11-04-2019, 12:00 AM
आज सब होटल शिफ्ट हो रहे थे। आज से कई सारे मेहमान आने लगे थे और शादी की सारी रस्मे होटल से होनी थी। सब लोग अपने काम में व्यस्त थे और होटल में सारा सामान भेजा जा रहा था। पूनम भी पूरी व्यस्त थी। वो ज्योति के कमरे में कुछ सामान लेने गयी तो एक लड़का वहाँ पे खड़ा था। अचानक से उसे देखकर पूनम ठिठक गयी।
ज्योति मुस्कुराती हुई सामने आयी और बोली "आ पुन्नु, तेरा ही इंतज़ार कर रही थी। इनसे मिल। ये तेरे जीजू हैं।" पूनम ठिठक कर रह गयी। उसके दिमाग में ज्योति की रात की बात याद आ गयी की 'यही हैं असली जीजू। यही है वो लड़का जिसके साथ ज्योति रात में छत पे नंगी होकर चुदवा रही थी। जिसके साथ शादी होनेवाली है वो बस नाम का ही जीजू है।'
पूनम उसी तरह खड़ी थी की वो लड़का पूनम के सामने आया और हाथ आगे बढ़ा दिया। पूनम का हाथ अपने आप आगे बढ़ गया। वो लड़का पूनम से हाथ मिलाता हुआ बोला "हेल्लो साली जी। आई एम बंटी।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसका दिमाग अभी भी वही अटका हुआ था कि यही लड़का रात में ज्योति को चोद रहा था। जिस लड़की की कल शादी है उसे। बंटी आगे बोला "रात में मैं छत पे आपका इंतज़ार कर रहा था, आप आई ही नहीं।"
पूनम शर्मा गयी की उसके कहने का क्या मतलब है। बंटी ने पूनम का हाथ ऊपर किया और चूमते हुए बोला "आप बहुत खूबसूरत हो।" पूनम का बदन सिहर उठा। ज्योति हँसती हुई आगे आयी "क्यों परेशान कर रहे हो मेरी बहन को।" बंटी बोला "बहुत मसालेदार बहन है तुम्हारी।" पूनम को बहुत शर्म आ रही थी और शर्म की वजह वो थी जो ज्योति उसे रात में बताई थी की बंटी उससे क्या चाहता है। पूनम अपना हाथ धीरे से छुड़ा ली और दूसरे तरफ हो गयी। ज्योति और बंटी दोनों हँसने लगे थे। ज्योति उसी तरह खिलखिलाते हुए बोली "मत परेशान करो मेरी बहन को। बहुत प्यारी है ये।"
बंटी ज्योति के घर के बगल में ही रहने आ गया था और इस घर के खास सदस्य जैसा ही था। वो घर के सारे काम कर रहा था, सबसे बातें कर रहा था और उसके कहीं भी आने जाने पर रोक नहीं थी। तभी वो इतनी भीड़ होने पर भी दुल्हन के करीब पहुँच जा रहा था और जितना वक़्त मिल रहा था उतनी ही देर उसके बदन से खेल ले रहा था। अभी भी वो ज्योति को गले लगाकर उसके होठ चूस रहा था और कपड़े के ऊपर से ही ज्योति की चुच्ची मसल रहा था और पूनम के आने की आहट सुनकर वो लोग अलग हुए थे।
बंटी वहाँ से चला गया। उसके जाते ही पूनम गुस्से से घूरते हुए ज्योति से पूछी "क्या कर रही थी तुमलोग?" ज्योति कुछ दूसरा काम करती हुई अंजान बनते हुए बोली "कहाँ कुछ।" लेकिन उसकी आवाज़ से साफ लग रहा था कि वो क्या कुछ कर रही होगी। पूनम मुस्कुराते हुए बोली "कुछ नहीं, तो तेरी ब्रा ड्रेस के अंदर उठी हुई कैसे है।" ज्योति का ध्यान अपने कपड़े पर गया तो वो शर्मा गयी और फिर खिलखिला कर हँसने लगी। पूनम भी उसके साथ हँस दी। बंटी ने ब्रा को चुच्ची के ऊपर कर दिया था जो अभी टॉप के ऊपर से पूनम को दिख गया था।
ज्योति अपने कपड़े को ठीक कर ली और दोनों बाहर आ गए। सारा सामान होटल जा चूका था और बहुत सारे लोग भी जा चुके थे। पूनम किचन में चाय बना रही थी जब बंटी होटल से सामान पहुँचाकर वापस आया था। वो सीधा किचन में घुसकर गिलास लेकर पानी लेने लगा। अकेली पूनम को देखते ही उसके मन में कई तरह के ख्याल आने लगे। पूनम ट्रोउजर टॉप पहनी हुई थी। बंटी पूनम के बदन के कटाव को निहार रहा था। वो पीठ और उसकी कमर गांड के हिस्से को निहार रहा था और उसके लण्ड में हरकत होने लगी थी।
टॉप चौड़े गले का था जिसमे से पूनम की गदराई पीठ बंटी की नज़रों के सामने चमक रही थी। बंटी से खुद को रोक पाना संभव न हुआ और वो धीरे से पूनम के पीछे आ गया और उसने अपनी एक ऊँगली को पूनम के गर्दन और पीठ पे घुमाता हुआ बोला "उफ़्फ़... बेमिसाल।" अचानक इस तरह अपने जिस्म पे किसी और का हाथ पड़ते ही पूनम चिहुँक गयी। वो पीछे पलटी और बंटी को देखकर वो चीखने ही वाली थी की उसकी नज़र अपनी मौसी पर पड़ी जो इधर ही आ रही थी तो वो चुप हो गयी। उसे बहुत गुस्सा आया था बंटी के इस तरह छूने पर। बंटी बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ किचन से बाहर निकल गया।
