18-05-2021, 01:20 PM
पर उस समय उसकी हालत ठीक नहीं थी। तरुण की कुछ ज्यादा ही हद पार हरकतों से वह दुखी थी, क्षोभित थी। अगर मैं उस समय उसे गले लगा कर प्यार करता तो यातो खूब रोती, या फिर यह सब शायद मेरी ही करतूत होगी यह सोच कर मुझ पर गरज पड़ती। शायद वह तरुण से भी नफरत करने लगती। वह समय नाजुक था।
मैंने यही बेहतर समझा की उस नाजुक घडी में मेरी बीबी को कुछ देर के लिए अकेले छोड़ दिया जाये। कुछ देर बाद वह सम्हल जायेगी तब फिर मैं उसे प्यार कर के ढाढस दिलाऊंगा।
मैंने पूछा, "बोलो, कुछ हुआ क्या? क्या तुमने तरुण के कपडे साफ़ कर दिए?"
जिंदगी में शायद पहली बार मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला। दीपा ने कहा, "नहीं कुछ नहीं हुआ। मैंने तरुण के सर पर घाव लगा था, वहाँ दवाई लगा दी। फिर तरुण को तौलिये से साफ़ कर दिया और उसका मुंह बगैरा धो दिया। उसका हाथ अब सीधा हो गया है और उसका खून भी रुक गया है। तुम जल्दी जाकर उसे तुम्हारे कपडे पहनने के लिए दे आओ। बाद में मैं तरुण के कपडे धो दूंगी।"
इतना बोल कर दीपा आननफानन में बैडरूम में चली गयी। उस समय उसकी आँखों से आंसूं बहे जा रहे थे। मुझे लगा की वह बैडरूम में जा कर रो रही थी।
मैंने बाथरूम में नहा रहे तरुण को दरवाजे के बाहर से ही मेरे कपडे दे दिए। कुछ ही देर में तरुण मेरे कपडे पहन कर बाहर आया और उसने मुझसे इजाजत मांगी। तरुण का चेहरा भी लाल था। वह मुझसे आँख नहीं मिला पा रहा था। वह जल्दी जल्दी आया और मुझसे बोला, "दीपक, सॉरी यार, आज का दिन ही कुछ गड़बड़ है। चल मैं चलता हूँ। मुझे घर जाकर कपडे चेंज कर फिर ऑफिस जाना है। आज देर हो जायेगी।"
मैंने उसे "बाई" किया उससे पहले ही वह चलता बना। मैं मैच देखने लगा। पर मुझे मैच में कोई रस नहीं आ रहा था। उस मैच से कई गुना बेहतर मैच मैंने उस दिन तरुण और दीपा के बिच बाथरूम में देखा था।
"मेन ऑफ़ ध मैच" तो चला गया। अब मुझे "वुमन ऑफ़ ध मैच" से बात करनी थी। मैं चुपचाप बैडरूम में गया तो मेरी बीबी दीपा पलंग पर पड़ी रो रही थी। मैंने दीपा को उस समय छेड़ना ठीक नहीं समझा पर मुझे दुःख हुआ की मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला।
उस सुबह मेरी दीपा से औपचारिक बातों को छोड़ कोई बात नहीं हुई। दीपा काफी अपसेट थी। मैं भी उसे कुछ पूछ कर परेशान नहीं करना चाहता था। मैं ऑफिस चला गया और दीपा घर के कामों में लगी रही।
मैंने यही बेहतर समझा की उस नाजुक घडी में मेरी बीबी को कुछ देर के लिए अकेले छोड़ दिया जाये। कुछ देर बाद वह सम्हल जायेगी तब फिर मैं उसे प्यार कर के ढाढस दिलाऊंगा।
मैंने पूछा, "बोलो, कुछ हुआ क्या? क्या तुमने तरुण के कपडे साफ़ कर दिए?"
जिंदगी में शायद पहली बार मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला। दीपा ने कहा, "नहीं कुछ नहीं हुआ। मैंने तरुण के सर पर घाव लगा था, वहाँ दवाई लगा दी। फिर तरुण को तौलिये से साफ़ कर दिया और उसका मुंह बगैरा धो दिया। उसका हाथ अब सीधा हो गया है और उसका खून भी रुक गया है। तुम जल्दी जाकर उसे तुम्हारे कपडे पहनने के लिए दे आओ। बाद में मैं तरुण के कपडे धो दूंगी।"
इतना बोल कर दीपा आननफानन में बैडरूम में चली गयी। उस समय उसकी आँखों से आंसूं बहे जा रहे थे। मुझे लगा की वह बैडरूम में जा कर रो रही थी।
मैंने बाथरूम में नहा रहे तरुण को दरवाजे के बाहर से ही मेरे कपडे दे दिए। कुछ ही देर में तरुण मेरे कपडे पहन कर बाहर आया और उसने मुझसे इजाजत मांगी। तरुण का चेहरा भी लाल था। वह मुझसे आँख नहीं मिला पा रहा था। वह जल्दी जल्दी आया और मुझसे बोला, "दीपक, सॉरी यार, आज का दिन ही कुछ गड़बड़ है। चल मैं चलता हूँ। मुझे घर जाकर कपडे चेंज कर फिर ऑफिस जाना है। आज देर हो जायेगी।"
मैंने उसे "बाई" किया उससे पहले ही वह चलता बना। मैं मैच देखने लगा। पर मुझे मैच में कोई रस नहीं आ रहा था। उस मैच से कई गुना बेहतर मैच मैंने उस दिन तरुण और दीपा के बिच बाथरूम में देखा था।
"मेन ऑफ़ ध मैच" तो चला गया। अब मुझे "वुमन ऑफ़ ध मैच" से बात करनी थी। मैं चुपचाप बैडरूम में गया तो मेरी बीबी दीपा पलंग पर पड़ी रो रही थी। मैंने दीपा को उस समय छेड़ना ठीक नहीं समझा पर मुझे दुःख हुआ की मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला।
उस सुबह मेरी दीपा से औपचारिक बातों को छोड़ कोई बात नहीं हुई। दीपा काफी अपसेट थी। मैं भी उसे कुछ पूछ कर परेशान नहीं करना चाहता था। मैं ऑफिस चला गया और दीपा घर के कामों में लगी रही।