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Misc. Erotica माँ के साथ नदी किनारे घर संसार
#16
एपिसोड 2: गांव से नदी तट तक निर्वासन

मेरी शादी की घटना पर चलते हैं। चार साल पहले, मेरी बीमार पत्नी से शादी के दो या तीन साल और पहले, यानी 26/28 साल की उम्र मे, मेरी माँ और बहन ने मेरी शादी के लिए पास के गाँव नलहाटी में दुल्हन की तलाश शुरू कर दी थी। हालाँकि, मैं भाग्यशाली था कि मुझे उस विवाह योग्य उम्र की लड़की मिली। क्योंकि, मेरे पास इस बैल की तरह एक मजबूत शरीर है। एक लड़की के माता-पिता ऐसे राक्षसी दिखने वाले पहलवान को अपना दामाद मानने से कतराते हैं। बहन ने अपने कॉलेज के दोस्तों को शादी का प्रस्ताव भी दिया। नतीजा यह है कि अस्वीकृति। जब मैं कई घरों में लड़की को अपनी मां और बहन के साथ देखने गया, तो असहनीय, बुरी बातें सुननी पड़ीं
- "अगर यह लड़का मेरी बेटी पर रात को चड़ गया, तो वह मर जाएगी।"
- "ऐसे उदास लड़के के लिए  जवान लड़कियां नहीं मिलेंगी। कितनी बार शादी हो चुकी है!"
- (माँ और बहन की बात सुनाकर) "दीदी, तुम्हारा बेटा काला है। हमारे पोते भी काले होंगे! हमारी गोरी बेटी के लिए काला लड़का नहीं चलेगा।"

कम उम्र की लड़किओ को छोड़कर, माँ और बहन ने अब 30 से 40 साल की परिपक्व महिलाओं या विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं को दुल्हन के रूप में देखना शुरू कर दिया। वे मुझे देखते हैं और मुस्कुराते हैं, यह महसूस करते हुए कि उन्हें मेरा शरीर पसंद है। हालांकि, जो औरते जीवन में ठोकर खाई हुई हैं, वे मेरे जैसे गरीब से शादी नहीं करेंगी। वे अमीर आदमी चाहते हैं, भले ही वे ५०/६० साल के हों। नतीजतन, 30/40 आयु वर्ग की महिलाओं को भी बाहर रखा गया है। 2/3 साल ऐसे ही बीत गए, जब लड़की मेल नहीं खाती थी, तो गाँव के सभी लोग मुझ पर हँसते थे और चुपके से कहते थे:
- "बाप रे , इस लड़के का जो भयंकर शरीर है, कोई भी लड़की ऐसे दामाद का लंड अपने अंदर नहीं सह पाएगी। इससे अच्छा गाये, भैंस से शादी करवा दो इसकी ! क्युकी जानवर ही जानवर के साथ चुदाई कर सकता है। कामिनी दी और सूजिता बहन तुम लोग सुंदरवन मे इसके लिए दुल्हन खोजों!"

अंत में, बहन ग़ुस्से मे अपनी माँ के बराबर एक मध्यम आयु वर्ग की महिला की तलाश शुरू की, जो 40 से ऊपर 45/40 वर्ष की हो। इस बात पर फिर माँ की आपत्ति - सेजुती। मैं अपने बेटे की शादी इतनी बूढ़ी औरत से कभी नहीं करूंगा।

सेजुती - क्यों नहीं माँ ? आपकी उम्र की महिलाएं बिल्कुल भी बूढ़ी नहीं हैं। बल्कि परिपक्व का यह सबसे अच्छा समय है। वह कमरे में अपने पति को खुश रख पाएगी, वह बाहर अपने परिवार की देखभाल करेगी, तुम्हारी तरह, तुम बूढ़ी दिखती हो क्या? मैं अपने जैसी जवान लड़की के बजाय अपने भईया के लिए परिपक्व औरत को पसंद करूंगी।

कामिनी माँ - नहीं, कभी नहीं। मुझे अपने जवान, बलशाली लड़के के लिए एक जवान लड़की चाहिए। मेरी जैसी महिलाओं की उम्र शादी के बाद पति के साथ सोहाग  क्या है?

