12-04-2019, 12:43 AM
मुझे ताज्जुब हो रहा था कि निशा किसी आदमी की गोद में कैसे बैठ सकती थी. हालांकि मैं भी उसको अपनी गोद में बिठा सकता था परन्तु मैंने संकोच के चलते ऐसा नहीं कहा. फिर जब वो उस आदमी की गोद में बैठी, तब भी मुझे लगा कि ये भी उम्रदराज आदमी है, कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन मेरे दिमाग में ये भी सवाल आया कि इस आदमी के पैर दुखने लगेंगे तो ये इसके बाद मेरी गोद में आसानी से बैठ जाएगी.. तब इसकी गांड का मजा मिल जाएगा. मतलब अब भी मैंने उसको चोद पाने का नहीं सोच पाया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.