12-04-2019, 01:08 AM
तुम्हें पता तो है, दवा लो तो ज़ुकाम सात दिन में जाता है और दवा न लो तो एक हफ़्ते में. ऐसे में दवा लेने का क्या मतलब?
-जनम जात कंजूस ठहरे तुम. ज़ुकाम तुम्हारा होता था और रुमाल मेरे शहीद होते थे. लगता तो नहीं तुम्हारी कंजूसी में अब भी कोई कमी आई होगी. तुमसे शादी की होती तो मुझे तो भूखा ही मार डालते.
-रहने भी दो. हमेशा मेरी प्लेट के समोसे भी खा जाया करती थी.
-बड़े आए समोसे खिलाने वाले. ऑर्डर ख़ुद देते थे और पैसे मुझसे निकलवाते थे.
-अच्छा, बाइ द वे, क्या तुम्हारी मम्मी ने उस दिन मेरे वापिस आने के बाद वाकई ज़हर खा लिया था या यह सब एक नाटक था, तुम्हें ब्लैकमेल करने का. मुझसे तुम्हें दूर रखने का रामबाण उपाय?
-अब छोड़ो उन सारी बातों को. अब तो मम्मी ही नहीं रही हैं इस दुनिया में.
-ओह सॉरी, मुझे पता नहीं था. और कौन-कौन हैं घर में?
-तुम तो जासूसी करते रहे हो. पता ही होगा.
-नहीं, वो बात नहीं है. तुम्हारे ही श्रीमुख से सुनना चाहता हूं.
-बड़ी लड़की अनन्या का एमबीए का दूसरा साल है. उससे छोटा लड़का है दीपंकर. आईआईटी में इंजीनियरिंग कर रहा है.
-और मिस्टर धवन कहां हैं आजकल?
-आजकल वर्ल्ड बैंक में डेप्युटेशन पर हैं.
-ख़ुश तो हो?
-बेकार सवाल है.
-क्यों?
-पहली बात तो, किसी भी शादीशुदा औरत से यह सवाल नहीं पूछा जाता चाहे वह आपके कितनी भी क़रीब क्यों न हो. और दूसरे, शादी के बीस साल बाद इस सवाल का वैसे भी कोई मतलब नहीं रह जाता. तब हम सुख-दुख नहीं देखते. यही देखते हैं कि पति-पत्नी ने इस बीच एक-दूसरे की अच्छी-बुरी आदतों के साथ कितना एडजस्ट करने की आदत डाल ली है. तुम अपनी कहो, क्या तुम्हारी कहानी इससे अलग है?
-कहने लायक है ही कहां मेरे पास कुछ.
-क्यों, सुना तो था, मेरी शादी के साल के भर बाद ही शहर के भीड़ भरे बाज़ारों से तुम्हारी भी बारात निकली थी और तुम एक चांद की प्यारी दुल्हन को ब्याह कर लाए थे. कैसी है वो तुम्हारी चंद्रमुखी?
-अब कहां की चंद्रमुखी और कैसी चंद्रमुखी?
-क्या मतलब?
-मेरी शादी एक बहुत बड़ा हादसा थी. सिर्फ़ दो ढाई महीने चली.
-ऐसा क्या हो गया था?
-जनम जात कंजूस ठहरे तुम. ज़ुकाम तुम्हारा होता था और रुमाल मेरे शहीद होते थे. लगता तो नहीं तुम्हारी कंजूसी में अब भी कोई कमी आई होगी. तुमसे शादी की होती तो मुझे तो भूखा ही मार डालते.
-रहने भी दो. हमेशा मेरी प्लेट के समोसे भी खा जाया करती थी.
-बड़े आए समोसे खिलाने वाले. ऑर्डर ख़ुद देते थे और पैसे मुझसे निकलवाते थे.
-अच्छा, बाइ द वे, क्या तुम्हारी मम्मी ने उस दिन मेरे वापिस आने के बाद वाकई ज़हर खा लिया था या यह सब एक नाटक था, तुम्हें ब्लैकमेल करने का. मुझसे तुम्हें दूर रखने का रामबाण उपाय?
-अब छोड़ो उन सारी बातों को. अब तो मम्मी ही नहीं रही हैं इस दुनिया में.
-ओह सॉरी, मुझे पता नहीं था. और कौन-कौन हैं घर में?
-तुम तो जासूसी करते रहे हो. पता ही होगा.
-नहीं, वो बात नहीं है. तुम्हारे ही श्रीमुख से सुनना चाहता हूं.
-बड़ी लड़की अनन्या का एमबीए का दूसरा साल है. उससे छोटा लड़का है दीपंकर. आईआईटी में इंजीनियरिंग कर रहा है.
-और मिस्टर धवन कहां हैं आजकल?
-आजकल वर्ल्ड बैंक में डेप्युटेशन पर हैं.
-ख़ुश तो हो?
-बेकार सवाल है.
-क्यों?
-पहली बात तो, किसी भी शादीशुदा औरत से यह सवाल नहीं पूछा जाता चाहे वह आपके कितनी भी क़रीब क्यों न हो. और दूसरे, शादी के बीस साल बाद इस सवाल का वैसे भी कोई मतलब नहीं रह जाता. तब हम सुख-दुख नहीं देखते. यही देखते हैं कि पति-पत्नी ने इस बीच एक-दूसरे की अच्छी-बुरी आदतों के साथ कितना एडजस्ट करने की आदत डाल ली है. तुम अपनी कहो, क्या तुम्हारी कहानी इससे अलग है?
-कहने लायक है ही कहां मेरे पास कुछ.
-क्यों, सुना तो था, मेरी शादी के साल के भर बाद ही शहर के भीड़ भरे बाज़ारों से तुम्हारी भी बारात निकली थी और तुम एक चांद की प्यारी दुल्हन को ब्याह कर लाए थे. कैसी है वो तुम्हारी चंद्रमुखी?
-अब कहां की चंद्रमुखी और कैसी चंद्रमुखी?
-क्या मतलब?
-मेरी शादी एक बहुत बड़ा हादसा थी. सिर्फ़ दो ढाई महीने चली.
-ऐसा क्या हो गया था?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.