सब लोग होटल आ गए थे। 3 दिन के लिए ये होटल बुक कर लिया था पूनम के मौसा ने। पूनम अब इधर उधर ध्यान रख रही थी की कहीं बंटी फिर से उसी तरह न कर दे। वो ज्योति को बताई भी थी तो वो हँस दी थी और बात को टाल दी थी। ज्योति को उबटन लग रहा था और सब हँसी मज़ाक में व्यस्त थे की अचानक से पूनम को अपनी गांड पर मर्दाना हाथ का एहसास हुआ। पूनम चिहुँक गयी और तुरंत पीछे पलटी तो देखी की बंटी अंजान सा मासूम सा बगल से जा रहा है।
पूनम झुक कर रस्म देख रही थी और बंटी उसकी गांड और चुत की दरारों को अपने मजबूत हाथ से सहलाता हुआ गया था। थोड़ी देर बाद जब पूनम की नज़र बंटी से मिली तो वो बेशर्मों की तरह हँस दिया और जब किसी को देखता नहीं देखा तो आँख मार दिया। पूनम अपनी नज़रें झुका ली। उसे शर्म भी आ रही थी कोई लड़का इस तरह खुले आम उसके बदन को छेड़ कर गया है और बंटी पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था। उसे इस तरह की हरकतें बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसे डर भी लग रहा था कि अगर कोई देख लेता तो क्या होता।
पूनम सोची की वो ज्योति से इस बारे में बात करेगी। उसे बंटी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो कोई शोर शराबा नहीं चाहती थी। 'बंटी को जो करना है ज्योति के साथ करे, मेरे साथ क्यों कर रहा है। इस तरह की हरकत तो न तो अमित ने किया था और न ही गुड्डू या विक्की ने। जबकि वो दोनों इस तरह के हैं कि अगर मुझे उठा कर भी ले जाते तो मुझे कोई नहीं बचाता। अजीब छिछोरा लड़का है ये, पता नहीं ज्योति को इसमें क्या दिखा है।'
पूनम ज्योति को ढूंढ रही थी लेकिन वो मिल नहीं रही थी। आज ज्योति को उबटन लग गया था और वो पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उबटन लगने के बाद उसका निखार और बढ़ गया था। ज्योति एक कोने वाले रूम में थी। वहीँ पे 3-4 और लड़कियाँ बैठी हुई थी और बंटी भी वहीँ था। पूनम को उसे देखते ही पारा हाई हो गया। पूनम वापस जाने लगी तो ज्योति उसे आवाज़ देकर बुला ली और बैठा ली। इतने लोगों के सामने पूनम कुछ बोल नहीं पाई।
शाम के बाद मेहँदी की रस्म होनी थी। ज्योति के पूरे हाथ पैर में दुल्हन मेहँदी लगी हुई थी। पूनम और बाँकी लोगों को भी मेहँदी लगा था। नाच गाना, हँसी मज़ाक चल रहा था। सबके खाना खाकर सोते जाते जाते काफी रात हो गयी थी। पूनम के भी दोनों हाथों में बाजु तक मेहँदी लगा हुआ था। इस सारे कार्यक्रम के बीच दो बार बंटी पूनम के करीब आया था और एक बार उसके पेट नेवल एरिया को और एक बार कमर को सहला चूका था। पूनम को इतना तेज़ गुस्सा आ रहा था लेकिन उसे मन मसोस कर रह जाना पड़ रहा था।
रात में जब पूनम ज्योति के साथ अपने कमरे में आयी तो उसे बताई, लेकिन ज्योति पे उसका कोई असर नहीं होने वाली थी। बोली "अरे थोड़ा हँसी मज़ाक कर दिया तो इसमें गुस्सा होने वाली कौन सी बात है। उसकी साली हो तो क्या तुमसे मज़ाक भी नहीं कर सकता।" पूनम को ही चुप हो जाना पड़ा। पूनम भी सोच ली की 'दो दिनों की तो बात है। जब ज्योति अभी तक उससे चुद रही है तो मुझे क्या प्रॉब्लम है।'
पूनम गहरी नींद में थी जब ज्योति उसे आवाज़ देकर जगाई। पूनम नींद में ही पूछी "क्या हुआ?" तो ज्योति उसे बोली की "तू थोड़ी देर के लिए बाहर चल न।" पूनम को समझ नहीं आया की ज्योति क्या बोल रही है। ज्योति बोली "चल न छत पर, मुझे नींद नहीं आ रही है।" पूनम उठ बैठी और दुबारा पूछी तो ज्योति फिर से बोली "छत पर चल न, मुझे नींद नहीं आ रही।" पूनम उसे समझायी लेकिन ज्योति उठने और चलने की ज़िद कर रही थी। वो अकेली छत पर नहीं जा सकती थी और यही बात वो पूनम को भी समझायी और उसे छत पर चलने के लिए मना ली।
