06-06-2021, 03:36 PM
(This post was last modified: 06-06-2021, 11:49 PM by babasandy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कुछ देर मेरी दीदी के होठों का रसपान करने के बाद ढोलू ने मेरे रूपाली दीदी की बड़ी-बड़ी चुचियों को एक बार फिर अपने मजबूत कठोर हाथों में दबोच के उन्हें भूखी निगाहों से देखने लगा.... दीदी के दोनों लाल लाल निपल्स जो बिल्कुल खड़े हो चुके थे उन पर दूध की बूंदे भी साफ साफ दिखाई दे रही थी मुझे .... जिन्हें देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था .. उसकी लार टपक रही थी... ढोलू ने मेरी बहन के दोनों पर्वतों को पंप करना शुरू कर दिया... उनको मसलते हुए ... मेरी रूपाली दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से ढोलू का चेहरा गीला होने लगा.... गरम गरम दूध की बौछार देख ढोलू से रहा नहीं गया... उसने मेरी दीदी के निप्पल को मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.... उसने मेरी दीदी के निप्पल पर अपने दांत गड़ा दिए.....
दर्द से बिल-बिला उठी मेरी रूपाली दीदी...
आययईीीई…माआ… दीदी की कामुक आवाज से पूरा घर गूंजने लगा.
उनकी दर्द भरी सिसकियां ढोलू को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी.. वह मेरी बहन की दूसरी चूची को जोर जोर से मसलने लगा..
एक हवस में पागल जानवर जाग चुका था ढोलू के अंदर..वह कभी मेरी रूपाली दीदी की बाई चूची को मुंह में लेकर दूध पीता तो कभी दाएं चूची को.... साथ ही साथ वह मेरी दीदी की चूचियों पर अपने दांतो का मुहर भी लगा रहा था.. दांत काट काट के उसने मेरी दीदी को बेहाल कर दिया... मेरी दीदी पीड़ा में थी..मेरी दीदी के मुंह से कामुक चीत्कार निकल रही थी.... सच बताऊं दोस्तों मेरी बहन भी अपने होशो हवास गवां चुकी थी.
.ओह्ह… माँ ऽऽ, अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकलने लगी थी..
ढोलू काफी देर तक मेरी बहन की दोनों चूचियों से दूध निचोड़े निचोड़ कर पीता रहा.. जब तक मेरी बहन की दोनों दूध की टंकियां सूखने नहीं लगी.. मानना पड़ेगा दोस्तों वह मेरी रुपाली दीदी के दूध का एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दे रहा था... एक एक बूंद चाट चाट के पी लिया उसने..
फिर उसका एक हाथ मेरी रूपाली दीदी के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ मेरी दीदी की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा.. मेरी रुपाली दीदी की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को ढोलू का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे वर्जित इलाके में पंहुच गया .. उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी ...मेरी रुपाली दीदी कसकर सिसक उठी.. तड़पने लगी जल बिन मछली की तरह.. हवस की अग्नि में.
मानना पड़ेगा बहन चोद... तेरी बहन से बढ़कर इस दुनिया में और कोई चीज नहीं... सच बोलते हैं गांव वाले तेरी बहन के बारे में.. इसके दुधारू चुचियों से दूध पीने और इसकी टाइट चूत चोदने से बढ़कर नशा दुनिया की और किसी भी चीज में नहीं है.. आज मैं तेरी बहन को अपने लोड़े से असली जन्नत दिखाऊंगा... देखना आज तेरी बहन खुश होकर जाएगी... ढोलू मेरी तरफ देख कर ही बोल रहा था... मैं उससे अपनी नजर नहीं मिला पा रहा था..
उसने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में भर लिया और फिर से दूध पीने लगा..
ऐसा क्यों बोल रहे हो मेरे भाई को.. कुछ मत बोलो मेरे भाई को.. जो कुछ करना है मेरे साथ कर तो रहे हो ना.. बड़ी ही कामुक अदा के साथ मेरी रूपाली दीदी ने ढोलू की छाती पर मुक्का मारते हुए कहा..
