12-04-2019, 01:10 AM
-करने को तो इतनी बातें हैं, बीस बरस पहले की, बीस बरस के दौरान की और अब की लेकिन कितना अच्छा लगता, आमने-सामने बैठ कर बात कर सकते. लेकिन मैं उसके लिए तुम्हें मजबूर नहीं करूंगा.
-ज़िद मत करो. अब मैं सिर्फ़ तुम्हारी दीप्ति ही तो नहीं हूं. सारी बातें देखनी...
-तो फिर ठीक है. सी यू सून. रखता हूं फ़ोन.
-मिलने के ख़्वाब तो छोड़ ही दो श्रीमान. एनी वे, सो नाइस ऑफ़ यू फ़ॉर कॉलिंग ऑफ्टर सच ए लॉन्ग पीरियड. इट वाज़ अ प्लीजेंट सरप्राइज़. तुमसे बातें करते करते वक्त का पता ही नहीं चला. मुझे अभी एक अर्जेंट मीटिंग में जाना है. उसके पेपर्स भी देखने हैं. लेकिन तुम तो कह रहे थे, एक रुपए का और सिक्का नहीं है तुम्हारे पास. पिछले बीस मिनट से तुम पीसीओ से तो बात नहीं कर रहे. वैसे बोल कहां से रहे हो.
-उसे जाने दो. वैसे मुझे भी एक अर्जेंट मीटिंग के लिए निकलना है.
-तो क्या किसी मीटिंग के सिलसिले में आए हो यहां?
-हां, आया तो उसी के लिए था. सोचा इस बहाने तुमसे भी...
-कहां है तुम्हारी मीटिंग?
-ठीक उसी जगह जहां तुम्हारी मीटिंग है.
-क्या मतलब?
-मतलब साफ है डियर, तुम्हारे ही विभाग ने हमारी यूनिवर्सिटी के नॉन कॉनवेन्शनल एनर्जी रिसोर्सेज के प्रोजेक्ट पर बात करने के लिए हमारी टीम को बुलवाया है. इसमें महत्वपूर्ण ख़बर सिर्फ़ इतनी ही है कि यह प्रोजेक्ट मेरे ही अधीन चल रहा है. यह तो यहीं आकर पता चला कि अब तुम ही इस केस को डील करोगी और...
-ओह गॉड. आइ जस्ट कांट बिलीव. अब क्या होगा. तुमने पहले क्यों नहीं बताया. इतनी देर से मुझे बुद्धू बना रहे थे और...
-रिलैक्स डियर, रिलैक्स. तुम्हें बिलकुल भी परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. मैं वहां यही जतलाऊंगा, तुमसे ज़िंदगी में पहली और आख़िरी बार मिल रहा हूं. बस, एक ही बात का ख़्याल रखना, अपना चश्मा टाइट करके ही मीटिंग में आना.
-यू चीट...
-ज़िद मत करो. अब मैं सिर्फ़ तुम्हारी दीप्ति ही तो नहीं हूं. सारी बातें देखनी...
-तो फिर ठीक है. सी यू सून. रखता हूं फ़ोन.
-मिलने के ख़्वाब तो छोड़ ही दो श्रीमान. एनी वे, सो नाइस ऑफ़ यू फ़ॉर कॉलिंग ऑफ्टर सच ए लॉन्ग पीरियड. इट वाज़ अ प्लीजेंट सरप्राइज़. तुमसे बातें करते करते वक्त का पता ही नहीं चला. मुझे अभी एक अर्जेंट मीटिंग में जाना है. उसके पेपर्स भी देखने हैं. लेकिन तुम तो कह रहे थे, एक रुपए का और सिक्का नहीं है तुम्हारे पास. पिछले बीस मिनट से तुम पीसीओ से तो बात नहीं कर रहे. वैसे बोल कहां से रहे हो.
-उसे जाने दो. वैसे मुझे भी एक अर्जेंट मीटिंग के लिए निकलना है.
-तो क्या किसी मीटिंग के सिलसिले में आए हो यहां?
-हां, आया तो उसी के लिए था. सोचा इस बहाने तुमसे भी...
-कहां है तुम्हारी मीटिंग?
-ठीक उसी जगह जहां तुम्हारी मीटिंग है.
-क्या मतलब?
-मतलब साफ है डियर, तुम्हारे ही विभाग ने हमारी यूनिवर्सिटी के नॉन कॉनवेन्शनल एनर्जी रिसोर्सेज के प्रोजेक्ट पर बात करने के लिए हमारी टीम को बुलवाया है. इसमें महत्वपूर्ण ख़बर सिर्फ़ इतनी ही है कि यह प्रोजेक्ट मेरे ही अधीन चल रहा है. यह तो यहीं आकर पता चला कि अब तुम ही इस केस को डील करोगी और...
-ओह गॉड. आइ जस्ट कांट बिलीव. अब क्या होगा. तुमने पहले क्यों नहीं बताया. इतनी देर से मुझे बुद्धू बना रहे थे और...
-रिलैक्स डियर, रिलैक्स. तुम्हें बिलकुल भी परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. मैं वहां यही जतलाऊंगा, तुमसे ज़िंदगी में पहली और आख़िरी बार मिल रहा हूं. बस, एक ही बात का ख़्याल रखना, अपना चश्मा टाइट करके ही मीटिंग में आना.
-यू चीट...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.