पूनम का भी मन नहीं था लेकिन उसे जागना पड़ा। ज्योति उसकी प्यारी बहन थी। ज्योति अब दुल्हन बनने वाली थी और उसका कहीं भी अकेले आना जाना मना था। दोनों छत पर आ गए लेकिन छत पर बंटी पहले से खड़ा था और इन दोनों को देखते ही आगे बढ़ा और ज्योति को अपने सीने से लगा लिया। ज्योति भी उसके गले लग गयी। दोनों ऐसे चिपक गए थे जैसे कितने सालों के बिछड़े प्रेमी हों। ज्योति साड़ी में ही थी और बंटी उसकी पीठ और कमर के नंगे हिस्से को सहला रहा था और उसके गले को चूमता हुआ "आई लव यू जान" बोलता जा रहा था।
पूनम ऐसे खड़ी थी जैसे उसके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ हो। दोनों ने मिलकर उसे बेवकूफ बनाया था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। बंटी का हाथ ज्योति की साड़ी के ऊपर से उसकी गांड पर था और उसने ज्योति को अपने से पूरी तरह से चिपका लिया था। ज्योति भी उसके बदन में घुसी जा रही थी। पूनम सोच ही रही थी की उसे नीचे चले जाना चाहिए तभी थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए तो बंटी उसे बोला "थैंक्यू साली जी। मेरी जान को मेरे पास लाने के लिए।"
ज्योति पूनम के करीब आयी और बोली "सॉरी पुन्नु, लेकिन बस आज ही की रात है हमारे पास। फिर कल के बाद मैं किसी और के बाँहों में होऊँगी। प्लीज़ बहना, तू गुस्सा मत हो, अगर तू नहीं होती तो मैं ये नहीं कर पाती। तू सीढ़ी के पास बैठ जा थोड़ी देर, ताकि अगर कोई इधर आए तो तू हमें बता सके। प्लीज़ मेरी प्यारी बहना।"
ज्योति इस तरह बोली तो पूनम को अपनी बहन की बात माननी पड़ी। वो सीढ़ी पर आकर बैठ गयी और इंतज़ार करने लगी की कब ज्योति वापस आएगी। उसे पता था कि वो लोग अभी क्या करेंगे। ज्योति उबटन लगवा कर मेहँदी लगवा कर किसी और के साथ प्री सुहागरात मना रही थी। उसे ज्योति पे कभी गुस्सा भी आ रहा था तो कभी प्यार भी। गुस्सा इसलिए की ज्योति शादी के एक दिन पहले ऐसे लड़के से चुदवा रही थी जिसकी नज़र उसके बदन पर थी और प्यार इसलिए की वो अपना प्यार निभा रही थी। अपने पति की होने से कुछ देर पहले तक वो उसे अपना सब कुछ दे रही थी जिसे वो प्यार करती है।
लेकिन बंटी पे तो उसे बस गुस्सा ही आ रहा था। 'उसे तो अच्छा ही है न जो ऐसी लड़की को पटाया है जो खुद उसे कह रही है कि दूसरे को भी करो। जो शादी वाले दिन की सुबह उससे चुदवा रही है, अपनी बहन को बेवकूफ बनाकर। शादी के बाद भी चुदेगी ही। इतनी खूबसूरत लड़की को शादी के दिन चोद रहा है, ऐसे लड़के को और क्या चाहिए। जब ज्योति को मेरे बारे में बोला है तो पता नहीं और कितने के साथ किया होगा। लड़को का क्या है, उन्हें तो बस चुत चाहिए। फिर अमित की तरह प्यार मुहब्बत से पटा कर लें या फिर गुड्डू विक्की की तरह धमका कर। या फिर बंटी की तरह बेवकूफ बना कर।'
पूनम एक बार बाहर झाँक कर देखी। आज भी कल रात वाला ही दृश्य दिखा उसे। लेकिन आज ज्योति के बदन पे कपड़ा था। ज्योति बंटी के लण्ड पे बैठ कर उठक बैठक कर रही थी और बंटी ज्योति के ब्लाउज के खुल्ले बटन से उसकी चूचियाँ मसल रहा था। पूनम वापस से अंदर हो गयी। लेकिन इस दृश्य ने उसकी चुत पे चींटियों को आमंत्रित कर दिया और वो चुत पे रेंगने लगी। पूनम कुछ देर तो रुकी लेकिन फिर से झाँक कर देखने लगी। पूनम एक जगह देख ली जहाँ से उनलोगों को पता नहीं चलता की पूनम उनकी चुदाई देख रही है। वैसे भी उनलोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। दोनों चुदाई में पूरी तरह डूबे हुए थे।
पूनम देखने लगी। ज्योति की साड़ी कमर तक उठी हुई थी और अब बंटी पीछे से ज्योति की चुत में धक्के लगा रहा था। धक्का जोरदार था। ज्योति कमर ऊपर की हुई थी लेकिन दर्द की वजह से उसका सर जमीन पर था। बंटी पूरी तैयारी किये हुए था। गद्दा तकिया सब लगा हुआ था। ज्योति तकिये पे अपने सर को दबाये हुए थी और बंटी पीछे से उसकी उठी हुई कमर को पकड़ कर चुत में लण्ड का धक्का मारे जा रहा था।
