05-06-2021, 06:56 PM
(This post was last modified: 06-06-2021, 02:32 PM by babasandy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरी रूपाली दीदी और ढोलू दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे ..ढोलू के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था ..बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं ..अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, मेरी बहन के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान .. उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान ..मेरी बहन की गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान.. मेरी बहन की इज्जत लूटने के अरमान..
अब जब उसने मेरी रुपाली दीदी के साथ के यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे मेरी बहन को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी .. मेरे और मेरी रूपाली दीदी के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में मेरी दीदी को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था ..
ढोलू अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा ..इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी ..उसका बदन मेरी रूपाली दीदी के जिस्म से सटा हुआ था .. धीरे धीरे मेरी दीदी के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और मेरी रूपाली दीदी को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और मेरी दीदी की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही ढोलू का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था .. मुझे देखकर हैरानी होने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी तो अपने ख्यालों में खोई हुई थी..
ढोलू भैया... प्लीज बहुत देर हो रही है.. हमें घर जाने दो... मम्मी घर पर इंतजार कर रही होगी.. डरते डरते मैंने कहा..
अभी नहीं बहन चोद... अभी तो मैं तेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाऊंगा.. तेरी बहन को जन्नत दिखाऊंगा आज..साले तेरी दीदी की चुत का भोसड़ा बनाऊंगा .. तू चुपचाप देख और मजे ले.... ज्यादा नाटक किया तो तेरी भी गांड मार लूंगा.... शर्म से मेरी नजरें झुक गई फिर से.... मेरी रूपाली दीदी भी शरमा गई उसकी गंदी बातें सुनकर..
वह मेरी बहन की चोली की गांठ पीछे से खोलने लगा... कुछ ही देर में मेरी बहन की चोली जमीन पर पड़ी हुई थी.. फिर ब्रा की बारी आई.. फिर पेटीकोट और अंत में उनकी पैंटी... उसने मेरी दीदी को बिल्कुल नंगा कर दिया.. मांग में सिंदूर गले में मंगलसूत्र... हाथों में चूड़ियां. पायल कंगन और झुमके.. परंतु शरीर पर वस्त्र के नाम पर एक रेशा भी नहीं बचा था.
मेरी रूपाली दीदी को मेरे सामने नंगी होते हुए कुछ खास शर्म नहीं आ रही थी.. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में ऐसा कई बार हो चुका था.
परंतु मैं तो बेहद लज्जित महसूस कर रहा था.. उसने फिर से मेरी दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा.
मेरी रूपाली दीदी ने जब ढोलू का तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी ...
मेरी रूपाली दीदी के जादुई स्पर्श से ढोलू के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा..
मेरी रूपाली दीदी ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था मेरी दीदी ने अपने ओंठो को ढोलू के ओंठो पर रख दिया ..ढोलू भी मेरी दीदी को कस कर चूमने लगा था . दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए ..एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा ..ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब मेरी दीदी की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था .
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस के चूम रहे थे मेरी बहन की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि ढोलू के हाथ मेरी बहन के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह मेरी बहन के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा.
मेरी रूपाली दीदी के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज ढोलू की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे ..दो जिस्मो की इस कशमकश में मेरी दीदी के अरमान और ढोलू की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी .. दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे ..मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से ढोलू के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे ..मेरी बहन हवस की आग में जल रही थी.. तड़प रही थी मचल रही थी... और मैं चुपचाप सब कुछ देख रहा था...
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे..
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी के बदन की गर्मी बढने लगी थी ..दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी.
ढोलू का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था ..उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था .. उसका लंड बिल्कुल मेरी दीदी की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था.
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी..
उसके बाद मेरी रुपाली दीदी ढोलू से अलग हो गई और वह जाकर के ढोलू के लंड के पास बैठ गई ढोलू के लंड को चूमने लगी.. उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को मेरी दीदी ने चाट लिया और गटक गयी लेकिन मेरी रुपाली दीदी के साथ साथ ढोलू भी सीधा हुआ और उसने मेरी बहन को नीचे फर्श पर पटक दिया बिल्कुल मेरे पैरों के पास, और मेरी बहन पर सवार हो गया. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी की फुटबॉल जैसी दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था .. वह मेरी बहन की नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था...
