23-05-2021, 06:58 PM
छुटकी ननदिया
और अबकी उन्होने उसे बहुत सम्हाल कर , जैसे कोई कांच की गुड़िया हो पलंग पर लिटा दिया , उसकी पीठ पलंग पर
ये उसके ऊपर एकदम जैसे सावन भादो के बादल धरती के ऊपर छा जाते है ,
वो फैली हुयी , ये उसके ऊपर ,
जैसे पहली रात पति पत्नी एकदम चिपक कर , पत्नी के अंदर पत्नी के ऊपर पति चिपक कर , देह से देह चिपकी रगड़ती मिली
बस एकदम उसी तरह ,
धक्के हलके हो गए थे , लेकिन वो भी कोशिश कर रही थी नीचे से चूतड़ उठा उठा के जवाब देने का ,
हलके पवन के झोंके के की तरह ,
और अबकी वो जब झड़ी तो कस के उसने इन्हे दबोच लिया , उसके लम्बे लमबे नाख़ून इनके कन्धों में धंसे ,
और अब साथ साथ ये भी ,
दोनों साथ साथ झड़ रहे थे , बड़ी देर तक और ये रुके तो फिर दुबारा ,
और उसके बाद भी ये अपनी बहन के ऊपर दस मिनट तक चिपके पड़े रहे ,
जब उठे तो गुड्डी की जांघों के बीच कटोरी भर रस मलाई
मेरी ननद की बुरिया अपने भइया की गाढ़ी थक्केदार मलाई से ऊपर तक बजबजा रही थी , बुर के साथ उसकी गोरी गोरी चिकनी मक्खन सी जाँघों पर भी उनका वीर्य बह रहा था ,
कम्मो ने अपनी उँगलियों में सब समेटा और सीधे ननद रानी के मुंह में ,
" खा ले , खा ले तेरी भइया की ही मलाई है , उनकी मेहनत की कमाई है। "
मैं क्यों पीछे रहती मेरे साजन की मलाई मेरी ननद की बिल में , ... मैंने गचाक से दो ऊँगली एक साथ उसकी कच्ची अभी फटी बुर में पेली , और अंदर तक गोल गोल घुमा के , रगड़ के , समेट के थोड़ा उसके मुंह में , बाकी उसके गालों पर , ...
वो ननद भौजाई की शरारतें देख रहे , मुस्करा रहे थे। पलंग के किनारे पड़ी बॉक्सर शार्ट उन्होंने उठा कर पहन ली , बड़ी मुश्किल से तकिये का सहारा लेकर गुड्डी भी बैठी , पर बाहर हो रही शाम को देख कर वो अचानक चौक गयी और पलंग पर से उतरने की कोशिश करने लगी ,
" बुआ के आने का टाइम हो गया न और बड़ी भाभी भी उनके साथ " , घबड़ा के वो शोख बोली।
फर्श पर पड़ी उसकी स्कर्ट और टॉप उठा के कम्मो ने उसे पकड़ाया ,
टॉप पहनने मैंने भी मदद की , वो हिरणी सी अपनी बड़ी बड़ी घबड़ायी आँखों से मुझे देख रही थी , फिर जैसे खुद से बोली ,
" शाम को ,... बुआ , बड़ी भाभी आने वाली होंगी , ... "
उसकी घबड़ाहट मैं समझ रही थी , उस समय कोई भी उसकी हालत को देख कर समझ सकता था उसने क्या क्या किया था , ...
मैंने अपना मोबाइल बंद किया जिससे अब तक मेरी ननद की काम क्रीड़ा जस की तस लाइव टेलीकास्ट हो रही थी , मेरे मायके और इनकी ससुराल में और दिखाया ,
उसकी बड़की भाभी और मेरी जेठानी का , मेरी सास और जेठानी अब कल दोपहर के बाद आ रहे थे ,
उसकी चेहरे की घबड़ाहट मुस्कान में बदल गयी , और सबसे पहले उसने अपने भैया की ओर देखा , मुस्कराते हुए ,
लेकिन ये मुस्कान थोड़ी देर ही रही , अब उसकी निगाह घडी पर पड़ी , ६ बज रहे थे , ( पिछले डेढ़ -दो घंटे से तो उसके भइया ही उसकी बजा रहे थे , दो राउंड कच्ची कली का )
एक बार फिर उसने पलंग से उतरने की कोशिश की तो जोर से चिल्ख उठी , मैंने सहारा दिया , मैं समझ रही थी उसकी हड़बड़ी ,
पहले उसने मजबूरी में जैसे अपने भइया की ओर देखा , जैसे उसका जाने का मन न कर रहा हो पर बहुत मज़बूरी हो , ... फिर मेरी ओर ,
बकी मैंने उसे मेसेज नहीं दिखाया , बल्कि उसके घर फोन लगाया , ये बताते हुए की मैंने अपनी छोटी ननद को किडनैप कर लिया है और अब कल दिन में ही वापस करुँगी , असल में इस बारे में मेसेज पहले ही मैंने दे दिया था उसके यहाँ से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया था ,
और हँसते हुए उधर से जवाब आया तेरी ननद है जो चाहे करो , ...