बंटी अपने कमर को पूरा पीछे कर रहा था और फिर जोर का धक्का लगाते हुए लण्ड पूरा अंदर डाल दे रहा था। हर धक्के के साथ ज्योति का बदन हिल जा रहा था। पूनम को लण्ड की परछाई नज़र आ रही थी और उसे अंदाज़ा हो गया कि बंटी का लण्ड भी मूसल की तरह ही है। उसे गुड्डू की बात याद आ गयी की जिस जिस को उसने चोदा है वो सब कैसे मज़े से उससे चुदवाती है। पूनम को लगा की फिर तो ज्योति भी चुदवाएगी ही। पूनम बैठे बैठे अपनी बहन को चुदवाते देखते रही और अपनी चुत को नंगी कर सहलाने लगी।
कुछ देर बाद बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका लण्ड पूरी तरह सीधा खड़ा होकर आसमान की तरफ देख रहा था। ज्योति उसे सहला रही थी और चूस रही थी। पूनम को अब अच्छे से लण्ड का आकार नज़र आ रहा था। ज्योति वापस से लण्ड को चुत में भर ली और ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगी। पूनम अपने पैरों को अच्छे से फैला कर अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी। आज वो लाइव चुदाई देख रही थी। अपनी बहन को चुदवाते देख रही थी पूनम।
अब बंटी खड़ा हो गया और ज्योति के सर को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। उसने ज्योति के सर को अपने लण्ड पे दबा लिया और उधर बंटी ने ज्योति को अपना वीर्य पिलाया और इधर पूनम की चुत ने भी रस की धारा को छोड़ दिया। पूरा बीर्य ज्योति के मुँह में भरने के बाद जब बंटी ने ज्योति को छोड़ा तो वो गद्दे पे निढाल होकर गिर पड़ी। बंटी भी वहीँ पे लेट रहा। पूनम भी हाँफ रही थी।
थोड़ी देर बाद ज्योति अपने कपड़े ठीक कर ली और शरमाते लजाते मुस्काते पूनम के पास आई और बोली "चल।" पूनम भी अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी और ऐसे बैठे थी जैसे बैठे बैठे सो रही हो और उधर क्या हो रहा है, उससे उसे कोई मतलब नहीं हो। दोनों वापस अपने कमरे के अंदर आ गयी।
थोड़ी देर बाद ज्योति बोली "सॉरी यार, तुझे परेशान की। लेकिन क्या करती। तू नहीं होती तो नहीं ही कर पाती। बंटी बोला की इतनी बार किया, लेकिन अगर दुल्हन की मेहँदी लग जाने के बाद नहीं किया तो सब बेकार हो गया। मुझे भी लगा की उसकी दुल्हन तो नहीं बन पाई, लेकिन दुल्हन वाला सुख तो उसे दे ही सकती हूँ।" पूनम बोली "इसमें परेशान करने वाली कोई बात नहीं है। मुझे बस ये डर लग रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाये।" ज्योति कुछ नहीं बोली।
पूनम फिर आगे बोली "क्या क्या की?" ज्योति उसे मुस्कुराते हुए नज़र टेढ़ी करके देखी तो पूनम हँसते हुए बोली "मेरा मतलब है कि अच्छे से की न, कोई हड़बड़ी तो नहीं रही न।" ज्योति उसे गले से लगाती हुई बोली "नहीं, सब चीज़ अच्छे से किया। तभी तो तुझे बोली की तू नहीं होती तो ये नहीं हो पाता।"
पूनम बोली "तू बहुत प्यार करती है न बंटी से। तुझे बिलकुल भी डर नहीं लगता?" तो ज्योति पूनम को समझाने के अंदाज़ में बोली "जवानी 4 दिन की है पुन्नु डार्लिंग। अगर इन 4 दिनों में मज़े नहीं की तो बस फिर तो ज़िन्दगी बेकार ही होना है। अब कल शादी होगी तो पति, सास, ससुर, देवर, ननद में बिजी हो जाऊँगी। कुछ दिन थोड़ी बहुत मस्ती जो होगी वो होगी, उसके बाद बच्चे फिर उनका लालन पालन पढाई लिखाई सब में ज़िन्दगी खत्म। इसलिए जो मस्ती अभी करनी है कर लो, फिर ये बस पेशाब करने के काम ही आएगा।" ज्योति हँसती हुई पूनम के चुत की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली, पूनम भी हँसती हुई तुरंत ज्योति का हाथ पकड़ी और खुद भी थोड़ी पीछे हुई।
पूनम बस हँस कर ही रह गयी। कुछ बोली नहीं। ज्योति आगे बोली "ज्योति बोली "इसलिए तो बोली तुझे भी की तू भी चुदवा ले, ओके टेस्टेड सामान है, मज़ा आएगा। फिर तो तुझे चले ही जाना है। वहाँ कोई मिला तो मिला, नहीं तो तेरा भी वही, शादी फिर बच्चा और बस.... वैसे भी जहाँ दो बार की है, वहाँ एक बार और सही। बंटी बहुत मज़ा देता है, तू याद रखेगी इसके मशीन को।" पूनम की नज़रों में बंटी का लण्ड घूम गया और गुड्डू का भी। वो मुस्कुरा दी और बोली "तुम्हारा बंटी तुम्हे ही मुबारक हो। मुझे नहीं करवाना ऐसे किसी से भी। एक नंबर का छिछोरा है।" ज्योति हँसते हुए बोली "वो तो जब अंदर जाता है तब पता चलता है कि क्या है।" दोनों बहनें हँस दी और सो गयी।
