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Adultery भयानक हवस का षडयंत्र
#5
Update - 5






अब मैं रूचि के यहाँ काम करने जा रही हूँ, वहाँ फ़ोन से बात रूचि से करुँगी। जरा कड़क भाषा और ठरकी रंगीन बनकर बात करना, बड़ा मज़ा आएगा। सबीना के जाने के थोड़ी देर बाद मेरे मोबाइल पर घंटी आई, सबीना बोल रही थी-


सबीना - और मेरे राजा मेरे बिना रहा जा है या नहीं. 


मैंने बोला नहीं तेरी बात ही कुछ अलग है. 


सबीना बोली - देख खबर तो लगता है सही है !!!! ये रुचि का पति लगता है शहर में नहीं है. और इसके पति की कार भी बाहर नहीं खड़ी है. 


मैं खुश हो गया यहाँ मैं बोला - मेरी जान तेरी खबर गलत हो सकती है क्या.........


और ऐसी ही प्लान से मिलती जुलती बातें करके मैंने भी अपना फ़ोन बंद कर दिया। मेरा लण्ड इस समय आसमान छू रहा था पर सबीना ने मुझे मुठ मारने के लिए मना किया था इसलिए बात करने के बाद मैं बाहर टहलने निकल गया। सबीना अगले दिन सुबह सात बजे काम पर आई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके गालों को चूमने लगा और बोला- सबीना, तूने तो कमाल कर दिया? 


सबीना बोली- देखते जाओ ! आज शाम को यूसुफ की आइटम यूसुफ के साथ-साथ आप से भी चुदेगी। 


मैं बोला- लेकिन यूसुफ शेख बुरा तो नहीं मानेगा? नहीं वो यूसुफ बहुत खतरनाक आदमी है उस दिन वो मेरे सामने किसी लड़की को इम्प्रेस करने के लिये बेकसूर सब्जी वाले को मार रहा था. उस दिन के बाद से वो सब्जी वाला आज तक नहीं दिखा. 


सबीना मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुराई और बोली- इस खेल में सब जायज़ है नेहा गुप्ता कौनसी उसकी बेगम है. यूसुफ की दोनों बीवीया तो उसके खोली में रहती है. 


मुझको तो यकीन नहीं हुआ कि मुझसे तो मेरी एक बीवी रजिया तक नहीं संभाली जा रही यहां पर यह गुंडागर्दी करने वाला यूसुफ दो बीवीया और ऊपर से किसी की पत्नी नेहा गुप्ता को अपनी सेटिंग बना कर बैठा था. 


मैंने बोला ऐसा क्या है जो यूसुफ अपनी दो बीवियों को छोड़ नेहा के पीछे पड़ा है .


सबीना बोली हस्ते हुए - खुद ही देख लेना ...... राजा बाबु......!


पर मैंने बोला अगर फिर भी यूसुफ को गुस्सा आ गया तो.....?


सबीना बोली - नहीं आयेगा मेरे भोंपू जैसे राजा. और अगर उसका मूड तुमको लगे ज्यादा ही खराब है या गुस्से में है तो मैं सब सम्भाल लूँगी. हस्ते हुए.........!


अब यह सेक्स तेल लो और हर एक घंटे बाद इसकी मालिश करो ! एक बजे से आपका भी प्रैक्टिस या तैयारी वाला मैच है. रुचि के साथ फाइनल खेलने के लिये नेहा के साथ सेमी फाइनल खेल कर जितना जरूरी है मिया. 


आपको कुछ भी करके यूसुफ जैसे मंजे हुए चुत के चटोरे और चुदाई के उस्ताद से हारना नहीं है. मैं नहीं चाहती कि आप फेल हों ! 



सबीना ने अपनी चूचियों के बीच से निकाल कर सेक्स के तेल की शीशी मुझे दे दी। सबीना तेल निकाल कर मेरे लण्ड की मालिश करने लगी। उसके बाद लण्ड अपने मुँह में घुसाने से पहले बोली- आज चुदवाऊँगी नहीं ! दोपहर को टनटनाए रहना ! नेहा की चूत का बाजा बजाना है। 


सबीना ने बताया- एक महीने पहले तो नेहा कई बार यूसुफ शैख से चुदवा चुकी है पर एक महीने से नेहा की चुदाई यूसुफ से तो नहीं हुई है आज मोका है. 



यूसुफ का लण्ड भी आठ इंच लम्बा है लेकिन दोनों को एक दूसरे के साथ करने में मज़ा आता है। आज यूसुफ शायद नेहा की गाण्ड मारना चाहता है जिसके लिए मुझे उसकी मदद करनी पड़ेगी। लग तो ऐसा ही रहा है. तुम भी देखना कैसे उसकी गाण्ड मरवाती हूँ और तुम्हारा लण्ड उसकी चूत में भी डलवाऊँगी ! बस तुम जल्दबाजी मत करना ! 