सेजुती - बेशक है। (माँ का गाल सहला कर मज़ाक करते हुए) ऐसे ही कल अगर आपकी शादी करवा दूँ, तब रात को देखूँगा, तुम अपने बेटी-बेटे-परिवार को भूल कर, अपने पति से प्रेम कर रही हो और सेक्स कर रही हो। पति तुम्हारे पीछे पागल! तुम्हारे जैसी युवती महिला पाना मर्दों के लिए सात जन्मों का भाग्य होगा, माँ।

बोले बहन हंसने लगी। यह ऐसा इस्तिथि थी जिसके लिए माँ तैयार नहीं थी और इसीलिए सर शर्म से जमीन पर झुका लेती है। मुझे भी बहुत शर्म आती है। किसी तरह मैं कहता हूं- नहीं सेजुति। मुझे शादी नहीं करनी है। तुम हो, माँ है - तुम सब के होने से मुझे किसी और की जरूरत नहीं है।

सेजुती (आँख मारकर और जोर से हंसती है) - हम तो रहेंगे ही भईया। लेकिन रात में आपके बिस्तर पर कौन उठेगा? और कितनी रात अकेले अकेले काटोगे। बीवी तुम्हारी जिन ज़रूरतों को पूरा करेगी, वो हम कभी नहीं कर पाएंगे, मेरे बुद्धू भाई।

मैं एक बार माँ की और देखता हूँ, कैसे काम से भरी हुई मुस्कुराहट है उनके चेहरे पे। मैं शर्म से अपनी माँ और बहन के सामने खड़ा नहीं हो सका, मैं घर से निकल कर आँगन में चला आया। और मैंने पीछे से मां और बेटी की खिलखिलाती हसी सुना। चूँकि हम तीनों बहुत आज़ाद हैं, इसलिए बहन के ये जोक्स का बुरा नहीं मानते।

इस प्रकार शादी न हो पाने के कारण, मैं चुपके चुपके से अपने मोबाइल फोन पर सेक्स स्टोरी पढ़ता, तमिल मल्लू अश्लील वीडियो देखता और हस्तमैथुन करके दिन कट रहा था। (इस बीच मैं - एक लड़के के रूप में मेरा चरित्र बहुत अच्छा है। बचपन से ही पिता की मृत्यु के बाद परिवार को चलाने के बाद भी शराब पीने, नशा करने,अड्डा मारने, रंडी चोदने जैसे कोई बुरी आदत नहीं है।)

किसानी करना और घर में मां-बहन से बातें करना- यही मेरी जिंदगी है। बुरे काम बोलने से वही चुप चुप के सेक्स स्टोरी पढ़ना -पोर्न देखना और हस्तमैथुन करना है। वह भी बाथरूम में नहाते समय या एकांत खेत में अकेले बैठकर निपटा लिया करता। लेकिन, बहन की बात सच है - 30 साल की जवान जिस्म को एक औरत के शरीर की जरूरत है। रात को मैं एक कमरे में सोता हूं, मां-बहन दूसरे कमरे में। अकेले बिस्तर पर लेटे हुए, ऐसा लगता है जैसे किसी को जकड़ के उसके साथ सेक्स कर लूँ।

ऐसे में एक बेहद अमीर, संपन्न गांव के चौधरी परिवार की एक बीमार लड़की का मेरे लिए प्रस्ताव आया। साथ ही वे ढेर सारी जमीन और जगह भी देंगे, जिससे हमारा परिवार चल जाएगा। मैंने अपनी माँ और बहन से कहा - मेरी विधवा माँ और बहन इस शादी के लिए सिर्फ इसलिए राजी नहीं थे क्योंकि वे संपत्ति, कृषि भूमि और दहेज के लालची थे। हाँ पर घर के खर्च, बहन की कॉलेज की फीस, किताबे, नोट्स इन सब का खर्च उठाना दिन पर दिन मुस्किल होते जा रहा था। इसलीय मैंने अकेले शादी की और अपनी पत्नी को घर ले आया, बिना यह देखे कि मेरी माँ और बहन सहमत नहीं हैं। मेरी मां और बहन भी समझती थी कि मेरा यह बलिदान घर के लिए है। इसीलिए , नम आँखों से माँ और बहन, मेरे सिर पर हाथ रखा और मेरी बीमार पत्नी को स्वीकार कर लिया।