ज्योति मुस्कुराती हुई सामने आयी और बोली "आ पुन्नु, तेरा ही इंतज़ार कर रही थी। इनसे मिल। ये तेरे जीजू हैं।" पूनम ठिठक कर रह गयी। उसके दिमाग में ज्योति की रात की बात याद आ गयी की 'यही हैं असली जीजू। यही है वो लड़का जिसके साथ ज्योति रात में छत पे नंगी होकर चुदवा रही थी। जिसके साथ शादी होनेवाली है वो बस नाम का ही जीजू है।'
पूनम उसी तरह खड़ी थी की वो लड़का पूनम के सामने आया और हाथ आगे बढ़ा दिया। पूनम का हाथ अपने आप आगे बढ़ गया। वो लड़का पूनम से हाथ मिलाता हुआ बोला "हेल्लो साली जी। आई एम बंटी।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसका दिमाग अभी भी वही अटका हुआ था कि यही लड़का रात में ज्योति को चोद रहा था। जिस लड़की की कल शादी है उसे। बंटी आगे बोला "रात में मैं छत पे आपका इंतज़ार कर रहा था, आप आई ही नहीं।"
पूनम शर्मा गयी की उसके कहने का क्या मतलब है। बंटी ने पूनम का हाथ ऊपर किया और चूमते हुए बोला "आप बहुत खूबसूरत हो।" पूनम का बदन सिहर उठा। ज्योति हँसती हुई आगे आयी "क्यों परेशान कर रहे हो मेरी बहन को।" बंटी बोला "बहुत मसालेदार बहन है तुम्हारी।" पूनम को बहुत शर्म आ रही थी और शर्म की वजह वो थी जो ज्योति उसे रात में बताई थी की बंटी उससे क्या चाहता है। पूनम अपना हाथ धीरे से छुड़ा ली और दूसरे तरफ हो गयी। ज्योति और बंटी दोनों हँसने लगे थे। ज्योति उसी तरह खिलखिलाते हुए बोली "मत परेशान करो मेरी बहन को। बहुत प्यारी है ये।"
बंटी ज्योति के घर के बगल में ही रहने आ गया था और इस घर के खास सदस्य जैसा ही था। वो घर के सारे काम कर रहा था, सबसे बातें कर रहा था और उसके कहीं भी आने जाने पर रोक नहीं थी। तभी वो इतनी भीड़ होने पर भी दुल्हन के करीब पहुँच जा रहा था और जितना वक़्त मिल रहा था उतनी ही देर उसके बदन से खेल ले रहा था। अभी भी वो ज्योति को गले लगाकर उसके होठ चूस रहा था और कपड़े के ऊपर से ही ज्योति की चुच्ची मसल रहा था और पूनम के आने की आहट सुनकर वो लोग अलग हुए थे।
बंटी वहाँ से चला गया। उसके जाते ही पूनम गुस्से से घूरते हुए ज्योति से पूछी "क्या कर रही थी तुमलोग?" ज्योति कुछ दूसरा काम करती हुई अंजान बनते हुए बोली "कहाँ कुछ।" लेकिन उसकी आवाज़ से साफ लग रहा था कि वो क्या कुछ कर रही होगी। पूनम मुस्कुराते हुए बोली "कुछ नहीं, तो तेरी ब्रा ड्रेस के अंदर उठी हुई कैसे है।" ज्योति का ध्यान अपने कपड़े पर गया तो वो शर्मा गयी और फिर खिलखिला कर हँसने लगी। पूनम भी उसके साथ हँस दी। बंटी ने ब्रा को चुच्ची के ऊपर कर दिया था जो अभी टॉप के ऊपर से पूनम को दिख गया था।
ज्योति अपने कपड़े को ठीक कर ली और दोनों बाहर आ गए। सारा सामान होटल जा चूका था और बहुत सारे लोग भी जा चुके थे। पूनम किचन में चाय बना रही थी जब बंटी होटल से सामान पहुँचाकर वापस आया था। वो सीधा किचन में घुसकर गिलास लेकर पानी लेने लगा। अकेली पूनम को देखते ही उसके मन में कई तरह के ख्याल आने लगे। पूनम ट्रोउजर टॉप पहनी हुई थी। बंटी पूनम के बदन के कटाव को निहार रहा था। वो पीठ और उसकी कमर गांड के हिस्से को निहार रहा था और उसके लण्ड में हरकत होने लगी थी।
टॉप चौड़े गले का था जिसमे से पूनम की गदराई पीठ बंटी की नज़रों के सामने चमक रही थी। बंटी से खुद को रोक पाना संभव न हुआ और वो धीरे से पूनम के पीछे आ गया और उसने अपनी एक ऊँगली को पूनम के गर्दन और पीठ पे घुमाता हुआ बोला "उफ़्फ़... बेमिसाल।" अचानक इस तरह अपने जिस्म पे किसी और का हाथ पड़ते ही पूनम चिहुँक गयी। वो पीछे पलटी और बंटी को देखकर वो चीखने ही वाली थी की उसकी नज़र अपनी मौसी पर पड़ी जो इधर ही आ रही थी तो वो चुप हो गयी। उसे बहुत गुस्सा आया था बंटी के इस तरह छूने पर। बंटी बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ किचन से बाहर निकल गया।
