11-06-2021, 12:31 PM
"प्रिंसेस ऑफ़ पर्सिया " के सारे लेवल पार किये है। वो बोली- पहले अपने दोनों हाथ जोड़ कर खड़े हो जाओ , ऐसा लगे जैसे तुम किसी को नमस्कार कर रहे हो।
मैंने झट से उसकी आज्ञा का पालन किया और अपने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया ..
वो बोली अपने जुड़े हुए हाथो को अपने सामने लाकर देखो ..तुम्हे कुछ दिखाई दिया? दोनो जुड़े हाथो को सामने करके देखा तो मुझे कुछ समझ ना आया .. उसने अपनी नीली नीली नशीली आँखे खोली ..जिनमे मदहोशी और शरारत छलक रही थी उनकी मदहोशी माहौल को और रंगीन बनाने लगी, अब मेरा अंडरवियर मुझे फिर से सताने लगा ..
वो बोली- गौर से देखो तो तुम्हे अपने जुड़े हाथ स्त्री के किसी विशेष अंग की याद दिलाते है या नहीं। उसकी बात का मतलब समझ मैंने ध्यान से देखा तो लगा कुछ कुछ मिलता जुलता सा तो है पर कुछ क्लियर सा नहीं लगा ..उसने मेरी मंशा समझ अपनी चादर को एक झटके से अपने शरीर से हटा दिया और बोली- मेरे पैरों के पास खड़े होकर अब दोनों की तुलना करो ..
यह जालिम कातिल अप्सरा कैसा अजीब इम्तिहान ले रही थी की मुझसे न हँसते बनता था न रोते। मैंने आज से पहले ना जाने कितनी बार नमस्कार किया था पर इस तरह का दृश्य भी सोचा जा सकता है ..मेरे जैसे खिलाड़ी ने भी उसकी कल्पना आज से पहले तक नहीं की थी ...
मैंने उसकी उस निर्दोष सुन्दरता का जी भर कर दृश्यपान किया! अपने नयनो की जन्म जन्मान्तर की प्यास बुझायी और अपने खोलते लावे को और जलने दिया।
वो बोली- स्त्री का शरीर इसी तरह से दो भागो के जुड़ने से बना है ..जिस तरह दो हाथ जुड़ते है और एक आकार बनता है वैसे ही स्त्री दोनों भागो के मिलने से अपने विशेष आकर (योनि )को प्राप्त करती है ..स्त्री के यह दो भाग उसके शरीर के दो हिस्से है जिनमे ऊपर का एक हिस्सा सर से शुरू होकर योनि पर ख़त्म होता है और दूसरा हिस्सा योनि से शुरू होकर पैर तक जाता है ...
मैंने झट से उसकी आज्ञा का पालन किया और अपने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया ..
वो बोली अपने जुड़े हुए हाथो को अपने सामने लाकर देखो ..तुम्हे कुछ दिखाई दिया? दोनो जुड़े हाथो को सामने करके देखा तो मुझे कुछ समझ ना आया .. उसने अपनी नीली नीली नशीली आँखे खोली ..जिनमे मदहोशी और शरारत छलक रही थी उनकी मदहोशी माहौल को और रंगीन बनाने लगी, अब मेरा अंडरवियर मुझे फिर से सताने लगा ..
वो बोली- गौर से देखो तो तुम्हे अपने जुड़े हाथ स्त्री के किसी विशेष अंग की याद दिलाते है या नहीं। उसकी बात का मतलब समझ मैंने ध्यान से देखा तो लगा कुछ कुछ मिलता जुलता सा तो है पर कुछ क्लियर सा नहीं लगा ..उसने मेरी मंशा समझ अपनी चादर को एक झटके से अपने शरीर से हटा दिया और बोली- मेरे पैरों के पास खड़े होकर अब दोनों की तुलना करो ..
यह जालिम कातिल अप्सरा कैसा अजीब इम्तिहान ले रही थी की मुझसे न हँसते बनता था न रोते। मैंने आज से पहले ना जाने कितनी बार नमस्कार किया था पर इस तरह का दृश्य भी सोचा जा सकता है ..मेरे जैसे खिलाड़ी ने भी उसकी कल्पना आज से पहले तक नहीं की थी ...
मैंने उसकी उस निर्दोष सुन्दरता का जी भर कर दृश्यपान किया! अपने नयनो की जन्म जन्मान्तर की प्यास बुझायी और अपने खोलते लावे को और जलने दिया।
वो बोली- स्त्री का शरीर इसी तरह से दो भागो के जुड़ने से बना है ..जिस तरह दो हाथ जुड़ते है और एक आकार बनता है वैसे ही स्त्री दोनों भागो के मिलने से अपने विशेष आकर (योनि )को प्राप्त करती है ..स्त्री के यह दो भाग उसके शरीर के दो हिस्से है जिनमे ऊपर का एक हिस्सा सर से शुरू होकर योनि पर ख़त्म होता है और दूसरा हिस्सा योनि से शुरू होकर पैर तक जाता है ...