18-05-2021, 01:20 PM
रात को जब मेरे लेटने के बाद दीपा कपडे बदल कर बैडरूम में पलंग पर आयी तो मैंने देखा की उसका चेहरा ग्लानि से फीका पड़ा हुआ था। मैं उसे सालों से जानता हूँ। मैं समझ गया की वह कुछ जरुरी बात मुझसे करना चाहती थी।
मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और प्यार जताते हुए पूछा, "मुझे लगता है की तुम कुछ कहना चाहती हो। कहो क्या बात है?"
मेरी बात सुनते ही दीपा की आँखोने में से आंसुओं की धार बहने लगी। वह मेरी छाती पर अपना सर रख कर फफक फफक कर रोने लगी। मैंने कुछ समय उसे रोने दिया। मैं उसके सर को सहलाता रहा। जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने कहा, "अब बताओ, क्या बात है। "
दीपा ने कहा, "मैंने सुबह जब आपको यह कहा की सुबह कुछ नहीं हुआ, तो मैंने आपसे झूठ बोला था। असल में सुबह बाथरूम में बहुत कुछ हुआ था।"
मैंने कहा, "क्या हुआ? क्या तरुण ने कुछ किया क्या?"
दीपा ने अपनी नजरें नीच कर अपनी मुण्डी हिला कर कहा, "हाँ। "
मैंने दीपा की और नजरें उठाकर देखा और हँसते हुए पूछा, "क्या उसने तुम्हारे साथ सब कुछ कर लिया क्या? कहीं उसने तुम्हारे कपडे उतार कर वह तुम पर चढ़ तो नहीं गया? तुम तो ऐसा कर रही हो जैसे तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया हो। उस छोटे से बाथरूम में तरुण तुम्हें चोद तो नहीं सकता था। क्या उसने तुम्हें चोदा है?"
दीपा मेरी बात सुनकर एकदम गुस्सा हो गयी और बोली, "अपनी बीबी के साथ ऐसी बातें करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम मर्द लोग समझ ते क्या हो अपने आप को? क्या इस दुनिया में चोदने चुदवाने के अलावा और कुछ नहीं है क्या? सुबह चोदने की बात, शामको चोदने की बात?"
मैंने पूछा, "तो बोलो ना फिर क्या हुआ? बोलो भी? अगर उसने तुम्हें चोदा नहीं तो फिर क्या किया? क्या तरुण ने तुम्हारे बूब्स को मसला?
दीपा के गाल शर्म के मारे लाल हो गए। उसने नजरें नीची कर कहा, "हाँ, उसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाला। उसने मुझे होठोँ पर किस भी की। उसने मेरे साथ बड़ी बदतमीजी की।"
उस समय मुझे मेरी बीबी पर वाकई बड़ा गर्व हुआ। उसने मुझसे सच छुपाया नहीं। मैंने पूछा, "क्या? उसकी ये हिम्मत? वह तो चला गया। तुमने मुझे पहले बताया क्यों नहीं? मैं उसकी खबर ले लेता। अगर उसने तुम पर जबरदस्ती की है, तो मैं उससे अभी ही सारे सम्बन्ध तोड़ दूंगा। यह गलत है और तुम्हें मुझे उसी समय बता देना चाहिए था।"
दीपा मेरी बात सुनकर एकदम सकते में आगयी और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है। नहीं तुम उसे कुछ मत कहना। कहीं आप दोनों में बड़ा झगड़ा ना हो जाए। मैंने ही उसको इतना झाड़ दिया है की वह शायद अब हमारे घर नहीं आएगा। मैंने उसे कह दिया की मैं उसकी शकल तक देखना नहीं चाहती। मैंने उसको गेट आउट भी कह दिया। पर अब मुझे अफ़सोस हो रहा है। वैसे तो हम उसे इतने सालों से जानते हैं। वह ऐसी ओछी हरकत कभी नहीं करता। शायद उसे दिखाई नहीं दे रहा था तो वह लड़खड़ा गया और अपने आपको गिरने से बचाने के लिए उसने मुझे पकड़ना चाहा और इसी चक्कर में उसका हाथ मरे ब्लाउज के अंदर चला गया। पता नहीं आज उसे क्या हो गया था।"
दीपा ने फिर रोते हुए मुझे सब कुछ बता दिया जो बाथरूम में हुआ था। बस तरुण का लण्ड मुंह में लेने वाली और दिए हुए वचन की बात नहीं बतायी। मैं जानता था की ऐसी बात दीपा कैसे बताये? उसे शायद अपने आप पर ही घिन आ रही थी।
मैंने दीपा की बातें ध्यान से सुनी और उस पुरे वाकये को सुनते हुए मैं दीपा को अपनी गोद में बिठा कर कभी उसके कंधे को तो कभी बालों को प्यार से सहलाता रहा। मैं चाहता था की उसके अंदर का उफान बाहर निकल जाए।
जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने दीपा के ब्लाउज में हाथ डालकर कहा, "जानूं, एक बात कहूं? तुम बुरा तो नहीं मानोगी?"
