28-05-2021, 09:50 PM
(28-05-2021, 09:35 PM)usaiha2 Wrote: कोमल जी... आपको हार्दिक शुभकामनाएं... एक और अच्छी कहानी के लिए...
आपने एक काम अच्छा किया कि jkg को पुनः लिखना बन्द कर दिया...
और यहां पोस्ट कि संख्या बढा दी...
मैं आपकी लेखनी का बहुत हि बड़ा "पंखा" हुं... पर पता नहीं क्यों इस कहानी को पढ कर लगता है कि ये कहानी jkg पार्ट 2 बनती जा रही है... क्योंकि आप ना सिर्फ घटनाएंबल्कि पात्रों कि भी पुनरावृत्ति कर रही हैं...
आशा है आप कुछ नवीन रचेंगी...
धन्यवाद...
क्योंकि आपने पूछा है इसलिए मैं ये बता रहीं हूँ ,ये कहानी अपने अंतिम चरण में हैं, शायद दस बारह पोस्ट और,... लगता है आपने इसमें बीच की कुछ पोस्टें मिस कर दीं, जो आपने कहा है उसी पर मैंने चर्चा की थी,
हाँ एक बात और, पृष्ठ ५८ ( कन्वर्जेंस ) और पृष्ठ ५५ पर पोस्ट १०९२ से १०९८ तक की कुछ पोस्टें,... अगर आपने उन्हें पढ़ा होगा तो जरूर कुछ नयेपन का अहसास होगा,...
हाँ एक बात और कुछ नया लिखने की अच्छा लिखने की बात,... एक बात तो अगर कहने पर कमेंट्स मिले तो कई बार लिखना सकारज नहीं लगता, दूसरी बात बाहर की विभीषिका भी मन को अस्थिर सी कर के रखती है, ... करुण रस के बीच श्रृंगार कभी कभी कठिन सा लगता है,...


बल्कि पात्रों कि भी पुनरावृत्ति कर रही हैं... ![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)