31-05-2021, 07:41 PM
मेरी रूपाली दीदी ढोलू के काले खूंखार लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी ..बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता ..लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है ..उसके बाद मेरी दीदी उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | मेरी रूपाली दीदी की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर ढोलू पागल हुआ जा रहा था ...ढोलू कामुक लम्बी कराहे भर रहा था .कुछ देर बाद अचानक ढोलू का हाथ मेरी रूपाली दीदी के सर तक पंहुच गया, उसने मेरी दीदी के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा.. वह मेरी तरफ देखकर कुटिलता के साथ मुस्कुरा रहा था.. उसने दारु की बोतल उठा ली और घट घट पीने लगा.
ढोलू कमर उचका उचका के मेरी बहन के मुंह में पेल रहा था.. और मेरी तरफ देख रहा था.. मेरी निगाहें शर्म के मारे झुक गई थी..
मेरी रूपाली दीदी को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है ..उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है ..मेरी रूपाली दीदी इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी ..मेरी दीदी ने ढोलू का प्रतिरोध किया, लेकिन ढोलू की ताकत और मजबूती के आगे उसे ढोलू का पूरा लंड गटकना पड़ा.. ढोलू का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ मेरी रूपाली दीदी के गले में जाकर अटक गया ..ढोलू ने नीचे से कमर का झटका मारा और मेरी दीदी का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया ..लंड उसके गले में फंस गया ..मेरी रूपाली दीदी को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था .. उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी ..
मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी ..उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली ..उसकी आँखों से पानी बहने लगा .. ढोलू मेरी बहन की हालत देख कर हंसने लगा.. उसे जरा भी दया नहीं आ रही थी हम दोनों भाई बहन की हालत पर.. एक बार फिर से उसने मेरी दीदी के बाल पकड़ के उनका चेहरा अपने औजार की तरफ किया..
मेरी रूपाली दीदी ने अपने ओंठ चौड़े किये और उसके लंड को निगलती चली गयी.. फिर तेजी से उसके लंड पर अपना सर हिलाने लगी .उसके ओंठ लंड के चारो ओर सरसराने लगे .. वो तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगी .. ढोलू ने मेरी बहन के बाल पकड़ के उनके सर पर दबाव बनाए रखा और नीचे से कमर हिलानी शुरू करी और ऊपर से उसका मुहँ स्थिर कर दिया..मेरी रूपाली दीदी के मुहँ की गीली सुरंग में ढोलू का लंड सरपट फिसलने लगा ..मेरी दीदी के मुहँ से बाद गों गों गों गों गों गों गों की आवाजे ही आ रही थी..उसके मुहँ का रस तेजी से बाहर की तरफ बह रहा था और उसकी आंखे लाल होती जा रही थी...ढोलू कुछ देर बाद कमर हिलाने के बाद रुक गया.. मुझे मेरी रूपाली दीदी के बदन की बढ़ती हुई गर्मी और तेज सांसें भी साफ साफ नजर आ रही थी | इधर ढोलू भी पूरी तरह से पस्त हो गया था ..इस तरह से लंड को चूसना तो छोड़ो , इधर कई सालों से तो किसी औरत को छू भी नहीं पाया था वह दरिंदा..
मेरी रूपाली दीदी कसकर ढोलू के लंड को अपनी गुलाबी होठों की सख्त कसावट से चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ढोलू स्वर्ग में पहुंच गया हो.. मेरी दीदी के मुहँ की गरम गुनगुनी गुलाबी खुरधुरी जीभ का उसके गरम मीनार की तरह तपते लंड पर अहसास, मेरी रूपाली दीदी की गीली लार के चिकनाहट के साथ उसके लंड पर फिसलते रसीले गुलाबी ओंठ यह ऐसा एहसास था जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता था बस महसूस किया जा सकता था ...मेरी दीदी उस एहसास को ढोलू को महसूस करा रही थी..
