12-04-2019, 12:45 AM
थोड़ी देर बाद मैंने आंख खोली तो वह आदमी निशा की कमर पकड़ कर धीरे धीरे हिल रहा था. मैंने ध्यान से देखा तो वो तो शायद मेरी बहन निशा की चुदाई जैसा कुछ कर रहा था. हालांकि अँधेरे के कारण कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा था तब भी मेरी झांटें सुलग गईं.
मुझे बहुत गुस्सा आया तो मैंने निशा को बोला- दीदी, उस भाई के पैर अकड़ जाएंगे. आप मेरे पैरों पे बैठ जाओ.
पर निशा ने नींद में बोलते हुए मना कर दिया- अरे चार-पांच घंटे की बात है. कुछ नहीं होगा.
मैंने उसको खींचते हुए दोबारा बोला, तो वह मान गई. अब वो मेरी गोद में बैठ गई और बैठते ही सो गई.
मुझे बहुत गुस्सा आया तो मैंने निशा को बोला- दीदी, उस भाई के पैर अकड़ जाएंगे. आप मेरे पैरों पे बैठ जाओ.
पर निशा ने नींद में बोलते हुए मना कर दिया- अरे चार-पांच घंटे की बात है. कुछ नहीं होगा.
मैंने उसको खींचते हुए दोबारा बोला, तो वह मान गई. अब वो मेरी गोद में बैठ गई और बैठते ही सो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.