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Adultery Old sotry_पंडित & शीला_copy paste
#8
गतांक से आगे......................

पंडित: शीला...आँखें बाद करके बोलो..स्वाहा..

शीला: स्वाहा..

पंडित: शीला....तुम्हारी धुन्नी कितनी मीठी और गहरी है..............क्या
तुम्हें यह वाला आससन अच्छा लग रहा है..

शीला: हान्न...पंडितजी....यह आस्सन बहुत अच्छा है....बहुत अच्छाअ...

पंडित: क्या किसी ने तुम्हारी धुन्नी में जीभ डाली है....

शीला: आहह....नहीं पंडितजी...आप पहले हैं...

पंडित: अब तुम मेरे कंधों पे रह के ही पीछे की तरफ लेट जाओ.....हाथों से
ज़मीन का सहारा ले लो...

शीला पंडित के कंधों का सहारा लेकर लेट गयी......

अब पंडित के लिप्स के सामने शीला की चूत थी....

पंडित धीरे से अपने हाथ शीला के स्तनो पे ले गया...और ब्लाउस के ऊपर से
ही दबाने लगा...

शीला यही चाह रही थी.....

पंडित: शीला....तुम्हारे स्तन कितने भर्रे भर्रे हैं.......अच्छे
अच्छे....

शीला: आहह.......

शीला ने एक हाथ से अपना पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और अपनी चूत को पंडित
के लिप्स पे लगा दिया....

पंडित कच्ची के ऊपर से ही शीला की चूत पे जीभ मारने लगा....

पंडित: शीला....अब तुम मेरी झोली मैं आ जाओ...

शीला फॉरेन पंडित के लंड पे बैठ गयी.....उस-से लिपट गयी....

पंडित: आ....शीला...यह आस्सन अच्छा है..?..

शीला: स..स..सबसे.अच्छा....ऊओ पंडितजी...

पंडित: ऊहह...शीला....आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.....क्या तुम मेरे
साथ काम करना चाहती हो..?

शीला: हाँ पंडितजी.....सस्स.......मेरी काम अग्नि को शांत
कीजिए....हह...प्लीज़..पंडितजी...

पंडित शीला के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा....शीला बार बार अपनी चूत
पंडित के लंड पे दबाने लगी...

पंडित ने शीला का ब्लाउस उतार के फेंक दिया और उसके निपल्स को अपने मुँह
में ले लिया.....

शीला: आअहह...पंडितजी....मेरा उद्धार करो....मेरे साथ काम करो....

पंडित: बहुत नहाई है मेरे दूध से.....सारा दूध पीजाउन्गा तेरी
चूचियो का....

शीला: आअहह....पी जाओ.....मैं सीसी...कब मना करती हूँ...पी लो
पंडितजी....पी लो....

कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहीं सहा जा रहा था...

पंडित ने बैठे बैठे ही अपनी लूँगी खोल के अपने कछे से अपना लंड
निकाला...शीला ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्ची थोड़ी नीचे कर दी....

पंडित: चल जल्दी कर.....

शीला पंडित के सख़्त लंड पर बैठ गयी....लंड पूरा उसकी चूत में चला
गया....

शीला: आअहह......स्वाहा....करदो मेरा स्वाहा..आ...

शीला पंडित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी....चुदाई ज़ोरो पे थी....

पंडित: आहह.....मेरी रानी.....मेरी पुजारन.....तेरी योनि कितनी अच्छी
है....कितनी सुखदायी.....मेरी बासुरी को बहुत मज़ा आ रहा है....

शीला: पंडितजी.....आपकी बासुरी भी बड़ी सुखदायी है....आपकी बासुरी मेरी
योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है...

पंडित: शिवलिंग को छोड़....पहले मेरे लिंग की जै कर ले.....बहुत मज़ा देगा
यह तेरेको..

शीला: ऊऊआअ....प्प....पंडितजी....रात को तो आपके शिवलिंग ने कहाँ कहाँ
घुसने की कोशिश की......

पंडित: मेरी रानी...एयेए....फिकर मत कर.....स...तुझे जहाँ जहाँ घुस्वाना
है....मैं घुसाऊंगा....

शीला: आअहह......पंडितजी....एक विधवा को...दिलासा नहीं....मर्द का बदन
चाहिए....असली सुख तो इसी में है....क्यूँ.......आआ....बोलिए ना
पंडितजी...आऐईए...

पंडित: हाँ..आ....

अब शीला लेट गयी और पंडित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा...

साथ साथ वो शीला के बूब्स भी दबा रहा था...

पंडित: आअहह...उस....आज के लिया तेरा पति बन जाऊं...बोल...

शीला: आआई...सस्स.......ई.....हाआन्न....बन जाओ.....

पंडित: मेरा बान (अर्रो) आज तेरी योनि को चीर देगा......मेरी प्यारी....

शीला: आअहह.....चीर दो....आआअहह....चईएर दो नाअ.....आआहह

पंडित: आअहह...ऊऊऊऊ नही स्‍वाहा

दोनो एक साथ झाड़ गये और पंडित ने सारा सीमेन शीला की चूत के ऊपर झाड़
दिया....