मेरी रूपाली दीदी की आंखों से पानी बह रहा था उसकी आंखें लाल हो गई थी लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी .. ढोलू के साथ-साथ मैं भी समझ गया था कि मेरी बहन अब वासना में पूरी तरह डूब चुकी है उसे अपने मुहँ और गले में होने वाली तकलीफ का अहसास तक नहीं है .. उसने मेरी रूपाली दीदी के सर पर हाथ रखा और उसके मुंह को नीचे हिला हिला के चोदने लगा था और नीचे से भी कमर के थोड़े थोड़े झटके देने लगा था हालांकि बहुत हल्के हलके झटके मार रहा था... कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर.. मेरी रूपाली दीदी ने धीरे-धीरे जितेश के लंड को जड़ तक निगल लिया | जब ढोलू देखा तो मेरी दीदी तो जड़ तक उसका लंड मुहँ में घोंट के बैठी है तो हैरान रह गया ..मेरी रूपाली दीदी ने सर को पीछे खीचा और लम्बी साँस ली ..
मेरी रूपाली दीदी फिर अपनी उखड़ी सांसे काबू करते हुए बोली - इसे मेरे गले के नीचे उतार दो |
ढोलू - साली रंडी... पूरी बेशर्म हो गई है... तेरी मां का भोसड़ा चोदा... तेरा छोटा भाई यहीं बैठा हुआ सब कुछ देख रहा है मादरजात.. अपने भाई के सामने मेरे लौड़ा चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आ रही है ...
मेरी रूपाली दीदी- मेरा भाई है ना... तुम्हें क्यों शर्म आ रही है.. उसे देखने दो ,तुम तो बस चुपचाप मेरे मुहँ में लंड पेलो..
ढोलू- हां बहन की लोड़ी... अभी दिखाता हूं तुझे... देख बहन चोद तू भी देख अपनी रंडी बहन को.. क्या बोल रही है...मेरे मुहँ में लंड पेलो.. तेरी बहना कह रही है... साले भड़वे.. देख मैं तेरी बहन की कैसी मुख चुदआई करता हूं...
अब मेरी रूपाली दीदी ढोलू का लंड अपने मुंह में ले रही थी और ढोलू लम्बे लेकिन बेहद धीमे झटके लगा रहा था |
मेरी दीदी के मुहँ में चुदने की आवाजे ही आ रही थी - ख्ख्ख्खक्क्क्कक्क्क ख्ख्ख्खाक्काक्काक आआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्हक्क्क्कक ..
मेरी रूपाली दीदी भी चाहती थी कि अब ढोलू कसकर उसके मुंह में लंड को पेल दे ..
मेरी रूपाली दीदी - अब बिना मेरी परवाह किये पेल दो मेरे मुहँ में लंड.. मिटा लो अपनी हसरत और बुझा दो इस हवस की ख्हवाइश को हमेशा के लिए ..
अपनी बहन के मुंह से इस प्रकार की बातें सुनकर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था... मेरा छोटा सा लोड़ा अंगड़ाई लेने लगा था.. पर मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी.. मेरी अजीबोगरीब हालत हो रही थी...
मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था की ढोलू को अपने शरीर में तनाव महसूस होने लगा था उसने मेरी बहन के सर को कसकर जकड लिया ताकि वो हिलने न पाए और बेतहाशा उसके मुहँ में लंड पेलकर उसके मुहँ को चोदने लगा.. मेरी रूपाली दीदी भी समझ गयी ढोलू झड़ने वाला है उसने भी होंठ फैला दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड उसके मुहँ में जा सके .. अब सिर्फ मुहँ चुदाई हो रही थी वो भी अपनी फुल स्पीड में ..
ढोलू अपने चरम पर पंहुच पता नहीं क्या क्या बडबडा रहा है – आह रंडी.. रूपाली..बहन की लोड़ी मै झड़ने वाला हूँ, मेरा सफ़ेद रस बस निकलने वाला ही है ..तुम पियोगी ना मेरा गरम लंड रस.. बहन की लोड़ी.. चूस मेरा साली .. ले मेरा पूरा माल रंडी...