शादी के अगले दिन से ही साफ हो गया कि पत्नी का मिजाज ठीक नहीं है। व्यवहार भी बिल्कुल खराब था। मां-बहन समेत पड़ोस में कोई भी पत्नी को बिल्कुल पसंद नहीं करता था। वह अमीर घर की दुलारी राजकुमारी है, और हम सब ग्रामीण शूद्र हैं, अछूत कीड़े- यही मेरी पत्नी का विचार था। अमीर घर की बेटी होने के कारण वह मेरी मां और बहन के साथ घर के नौकरों जैसा व्यवहार करती थी। वह माँ को तो पूरी काम वाली बाई समझ कर हुकूम देती थी और बहन को बाई के जेसे हाथ पैर दबवाने , छोटे-छोटे आदेश देने, नहाने का पानी देने जैसे काम करवाती थी। दिन रात माँ बेटी को अभद्र भाषा में गालियाँ देती थी, "गरीब, गंदी, दयनीय,तुम्हारे जैसे गाँव के घर में आना मेरे जैसी कुलीन लड़की के लिए पाप है, तुमलोग भाग्यशाली हो"। मेरी मां-बहन पिछले 4 सालों से मेरी पत्नी की इन गालियों और अत्याचार को चुपचाप स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि मेरा परिवार उससे लिया हुआ दहेज की जमीन से पल रहा था।

दूसरी तरफ, मेरी शादी के बाद से मेरी पत्नी के बीमारी के चलते उसके साथ मेरे यौन संबंध लगभग ना के बराबर थे। मैं अपनी पत्नी से उसे चोदने की बात करते ही, वह बीमारी का नाम लेके निकल लेती। इसलिए महीने में एक बार आत बार से ज्यादा चोद नहीं पाता था। उसके ऊपर मेरा भैंस जैसा शरीर और लंड भी भैंस बिल्कुल 12 इंच लंबा और 5 इंच मोटा। सुहागरात को मेरी पत्नी मेरा हथौड़े जैसा लंड देखकर भड़क जाती है। जानवर, पशु, जैसे अपशब्द कहती हैं। सुहागरात को जैसे ही 12 इंच के मूसल का सिर्फ 2 इंच घुसा, वह घर घर को सर मे उठाकर चिल्लाने लगी। बाकी रात भर संभोग तो दूर, पूरी रात पत्नी की चुत की मालिश करने और कोसने मे बीत गई। सुहागरात की अगली सुबह उठकर माँ को बुलाकर कहती है - ओ सासू माँ, एक बात बताओ, आपका लड़का इंसान के वीर्य से पैदा हुआ है या आप किसी सांड का वीर्य अपने भूर मे लेके पैदा की हो। अपने बेटे को किसी दूध देने वाली गाये से शादी क्यू नहीं करवा दी। इतना मोटा, लंबा तो जानवर के अलावा कोई औरत नहीं ले पाएगी। जानवर बेटे की जानवर माँ।

पता नहीं क्यूँ उस दिन माँ की आँखों में उदासी नहीं बल्कि अभिमान दिखा। अपने बेटे की मजबूत मर्दानगी का गौरव। इसका कारण तब नहीं बल्कि बाद में समझ में आया, जो मैं सही समय में बताऊँगा। इस तरह मेरी शादीशुदा जिंदगी में मेरी बीमार, कच्ची कली जेसे मेरी पत्नी पिछले 4सालों में कभी भी घोड़े की तरह लंड का आधे से ज्यादा नहीं ले पाई। फिर भी आधा घुसते ही मुझेअपनी पत्नी का काफी गाली-गलौज और झुंझलाहट सुनना पड़ता।

सेक्स के दौरान मेरे शरीर का भार लेना तो दूर, वह किसी तरह शरीर के निचले भाग नग्न कर, मुझसे चुंबन और आलिंगन किए बिना दूर से ही चोदने के लिए कहती थी। वह न तो कभी नग्न हुई और न ही मुझे नग्न होने दी। पत्नी न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी बीमार थी, इस बात को पत्नी के शब्दों से समझा जा सकता है - केवल जानवर ही नग्न रहते हैं, सभ्य लोग नहीं! सेक्स निम्न वर्ग का काम है, परिवार बढ़ाने के अलावा सेक्स जैसी बदसूरत चीजों की कोई जरूरत नहीं है!

इतना ही नहीं इस तरह के अजीबोगरीब बाते और गाली-गलौज करती थी- काश, हाए! रे मेरी फूटी किस्मत। ऐसा आदिवासी जैसा लंड किसी स्वस्थ व्यक्ति नहीं होता है! छि जंगली, गवैया, गरीब, जंगली पति का जंगली लंड। मेरे माथे मे ही यह सब जंगली क्यूँ जुटे! बेकुफ़, असभ्य, जानवर। ये छोटे लोग जिंदगी में चुदाई के सिवा कुछ नहीं जानते!