अब जब उसने मेरी रुपाली दीदी के साथ के यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे मेरी बहन को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी .. मेरे और मेरी रूपाली दीदी के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में मेरी दीदी को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था ..
ढोलू अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा ..इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी ..उसका बदन मेरी रूपाली दीदी के जिस्म से सटा हुआ था .. धीरे धीरे मेरी दीदी के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और मेरी रूपाली दीदी को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और मेरी दीदी की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही ढोलू का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था .. मुझे देखकर हैरानी होने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी तो अपने ख्यालों में खोई हुई थी..
ढोलू भैया... प्लीज बहुत देर हो रही है.. हमें घर जाने दो... मम्मी घर पर इंतजार कर रही होगी.. डरते डरते मैंने कहा..
अभी नहीं बहन चोद... अभी तो मैं तेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाऊंगा.. तेरी बहन को जन्नत दिखाऊंगा आज..साले तेरी दीदी की चुत का भोसड़ा बनाऊंगा .. तू चुपचाप देख और मजे ले.... ज्यादा नाटक किया तो तेरी भी गांड मार लूंगा.... शर्म से मेरी नजरें झुक गई फिर से.... मेरी रूपाली दीदी भी शरमा गई उसकी गंदी बातें सुनकर..
वह मेरी बहन की चोली की गांठ पीछे से खोलने लगा... कुछ ही देर में मेरी बहन की चोली जमीन पर पड़ी हुई थी.. फिर ब्रा की बारी आई.. फिर पेटीकोट और अंत में उनकी पैंटी... उसने मेरी दीदी को बिल्कुल नंगा कर दिया.. मांग में सिंदूर गले में मंगलसूत्र... हाथों में चूड़ियां. पायल कंगन और झुमके.. परंतु शरीर पर वस्त्र के नाम पर एक रेशा भी नहीं बचा था.
मेरी रूपाली दीदी को मेरे सामने नंगी होते हुए कुछ खास शर्म नहीं आ रही थी.. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में ऐसा कई बार हो चुका था.
परंतु मैं तो बेहद लज्जित महसूस कर रहा था.. उसने फिर से मेरी दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा.
मेरी रूपाली दीदी ने जब ढोलू का तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी ...
मेरी रूपाली दीदी के जादुई स्पर्श से ढोलू के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा..
मेरी रूपाली दीदी ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था मेरी दीदी ने अपने ओंठो को ढोलू के ओंठो पर रख दिया ..ढोलू भी मेरी दीदी को कस कर चूमने लगा था . दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए ..एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा ..ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब मेरी दीदी की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था .
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस के चूम रहे थे मेरी बहन की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि ढोलू के हाथ मेरी बहन के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह मेरी बहन के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा.
मेरी रूपाली दीदी के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज ढोलू की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे ..दो जिस्मो की इस कशमकश में मेरी दीदी के अरमान और ढोलू की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी .. दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे ..मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से ढोलू के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे ..मेरी बहन हवस की आग में जल रही थी.. तड़प रही थी मचल रही थी... और मैं चुपचाप सब कुछ देख रहा था...
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे..
ढोलू और मेरी रूपाली दीदी के बदन की गर्मी बढने लगी थी ..दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी.
ढोलू का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था ..उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था .. उसका लंड बिल्कुल मेरी दीदी की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था.
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी..
उसके बाद मेरी रुपाली दीदी ढोलू से अलग हो गई और वह जाकर के ढोलू के लंड के पास बैठ गई ढोलू के लंड को चूमने लगी.. उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को मेरी दीदी ने चाट लिया और गटक गयी लेकिन मेरी रुपाली दीदी के साथ साथ ढोलू भी सीधा हुआ और उसने मेरी बहन को नीचे फर्श पर पटक दिया बिल्कुल मेरे पैरों के पास, और मेरी बहन पर सवार हो गया. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी की फुटबॉल जैसी दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था .. वह मेरी बहन की नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था...