मेरी दीदी- भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से ..बहुत प्यासी हूं..इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो .. पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को ..
दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे.. और मैं बेवकूफ की तरह उन दोनों को देख रहा था...
ढोलू कमर उचका उचका के मेरी बहन के मुंह में पेल रहा था.. और मेरी तरफ देख रहा था.. मेरी निगाहें शर्म के मारे झुक गई थी..
मेरी रूपाली दीदी को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है ..उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है ..मेरी रूपाली दीदी इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी ..मेरी दीदी ने ढोलू का प्रतिरोध किया, लेकिन ढोलू की ताकत और मजबूती के आगे उसे ढोलू का पूरा लंड गटकना पड़ा.. ढोलू का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ मेरी रूपाली दीदी के गले में जाकर अटक गया ..ढोलू ने नीचे से कमर का झटका मारा और मेरी दीदी का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया ..लंड उसके गले में फंस गया ..मेरी रूपाली दीदी को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था .. उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी ..
मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी ..उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली ..उसकी आँखों से पानी बहने लगा .. ढोलू मेरी बहन की हालत देख कर हंसने लगा.. उसे जरा भी दया नहीं आ रही थी हम दोनों भाई बहन की हालत पर.. एक बार फिर से उसने मेरी दीदी के बाल पकड़ के उनका चेहरा अपने औजार की तरफ किया..
मेरी रूपाली दीदी ने अपने ओंठ चौड़े किये और उसके लंड को निगलती चली गयी.. फिर तेजी से उसके लंड पर अपना सर हिलाने लगी .उसके ओंठ लंड के चारो ओर सरसराने लगे .. वो तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगी .. ढोलू ने मेरी बहन के बाल पकड़ के उनके सर पर दबाव बनाए रखा और नीचे से कमर हिलानी शुरू करी और ऊपर से उसका मुहँ स्थिर कर दिया..मेरी रूपाली दीदी के मुहँ की गीली सुरंग में ढोलू का लंड सरपट फिसलने लगा ..मेरी दीदी के मुहँ से बाद गों गों गों गों गों गों गों की आवाजे ही आ रही थी..उसके मुहँ का रस तेजी से बाहर की तरफ बह रहा था और उसकी आंखे लाल होती जा रही थी...ढोलू कुछ देर बाद कमर हिलाने के बाद रुक गया.. मुझे मेरी रूपाली दीदी के बदन की बढ़ती हुई गर्मी और तेज सांसें भी साफ साफ नजर आ रही थी | इधर ढोलू भी पूरी तरह से पस्त हो गया था ..इस तरह से लंड को चूसना तो छोड़ो , इधर कई सालों से तो किसी औरत को छू भी नहीं पाया था वह दरिंदा..
मेरी रूपाली दीदी कसकर ढोलू के लंड को अपनी गुलाबी होठों की सख्त कसावट से चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ढोलू स्वर्ग में पहुंच गया हो.. मेरी दीदी के मुहँ की गरम गुनगुनी गुलाबी खुरधुरी जीभ का उसके गरम मीनार की तरह तपते लंड पर अहसास, मेरी रूपाली दीदी की गीली लार के चिकनाहट के साथ उसके लंड पर फिसलते रसीले गुलाबी ओंठ यह ऐसा एहसास था जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता था बस महसूस किया जा सकता था ...मेरी दीदी उस एहसास को ढोलू को महसूस करा रही थी..
