23-05-2021, 06:57 PM
कम्मो भौजी
अब मेरी ननद इन्हे चोद रही थी ,
आज सुबह की बात मुझे याद आ रही थी, आज सुबह ही तो,
मैंने कस के कम्मो का हाथ पकड़ लिया , मान गयी मैं उसे , इनकी भौजाई अपनी जेठानी को ,
सुबह मैं कितना परेशान थी ,
बस कम्मो ने पूछा और मैंने पूरी बात बोली भी नहीं थी की कैसे अपनी ननद के ऊपर इन्हे , वो बोली ,
' बस इतनी सी बात , और ये चाँद से मुखड़े पर बादल , मेरे ऊपर छोड़ दे। "
मेरी कुछ समझ में नहीं आया , तो वो हलके से हड़काती बोली ,
" अरे यार बोला न अब ये मेरी जिम्मेदारी है , कैसे कब किस तरह मेरे देवर के नीचे आती है , ये अब मेरी जिम्मेदारी "
फिर कुछ रुक के कम्मो ने मेरा काम मुझे पकड़ाया ,
" लेकिन चिड़िया को पिजड़े में लाने का काम देवरानी तेरा , उसके बाद देवर को ननदोई बनाने का काम मेरा "
बस हँसते हुए मैंने अपनी ननद रानी को फोन लगाया , थोड़ा छेड़छाड़ और उलाहना कुछ इमोशनल ब्लैकमेल , और ये बात की उसके भइया भी आज घर पर नहीं हैं उसकी बुआ और बड़ी भाभी भी नहीं बस शाम को , फिर कब मुलाक़ात होगी , दो दिन बाद मैं निकल जाउंगी , ... स्पीकर फोन ऑन था , कम्मो भी सब सुन रही थी ,
अब वो टीनेजर , उस उम्र की लड़कियां नखड़े न करें तो ,... लेकिन वो मान गयी , ... और कम्मो की ओर देखते मैंने फोन काट दिया।
मारे ख़ुशी के अबकी कम्मो ने मुझे गले लगा लिया और बोली , अब आगे की जिम्मेदारी मेरी , ननद रानी कली बनकर आएँगी , फूल बन कर जाएंगी ,
फिर कम्मो ने जोड़ा ,
" सुन यार मैं लौंडियों को खूब पहचानती हूँ , ये जितनी सीधी बनती है , जरा से मजाक से भड़क जाती है , चरित्तर दिखाती है न , बस एक बार उसकी नथ उतर जाय , किसी मोटे लौंड़े से इसकी चूत फ़ट जाए , और मेरे देवर ऐसा सांड अगर इसके ऊपर चढ़ जाय न तो बस , देखना ,... पक्की चुदवासी है स्साली , खाली नौटंकी करती है , नंबरी छिनार , बस एकबार फटने की देर है , और अब आज इसकी लिख गयी है , आज अपने भइया से चुद जाए , उसके बाद मेरे तेरे भइया से भी चुदवायेगी स्साली , खुद अपनी शलवार का नाड़ा खोलेगी ,
सारे बनारस वालों के आगे ( हम दोनों का मायका ), एक बार लंड घोंट ले तो खुद ये लंड की दीवानी बन के , लंड ढूंढती फिरेगी , ... "
" एकदम सही , स्साली आजमगढ़ वालियों ( मेरी ओर कम्मो दोनों की ससुराल वालियां ) का काम ही है शलवार का नाड़ा खोलना , बनारस वालों ( हम दोनों का मायका ) के आगे ," हँसते हुए मैं बोली ,
और वही कम्मो की बात, सच में पक्की चुदवासी लग रही थी , जिस तरह से वो खुद धक्के मार मार के अपने भइया के लंड को घोंटने की कोशिश कर रही थी
सच में कम्मो को सही पहचान थी लड़कियों की और उन्हें शीशे में उतारने का तरीका भी उसे मालूम था ,