सेक्स के दौरान मेरी पत्नी हमेशा चिल्लाती और मुझे गालियां देती थी, जिसे मेरे दो कमरे वाले गांव के घर के बगल के कमरे में मेरी मां और बहन साफ-साफ सुन सकती थी। सेक्स भी बहुत कम था, अधिकतम पांच मिनट। इसी बीच मेरी पत्नी अपने चुत का पानी छोड़कर मेरा लंड निकाल देती थी। नतीजतन, मैं बाथरूम जाता और ठंडा होने के लिए हाथ से हिलाता। कभी-कभी मैं अपनी पत्नी की चुत के अंदर न झरकर, भूल से अनजाने में उसके ऊपर या कही ओर गिराता, तो वो मुझे घृणा से, और पीटकर, कमरे से निकाल देती, और रात को ही मेरी माँ से नौकरानी जेसे चादर बदलवाती, और कमरे की सफाई करवाती और फिर सोती। और फिर लगातार 7 दिनों तक सजा के रूप में कमरे के फर्श पे सोना पड़ता मुझे।

इसलिए, भले ही मेरी शादी हो गई हो, पर मुझे ऐसी बीमार, बत्तमीज़ पत्नी से कोई पारिवारिक या यौन सुख नहीं मिला। दहेज की जमीन पर खेती करके जितना पैसे कमाता वह अपनी बहन के खर्चे पर पढ़ाई पे चले जाता। तो इस दहेज के कारण पत्नी को कुछ भी कहने हिम्मत नहीं थी। इस प्रकार, मैं, मेरी विधवा माँ, मेरी अविवाहित बहन के जीवन 4 साल अशांति, दुख मे गुजरे।

कुछ दिन पहले बहन की फाइनल डिग्री की परीक्षा हुई। पढाई मे अच्छी बहन को परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। भारत सरकार से स्वर्ण पदक जीतने के अलावा, सुदूर हुगली जिले के आरामबाग में एक सरकारी कॉलेज में टीचर की नौकरी भी मिली। उस दिन, माँ और मुझे अपनी बहन पर बहुत गर्व हुआ। इन खुशी के पलों में, मैं अपनी बहन से उसके सपनों के बारे में बात कर रहा था।

अचानक, मेरी पत्नी आई और बहन को गाली देकर बैठ गई। बस, इतना ही नहीं। वह बोली तेरे कॉलेज की तनख्वाह से ज्यादा पैसे से तो मैं अपने पिता के घर 10 नौकरानियां रखती हूँ। जा मेरे कमरे मे पोंछा लगा दे।

उस दिन मुझसे यह बात बर्दाश्त नहीं हुई। मैंने अपनी पत्नी के बाल पकड़ उसे पीटना शुरू कर दिया। मैं उसे जमीन पर पटक लात मारता रहा। कौन जाने, अगर मेरी मां और बहन ने मुझे जबरन नहीं रोका होता तो शायद मई उसकी हत्या कर ही देता। माँ दौड़ी और बगल के क्लिनिक में उसे ले गई और मेरे ससुर को घटना के बारे में सूचित किया।

अगले दिन मैंअचंभे में था। पत्नी हम जैसे 'छोटे लोगों' के साथ कभी नहीं रहेगी। मुझे तलाक देगी, मुझे, मेरी मां और बहन के साथ जेल में घसीटेगी। मेरी पत्नी के पिता मतलब मेरे ससुर अमीर थे लेकिन वह एक सज्जन व्यक्ति थे। वह सब कुछ समझ गए। वह यह भी समझ गए थे कि यह उनकी बेटी की गलती थी। उन्होंने अपनी बेटी को समझाने का प्रयास भी किया। लेकिन जिद्दी, गुस्सैल पत्नी को इनसब की जरा भी परवाह नहीं थी। उसका एक शब्द- मुझे तलाक चाइए। आखिर में और क्या किया जाए, ससुर को भी बेटी के प्यार में तलाक के लिए राजी होना पड़ा। मुझे तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर करना पड़ाऔर अपनी पत्नी को तलाक देना पड़ा।

