11-06-2021, 02:21 PM
छठा लेवल (आखिरी)
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मैं उसके शरीर के एक एक अंग को भली भांति परख चूका था ..मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं था ..मेरी जिज्ञासा इस बात की थी कि अब वो मुझे क्या करने के लिए कहेगी। उसका पूरा शरीर मेरे होठों और उंगलियों की करामत देख चूका था। उसने अपनी नीली नशीली आँखे खोली और मुझे अपने पास खिंचा और बोली- यह लेवल बहुत नाजुक और संवेदनशील है इसलिए तुम्हे अपने हाथो और मुंह को काबू में रखना होगा...
....
वो बोली- जाओ और मेरे पेरो के पास खड़े हो जाओ और एक वफादार की तरह मेरे उस हिस्से को चूमो जिसके लिए तुम शुरू से तड़प रहे थे इसे चुमते हुए तुम्हे अपनी जिव्हा की नोक को उपर से नीचे लाते हुए अधिक से अधिक गहरई तक ले जाना है फिर अपनी दो उंगलियों से उस गहराई को धीरे धीरे नापना है और ऐसा कह उसने अपनी टांगो का हार बना कर मेरे गले में डाल दिया और अपनी आँखे आने वाले आनंद की कल्पना में बंद कर ली .. .....
इस लेवल का तो मैं मास्टर था और वो मेरी शिष्या। कुछ ही पलो में मैंने उसकी वो हालत कर दी की उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू छलकने लगे और उसकी सीत्कार की आवाज पुरे अपार्टमेंट में गूंजने लगी ....
अब शिकारी खुद शिकार हो रहा था .. मैं इस आग में जल जल कर इतना पक चूका था की वो कुछ भी कर लेती पर मेरा संयम नहीं डिगा सकती थी .......
जब उससे दर्द असहनीय हो गया .. उसने मुझे अपनी तरफ खिंचा और एक ही झटके में मेरे उस चमड़े की कैद के चीथड़े चीथड़े कर दिए और मुझे अपने ऊपर खिंच कर बोली .....
मैं अब तुम्हारी गुलाम हूँ, यह राजकुमारी तुम्हारे आगे अपने को समर्पित करती है कृपया करके मुझे जल्दी से जल्दी से इस दर्द से मुक्ति दो ...
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मैं उसके शरीर के एक एक अंग को भली भांति परख चूका था ..मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं था ..मेरी जिज्ञासा इस बात की थी कि अब वो मुझे क्या करने के लिए कहेगी। उसका पूरा शरीर मेरे होठों और उंगलियों की करामत देख चूका था। उसने अपनी नीली नशीली आँखे खोली और मुझे अपने पास खिंचा और बोली- यह लेवल बहुत नाजुक और संवेदनशील है इसलिए तुम्हे अपने हाथो और मुंह को काबू में रखना होगा...
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वो बोली- जाओ और मेरे पेरो के पास खड़े हो जाओ और एक वफादार की तरह मेरे उस हिस्से को चूमो जिसके लिए तुम शुरू से तड़प रहे थे इसे चुमते हुए तुम्हे अपनी जिव्हा की नोक को उपर से नीचे लाते हुए अधिक से अधिक गहरई तक ले जाना है फिर अपनी दो उंगलियों से उस गहराई को धीरे धीरे नापना है और ऐसा कह उसने अपनी टांगो का हार बना कर मेरे गले में डाल दिया और अपनी आँखे आने वाले आनंद की कल्पना में बंद कर ली .. .....
इस लेवल का तो मैं मास्टर था और वो मेरी शिष्या। कुछ ही पलो में मैंने उसकी वो हालत कर दी की उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू छलकने लगे और उसकी सीत्कार की आवाज पुरे अपार्टमेंट में गूंजने लगी ....
अब शिकारी खुद शिकार हो रहा था .. मैं इस आग में जल जल कर इतना पक चूका था की वो कुछ भी कर लेती पर मेरा संयम नहीं डिगा सकती थी .......
जब उससे दर्द असहनीय हो गया .. उसने मुझे अपनी तरफ खिंचा और एक ही झटके में मेरे उस चमड़े की कैद के चीथड़े चीथड़े कर दिए और मुझे अपने ऊपर खिंच कर बोली .....
मैं अब तुम्हारी गुलाम हूँ, यह राजकुमारी तुम्हारे आगे अपने को समर्पित करती है कृपया करके मुझे जल्दी से जल्दी से इस दर्द से मुक्ति दो ...
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