कम्मो का प्लान एकदम सही निकला, कैसे मस्ती से मेरी ननद चुदवा रही है अपने भैया से,
एक बार फिर से मेरी निगाह अपनी टीनेजर कमसिन कच्ची कली ननद की ओर मूड गयी. कातिक की कुतिया झूठ
बड़ी कोशिश के बाद एक दो इंच वो अपने अंदर , फिर हलके हलके अंदर बाहर ,
लेकिन अब इनसे नहीं रहा गया , अपनी छोटी बहन की कमर पकड़ के पहले तो कुछ देर उसके धक्के मारने की कोशिश का जवाब देते रहे , साथ देते रहे , जैसे कोई बहुत हलके हलके झूले में पेंग लगाए , दो चार मिनट के बाद , एक बार फिर उन्होंने कस के उसके दोनों उभार पकडे , लंड आलमोस्ट पूरा बाहर किया और
क्या करारा धक्का था , एक बार में पूरा बांस अंदर
सुपाड़े का जबरदस्त धक्का सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,
उईईईईई उईईईईई , वो जोर से चीखी
और साथ में जोर से झड़ने लगी वो , अब तक पांच छह बार तो झाड़ ही दिया होगा उसे इन्होने पर इतनी तेज पहली बार झड़ रही थी ,
देर तक झड़ती रही , रूकती फिर झड़ना शुरू कर देती ,
और अबकी उन्होने उसे बहुत सम्हाल कर , जैसे कोई कांच की गुड़िया हो पलंग पर लिटा दिया , उसकी पीठ पलंग पर
ये उसके ऊपर एकदम जैसे सावन भादो के बादल धरती के ऊपर छा जाते है ,
वो फैली हुयी , ये उसके ऊपर ,
जैसे पहली रात पति पत्नी एकदम चिपक कर , पत्नी के अंदर पत्नी के ऊपर पति चिपक कर , देह से देह चिपकी रगड़ती मिली
बस एकदम उसी तरह ,
अब मेरी ननद इन्हे चोद रही थी ,
आज सुबह की बात मुझे याद आ रही थी, आज सुबह ही तो,
मैंने कस के कम्मो का हाथ पकड़ लिया , मान गयी मैं उसे , इनकी भौजाई अपनी जेठानी को ,
सुबह मैं कितना परेशान थी ,
बस कम्मो ने पूछा और मैंने पूरी बात बोली भी नहीं थी की कैसे अपनी ननद के ऊपर इन्हे , वो बोली ,
' बस इतनी सी बात , और ये चाँद से मुखड़े पर बादल , मेरे ऊपर छोड़ दे। "
मेरी कुछ समझ में नहीं आया , तो वो हलके से हड़काती बोली ,
" अरे यार बोला न अब ये मेरी जिम्मेदारी है , कैसे कब किस तरह मेरे देवर के नीचे आती है , ये अब मेरी जिम्मेदारी "
फिर कुछ रुक के कम्मो ने मेरा काम मुझे पकड़ाया ,
" लेकिन चिड़िया को पिजड़े में लाने का काम देवरानी तेरा , उसके बाद देवर को ननदोई बनाने का काम मेरा "
बस हँसते हुए मैंने अपनी ननद रानी को फोन लगाया , थोड़ा छेड़छाड़ और उलाहना कुछ इमोशनल ब्लैकमेल , और ये बात की उसके भइया भी आज घर पर नहीं हैं उसकी बुआ और बड़ी भाभी भी नहीं बस शाम को , फिर कब मुलाक़ात होगी , दो दिन बाद मैं निकल जाउंगी , ... स्पीकर फोन ऑन था , कम्मो भी सब सुन रही थी ,
अब वो टीनेजर , उस उम्र की लड़कियां नखड़े न करें तो ,... लेकिन वो मान गयी , ... और कम्मो की ओर देखते मैंने फोन काट दिया।