ढोलू मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्काया और वह मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को रगड़ने लगा था ..मेरी दीदी के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था..चूतदाने पर ढोलू की उंगलियों का स्पर्श पाते ही मेरी दीदी के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई.
चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया.. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था .. ढोलू ने मेरी दीदी के तन बदनमें आग लगा दी .. उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए ..उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है .
मेरी रूपाली दीदी - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ..."म्म्म्मम, "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. मम्मी.. प्लीज ढोलू.
मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से मादक कराहे सुन ढोलू का जोश भी बढ़ गया था .. वह मेरी बहन के एक चूची को पकड़कर दूध पी रहा था अब उसका दूसरा हाथ नीचे मेरी बहन की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था.. मेरी दीदी अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी ..मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी पीठ अपने हाथ ढोलू की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी . ढोलू की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह मेरी दीदी के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी .. ढोलू की उंगलियों के जादू ने तो जैसे मेरी दीदी को मदहोश कर दिया ...एक तरफ ढोलू मेरी बहन की चूची से सारा दूध निचोड़ कर पीना चाहता था दूसरी तरफ उसकी उंगलियों ने मेरी बहन की फुलझड़ी में आग लगा रखी थी...
ढोलू अपने दांतो और अपनी जुबान से पूरी शिद्दत से मेरी रूपाली दीदी की की उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगा हुआ था.. मेरी बहन की चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी ... मेरी रूपाली दीदी की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह मम्मी... कर रही थी..
ढोलू ने मेरी दुधारू रूपाली दीदी की दोनों बड़ी बड़ी दूध की टंकियों को चूस चूस कर पूरा खाली कर दिया.. सारा रस निचोड़ लिया उसने... सूखने लगी थी मेरी बहन की चूचियां... अब उसने मेरी रूपाली दीदी के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे मेरी बहन की गुलाबी चूत के इलाके पर अपना ध्यान केंद्रित किया...
ढोलू खुद को नीचे करता हुआ मेरी रूपाली दीदी की जांघो के बीच जाकर बैठ गया ... उसने अपना सर मेरी दीदी की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया .. उसके ओंठ मेरी बहन की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये .. उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी ..
मेरी रूपाली दीदी : आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ.. प्लीज ढोलू..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् नहीं...आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी...
ढोलू ने आग लगा दी थी मेरी बहन की फुलझड़ी में... अपनी जुबान से..
ढोलू ने मेरी बहन की चूत पर अपने होंठ रख दिए और मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो मेरी बहन की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है ..उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी .. मेरी बहन के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने मेरी रूपाली दीदी को मदहोश कर दिया .. मेरी दीदी तो ढोलू की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी.. आज तक किसी ने भी मेरी रूपाली दीदी के साथ इस तरह से प्यार नहीं किया था...
मेरी रूपाली दीदी जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो ढोलू मै मर जाउंगी ....
मेरी दीदी - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय मां..
ढोलू किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधर मेरी बहन की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा ..उसकी गीली जीभ मेरी बहन की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही .. ढोलू के कानो तक मेरी रूपाली दीदी की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी .. और मैं भी चुप चाप सब कुछ देख और सुन रहा था.. मेरी बहन फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती मेरी तरफ देख रही थी क्योंकि मुन्नी जाग गई थी और रोने लगी थी.. मुन्नी भी अपनी मम्मी की हालत देखकर सहम गई और चुप हो गई... मेरा दिल बैठने लगा था.. मुझे अपने आप से नफरत होने लगी थी... कैसा भाई हूं मैं.. एक भाई का कर्तव्य होता है कि वह अपनी बहन की हर हालत में रक्षा करें.. और मैं खुद ही अपनी बहन को लेकर आया था एक गुंडे के पास.. जो मेरी बहन की इज्जत लूट रहा था मेरी आंखों के सामने... और मैं अपनी बहन की बेटी को यानी कि अपनी भांजी को गोद में लिय कार्यक्रम चुपचाप देख रहा था.. और इंतजार कर रहा था कि कब यह सब कुछ खत्म होगा और हम अपने घर जा सकेंगे... पर मुझे अंदाजा हो चुका था कि यह खेल अब इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है... ढोलू मेरी बहन को ढोल की तरह बजाएगा और खूब बजाएगा.. मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था..