दीपा ने मेरी और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा। उसके चेहरे पर शांत सौम्य भाव था। मैंने कहा, "देखो, तुम एक स्त्री हो। जाहिर है तुम स्त्री की तरह ही सोचोगी। पर मैं एक पुरुष हूँ। अब जब मैं सोचता हूँ तो मुझे यह समझ में आ रहा है की यह सब तरुण की या तुम्हारी गलती नहीं थी। यह सब मेरी गलती के कारण हुआ है।"
मेरी बात मेरी पत्नी की समझ में नहीं आयी। उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे। मैंने कहा, "मैं तुम्हें बताता हूँ की कैसे। जब मैंने तुम्हें कहा की तुम तरुण को लेकर बाथरूम में जाओ, वह मेरी गलती थी। देखो और समझो। तरुण के जैसा शशक्त और वीर्यवान पुरुष जब तुम जैसी ना सिर्फ खूबसूरत परन्तु निहायत ही सेक्सी औरत के साथ एकदम एकांत में बाथरूम में जाए और उस पर भी अगर तुम उसके बदन पर हाथ फिराकर उसे साफ़ करो तो मैं तरुण का दोष नहीं मानूंगा की उसने तुम्हारे साथ ऐसी बदतमीजी की। उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो यही करता। हाँ अगर कोई नपुंशक होता तो वह ऐसा ना करता।
तुम मर्दों को कोसती हो। तुम अपनी जगह सही हो। पर भगवान ने हम मर्दों को बनाया ही ऐसा है। हम मर्द कुत्ते की तरह हैं
मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और प्यार जताते हुए पूछा, "मुझे लगता है की तुम कुछ कहना चाहती हो। कहो क्या बात है?"
मेरी बात सुनते ही दीपा की आँखोने में से आंसुओं की धार बहने लगी। वह मेरी छाती पर अपना सर रख कर फफक फफक कर रोने लगी। मैंने कुछ समय उसे रोने दिया। मैं उसके सर को सहलाता रहा। जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने कहा, "अब बताओ, क्या बात है। "
दीपा ने कहा, "मैंने सुबह जब आपको यह कहा की सुबह कुछ नहीं हुआ, तो मैंने आपसे झूठ बोला था। असल में सुबह बाथरूम में बहुत कुछ हुआ था।"
मैंने कहा, "क्या हुआ? क्या तरुण ने कुछ किया क्या?"
दीपा ने अपनी नजरें नीच कर अपनी मुण्डी हिला कर कहा, "हाँ। "
मैंने दीपा की और नजरें उठाकर देखा और हँसते हुए पूछा, "क्या उसने तुम्हारे साथ सब कुछ कर लिया क्या? कहीं उसने तुम्हारे कपडे उतार कर वह तुम पर चढ़ तो नहीं गया? तुम तो ऐसा कर रही हो जैसे तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया हो। उस छोटे से बाथरूम में तरुण तुम्हें चोद तो नहीं सकता था। क्या उसने तुम्हें चोदा है?"
दीपा मेरी बात सुनकर एकदम गुस्सा हो गयी और बोली, "अपनी बीबी के साथ ऐसी बातें करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम मर्द लोग समझ ते क्या हो अपने आप को? क्या इस दुनिया में चोदने चुदवाने के अलावा और कुछ नहीं है क्या? सुबह चोदने की बात, शामको चोदने की बात?"
मैंने पूछा, "तो बोलो ना फिर क्या हुआ? बोलो भी? अगर उसने तुम्हें चोदा नहीं तो फिर क्या किया? क्या तरुण ने तुम्हारे बूब्स को मसला?