मेरी रूपाली दीदी की आंखों से पानी बह रहा था उसकी आंखें लाल हो गई थी लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी .. ढोलू के साथ-साथ मैं भी समझ गया था कि मेरी बहन अब वासना में पूरी तरह डूब चुकी है उसे अपने मुहँ और गले में होने वाली तकलीफ का अहसास तक नहीं है .. उसने मेरी रूपाली दीदी के सर पर हाथ रखा और उसके मुंह को नीचे हिला हिला के चोदने लगा था और नीचे से भी कमर के थोड़े थोड़े झटके देने लगा था हालांकि बहुत हल्के हलके झटके मार रहा था... कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर.. मेरी रूपाली दीदी ने धीरे-धीरे जितेश के लंड को जड़ तक निगल लिया | जब ढोलू देखा तो मेरी दीदी तो जड़ तक उसका लंड मुहँ में घोंट के बैठी है तो हैरान रह गया ..मेरी रूपाली दीदी ने सर को पीछे खीचा और लम्बी साँस ली ..
मेरी रूपाली दीदी फिर अपनी उखड़ी सांसे काबू करते हुए बोली - इसे मेरे गले के नीचे उतार दो |
ढोलू - साली रंडी... पूरी बेशर्म हो गई है... तेरी मां का भोसड़ा चोदा... तेरा छोटा भाई यहीं बैठा हुआ सब कुछ देख रहा है मादरजात.. अपने भाई के सामने मेरे लौड़ा चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आ रही है ...
मेरी रूपाली दीदी- मेरा भाई है ना... तुम्हें क्यों शर्म आ रही है.. उसे देखने दो ,तुम तो बस चुपचाप मेरे मुहँ में लंड पेलो..
ढोलू- हां बहन की लोड़ी... अभी दिखाता हूं तुझे... देख बहन चोद तू भी देख अपनी रंडी बहन को.. क्या बोल रही है...मेरे मुहँ में लंड पेलो.. तेरी बहना कह रही है... साले भड़वे.. देख मैं तेरी बहन की कैसी मुख चुदआई करता हूं...
अब मेरी रूपाली दीदी ढोलू का लंड अपने मुंह में ले रही थी और ढोलू लम्बे लेकिन बेहद धीमे झटके लगा रहा था |
मेरी दीदी के मुहँ में चुदने की आवाजे ही आ रही थी - ख्ख्ख्खक्क्क्कक्क्क ख्ख्ख्खाक्काक्काक आआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्हक्क्क्कक ..
मेरी रूपाली दीदी भी चाहती थी कि अब ढोलू कसकर उसके मुंह में लंड को पेल दे ..
मेरी रूपाली दीदी - अब बिना मेरी परवाह किये पेल दो मेरे मुहँ में लंड.. मिटा लो अपनी हसरत और बुझा दो इस हवस की ख्हवाइश को हमेशा के लिए ..
अपनी बहन के मुंह से इस प्रकार की बातें सुनकर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था... मेरा छोटा सा लोड़ा अंगड़ाई लेने लगा था.. पर मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी.. मेरी अजीबोगरीब हालत हो रही थी...
मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था की ढोलू को अपने शरीर में तनाव महसूस होने लगा था उसने मेरी बहन के सर को कसकर जकड लिया ताकि वो हिलने न पाए और बेतहाशा उसके मुहँ में लंड पेलकर उसके मुहँ को चोदने लगा.. मेरी रूपाली दीदी भी समझ गयी ढोलू झड़ने वाला है उसने भी होंठ फैला दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड उसके मुहँ में जा सके .. अब सिर्फ मुहँ चुदाई हो रही थी वो भी अपनी फुल स्पीड में ..
ढोलू अपने चरम पर पंहुच पता नहीं क्या क्या बडबडा रहा है – आह रंडी.. रूपाली..बहन की लोड़ी मै झड़ने वाला हूँ, मेरा सफ़ेद रस बस निकलने वाला ही है ..तुम पियोगी ना मेरा गरम लंड रस.. बहन की लोड़ी.. चूस मेरा साली .. ले मेरा पूरा माल रंडी...
मेरी दीदी- भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से ..बहुत प्यासी हूं..इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो .. पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को ..
दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे.. और मैं बेवकूफ की तरह उन दोनों को देख रहा था...