और अबकी उन्होने उसे बहुत सम्हाल कर , जैसे कोई कांच की गुड़िया हो पलंग पर लिटा दिया , उसकी पीठ पलंग पर
ये उसके ऊपर एकदम जैसे सावन भादो के बादल धरती के ऊपर छा जाते है ,
वो फैली हुयी , ये उसके ऊपर ,
जैसे पहली रात पति पत्नी एकदम चिपक कर , पत्नी के अंदर पत्नी के ऊपर पति चिपक कर , देह से देह चिपकी रगड़ती मिली
बस एकदम उसी तरह ,
धक्के हलके हो गए थे , लेकिन वो भी कोशिश कर रही थी नीचे से चूतड़ उठा उठा के जवाब देने का ,
हलके पवन के झोंके के की तरह ,
और अबकी वो जब झड़ी तो कस के उसने इन्हे दबोच लिया , उसके लम्बे लमबे नाख़ून इनके कन्धों में धंसे ,
और अब साथ साथ ये भी ,
दोनों साथ साथ झड़ रहे थे , बड़ी देर तक और ये रुके तो फिर दुबारा ,
और उसके बाद भी ये अपनी बहन के ऊपर दस मिनट तक चिपके पड़े रहे ,
जब उठे तो गुड्डी की जांघों के बीच कटोरी भर रस मलाई
मेरी ननद की बुरिया अपने भइया की गाढ़ी थक्केदार मलाई से ऊपर तक बजबजा रही थी , बुर के साथ उसकी गोरी गोरी चिकनी मक्खन सी जाँघों पर भी उनका वीर्य बह रहा था ,
कम्मो ने अपनी उँगलियों में सब समेटा और सीधे ननद रानी के मुंह में ,
" खा ले , खा ले तेरी भइया की ही मलाई है , उनकी मेहनत की कमाई है। "
मैं क्यों पीछे रहती मेरे साजन की मलाई मेरी ननद की बिल में , ... मैंने गचाक से दो ऊँगली एक साथ उसकी कच्ची अभी फटी बुर में पेली , और अंदर तक गोल गोल घुमा के , रगड़ के , समेट के थोड़ा उसके मुंह में , बाकी उसके गालों पर , ...
वो ननद भौजाई की शरारतें देख रहे , मुस्करा रहे थे। पलंग के किनारे पड़ी बॉक्सर शार्ट उन्होंने उठा कर पहन ली , बड़ी मुश्किल से तकिये का सहारा लेकर गुड्डी भी बैठी , पर बाहर हो रही शाम को देख कर वो अचानक चौक गयी और पलंग पर से उतरने की कोशिश करने लगी ,
" बुआ के आने का टाइम हो गया न और बड़ी भाभी भी उनके साथ " , घबड़ा के वो शोख बोली।
फर्श पर पड़ी उसकी स्कर्ट और टॉप उठा के कम्मो ने उसे पकड़ाया ,
टॉप पहनने मैंने भी मदद की , वो हिरणी सी अपनी बड़ी बड़ी घबड़ायी आँखों से मुझे देख रही थी , फिर जैसे खुद से बोली ,
" शाम को ,... बुआ , बड़ी भाभी आने वाली होंगी , ... "
उसकी घबड़ाहट मैं समझ रही थी , उस समय कोई भी उसकी हालत को देख कर समझ सकता था उसने क्या क्या किया था , ...
मैंने अपना मोबाइल बंद किया जिससे अब तक मेरी ननद की काम क्रीड़ा जस की तस लाइव टेलीकास्ट हो रही थी , मेरे मायके और इनकी ससुराल में और दिखाया ,
उसकी बड़की भाभी और मेरी जेठानी का , मेरी सास और जेठानी अब कल दोपहर के बाद आ रहे थे ,
उसकी चेहरे की घबड़ाहट मुस्कान में बदल गयी , और सबसे पहले उसने अपने भैया की ओर देखा , मुस्कराते हुए ,
लेकिन ये मुस्कान थोड़ी देर ही रही , अब उसकी निगाह घडी पर पड़ी , ६ बज रहे थे , ( पिछले डेढ़ -दो घंटे से तो उसके भइया ही उसकी बजा रहे थे , दो राउंड कच्ची कली का )
एक बार फिर उसने पलंग से उतरने की कोशिश की तो जोर से चिल्ख उठी , मैंने सहारा दिया , मैं समझ रही थी उसकी हड़बड़ी ,
पहले उसने मजबूरी में जैसे अपने भइया की ओर देखा , जैसे उसका जाने का मन न कर रहा हो पर बहुत मज़बूरी हो , ... फिर मेरी ओर ,
बकी मैंने उसे मेसेज नहीं दिखाया , बल्कि उसके घर फोन लगाया , ये बताते हुए की मैंने अपनी छोटी ननद को किडनैप कर लिया है और अब कल दिन में ही वापस करुँगी , असल में इस बारे में मेसेज पहले ही मैंने दे दिया था उसके यहाँ से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया था ,
और हँसते हुए उधर से जवाब आया तेरी ननद है जो चाहे करो , ...