दीपा के गाल शर्म के मारे लाल हो गए। उसने नजरें नीची कर कहा, "हाँ, उसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाला। उसने मुझे होठोँ पर किस भी की। उसने मेरे साथ बड़ी बदतमीजी की।"
उस समय मुझे मेरी बीबी पर वाकई बड़ा गर्व हुआ। उसने मुझसे सच छुपाया नहीं। मैंने पूछा, "क्या? उसकी ये हिम्मत? वह तो चला गया। तुमने मुझे पहले बताया क्यों नहीं? मैं उसकी खबर ले लेता। अगर उसने तुम पर जबरदस्ती की है, तो मैं उससे अभी ही सारे सम्बन्ध तोड़ दूंगा। यह गलत है और तुम्हें मुझे उसी समय बता देना चाहिए था।"
दीपा मेरी बात सुनकर एकदम सकते में आगयी और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है। नहीं तुम उसे कुछ मत कहना। कहीं आप दोनों में बड़ा झगड़ा ना हो जाए। मैंने ही उसको इतना झाड़ दिया है की वह शायद अब हमारे घर नहीं आएगा। मैंने उसे कह दिया की मैं उसकी शकल तक देखना नहीं चाहती। मैंने उसको गेट आउट भी कह दिया। पर अब मुझे अफ़सोस हो रहा है। वैसे तो हम उसे इतने सालों से जानते हैं। वह ऐसी ओछी हरकत कभी नहीं करता। शायद उसे दिखाई नहीं दे रहा था तो वह लड़खड़ा गया और अपने आपको गिरने से बचाने के लिए उसने मुझे पकड़ना चाहा और इसी चक्कर में उसका हाथ मरे ब्लाउज के अंदर चला गया। पता नहीं आज उसे क्या हो गया था।"
दीपा ने फिर रोते हुए मुझे सब कुछ बता दिया जो बाथरूम में हुआ था। बस तरुण का लण्ड मुंह में लेने वाली और दिए हुए वचन की बात नहीं बतायी। मैं जानता था की ऐसी बात दीपा कैसे बताये? उसे शायद अपने आप पर ही घिन आ रही थी।
मैंने दीपा की बातें ध्यान से सुनी और उस पुरे वाकये को सुनते हुए मैं दीपा को अपनी गोद में बिठा कर कभी उसके कंधे को तो कभी बालों को प्यार से सहलाता रहा। मैं चाहता था की उसके अंदर का उफान बाहर निकल जाए।
जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने दीपा के ब्लाउज में हाथ डालकर कहा, "जानूं, एक बात कहूं? तुम बुरा तो नहीं मानोगी?"
दीपा ने मेरी और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा। उसके चेहरे पर शांत सौम्य भाव था। मैंने कहा, "देखो, तुम एक स्त्री हो। जाहिर है तुम स्त्री की तरह ही सोचोगी। पर मैं एक पुरुष हूँ। अब जब मैं सोचता हूँ तो मुझे यह समझ में आ रहा है की यह सब तरुण की या तुम्हारी गलती नहीं थी। यह सब मेरी गलती के कारण हुआ है।"
मेरी बात मेरी पत्नी की समझ में नहीं आयी। उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे। मैंने कहा, "मैं तुम्हें बताता हूँ की कैसे। जब मैंने तुम्हें कहा की तुम तरुण को लेकर बाथरूम में जाओ, वह मेरी गलती थी। देखो और समझो। तरुण के जैसा शशक्त और वीर्यवान पुरुष जब तुम जैसी ना सिर्फ खूबसूरत परन्तु निहायत ही सेक्सी औरत के साथ एकदम एकांत में बाथरूम में जाए और उस पर भी अगर तुम उसके बदन पर हाथ फिराकर उसे साफ़ करो तो मैं तरुण का दोष नहीं मानूंगा की उसने तुम्हारे साथ ऐसी बदतमीजी की। उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो यही करता। हाँ अगर कोई नपुंशक होता तो वह ऐसा ना करता।
तुम मर्दों को कोसती हो। तुम अपनी जगह सही हो। पर भगवान ने हम मर्दों को बनाया ही ऐसा है। हम मर्द कुत्ते की तरह हैं