मेरी रूपाली दीदी- आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो ढोलू...अब बस मुझे चोद दो, चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना लंड...आह , उई ई मां...
ढोलू मेरी बहन की बात सुना ही नहीं जैसे.. वह अपने काम में लगा रहा.. वैसे भी उसे परवाह नहीं थी.. वह तो अपनी मर्जी से मेरी बहन का मजा लेना चाहता था...
दर्द से बिल-बिला उठी मेरी रूपाली दीदी...
आययईीीई…माआ… दीदी की कामुक आवाज से पूरा घर गूंजने लगा.
उनकी दर्द भरी सिसकियां ढोलू को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी.. वह मेरी बहन की दूसरी चूची को जोर जोर से मसलने लगा..
एक हवस में पागल जानवर जाग चुका था ढोलू के अंदर..वह कभी मेरी रूपाली दीदी की बाई चूची को मुंह में लेकर दूध पीता तो कभी दाएं चूची को.... साथ ही साथ वह मेरी दीदी की चूचियों पर अपने दांतो का मुहर भी लगा रहा था.. दांत काट काट के उसने मेरी दीदी को बेहाल कर दिया... मेरी दीदी पीड़ा में थी..मेरी दीदी के मुंह से कामुक चीत्कार निकल रही थी.... सच बताऊं दोस्तों मेरी बहन भी अपने होशो हवास गवां चुकी थी.
.ओह्ह… माँ ऽऽ, अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकलने लगी थी..
ढोलू काफी देर तक मेरी बहन की दोनों चूचियों से दूध निचोड़े निचोड़ कर पीता रहा.. जब तक मेरी बहन की दोनों दूध की टंकियां सूखने नहीं लगी.. मानना पड़ेगा दोस्तों वह मेरी रुपाली दीदी के दूध का एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दे रहा था... एक एक बूंद चाट चाट के पी लिया उसने..
फिर उसका एक हाथ मेरी रूपाली दीदी के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ मेरी दीदी की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा.. मेरी रुपाली दीदी की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को ढोलू का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे वर्जित इलाके में पंहुच गया .. उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी ...मेरी रुपाली दीदी कसकर सिसक उठी.. तड़पने लगी जल बिन मछली की तरह.. हवस की अग्नि में.
मानना पड़ेगा बहन चोद... तेरी बहन से बढ़कर इस दुनिया में और कोई चीज नहीं... सच बोलते हैं गांव वाले तेरी बहन के बारे में.. इसके दुधारू चुचियों से दूध पीने और इसकी टाइट चूत चोदने से बढ़कर नशा दुनिया की और किसी भी चीज में नहीं है.. आज मैं तेरी बहन को अपने लोड़े से असली जन्नत दिखाऊंगा... देखना आज तेरी बहन खुश होकर जाएगी... ढोलू मेरी तरफ देख कर ही बोल रहा था... मैं उससे अपनी नजर नहीं मिला पा रहा था..
उसने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में भर लिया और फिर से दूध पीने लगा..
ऐसा क्यों बोल रहे हो मेरे भाई को.. कुछ मत बोलो मेरे भाई को.. जो कुछ करना है मेरे साथ कर तो रहे हो ना.. बड़ी ही कामुक अदा के साथ मेरी रूपाली दीदी ने ढोलू की छाती पर मुक्का मारते हुए कहा..
ढोलू मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्काया और वह मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को रगड़ने लगा था ..मेरी दीदी के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था..चूतदाने पर ढोलू की उंगलियों का स्पर्श पाते ही मेरी दीदी के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई.
चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया.. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था .. ढोलू ने मेरी दीदी के तन बदनमें आग लगा दी .. उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए ..उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है .
मेरी रूपाली दीदी - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ..."म्म्म्मम, "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. मम्मी.. प्लीज ढोलू.
मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से मादक कराहे सुन ढोलू का जोश भी बढ़ गया था .. वह मेरी बहन के एक चूची को पकड़कर दूध पी रहा था अब उसका दूसरा हाथ नीचे मेरी बहन की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था.. मेरी दीदी अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी ..मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी पीठ अपने हाथ ढोलू की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी . ढोलू की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह मेरी दीदी के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी .. ढोलू की उंगलियों के जादू ने तो जैसे मेरी दीदी को मदहोश कर दिया ...एक तरफ ढोलू मेरी बहन की चूची से सारा दूध निचोड़ कर पीना चाहता था दूसरी तरफ उसकी उंगलियों ने मेरी बहन की फुलझड़ी में आग लगा रखी थी...
ढोलू अपने दांतो और अपनी जुबान से पूरी शिद्दत से मेरी रूपाली दीदी की की उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगा हुआ था.. मेरी बहन की चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी ... मेरी रूपाली दीदी की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह मम्मी... कर रही थी..
ढोलू ने मेरी दुधारू रूपाली दीदी की दोनों बड़ी बड़ी दूध की टंकियों को चूस चूस कर पूरा खाली कर दिया.. सारा रस निचोड़ लिया उसने... सूखने लगी थी मेरी बहन की चूचियां... अब उसने मेरी रूपाली दीदी के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे मेरी बहन की गुलाबी चूत के इलाके पर अपना ध्यान केंद्रित किया...
ढोलू खुद को नीचे करता हुआ मेरी रूपाली दीदी की जांघो के बीच जाकर बैठ गया ... उसने अपना सर मेरी दीदी की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया .. उसके ओंठ मेरी बहन की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये .. उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी ..
मेरी रूपाली दीदी : आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ.. प्लीज ढोलू..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् नहीं...आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी...
ढोलू ने आग लगा दी थी मेरी बहन की फुलझड़ी में... अपनी जुबान से..
ढोलू ने मेरी बहन की चूत पर अपने होंठ रख दिए और मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो मेरी बहन की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है ..उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी .. मेरी बहन के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने मेरी रूपाली दीदी को मदहोश कर दिया .. मेरी दीदी तो ढोलू की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी.. आज तक किसी ने भी मेरी रूपाली दीदी के साथ इस तरह से प्यार नहीं किया था...
मेरी रूपाली दीदी जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो ढोलू मै मर जाउंगी ....
मेरी दीदी - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय मां..
ढोलू किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधर मेरी बहन की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा ..उसकी गीली जीभ मेरी बहन की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही .. ढोलू के कानो तक मेरी रूपाली दीदी की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी .. और मैं भी चुप चाप सब कुछ देख और सुन रहा था.. मेरी बहन फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती मेरी तरफ देख रही थी क्योंकि मुन्नी जाग गई थी और रोने लगी थी.. मुन्नी भी अपनी मम्मी की हालत देखकर सहम गई और चुप हो गई... मेरा दिल बैठने लगा था.. मुझे अपने आप से नफरत होने लगी थी... कैसा भाई हूं मैं.. एक भाई का कर्तव्य होता है कि वह अपनी बहन की हर हालत में रक्षा करें.. और मैं खुद ही अपनी बहन को लेकर आया था एक गुंडे के पास.. जो मेरी बहन की इज्जत लूट रहा था मेरी आंखों के सामने... और मैं अपनी बहन की बेटी को यानी कि अपनी भांजी को गोद में लिय कार्यक्रम चुपचाप देख रहा था.. और इंतजार कर रहा था कि कब यह सब कुछ खत्म होगा और हम अपने घर जा सकेंगे... पर मुझे अंदाजा हो चुका था कि यह खेल अब इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है... ढोलू मेरी बहन को ढोल की तरह बजाएगा और खूब बजाएगा.. मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था..
मेरी रूपाली दीदी- आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो ढोलू...अब बस मुझे चोद दो, चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना लंड...आह , उई ई मां...
ढोलू मेरी बहन की बात सुना ही नहीं जैसे.. वह अपने काम में लगा रहा.. वैसे भी उसे परवाह नहीं थी.. वह तो अपनी मर्जी से मेरी बहन का मजा लेना चाहता था...