15-06-2021, 02:39 PM
// किरायेदार का काला मोटा सांप जैसा लण्ड लिया //
(रवि अंकल का लंड बहुत ही मोटा लम्बा और काला काला था मुझे लम्बे मोटे और काले लंड बहुत पसंद हैं )
जैसे ही मैं मैं सोने जाने लगी तो तो मेरी नज़र अचानक लकड़ी वाली दीवार पर गई, तो मैं एकदम से डर गई, वहाँ पर एक काला, मोटा सा सांप जैसा कुछ नजर आया, मैंने डरते हुए नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वो लंड था, किसी मर्द का पूर्ण उत्थित लंड! मैं समझ गई कि यह रवि अंकल का ही हो सकता है | मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रवि अंकल ऐसे होंगे |
लकड़ी की दीवार में एक छेद है, जो लकड़ी की गाण्ठ निकल जाने से हो गया था, छेद को बंद करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई थी | मैं सहमते हुए उस लंड के और नजदीक गई क्योंकि अब मेरा डर उत्सुकता में बदल गया था |
अंकल का लंड अविश्वसनीय रूप से मोटा और काफी लम्बा था, लंड एकदम गुस्सैल नाग की तरह फुफकारता हुआ, हिलता हुआ दिख रहा था | लंड का सुपारा अत्यंत ही फ़ूला हुआ दिख रहा था, सूजा हुआ ऐसा लग रहा था | इतने विशाल, एकदम काले लंड को देख कर मेरी चूत के दोनों ओंठ डर के मारे थरथर काँपने लगे, उसके घने बाल सिहरन के मारे एकदम झनझना कर खड़े हो गये, योनि से कुछ चिकना सा निकलने लगा | फिर मैंने डरते हुए उस लंड हल्के से स्पर्श किया, फिर डर थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया,
वह विशाल लंड मेरे हाथ के स्पर्श के बाद और भी मोटा और सख्त हो गया था, लंड को पकड़ने में मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था | फिर मैंने उत्सुकतावश लंड के सुपारे के आवरण को हटाया तो मैं एकदम से डर गई क्योंकि वो एक अंडे जितना बड़ा था | इतना बड़ा सुपारा तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखा था | उसके छेद से कुछ चिकना सा तरल पदार्थ निकल रहा था, जिसे मैंने छू कर देखा तो मुझे वो चिपचिपा सा लगा |
यह सब करते हुए मेरे दिल की धड़कन एकदम से तेज हो गई, और गर्म सांसें चलने लगी थी, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया, पैन्टी एकदम गीली हो गई थी | अंकल के लंड का अत्यंत विशाल सुपारा मुझे दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था तो मैंने हिम्मत करते हुए सुपारे पर अपने गुलाबी, नाजुक होठों से एक चुम्बन ले लिया |
मेरे चुम्बन लेने से लंड का आकार और भी दैत्याकार हो गया | ऐसा करने से मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, मैंने अंकलजी के मोटे सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, चाटने से उनके लंड से कुछ चिकना सा निकलने लगा था, जिसे मैं चाट गई फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, अत्यंत मोटा होने के कारण मैं उसे मुँह में ले ही नहीं पा रही थी.तभी एक झटके से विशाल सुपारा मेरे होंठों को चीरते हुए मेरे मुख में घुस गया, मुँह में घुसने के बाद मैं उसे बहुत प्यार से अपनी जीभ से सहलाने लगी |
थोड़ी देर के बाद फिर एक हल्का सा धक्का आया और आधा लंड मेरे मुँह में घुस गया, इतने मोटे लंड को मुझे अपने मुँह में लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं उसे किसी तरह से चूस रही थी |
लंड चूसते समय अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी में घुस कर अत्यंत घने बालों वाली योनि की फाँकों को सहलाने लगा था | करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद उस लंड ने मेरे मुँह में एक गर्म सी मलाई छोड़ दी, वैसे तो यह मेरा प्रथम अनुभव था परन्तु वो कहते हैं ना कि 'शादी नहीं हुई तो क्या, बारातें तो बहुत देखी हैं!' मैंने बहुत सी ब्ल्यू फ़िल्में देख रखी थी, और कहानियाँ तो हर रात मेरी हमबिस्तर होती थी, गर्म-गर्म मलाई का स्वाद मुझे कुछ अजीब सा लगा, मितली होने को भी हुई पर उसे मैं यौनामृत समझ कर पी गई |