सबीना ने मुझे एक पप्पी दी और बोली- मैं यूसुफ के साथ आऊँगी, सोच-सोच कर मुठ मत मारना और इतना कह कर सबीना चली गई। मैं एक बजने का इंतजार करने लगा। दोपहर की एक बजने से 10 मिनट पहले ही घंटी बजी। सामने यूसुफ शैख, और उसका माल नेहा गुप्ता खड़ी थी और साथ में सबीना खड़ी थीं। सबीना के हाथ मैं एक बैग था जिसमें कुछ कपड़े थे। हम लोग अन्दर आ गए, सबीना ने मेरा परिचय यूसुफ और नेहा से कराया। 



यूसुफ शैख एक 6 फुट का काला और मोटा आदमी था. यूसुफ की उम्र कुछ 46 साल की होगी. यूसुफ शक्ल से ही गुंडा और दो नम्बर के काम करने वाला दिखता था.


पर असली माल तो नेहा थी........


नेहा गुप्ता एक गोरे बदन की 33 साल की बड़ी निप्पल या चूचियों वाली थोड़े भरे हुए बदन की महिला थी।

नेहा को देख कर लग रहा था कि वहां खाते पीते घर की ऊंची कास्ट की महिला है. नेहा गुप्ता दिखने काफी सुन्दर थी मैंने इतनी उम्मीद नहीं करी थी कि एक खाना बनाने वाली भी इतनी सुन्दर होगी. क्या सही में वो यह खाना बनाने का काम करती होगी मुझको नहीं पता चल रहा था देख कर............?


नेहा का शरीर पूरा आकार में था जैसा कि यहाँ शहर की औरतों का होता है. नेहा गुप्ता ना ही ज्यादा पतली थी ना ही ज्यादा मोटी थी. मेरा तो नेहा को ही देख कर दिल खुश हो गया था. मुझको अब समझ में आया कि क्यों यूसुफ मिया नेहा के पीछे पडे थे. नेहा गुप्ता को घूर घूर कर ताकने के बाद सबीना ने एक हाथ मेरे पैर पर मार कर मेरा ध्यान तोडा. सबीना ने अन्दर जाकर कुछ अपने बैग से खाने का निकाल बाहर ले आयी. फिर हमने उसी कोल्ड ड्रिंक और चिप्स का नाश्ता किया। 




फ़िर सबीना बोली- आप लोग कपड़े बदल लो ! बैग में से दो लुंगी निकाल कर उसने हमें दे दीं। सबीना ने दोनों के कान में कहा- आप अंदर जाकर सिर्फ लुंगी पहन लो ! हम लोग अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर सिर्फ लुंगी पहन कर आ गए। 


सबीना बोली- नेहा जी, आप थोड़ी शरमा रही हैं, आप साड़ी उतार दें और मैं आपको पेटीकोट ब्लाउज देती हूँ ! उन्हें पहन लें नहीं तो आपके कपड़े ख़राब हो जाएँगे, थोड़ी देर पेटीकोट-ब्लाउज में रहेंगी तो शर्म भी छूट जाएगी।




नेहा मुझको और सबीना को देख कर थोड़ा शरमा रही थी. और वेसे भी नेहा का शरमाना बनता भी था. नेहा गुप्ता ऊँची कास्ट की शादी शुदा और हम सब से कहीं गुना ज्यादा पढ़ी लिखी महिला थी. कोई बाजारू रंडी या वेश्या नहीं थी. पर अब थोड़ी देर तक थोड़ा ना-नुकुर करने के बाद नेहा ने अंदर जाकर कपड़े बदल लिए। 


अब वह गहरे गले के ब्लाउज और पेटीकोट में थी। पेटीकोट नाभि के नीचे बंधा था, नेहा का बदन चिकना और जवान था जिसने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया था। मैंने पहली बार किसी *** धर्म की औरत को इतना पास से गहरे गले के ब्लाउज और मादक पेटीकोट में देखा था. इसमें नेहा पहले से भी कई गुना ज्यादा सेक्सी दिख रही थी. 


मैं तो ऊपर वाले से यही दुआ या अपील कर रहा था कि मेरी जिंदगी में कुछ नहीं तो रजिया मोटी भैस से पीछा छुड़वा कर नेहा गुप्ता से मेरा निकाह करवा दे. मेरे जैसे गाँव के गँवार सांड के लिये नेहा भी बहुत मायने रखती थीं. 









पर ऊपर वाले के पास """मेरी गरीब किस्मत के लिये एक अमीर कामुक दास्तान""" थी. जिससे में अभी अनजान था.






To Be Continued.........
Written By Mohik
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RE: भयानक हवस का षडयंत्र - by Mohik - 28-05-2021, 11:07 PM



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