सब लोग होटल आ गए थे। 3 दिन के लिए ये होटल बुक कर लिया था पूनम के मौसा ने। पूनम अब इधर उधर ध्यान रख रही थी की कहीं बंटी फिर से उसी तरह न कर दे। वो ज्योति को बताई भी थी तो वो हँस दी थी और बात को टाल दी थी। ज्योति को उबटन लग रहा था और सब हँसी मज़ाक में व्यस्त थे की अचानक से पूनम को अपनी गांड पर मर्दाना हाथ का एहसास हुआ। पूनम चिहुँक गयी और तुरंत पीछे पलटी तो देखी की बंटी अंजान सा मासूम सा बगल से जा रहा है।
पूनम झुक कर रस्म देख रही थी और बंटी उसकी गांड और चुत की दरारों को अपने मजबूत हाथ से सहलाता हुआ गया था। थोड़ी देर बाद जब पूनम की नज़र बंटी से मिली तो वो बेशर्मों की तरह हँस दिया और जब किसी को देखता नहीं देखा तो आँख मार दिया। पूनम अपनी नज़रें झुका ली। उसे शर्म भी आ रही थी कोई लड़का इस तरह खुले आम उसके बदन को छेड़ कर गया है और बंटी पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था। उसे इस तरह की हरकतें बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसे डर भी लग रहा था कि अगर कोई देख लेता तो क्या होता।
पूनम सोची की वो ज्योति से इस बारे में बात करेगी। उसे बंटी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो कोई शोर शराबा नहीं चाहती थी। 'बंटी को जो करना है ज्योति के साथ करे, मेरे साथ क्यों कर रहा है। इस तरह की हरकत तो न तो अमित ने किया था और न ही गुड्डू या विक्की ने। जबकि वो दोनों इस तरह के हैं कि अगर मुझे उठा कर भी ले जाते तो मुझे कोई नहीं बचाता। अजीब छिछोरा लड़का है ये, पता नहीं ज्योति को इसमें क्या दिखा है।'
पूनम ज्योति को ढूंढ रही थी लेकिन वो मिल नहीं रही थी। आज ज्योति को उबटन लग गया था और वो पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उबटन लगने के बाद उसका निखार और बढ़ गया था। ज्योति एक कोने वाले रूम में थी। वहीँ पे 3-4 और लड़कियाँ बैठी हुई थी और बंटी भी वहीँ था। पूनम को उसे देखते ही पारा हाई हो गया। पूनम वापस जाने लगी तो ज्योति उसे आवाज़ देकर बुला ली और बैठा ली। इतने लोगों के सामने पूनम कुछ बोल नहीं पाई।
शाम के बाद मेहँदी की रस्म होनी थी। ज्योति के पूरे हाथ पैर में दुल्हन मेहँदी लगी हुई थी। पूनम और बाँकी लोगों को भी मेहँदी लगा था। नाच गाना, हँसी मज़ाक चल रहा था। सबके खाना खाकर सोते जाते जाते काफी रात हो गयी थी। पूनम के भी दोनों हाथों में बाजु तक मेहँदी लगा हुआ था। इस सारे कार्यक्रम के बीच दो बार बंटी पूनम के करीब आया था और एक बार उसके पेट नेवल एरिया को और एक बार कमर को सहला चूका था। पूनम को इतना तेज़ गुस्सा आ रहा था लेकिन उसे मन मसोस कर रह जाना पड़ रहा था।
रात में जब पूनम ज्योति के साथ अपने कमरे में आयी तो उसे बताई, लेकिन ज्योति पे उसका कोई असर नहीं होने वाली थी। बोली "अरे थोड़ा हँसी मज़ाक कर दिया तो इसमें गुस्सा होने वाली कौन सी बात है। उसकी साली हो तो क्या तुमसे मज़ाक भी नहीं कर सकता।" पूनम को ही चुप हो जाना पड़ा। पूनम भी सोच ली की 'दो दिनों की तो बात है। जब ज्योति अभी तक उससे चुद रही है तो मुझे क्या प्रॉब्लम है।'
पूनम गहरी नींद में थी जब ज्योति उसे आवाज़ देकर जगाई। पूनम नींद में ही पूछी "क्या हुआ?" तो ज्योति उसे बोली की "तू थोड़ी देर के लिए बाहर चल न।" पूनम को समझ नहीं आया की ज्योति क्या बोल रही है। ज्योति बोली "चल न छत पर, मुझे नींद नहीं आ रही है।" पूनम उठ बैठी और दुबारा पूछी तो ज्योति फिर से बोली "छत पर चल न, मुझे नींद नहीं आ रही।" पूनम उसे समझायी लेकिन ज्योति उठने और चलने की ज़िद कर रही थी। वो अकेली छत पर नहीं जा सकती थी और यही बात वो पूनम को भी समझायी और उसे छत पर चलने के लिए मना ली।
