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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#3
 मेरी रूपाली दीदी कभी भी खुद को प्रदर्शित करने का प्रयास नहीं करती थी.. मेरी बहन बेहद खूबसूरत है.. उनकी खूबसूरत आंखें, उनके तीखे नैन नक्श, लाल लाल होंठ,  और  काले रेशमी लंबे बाल जो उनके नितंबों से भी नीचे तक आते  है, उनकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.. घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण मेरी रूपाली दीदी खुद पर कभी भी इतना ध्यान नहीं दे पाती थी..
 वह सोमवार का दिन  था... मेरी रूपाली दीदी सोनिया को स्कूल ले जाने के लिए रेडी कर रही थी.. प्रत्येक दिन मेरी बहन ही सोनिया को स्कूल ले जाती थी क्योंकि मैं उससे पहले ही अपने स्कूल चला जाता था.. तो यह जिम्मेदारी भी मेरी बहन की ही थी... उस दिन मैं  अपने स्कूल नहीं गया और अपने कुछ दोस्तों के साथ बाहर मस्ती कर रहा था.. मैंने देखा कि मेरी रूपाली दीदी सोनिया के साथ है..
 उनको देखते ही मैं छुप गया और अपने दोस्तों की आड़ में से देखने लगा..
 सोनिया मेरी रुपाली दीदी को परेशान कर रही थी..  वह उछल कूद मचा रही थी.. तभी अचानक उसका पानी का बोतल गिर गया.. मेरी बहन  पानी का बोतल उठाने के लिए नीचे  झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू उनके सीने से सरक गया... मेरे सभी दोस्तों के मुंह से एक सिसकारी निकली... मैं शर्मिंदा हो गया क्योंकि सभी मेरी बहन के सीने को  लार टपकाते हुए घूर घूर के देख रहे थे...

 खुली सड़क पर मेरी रुपाली दीदी की  टाइट चोली के अंदर का सामान सबके सामने प्रदर्शित हो चुका था.. दुर्भाग्यवश वहां से थोड़ी दूर पर अपनी बाइक पर एक व्यक्ति बैठा हुआ था जो हमारे मोहल्ले का मशहूर गुंडा है और आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी ... ठाकुर रणवीर सिंह.. वह अपनी बाइक पर बैठे हुए सिगरेट  पी रहे थे...
 जब उन्होंने मेरी रूपाली दीदी को देखा उनको बिजली का झटका लगा..  ठाकुर साहब को अच्छी तरह पता था कि हमारा परिवार इसी मोहल्ले में रहता है, परंतु आज से पहले उन्होंने कभी भी हमारी परवाह नहीं की थी.  सुबह-सुबह ही उनको जिस चीज का दर्शन हुआ था वह शायद  उनके जीवन का सबसे खूबसूरत पल था.. एक जवान  शादीशुदा दो बच्चों की मां खूबसूरत के पहाड़ों  के दुर्लभ दर्शन शायद उन्हें अपनी जिंदगी में पहली बार ही हुए थे... उन्होंने मन ही मन मेरी बहन के  पहाड़ों को देखते हुए चोली के अंदर छुपे हुए उनके दोनों बड़े बड़े सफेद पके हुए आम के बारे में कल्पना की... ठाकुर साहब  अपनी जुबान अपने होठों फिरआते हुए मेरी बहन को  देखने लगे .. मेरी रूपाली दीदी ने जब ठाकुर साहब की तरफ देखा तो उन्होंने पाया कि ठाकुर साहब उनकी तरफ  कामुक निगाहों से देख रहे हैं..

 पलक झपकते ही  मेरी रूपाली दीदी ने अपनी साड़ी का पल्लू संभाल  लिया और अपने सीने पर चिपके हुए दोनों  फुटबॉल को अपने आंचल में समेट लिया.. और बड़ी तेजी से स्कूल की तरफ जाने लगी.. जब मेरी दीदी स्कूल की तरफ  तेज  कदमों के साथ भाग रही थी तो उनकी गांड दाएं बाएं दाएं बाएं करके हिल रही थी.. ठाकुर साहब देखते हुए सोच रहे थे.. कितनी खूबसूरत औरत है... क्या मस्त माल है ... उनकी नियत खराब हो चुकी थी.. स्कूल की तरफ बढ़ चले ठरकी ठाकुर साहब और मेरी रूपाली दीदी के लौटने का इंतजार करने लगे..

 
 उस वक्त ठाकुर रणवीर सिंह की उम्र तकरीबन 45 साल थी... बेहद  लंबे कद के... तकरीबन 6 फुट 2 इंच के... साधारण लोगों से उनकी लंबाई कुछ ज्यादा ही थी... चौड़ी छाती और मजबूत  भुजाएं... अपनी शर्ट के आगे के दो बटन वह हमेशा खुले रखते थे... उनकी छाती पर काले बाल थे.. उनका रंग भी काला था.. पर दिखने में ठाकुर साहब बेहद आकर्षक लगते थे.. सोने का ब्रेसलेट पहनते थे.. और बेहद भारी भरकम गोल्ड चेन भी... ठाकुर साहब  की घनी और काली कड़क दार मूछें बेहद  रुबाबदार लगती थी... ठाकुर साहब का तलाक हो चुका था.. कुछ लोग बताते हैं कि उनकी पत्नी बच्चे पैदा करने में असमर्थ थी.. इसीलिए उनका तलाक हुआ था.. पर कई लोगों के मुंह से मैंने यह भी सुना था कि ठाकुर साहब जब बिस्तर पर अपनी पत्नी के साथ प्यार करते थे उनकी पत्नी झेल नहीं पाती थी.. और इसीलिए उनका तलाक हो गया था... जितने मुंह उतनी बातें.. खैर उन्होंने दोबारा फिर से शादी करने की कभी कोशिश नहीं की...
 ठाकुर साहब ने देखा मेरी रूपाली दीदी सोनिया को स्कूल छोड़ने के बाद वापस आ रही है.. मेरी दीदी ने खुद को अच्छी तरह से ढक लिया था अपने पल्लू से अपने सीने को भी.. मेरी दीदी ने ठाकुर साहब को देख कर भी अनदेखा करने की कोशिश की... और अपने फ्लैट की तरफ आने लगी.. ठाकुर साहब का दिल मेरी रुपाली दीदी पर आ चुका था.. उन्होंने मेरी बहन का रास्ता रोका ठीक हमारे घर में घुसने से पहले..
 ठाकुर साहब:  नमस्ते रुपाली जी..
 मेरी रूपाली दीदी:  (घबराते हुए)  जी नमस्ते..
 ठाकुर साहब:  विनोद जी कैसे हैं..
 मेरी दीदी:  जी ठीक है..
 ठाकुर साहब:  कुछ तकलीफ हो तो बताइएगा.

 मेरे रूपाली दीदी:  जी धन्यवाद..

 मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए अपने अपार्टमेंट की तरफ भागने लगी.. भागते हुए उन्हें बिल्कुल इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी गांड बेहद मादक तरीके से  दाएं बाएं  गोते खा रही है.. ठाकुर साहब सब कुछ देख रहे थे.. उन्होंने मन ही मन ठान लिया था मेरी बहन का सत्यानाश करेंगे.. उनके दूध की टंकियों पर अपनी जुबान रखेंगे..
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 14-06-2021, 02:29 PM



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