैं, और मुझसे डरते है...जो बारिश मे भीग रही एक जवान लड़की पर नज़र नही डालते....या फिर मुझ मे कोई कमी तो नही....
अभी मैं इन्ही ख़यालो मे खोई हुई थी......कि मुझे मेरे पास से कुछ चरमराने की आवाज़ सुनाई दी....जैसे ही मेने उस ओर देखा, तो वहाँ पर कोई लड़का खड़ा था......उसने कॉलेज की यूनिफॉर्म पहन रखी थी....पर टाइ और बेल्ट नही लगा रखी थी. जिससे पता चल सके कि वो किस कॉलेज का स्टूडेंट है…और कंधे पर बॅग लटका रखा था....वो साथ वाले पेड़ के नीचे खड़ा होकर शायद बस का वेट कर रहा था.....
लड़का हमारे मोहल्ले का नही था....और ना ही मेने उससे पहले यहाँ देखा था.....मैं अभी उसी की तरफ देख रही थी, कि उस लड़के ने मेरी तरफ देखा.....जैसे ही उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मेने अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया.....और रोड के उस तरफ देखने लगी. जिस तरफ से बस आनी थी...
भले ही मेने उससे अपनी नज़रें हटा ली थी....पर नजाने क्यों मुझे अभी भी उसकी नज़रें अपनी बदन पर चूबती हुई महसूस हो रही थी....बारिश अभी भी लगातार जारी थी.....और उस तरफ टकटकी लगाए देख रही थी....पर मन मे यही सोच रही थी, कि वो अभी भी मेरी तरफ देख रहा है...नज़ाने क्यों मैं अपने आप को उस तरफ देखने से ना रोक पाई. और जब मेने उस लड़के की तरफ देखा, तो मेरे होश ऐसे उड़ गये.......मानो जैसे मेने किसी का कतल होते हुए देख लिया हो.....
वो लड़का अभी भी मेरी तरफ देख रहा था...हमारे बीच कोई 7-8 फुट का फाँसला था......और वो मेरे बदन को बड़ी अजीब सी नज़रों से देख रहा था.......और उसका राइट हॅंड उसकी पेंट की ज़िप के ऊपेर धीरे-2 रेंग रहा था......."इसकी इतनी हिम्मत कि मुझे ऐसे देखे" मैं मन ही मन कहा. दिल तो कर रहा था कि, अभी जाकर उसको गले से पकड़ दो चान्टे जड दूं.
एक कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट की ये हिम्मत जो मुझे देख कर छि...आज तक कॉलेज के लड़को ने इतनी हिम्मत नही की थी…मेरे सख़्त रवैये की वजह से मेरे कॉलेज के स्टूडेंट्स ने भी आँख उठा कर मेरी तरफ नही देखा था....और ये तो.....मैने अभी उसकी तरफ कदम बढ़ाया ही था, कि मुझे बस का हॉर्न सुनाई दिया.....मैं वहीं रुक गयी...आज शायद इसकी किस्मत अच्छी थी....अगर बस ना आती तो पता नही मैं इसका क्या हाल करती......जैसे ही बस रुकी, मेने एक बार उसकी तरफ गुस्से से खा जाने वाली नज़रों से देखा और बस मे चढ़ गयी.....वैसे जब मैं उसकी तरफ बढ़ी थी..तो वो भी थोड़ा घबरा गया था....
ये सोच कर मेने अपने मन को तसल्ली दी....ओह्ह नो आज भी बस मे बहुत भीड़ थी....खड़े होने को भी मुस्किल था...खैर किसी तरह मेने अपने खड़े होने के लिए जगह बनाई....और मेरे बस के डोर की तरफ देखा..वो लड़का भी बस मे चढ़ चुका था....और वो बिल्कुल मेरे पीछे खड़ा था....बस चल पड़ी....थोडी देर बाद मेने एक बार अपनी गर्दन को थोड़ा सा घुमा कर पीछे की तरफ देखा..वो मुझसे थोड़ा सा फाँसला बनाए हुए खड़ा था....मैने सोचा अभी जो थोड़ी देर पहले मैने कदम उठाया था......वो सही था....
खैर जैसे ही अगला स्टॉप आया....बस एक दम से और भर गयी.....बस के दोनो डोर से लोग बस मे चढ़ रहे थे...और मुझे ना चाहते हुए भी और पीछे हटना पड़ा....और अगले ही पल उसकी छाती मेरी पीठ पर आ लगी..हाइट मे वो मेरे से 1-2 इंच कम ही था....शायद अभी अपनी ग्रोत एअर मे था....आज तक मुझे ऐसी सिचुयेशन का सामना नही करना पड़ा था.....उसकी चेस्ट मेरी पीठ से रगड़ खा रही थी....और जैसे ही बस चली, बस मे खड़े लोग अपने आप को अड्जस्ट करने लगे.....