पूनम का भी मन नहीं था लेकिन उसे जागना पड़ा। ज्योति उसकी प्यारी बहन थी। ज्योति अब दुल्हन बनने वाली थी और उसका कहीं भी अकेले आना जाना मना था। दोनों छत पर आ गए लेकिन छत पर बंटी पहले से खड़ा था और इन दोनों को देखते ही आगे बढ़ा और ज्योति को अपने सीने से लगा लिया। ज्योति भी उसके गले लग गयी। दोनों ऐसे चिपक गए थे जैसे कितने सालों के बिछड़े प्रेमी हों। ज्योति साड़ी में ही थी और बंटी उसकी पीठ और कमर के नंगे हिस्से को सहला रहा था और उसके गले को चूमता हुआ "आई लव यू जान" बोलता जा रहा था।
पूनम ऐसे खड़ी थी जैसे उसके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ हो। दोनों ने मिलकर उसे बेवकूफ बनाया था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। बंटी का हाथ ज्योति की साड़ी के ऊपर से उसकी गांड पर था और उसने ज्योति को अपने से पूरी तरह से चिपका लिया था। ज्योति भी उसके बदन में घुसी जा रही थी। पूनम सोच ही रही थी की उसे नीचे चले जाना चाहिए तभी थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए तो बंटी उसे बोला "थैंक्यू साली जी। मेरी जान को मेरे पास लाने के लिए।"
ज्योति पूनम के करीब आयी और बोली "सॉरी पुन्नु, लेकिन बस आज ही की रात है हमारे पास। फिर कल के बाद मैं किसी और के बाँहों में होऊँगी। प्लीज़ बहना, तू गुस्सा मत हो, अगर तू नहीं होती तो मैं ये नहीं कर पाती। तू सीढ़ी के पास बैठ जा थोड़ी देर, ताकि अगर कोई इधर आए तो तू हमें बता सके। प्लीज़ मेरी प्यारी बहना।"
ज्योति इस तरह बोली तो पूनम को अपनी बहन की बात माननी पड़ी। वो सीढ़ी पर आकर बैठ गयी और इंतज़ार करने लगी की कब ज्योति वापस आएगी। उसे पता था कि वो लोग अभी क्या करेंगे। ज्योति उबटन लगवा कर मेहँदी लगवा कर किसी और के साथ प्री सुहागरात मना रही थी। उसे ज्योति पे कभी गुस्सा भी आ रहा था तो कभी प्यार भी। गुस्सा इसलिए की ज्योति शादी के एक दिन पहले ऐसे लड़के से चुदवा रही थी जिसकी नज़र उसके बदन पर थी और प्यार इसलिए की वो अपना प्यार निभा रही थी। अपने पति की होने से कुछ देर पहले तक वो उसे अपना सब कुछ दे रही थी जिसे वो प्यार करती है।
लेकिन बंटी पे तो उसे बस गुस्सा ही आ रहा था। 'उसे तो अच्छा ही है न जो ऐसी लड़की को पटाया है जो खुद उसे कह रही है कि दूसरे को भी करो। जो शादी वाले दिन की सुबह उससे चुदवा रही है, अपनी बहन को बेवकूफ बनाकर। शादी के बाद भी चुदेगी ही। इतनी खूबसूरत लड़की को शादी के दिन चोद रहा है, ऐसे लड़के को और क्या चाहिए। जब ज्योति को मेरे बारे में बोला है तो पता नहीं और कितने के साथ किया होगा। लड़को का क्या है, उन्हें तो बस चुत चाहिए। फिर अमित की तरह प्यार मुहब्बत से पटा कर लें या फिर गुड्डू विक्की की तरह धमका कर। या फिर बंटी की तरह बेवकूफ बना कर।'
पूनम एक बार बाहर झाँक कर देखी। आज भी कल रात वाला ही दृश्य दिखा उसे। लेकिन आज ज्योति के बदन पे कपड़ा था। ज्योति बंटी के लण्ड पे बैठ कर उठक बैठक कर रही थी और बंटी ज्योति के ब्लाउज के खुल्ले बटन से उसकी चूचियाँ मसल रहा था। पूनम वापस से अंदर हो गयी। लेकिन इस दृश्य ने उसकी चुत पे चींटियों को आमंत्रित कर दिया और वो चुत पे रेंगने लगी। पूनम कुछ देर तो रुकी लेकिन फिर से झाँक कर देखने लगी। पूनम एक जगह देख ली जहाँ से उनलोगों को पता नहीं चलता की पूनम उनकी चुदाई देख रही है। वैसे भी उनलोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। दोनों चुदाई में पूरी तरह डूबे हुए थे।
पूनम देखने लगी। ज्योति की साड़ी कमर तक उठी हुई थी और अब बंटी पीछे से ज्योति की चुत में धक्के लगा रहा था। धक्का जोरदार था। ज्योति कमर ऊपर की हुई थी लेकिन दर्द की वजह से उसका सर जमीन पर था। बंटी पूरी तैयारी किये हुए था। गद्दा तकिया सब लगा हुआ था। ज्योति तकिये पे अपने सर को दबाये हुए थी और बंटी पीछे से उसकी उठी हुई कमर को पकड़ कर चुत में लण्ड का धक्का मारे जा रहा था।
बंटी अपने कमर को पूरा पीछे कर रहा था और फिर जोर का धक्का लगाते हुए लण्ड पूरा अंदर डाल दे रहा था। हर धक्के के साथ ज्योति का बदन हिल जा रहा था। पूनम को लण्ड की परछाई नज़र आ रही थी और उसे अंदाज़ा हो गया कि बंटी का लण्ड भी मूसल की तरह ही है। उसे गुड्डू की बात याद आ गयी की जिस जिस को उसने चोदा है वो सब कैसे मज़े से उससे चुदवाती है। पूनम को लगा की फिर तो ज्योति भी चुदवाएगी ही। पूनम बैठे बैठे अपनी बहन को चुदवाते देखते रही और अपनी चुत को नंगी कर सहलाने लगी।