हालांकि, ससुर ने मुझ पर एक एहसान किया - उन्होंने मुझसे शादी मे दिए दहेज के रूप में दी गई 54 बीघा जमीन अपने पास रखने को कहा। हालाँकि, नलहाटी नहीं, बल्कि उनकी दूसरी 54 बीघा जमीन 'तेलेपारा' नामक नदी के किनारे पर वकील के सामने मेरे नाम से पंजीकृत कर दी गई। उन्होंने कहा, "मैं या मेरे परिवार के कोई भी व्यक्ति दुबारा नलहाटी गांव मे नहीं दिखना चाइए। उन्होंने आगे कहा कि "एक पुराने जमाने की इमारत है जिसमें दीवारों के बीच में एक बड़ा कमरा है (एक डांस हॉल हुआ करता था), जिसमें एक बाथरूम और एक किचन है। उसे भी मेरे नाम मे लिख दी है। उन्होंने कहा, "इस नलहटी गाँव को छोड़ कर कल ही अपने परिवार के साथ उस घर में चले जाओ। फिर कभी नलहाटी मत आना।"

अंत में अपनी पुत्री के साथ जाने से पहले ससुर ने कहा- टेलपारा की जमीन सहित पूरे इलाके में वही एक घर है। उस इलाके में और कोई नहीं है। 5 मील के भीतर कोई नहीं है। जो भी है वह उपजाऊ कृषि भूमि, या नदी, या नहर है। घाट से 5 मील दूर नदी के उस पार, इलाके के दूसरी ओर, सोनपारा नामक एक गाँव है। उन्होंने मुझे एक ऑटो भी दिया जो उन्होंने घर से 5 मील दूर घाट पर जाने के लिए खरीदा था।

उन्होंने मुझे ऑटो की चाबी थमा दी और कहा - ठीक है, आखिरी शब्द सुनो। कल तुमको इस गाँव को अपनी मां और बहन के साथ छोड़ना होगा। आज रात तुम्हारी आखिरी रात है। जैसा कि तुम जानते हो, मेरी बेटी बहोत जिद्दी है, शर्त के मुताबिक तुम या तुम्हारी मां-बहन को इस गाँव मे देखा तो तुम सबको जेल में भर दूंगा। तुम मेरी पावर तो जानते ही हो। इस गांव में कोई भी तुमको फिर कभी नहीं जान पाएगा। कभी भी किसी से कोई संबंध नहीं रखना। टेलीपारा गाँव के पास सोनापारा बाजार के पास की बस्ती में भी तुमको तुम्हारी असली पहचान नहीं बतानी है। कहना - तुमने यह टेलीपारा की जमीन दूसरे जिले मे नीलामी में खरीदी है। टेलीपारा अब तुम्हर अंतिम पता है। चौधरी परिवार शर्तों का पक्का है - हमने तुम्हें जमीन दी है, बदले में तुम घर छोड़कर वनवास में जाओगे।

यह कहकर मेरे पूर्व ससुर अपनी बेटी और अपने अदमिओ को लेकर चले गए। उनकी बातों को मानने के अलावा कुछ और कोई चारा नहीं था। इसलिए, मैंने अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों को अलविदा कह दिया। इतने दिन में मेरी माँ की ग्राम सहकारी समिति के "भविष्य निधि" कोष में बहुत अच्छा पैसा जमा हो गया था। माँ ने सारे पैसे उठा लिए और डिब्बा बाँधने लगी। हम गांव के लोग हैं। कितनी समान होगा। दो-तीन सूटकेस मे सब आ गया।

अगली सुबह, भोर में, मैं अपनी माँ और बहन के साथ बीरभूम के अंत में तेलपारा नदी के लिए निकला। बहुत रो रही थी मां-बहन, कितनी यादें छोड़ जाने का दर्द मुझे अपने आपको दोषी महसूस हो रहा था। कौन जानता था कि एक गरीब परिवार की खातिर दहेज के लिए एक अमीर लड़की से शादी करना जीवन में की इतनी बड़ी गलती होगी। मैंने दिल से वादा किया था कि मैं अपनी मां और बहन को खुश कर इस तलाकशुदा जिंदगी का दुख खत्म कर दूंगा।

अंत में, नलहाटी से निकलकर, मैंने स्थानीय बस, ऑटो, फुटपाथ, नाव से 40 घंटे की यात्रा की और फिर से संघर्ष का जीवन शुरू करने के लिए, एक नया परिवार शुरू करने के इरादे से नलहाटी गांव पहुंचा।
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RE: माँ के साथ नदी किनारे घर संसार - by Love_aunty - 13-06-2021, 04:52 PM



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