11-06-2021, 01:27 PM
पहला लेवल
………………
मैं गया और झट उस कटोरी को उठा लाया उसमे कोई खुशबूदार तेल था जिसकी खुशबु में एक अजीब सा नशा था। उसने आँखे मूंदे मूंदे कहा- तुम मेरे सर को अपनी गोद में रखो फिर तुम अपनी उंगलियों को तेल में डूबो लो और धीर धीर मेरे सर की मालिश करो। मैंने वैसा ही करना शुरू कर दिया .. मैं धीर धीरे उसके सर की मालिश करने लगा , थोड़ी देर बाद वोह बोली- अब तुम मेरे सर में अपनी उँगलियाँ ऐसे फिराओगे जैसे तुम अपनी उंगलियों से किसी को कंघी कर रहे हो! यह सब धीर धीर और बड़े इत्मिनान से करो ..
मैंने उससे पुछा- मुझे कैसे पता लगेगा की मेरा पहला लेवल (बाधा ) पार हो गया है ?..
उसने धीरे से कहा- जब मैं मंद मंद मुस्कुराने लगूँ, तो तुम समझ जाना की तुम्हारा वो लेवल सफलतापूर्वक पार हो गया है और जब तक मैं न मुस्कुराऊ तुम अपने प्रयास को जारी रखोगे ..अगर तुम्हे यह उबाऊ और तकलीफ वाला लगे तो तुम उसी वक़्त मेरे अपार्टमेंट से उसी हालत में चले जाओगे। यह बड़ा उबाऊ और झल्लाने वाला काम था पर …
जन्नत की चाहत में जहनुम जाने को तो हर मर्द तैयार हो जाता है और मुझ जैसा तो जहनुम की आग में जिन्दा जलने को तैयार था........
जब यह करना ही था तो रोते हुए क्यों करू, क्यों ना इसमें मजा लूँ! यह सोच कर मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले आया!..उसकी गर्म गर्म साँसे मेरी सांसो से टकरा कर मुझे और मजबूर करने लगी। आज मुझे समझ आ रहा था कि कैद का मतलब क्या होता है और कैसे कैदी को मनोविज्ञानिक तरीके से भी प्रताड़ित किया जा सकता है ...... पर यह कैद तो मेने खुद आपनी मर्जी से और जोश में चुनी थी........मैंने धीर धीर उसके सर पे उँगलियाँ फेरते हुए अपने होंठों को उसके होंठों के करीब ले आया और उन्हें चूमने के किये जैसे ही झुका उसकी ऊँगली ना जाने कैसे ,मेरे जैसे प्यासे मुसाफिर के रास्ते की दीवार बन कर खड़ी हो गयी ..उसने धीरे से कहा - फिर यह गलती दुबारा ना करना…..वर्ना तुम्हे यहां से जाना पड़ेगा |
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मैं गया और झट उस कटोरी को उठा लाया उसमे कोई खुशबूदार तेल था जिसकी खुशबु में एक अजीब सा नशा था। उसने आँखे मूंदे मूंदे कहा- तुम मेरे सर को अपनी गोद में रखो फिर तुम अपनी उंगलियों को तेल में डूबो लो और धीर धीर मेरे सर की मालिश करो। मैंने वैसा ही करना शुरू कर दिया .. मैं धीर धीरे उसके सर की मालिश करने लगा , थोड़ी देर बाद वोह बोली- अब तुम मेरे सर में अपनी उँगलियाँ ऐसे फिराओगे जैसे तुम अपनी उंगलियों से किसी को कंघी कर रहे हो! यह सब धीर धीर और बड़े इत्मिनान से करो ..
मैंने उससे पुछा- मुझे कैसे पता लगेगा की मेरा पहला लेवल (बाधा ) पार हो गया है ?..
उसने धीरे से कहा- जब मैं मंद मंद मुस्कुराने लगूँ, तो तुम समझ जाना की तुम्हारा वो लेवल सफलतापूर्वक पार हो गया है और जब तक मैं न मुस्कुराऊ तुम अपने प्रयास को जारी रखोगे ..अगर तुम्हे यह उबाऊ और तकलीफ वाला लगे तो तुम उसी वक़्त मेरे अपार्टमेंट से उसी हालत में चले जाओगे। यह बड़ा उबाऊ और झल्लाने वाला काम था पर …
जन्नत की चाहत में जहनुम जाने को तो हर मर्द तैयार हो जाता है और मुझ जैसा तो जहनुम की आग में जिन्दा जलने को तैयार था........
जब यह करना ही था तो रोते हुए क्यों करू, क्यों ना इसमें मजा लूँ! यह सोच कर मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले आया!..उसकी गर्म गर्म साँसे मेरी सांसो से टकरा कर मुझे और मजबूर करने लगी। आज मुझे समझ आ रहा था कि कैद का मतलब क्या होता है और कैसे कैदी को मनोविज्ञानिक तरीके से भी प्रताड़ित किया जा सकता है ...... पर यह कैद तो मेने खुद आपनी मर्जी से और जोश में चुनी थी........मैंने धीर धीर उसके सर पे उँगलियाँ फेरते हुए अपने होंठों को उसके होंठों के करीब ले आया और उन्हें चूमने के किये जैसे ही झुका उसकी ऊँगली ना जाने कैसे ,मेरे जैसे प्यासे मुसाफिर के रास्ते की दीवार बन कर खड़ी हो गयी ..उसने धीरे से कहा - फिर यह गलती दुबारा ना करना…..वर्ना तुम्हे यहां से जाना पड़ेगा |