मारे ख़ुशी के अबकी कम्मो ने मुझे गले लगा लिया और बोली , अब आगे की जिम्मेदारी मेरी , ननद रानी कली बनकर आएँगी , फूल बन कर जाएंगी ,
फिर कम्मो ने जोड़ा ,
" सुन यार मैं लौंडियों को खूब पहचानती हूँ , ये जितनी सीधी बनती है , जरा से मजाक से भड़क जाती है , चरित्तर दिखाती है न , बस एक बार उसकी नथ उतर जाय , किसी मोटे लौंड़े से इसकी चूत फ़ट जाए , और मेरे देवर ऐसा सांड अगर इसके ऊपर चढ़ जाय न तो बस , देखना ,... पक्की चुदवासी है स्साली , खाली नौटंकी करती है , नंबरी छिनार , बस एकबार फटने की देर है , और अब आज इसकी लिख गयी है , आज अपने भइया से चुद जाए , उसके बाद मेरे तेरे भइया से भी चुदवायेगी स्साली , खुद अपनी शलवार का नाड़ा खोलेगी ,
सारे बनारस वालों के आगे ( हम दोनों का मायका ), एक बार लंड घोंट ले तो खुद ये लंड की दीवानी बन के , लंड ढूंढती फिरेगी , ... "
" एकदम सही , स्साली आजमगढ़ वालियों ( मेरी ओर कम्मो दोनों की ससुराल वालियां ) का काम ही है शलवार का नाड़ा खोलना , बनारस वालों ( हम दोनों का मायका ) के आगे ," हँसते हुए मैं बोली ,
और वही कम्मो की बात, सच में पक्की चुदवासी लग रही थी , जिस तरह से वो खुद धक्के मार मार के अपने भइया के लंड को घोंटने की कोशिश कर रही थी
सच में कम्मो को सही पहचान थी लड़कियों की और उन्हें शीशे में उतारने का तरीका भी उसे मालूम था ,
कम्मो का प्लान एकदम सही निकला, कैसे मस्ती से मेरी ननद चुदवा रही है अपने भैया से,
एक बार फिर से मेरी निगाह अपनी टीनेजर कमसिन कच्ची कली ननद की ओर मूड गयी. कातिक की कुतिया झूठ
बड़ी कोशिश के बाद एक दो इंच वो अपने अंदर , फिर हलके हलके अंदर बाहर ,
लेकिन अब इनसे नहीं रहा गया , अपनी छोटी बहन की कमर पकड़ के पहले तो कुछ देर उसके धक्के मारने की कोशिश का जवाब देते रहे , साथ देते रहे , जैसे कोई बहुत हलके हलके झूले में पेंग लगाए , दो चार मिनट के बाद , एक बार फिर उन्होंने कस के उसके दोनों उभार पकडे , लंड आलमोस्ट पूरा बाहर किया और
क्या करारा धक्का था , एक बार में पूरा बांस अंदर
सुपाड़े का जबरदस्त धक्का सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,
उईईईईई उईईईईई , वो जोर से चीखी
और साथ में जोर से झड़ने लगी वो , अब तक पांच छह बार तो झाड़ ही दिया होगा उसे इन्होने पर इतनी तेज पहली बार झड़ रही थी ,
देर तक झड़ती रही , रूकती फिर झड़ना शुरू कर देती ,
और अबकी उन्होने उसे बहुत सम्हाल कर , जैसे कोई कांच की गुड़िया हो पलंग पर लिटा दिया , उसकी पीठ पलंग पर
ये उसके ऊपर एकदम जैसे सावन भादो के बादल धरती के ऊपर छा जाते है ,
वो फैली हुयी , ये उसके ऊपर ,
जैसे पहली रात पति पत्नी एकदम चिपक कर , पत्नी के अंदर पत्नी के ऊपर पति चिपक कर , देह से देह चिपकी रगड़ती मिली
बस एकदम उसी तरह ,