(रवि अंकल का लंड बहुत ही मोटा लम्बा और काला काला था मुझे लम्बे मोटे और काले लंड बहुत पसंद हैं )
जैसे ही मैं मैं सोने जाने लगी तो तो मेरी नज़र अचानक लकड़ी वाली दीवार पर गई, तो मैं एकदम से डर गई, वहाँ पर एक काला, मोटा सा सांप जैसा कुछ नजर आया, मैंने डरते हुए नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वो लंड था, किसी मर्द का पूर्ण उत्थित लंड! मैं समझ गई कि यह रवि अंकल का ही हो सकता है | मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रवि अंकल ऐसे होंगे |
लकड़ी की दीवार में एक छेद है, जो लकड़ी की गाण्ठ निकल जाने से हो गया था, छेद को बंद करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई थी | मैं सहमते हुए उस लंड के और नजदीक गई क्योंकि अब मेरा डर उत्सुकता में बदल गया था |
अंकल का लंड अविश्वसनीय रूप से मोटा और काफी लम्बा था, लंड एकदम गुस्सैल नाग की तरह फुफकारता हुआ, हिलता हुआ दिख रहा था | लंड का सुपारा अत्यंत ही फ़ूला हुआ दिख रहा था, सूजा हुआ ऐसा लग रहा था | इतने विशाल, एकदम काले लंड को देख कर मेरी चूत के दोनों ओंठ डर के मारे थरथर काँपने लगे, उसके घने बाल सिहरन के मारे एकदम झनझना कर खड़े हो गये, योनि से कुछ चिकना सा निकलने लगा | फिर मैंने डरते हुए उस लंड हल्के से स्पर्श किया, फिर डर थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया,
वह विशाल लंड मेरे हाथ के स्पर्श के बाद और भी मोटा और सख्त हो गया था, लंड को पकड़ने में मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था | फिर मैंने उत्सुकतावश लंड के सुपारे के आवरण को हटाया तो मैं एकदम से डर गई क्योंकि वो एक अंडे जितना बड़ा था | इतना बड़ा सुपारा तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखा था | उसके छेद से कुछ चिकना सा तरल पदार्थ निकल रहा था, जिसे मैंने छू कर देखा तो मुझे वो चिपचिपा सा लगा |
यह सब करते हुए मेरे दिल की धड़कन एकदम से तेज हो गई, और गर्म सांसें चलने लगी थी, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया, पैन्टी एकदम गीली हो गई थी | अंकल के लंड का अत्यंत विशाल सुपारा मुझे दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था तो मैंने हिम्मत करते हुए सुपारे पर अपने गुलाबी, नाजुक होठों से एक चुम्बन ले लिया |
मेरे चुम्बन लेने से लंड का आकार और भी दैत्याकार हो गया | ऐसा करने से मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, मैंने अंकलजी के मोटे सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, चाटने से उनके लंड से कुछ चिकना सा निकलने लगा था, जिसे मैं चाट गई फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, अत्यंत मोटा होने के कारण मैं उसे मुँह में ले ही नहीं पा रही थी.तभी एक झटके से विशाल सुपारा मेरे होंठों को चीरते हुए मेरे मुख में घुस गया, मुँह में घुसने के बाद मैं उसे बहुत प्यार से अपनी जीभ से सहलाने लगी |
थोड़ी देर के बाद फिर एक हल्का सा धक्का आया और आधा लंड मेरे मुँह में घुस गया, इतने मोटे लंड को मुझे अपने मुँह में लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं उसे किसी तरह से चूस रही थी |
लंड चूसते समय अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी में घुस कर अत्यंत घने बालों वाली योनि की फाँकों को सहलाने लगा था | करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद उस लंड ने मेरे मुँह में एक गर्म सी मलाई छोड़ दी, वैसे तो यह मेरा प्रथम अनुभव था परन्तु वो कहते हैं ना कि 'शादी नहीं हुई तो क्या, बारातें तो बहुत देखी हैं!' मैंने बहुत सी ब्ल्यू फ़िल्में देख रखी थी, और कहानियाँ तो हर रात मेरी हमबिस्तर होती थी, गर्म-गर्म मलाई का स्वाद मुझे कुछ अजीब सा लगा, मितली होने को भी हुई पर उसे मैं यौनामृत समझ कर पी गई |
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!