शीला: आहह......

अब शीला पंडित से आँखें नहीं मिला पा रही थी......

पंडित शीला के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा...

शीला: पंडितजी....क्या मैने पाप कर दिया है....?..

पंडित: नहीं शीला.....पंडित के साथ काम करने से तुम्हारी शुधता बढ़
गयी है.....

शीला कपड़े पहेन के और मेकप उतार के घर चली आई.....

आज पंडित ने उसे शिवलिंग बाँधने को नहीं दिया था.....

रात को सोतेः वक़्त शीला शिवलिंग को मिस कर रही थी.......

उसे पंडित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी..................वो मन ही मन
में सोचने लगी..'पंडितजी...आप बड़े वो हैं....कब मेरे साथ क्या क्या करते
चले गये..पता ही नहीं चला...पंडितजी...आपका बदन कितना अच्छा
है........अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैने पहली बार सुनी है.........आप
यहाँ क्यूँ नहीं हैं..'

शीला ने अपना सलवार का नडा खोला और अपनी चूत को रगड़ने
लगी....'पंडितजी....मुझे क्या हो रहा है'..यह सोचने लगी...

चूत से हटा के उंगली गांद पे ले गयी...और गांद को रगड़ने लगी....'यह
मुझे कैसा रोग लग गया है...टाँगों के बीच में भी चुभन.....हिप्स के
बीच में भी चुभन.....ओह..'...

अगले दिन रोज़ की तरह सुबेह 5 बजे शीला मंदिर आई.....इस वक़्त मंदिर में
और कोई ना हुआ करता था...

पंडित ने शीला को इशारे से मंदिर के पीछे आने को कहा.....

शीला मंदिर के पीछे आ गयी....आतेः ही शीला पंडित से लिपट गयी..

शीला: ओह...पंडितजी....

पंडित: श...शीला........

पंडित शीला को लिप्स पे चूमने लगा....शीला की आस दबाने लगा...शीला भी
कस के पंडित के होंठो को चूम रही थी......तभी मंदिर का घंटा
बजा.....और दोनो अलग हो गये.....

मंदिर में कोई पूजा करने आया था......पंडित अपनी चूमा-चॅटी चोर के
मंदिर में आ गया......

जब मंदिर फिर खाली हो गया तो पंडित शीला के पास आया.

पंडित: शीला....इस वक़्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.....तुम वही अपने पूजा
के टाइम पे आ जाना...

शीला अपनी पूजा करके चली आई..........उसका पंडित को छोड़ने का दिल नहीं
कर रहा था...खेर....वो 12:45 बजे का इंतज़ार करने लगी.....

12:45 बजे वो पंडित के घर पहुँची......दरवाज़ा खुलते ही वो पंडित से लिपट
गयी...

पंडित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिछी
चादर पे ले आया.....

शीला ने पंडित को कस के बाहों में ले लिया..... पंडित के फेस पर किस पे
किस किए जा रही थी....अब दोनो लेट गये तह और पंडित शीला के ऊपर
था....

दोनो एक दूसरे के होंठो को कस कस के चूमने लगे...

पंडित शीला के होंठो पे अपनी जीभ चलाने लगा.....शीला ने भी मुँह खोल
दिया...अपनी जीभ निकाल के पंडित की जीभ को चाटने लगी.........पंडित ने
अपनी पूरी जीभ शीला के म्नूः में डाल दी......शीला पंडित के दातों पे
जीभ चलाने लगी....

पंडित: ओह...शीला.....मेरी रानी...तेरी जीभ...तेरा मुँह तो मिल्क-केक जैसा
मीठा है...

शीला: पंडितजी...एयेए......आपके होंठ बड़े रसीलें हैं.....आपकी जीभ
शरबत है..आआहह...

पंडित: ओह्ह्ह...शीला....

पंडित शीला के गले को चूमने लगा......

आज शीला सफेद सारी-ब्लाउस में आई थी......

पंडित शीला का पल्लू हटा के उसके स्तनो को दबाने लगा....शीला ने खुद ही
ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया..

पंडित उसके बूब्स पे टूट पड़ा.....उसके निपल्स को कस कस केचूसने लगा....

शीला: ह...पंडितजी.....आराम से.......मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे
हैं...?...आऐईई....

पंडित: हाँ......तेरे स्तनो का जवाब नहीं.....तेरा दूध कितनी क्रीम वाला
है.....और तेरे गुलाबी निपल्स...इने तो मैं खा जाऊँगा...

शीला: आअहह....ह...ई......तो खा जाओ ना...मना कौन करता है......

पंडित शीला के निपल्स को दातों के बीच में लेके दबाने लगा...

शीला: आऐईए......इतना मत काटो.....आहह....वरना अपनी इस भेंस (काउ) का
दूध नहीं पी पाओगे....

पंडित: ऊओ...मेरी भेंस.....मैं हमेशा तेरा दुदु पीता रहूँगा....

शीला: ई...त..आआ....तो..पी..आ...लो ना.....निकालो ना मेरा
दूध......खाली कर दो मेरे स्तनो को.....

