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बरसात की वह रात
#14
विभाग प्रसन्न है. महिला अधिकारी पोस्टिंग पर आ रही हैं. जानकारी मिली है मैडम ख़ूबसूरत हैं. विभाग को आशा है यहां की वायु और ऋतु ताज़ादम हो उठेगी.
अपेक्षाकृत छोटी जगह से आई मैडम इस बड़ी जगह को देखकर घबरा नहीं रहीं, किंचित् परेशान हैं. मैडम से सभी जोशीले अंदाज़ में मिले, पर वे ऐसे संकोच, बल्कि दहशत, से मिलीं मानो किसी से परिचय नहीं करना चाहतीं.
पहली विभागीय टिप्पणी,‘‘अभी नई हैं. धीरे-धीरे खुलेंगी.’’
मैडम यद्यपि विभागीय लोगों से संकोच से मिलीं, तथापि समझती हैं किसी भी कार्यालय की तरह यहां भी उन्हें एक बड़े पुरुष वर्ग का नियमित सामना करना है. इस बाबत उन्हें किसी को अपना शुभचिंतक अर्थात् सहयोगी बनाना होगा. तभी यहां खपना आसान हो सकेगा. तीन व्यक्ति हैं, जो मैडम के लिए काम के साबित होंगे. पहले है मैडम के इंस्पेक्टर, रामसेवक. मैडम बच्चियों के एडमिशन, गैस कनेक्शन, फ़र्नीचर, परदे इत्यादि की ख़रीद के लिए रामसेवक को घर तलब करने लगीं और आप मैडम की व्यक्तिगत सूचनाओं का विश्वस्त सूत्र बन गए,‘‘मैडम की दो बेटियां हैं. फ़र्स्ट और थर्ड में पढ़ती हैं. पति शहडोल में व्याख्याता हैं. लोग कहते हैं मैडम मिलनसार नहीं है, जबकि मेरे साथ बहुत हंसमुख होती हैं.’’
दूसरे हैं आयकर सलाहकार नील नारंग. मैडम इनसे कुछ क़ानूनी बिन्दुओं पर डिस्कस करती हैं. नील नारंग अनुमान लगाते हैं-मैडम में ज्ञान और कौशल का अभाव है, इसलिए मैडम को इनकी सहायता लेते रहना होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 12-04-2019, 01:15 AM



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