कुछ देर बाद बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका लण्ड पूरी तरह सीधा खड़ा होकर आसमान की तरफ देख रहा था। ज्योति उसे सहला रही थी और चूस रही थी। पूनम को अब अच्छे से लण्ड का आकार नज़र आ रहा था। ज्योति वापस से लण्ड को चुत में भर ली और ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगी। पूनम अपने पैरों को अच्छे से फैला कर अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी। आज वो लाइव चुदाई देख रही थी। अपनी बहन को चुदवाते देख रही थी पूनम।
अब बंटी खड़ा हो गया और ज्योति के सर को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। उसने ज्योति के सर को अपने लण्ड पे दबा लिया और उधर बंटी ने ज्योति को अपना वीर्य पिलाया और इधर पूनम की चुत ने भी रस की धारा को छोड़ दिया। पूरा बीर्य ज्योति के मुँह में भरने के बाद जब बंटी ने ज्योति को छोड़ा तो वो गद्दे पे निढाल होकर गिर पड़ी। बंटी भी वहीँ पे लेट रहा। पूनम भी हाँफ रही थी।
थोड़ी देर बाद ज्योति अपने कपड़े ठीक कर ली और शरमाते लजाते मुस्काते पूनम के पास आई और बोली "चल।" पूनम भी अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी और ऐसे बैठे थी जैसे बैठे बैठे सो रही हो और उधर क्या हो रहा है, उससे उसे कोई मतलब नहीं हो। दोनों वापस अपने कमरे के अंदर आ गयी।
थोड़ी देर बाद ज्योति बोली "सॉरी यार, तुझे परेशान की। लेकिन क्या करती। तू नहीं होती तो नहीं ही कर पाती। बंटी बोला की इतनी बार किया, लेकिन अगर दुल्हन की मेहँदी लग जाने के बाद नहीं किया तो सब बेकार हो गया। मुझे भी लगा की उसकी दुल्हन तो नहीं बन पाई, लेकिन दुल्हन वाला सुख तो उसे दे ही सकती हूँ।" पूनम बोली "इसमें परेशान करने वाली कोई बात नहीं है। मुझे बस ये डर लग रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाये।" ज्योति कुछ नहीं बोली।
पूनम फिर आगे बोली "क्या क्या की?" ज्योति उसे मुस्कुराते हुए नज़र टेढ़ी करके देखी तो पूनम हँसते हुए बोली "मेरा मतलब है कि अच्छे से की न, कोई हड़बड़ी तो नहीं रही न।" ज्योति उसे गले से लगाती हुई बोली "नहीं, सब चीज़ अच्छे से किया। तभी तो तुझे बोली की तू नहीं होती तो ये नहीं हो पाता।"
पूनम बोली "तू बहुत प्यार करती है न बंटी से। तुझे बिलकुल भी डर नहीं लगता?" तो ज्योति पूनम को समझाने के अंदाज़ में बोली "जवानी 4 दिन की है पुन्नु डार्लिंग। अगर इन 4 दिनों में मज़े नहीं की तो बस फिर तो ज़िन्दगी बेकार ही होना है। अब कल शादी होगी तो पति, सास, ससुर, देवर, ननद में बिजी हो जाऊँगी। कुछ दिन थोड़ी बहुत मस्ती जो होगी वो होगी, उसके बाद बच्चे फिर उनका लालन पालन पढाई लिखाई सब में ज़िन्दगी खत्म। इसलिए जो मस्ती अभी करनी है कर लो, फिर ये बस पेशाब करने के काम ही आएगा।" ज्योति हँसती हुई पूनम के चुत की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली, पूनम भी हँसती हुई तुरंत ज्योति का हाथ पकड़ी और खुद भी थोड़ी पीछे हुई।
पूनम बस हँस कर ही रह गयी। कुछ बोली नहीं। ज्योति आगे बोली "ज्योति बोली "इसलिए तो बोली तुझे भी की तू भी चुदवा ले, ओके टेस्टेड सामान है, मज़ा आएगा। फिर तो तुझे चले ही जाना है। वहाँ कोई मिला तो मिला, नहीं तो तेरा भी वही, शादी फिर बच्चा और बस.... वैसे भी जहाँ दो बार की है, वहाँ एक बार और सही। बंटी बहुत मज़ा देता है, तू याद रखेगी इसके मशीन को।" पूनम की नज़रों में बंटी का लण्ड घूम गया और गुड्डू का भी। वो मुस्कुरा दी और बोली "तुम्हारा बंटी तुम्हे ही मुबारक हो। मुझे नहीं करवाना ऐसे किसी से भी। एक नंबर का छिछोरा है।" ज्योति हँसते हुए बोली "वो तो जब अंदर जाता है तब पता चलता है कि क्या है।" दोनों बहनें हँस दी और सो गयी।