पंडित कुछ देर तक शीला के स्तनो को चूस्ता, चबाता, दबाता और काट-ता
रहा...

फिर पंडित नीचे की तरफ आ गया.....उसने शीला की सारी और पेटिकोट उसके
पेट तक चढ़ा दिए.....उसकी टाँगें खोल दी......

पंडित: शीला....आज कच्ची पहनने की क्या ज़रूरत थी....

शीला: पंडितजी...आगे से नहीं पहेनूगी....

पंडित ने शीला की कच्ची निकाल दी...

पंडित: मेरी रानी....अपनी योनि द्वार का सेवन तो करादे....

यह कह कर पंडित शीला की चूत चाट-ने लगा..........शीला के बदन में
करेंट सा दौड़ गया....शीला पहली बार चूत चटवा रही थी....

शीला: आआहह......म...एमेम..म.....मेरी योनि का सेवन कर लो
पंडितजी.....तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं....अपनी शूध जीभ से मेरी
योनि का भोग लगा लो....मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.......आआहह

पंडित: आअहह...मज़ा आ गया....

शीला: अया....हां..हां.....ले लो मज़ा.....एक विधवा को तुमने गरम तो कर
ही दिया है....इसकी योनि चखने का मौका मत गावाओ.......मेरे
पंडितजी...आआईई..........प......

पंडित ने शीला को पेट के बल लिटा दिया...उसकी सारी और पेटिकोट उसकी हिप्स
के ऊपर चढ़ा दिए..और शीला की हिप्स पे किस करने लगा...शीला की हिप्स
थोड़ी बड़ी थी...बहुत सॉफ्ट थी....

पंडित: शीला.....मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं......

शीला: पंडितजी....आहह...मरना ही है तो मेरे छूतदों के असली द्वार पे
मरो......आपने जो शिवलिंग दिया था वो मेरे छूतदों के द्वार पे आकर ही
फस्ता था...........

पंडित: तू फिकर मत कर.....तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊँगा....

यह कह कर पंडित ने शीला को घोड़ा बनाया...और उसकी गांद चाट-ने लगा....

शीला को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.........पंडित शीला का अशोल
चाट-ने के साथ साथ उसकी फुददी को रगड़ रहा था.......

शीला: आअहह....चलो...पंडितजी...अब स्वाहा कर दो.....उउस्स्ष्ह

पंडित: चल....अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैय्यर हो जा...

शीला: आहह...पंडितजी.....आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी....

पंडित: चल मेरी रानी....जैसे तेरी मर्ज़ी......

पंडित ने धीरे धीरे शीला की गांद में अपना पूरा लंड डाल दिया......

शीला: आआआहहह......

पंडित: अया...शीला प्यारी....बस कुछ सबर करले....आहह

शीला: आआहह....पंडितजी....मेरे पीछे...आऐईए...पीछे के द्वार मे आपका स्वागत है

पंडित: आअहह....मेरे बान (आरो) को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा
है.....कितना टाइट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार.....

शीला: आअहह....पंडितजी.....अपनेह स्कूटर की स्पीड बड़ा दो....रेस दो
ना....एयेए...

पंडित ने गांद में धक्कों की स्पीड बड़ा दी...

फिर शीला के गांद से निकाल कर लंड उसकी फुददी में डाल दिया....

शीला: आई माआ........कोई द्वार मत छोड़ना........आआ...आपकी बासुरी मेरे
बीच के...आहह......द्वार में क्या धुन बजा रही है..........

पंडित: मेरी शीला.....मेरी रानी....तेरे छेदों में मैं ही बासुरी
बजाओंगा....

शीला: आअहह...पंडितजी....मुझे योनि में बहुत...अया....खुजली हो रही
है.....अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो......मिटा दो मेरी
खुजली.....मिताआओ ना.....

पंडित ने शीला को लिटा दिया.....और उसके ऊपर आके अपना लंड उसकी चूत
में डाल दिया......साथ साथ उसने अपनी एक उंगली शीला के गांद में डाल
दी....

शीला: आअहह....पंडितजी.....प्यार करो इस विधवा लड़की को......अपनी
बासुरी से तेज़ तेज़ धुन निकालो......मिटा दो मेरी
खुजली................आहहहह....आ.आ..ए.ए.....

पंडित: आआहह...मेरी राअनी.......

शीला: ऊऊहह......मेरे राज्जाअ.......और तेज़ .........अओउुउउर्र्ररर
तेज़्ज़्ज़.....आआहह.........अंदर...और अंदर
आज्ज्जाआ......आअहह....प्प्प...स.स..स.

पंडित: .....आहह...ओह्ह्ह..........शीला...प्यारी....मैं छूट-ने वाला
हूँ....

शीला: आअहह......मैं भीइ....आआ...ई.......ऊऊऊ.....अंदर ही
......गिरा....द...दो अपना....प्रसाद.....

पंडित: आअहह...........

शीला: आआहह..................आ..आह...
आह.........आह..............आह....
भाई लोगो आप सब भी बोलो स्वाहा स्वाहा आहा आहा


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RE: Old sotry_पंडित & शीला_copy paste - by randibhabhi - 29-05-2021, 10:40 AM



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