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पति पत्नी और औलाद का सुख
#4
क्योंकि अंदर से मेरा भी दिल तो करता था कि मैं भी उसकी बाहों में सिमट जाऊं, मैंने कहा- ठीक है मेरे कपड़े उतारे बगैर जो चाहो कर सकते हो.
उसने कहा- ठीक है मगर अपनी बात पर कायम रहना.
मैंने कहा- मैंने सोच समझ कर ही कहा है और इस पर मैं कायम रहूंगी.

अब वो बिना कपड़े उतारे अपना हाथ मेरी शर्ट के अंदर डाल कर मेरे मम्मों को दबाने लगा और उनकी निप्पल से खेलने लग गया.
कुछ देर बाद मैंने कहा- बस अब बंद करो, मुझे कुछ होने लगा है. मैं और सह नहीं पाऊँगी.

अबकी बार उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
मैंने उससे कहा- तुम वकीलों की तरह से मेरे शब्दों को ना लो वरना मैं तुमसे शादी से पहले मिलना ही बंद कर दूँगी। तुम जानते हो कि जब मैंने तुमसे कहा था ‘कपड़ों को उतारे बिना’ तो इसका मतलब यह नहीं था कि तुम अपना हाथ कपड़ों के अंदर डालकर जो चाहो करो।
तब वो बोला- ठीक है, मगर मुझे डराओ नहीं कि तुम मुझे शादी से पहले मिलोगी भी नहीं.
मैंने कहा- अगर इसी तरह से करोगे तो मुझे मजबूरी में करना पड़ेगा.
उसने सहम कर कहा- अच्छा बाबा, अब नहीं करूँगा। मगर कपड़ों के ऊपर से तो इज़ाज़त है ना?

इसी तरह से हम लोग एक दूसरे से मिलते वो मेरे बूब्स को कपड़ों के ऊपर से ही दबाता रहा और कई बार टाँगों के बीच भी सहला देता तो मुझे अच्‍छा लगता। मैं भी उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके हथियार को दबा देती थी।

इसी तरह से एक महीना बीत गया और हमारी शादी हो गई।
शादी के बाद आखिर हमारे प्रथम मिलन की रात भी आ गई, हमने एक दूसरे से अनेक कसमें वादे किये। वो तो मुझे अपने आगोश में लेने को उतावला था।
जब उसके उतावलेपन को मैंने देखा तो उससे कहा- मैं अब पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ही रहूंगी, क्यों जल्दी मचा रखी है. मैं पूरी तरह से तुम्हें समर्पण कर दूँगी. मगर मुझ से पहले एक वायदा करो कि चाहे कोई कुछ भी कहे, तुम मुझसे पूछे बिना कोई अंतिम फैसला नहीं करोगे जिसमें तुम्हारी और मेरी जिंदगी की बात हो.
उसने कहा- यह भी कोई कहने की बात है? मैं जिंदगी में कोई भी फैसला तुमसे बिना सलाह लिए नहीं करूँगा.

उसके बाद उसने मुझे अपने आगोश में ले लिया और मेरे कपड़े उतारने लगा.
मेरे अन्‍दर की हया ने धीरज से कमरे की लाईट बन्‍द करने का अनुरोध किया।
जिसको ठुकराते हुए वो बोला- आख़िर मैं भी तो देखना चाहता हूँ कि मेरे चाँद की रोशनी कैसी है उस पर यह रोशनी पड़कर कैसे लगती है।

अब धीरज मुझे पूरी नंगी करके मेरे मम्मों को दबा दबाकर उसकी घुंडियों को चूसने लगा। मैंने भी बिना शर्माये उसका लंड पकड़ लिया जो पूरे शवाब पर था और अपना जलवा दिखाने को पूरी तरह से तैयार था।
कुछ देर बाद वो बोला- सुनो मेरी प्राण प्रिय, अब मैं और तुम मिलकर एक जिस्म बन जायेंगे।

यह कहते हुए उसने अपनी तलवार को मेरी म्‍यान पर रख दिया और ज़ोर से अंदर डालने की कोशिश की। मगर म्यान का मुँह बहुत छोटा था और तलवार का मुँह बड़ा था मगर तलवार तो फिर तलवार ही होती है उसने जबरदस्‍ती उसे म्यान में डालने की कोशिश की आखिर में उसकी जबरदस्‍ती कामयाब हई और म्यान का मुँह फट गया खून बहने लगा और तलवार अंदर जाने लग गई।
मै कहती रही- बहुत दर्द हो रहा है, ज़रा धीरे से करो.
उसने कहा- बहुत तरसाया है तुमने मुझे, जब भी मैंने तुम्हें ज़रा सा हाथ लगाने की कोशिश की. तुम कभी कुछ और कभी कुछ बोलती रही. आज तो मुझे पूरा अधिकार है तुमसे पूरी तरह से मिलने का … मेरा हर एक अंग तुम्हारे अंग अंग तो भेदता हुआ आज तुमसे मिलेगा.

उसने अपना हथियार पूरा अंदर कर के मुझे अपनी बांहों से जकड़ लिया. फिर उसका शरीर मेरे साथ घमासान करने लग गया. मैं मीठे मीठे दर्द से कराह रही थी। पर आज वो पूरे अधिकार से मुझ पर सवार था। थोड़ी मेहनत के बाद उसने अपना लावा मेरे अन्‍दर उड़ेल दिया। उसके गरम लावे की एक एक बूंद मेरे अन्‍दर अंग अंग तक ठंडक पहुंचा रही थी। आखिरी बूंद तक निचुड़ जाने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला।

उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे का अंग अंग अच्‍छी तरह धोकर साफ दिया और बिस्‍तर पर आकर फिर से एक दूसरे की बांहों में समा गये।
धीरज रात भर मेरा बैंड बजाने के मूड में था। सच यह था कि मेरा दिल भी चाहता था कि जिस चुदाई को मैं महीनों से तड़प रही थी उसकी सारी कसर धीरज आज ही पूरी कर दे।

इस तरह से हम दोनों फिर से एक दूसरे के साथ थे. अबकी बार 69 में होकर हम लोगों ने एक दूसरे को पूरी तसल्ली से चूसा और दोनों का पानी जब निकला तो दोनों ने ही अपने अपने मुँह में लेते हुए पी लिया.
इसके बाद उसने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया और मेरे शरीर से अच्छी तरह से खिलवाड़ करता रहा. ऊपर से तो मैं कह रही थी कि अब छोड़ो भी ना … मगर मेरा दिल यही चाहता था कि यह करता ही रहे … करता ही रहे.

जिंदगी की गाड़ी यूँ ही चल रही थी। मेरा पति रोज ही मेरी चुदाई करता रहा मगर कोई बच्चा नहीं ठहरा।
आख़िर एक दिन मेरी सास ने मेरे पति से पूछ ही लिया- मुझे पोते या पोती का मुँह कब दिखाओगे?
यह सुनकर मुझे लगा कि कहीं ना कहीं किसी ना किसी में तो कोई कमी है। मैंने बिना पति से कहे अपनी जाँच एक डॉक्टर से करवाई तो पाया कि मैं मां नहीं बन सकती। कुछ कमी है मुझमें!
जब मैंने डॉक्टर से पूछा कि इसका कोई इलाज तो होगा?
तब उसने कहा- जहाँ तक मैं समझती हूँ, बहुत मुश्किल है. हम तुमसे पैसे ऐंठने के लिए तुम्हारा इलाज़ करेंगे मगर कोई परिणाम नहीं निकलेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पति पत्नी और औलाद का सुख - by neerathemall - 12-04-2019, 01:37 AM



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