और हम दोनो एक दूसरे से और चिपक गये......मेरे आगे एक औरत खड़ी थी....बस मे आते जाते हुए एक दो बार उससे बात हुई थी....वो सरकारी बॅंक मे एंप्लायी थी....और मुझे वो काफ़ी खुले विचारो वाली लगती थी….मेरा सूट बारिश के पानी से एक दम भीगा हुआ मेरे बदन से चिपका हुआ था…जैसे ही मुझे अपने भीगे हुए सलवार कमीज़ की याद आई तो मैं एक दम से घबरा गयी….वो लड़का ठीक मेरे पीछे खड़ा था. और उसे कमीज़ के अंदर से मेरी ब्लॅक ब्रा ज़रूर नज़र आ रही होगी….”ये सोचते ही मेरा बदन एक दम से कांप गया….
तभी उसने अपना हाथ उठा कर सीट के हॅंडेल पर रख दिया….जगह बहुत तंग थी. इसलिए उस लड़के का हाथ मेरी राइट जाँघ पर साइड से रगड़ खाने लगा….वो ये सब जान बूझ कर कर रहा था…मेने उसकी तरफ फेस घुमा कर देखा तो वो बाहर देखने की आक्टिंग करते हुए अपने सर को झुकाए हुए खड़ा था….”बदतामीज…..” मेने मन ही मन उसे गाली दी…और फिर से आगे की तरफ देखने लगी…”तभी मुझे अपने चुतड़ों की दरार मे कुछ हार्ड और गरम सा अहसास हुआ, मेरे बदन मे मानो जैसे करेंट दौड़ गया हो….पूरे बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी….
पर दिल मे मर्दो के लिए बेपानाह नफ़रत ने मुझे और भड़का दिया…मेने गुस्से से पीछे मूड कर उसकी तरफ देखा…तो वो सामने की तरफ देख रहा था..मेने उसकी ओर देखते हुए गुस्से से कहा…” पीछे होकर खड़े हो जाओ…..” मेने अपनी तिरछी नज़रों से पीछे नीचे की और देखा तो, उसका बदन नीचे से मेरे चुतड़ों पर चिपका हुआ था. और अगले ही पल मेरी रूह ये सोच कर कांप गयी कि, उसका बाबूराव मेरे चुतड़ों की दरार मे चुभ रहा है…..”पीछे कहाँ जगह है…आपको दिखाई दे रही है….” उसने हॉंसला दिखाते हुए कहा…मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गयी….
और आगे की ओर देखने लगी….अब मुझे उसका बाबूराव और हार्ड होता हुआ महसूस हो रहा था…और मुझे अपनी गान्ड के छेद पर अजीब सी सरसराहट महसूस हो रही थी…मेरे बदन का रोम-2 थरथराने लगा था….मे आँखे बंद होती जा रही थी…तभी बस एक बार फिर रुकी….इस बार बस एक कॉलेज के बाहर रुकी थी….बस मे कॉलेज के कई स्टूडेंट्स थे..जो वहाँ पर उतरे…बस मे थोड़ी सी जगह बनी..मेने फिर से उसकी तरफ गुस्से से देखा तो, उसने अपना सर झटका…जैसे मेरा मज़ाक उड़ा रहा हो…
और फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ कर साइड मे किया, और खुद आगे निकल कर मेरे से आगे खड़ा हो गया…”खुश” उसने चिढ़ाने वाली स्माइल के साथ कहा….कुछ लोग उतरे तो कुछ लोग और चढ़ भी गये…बस फिर से ठूंस कर भर गयी….उस लड़के ने फिर से एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सीधा होकर खड़ा हो गया…”हद है यार डॉली” मैने मन ही मन अपने आप को कोसा….और सोचने लगी कि, शायद मेने उस लड़के के साथ सही नही किया…कई बार वक़्त और हालात ही ऐसे हो जाते है कि, सामने वाले की ग़लती ना होने पर भी वो आपको कसूरवार लगने लगता है..
मुझे अपने आप मे बहुत गिल्टी फील हो रहा था…कि उस बेचारे का क्या दोष….बस मे भीड़ ही इतनी ज़्यादा है, कि हर कोई एक दूसरे से मजबूरन सटा हुआ था…मैं अभी यही सोच रही थी कि, मेरी 11थ क्लास की स्टूडेंट ललिता जिसका जिकर मेने शुरू मे इंट्रो मे किया था….वो मेरे आगे आकर खड़ी हो गयी…मैं सीधी खड़ी थी..और ललिता उस लड़के साथ सीट के हॅंडेल को पकड़ कर खड़ी थी….
ललिता: गुड मॉर्निंग मॅम….
मैं: गुड मॉर्निंग ललिता हाउ आर यू…?
ललिता: फाइन…..
मैं: अर्रे तुम तो भीग गये हो…
इसके आगे अगले अपडेट में ....