18-05-2021, 11:00 AM
कुछ देर बाद भाभी यही लहंगा चोली पहनकर. उन्होंने चुनरी नहीं पहन रखी थी इसलिए लहंगा चोली में उनका पेट साफ दिख रहा था और उनकी प्यारी सी नाभि भी. भाभी मेरे पास आई. उनका एक हाथ अपनी कमर पर था.
"लो देवर जी. आ गई मैं लहंगा चोली में. अब बताओ क्या करना है?"
मैं बिस्तर पर बैठा था और भाभी को उनके हाथ से खींच कर अपने पास ले आया. थोड़ी देर उनके पेट को निहारा और फिर खूब देर उनके पेट को प्यार किया.
फिर कुछ देर बाद में बोला, "भाभी, इस लहंगा चोली में आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. लेकिन आज मैं चाहता हूं कि आप मेरे लिए एक सस्ती सी नचनिया जैसे नाचो."
मैंने भाभी के पेट को एक बार फिर चूमा और फिर गाना बजाना शुरू कर दिया. गाना था खलनायक फिल्म का "चोली के पीछे क्या है".
भाभी उस गाने पर नाचने लगी. माधुरी दीक्षित की तरह अपनी कमर मटका के भाभी मुझे रिझा रही थी. मेरा लंड हरकत में आने लगा. गाना अभी भी चल रहा था भाभी मस्त होकर नाच रही थी. मेरे लंड में भाभी की चूत की खुजली होने लगी थी. मैंने भाभी को पकड़ लिया और फिर उनके होंठ चूमने लगा. मेरे हाथ चोली के ऊपर से भाभी की चूचियां पकड़े हुए थे. मैंने धीरे से भाभी की चोली के आगे वाले दो हिस्से पकड़े और एक झटके में अलग कर दिए. भाभी की चोली आगे से फट गई थी और मैंने उनकी नंगी चूचियां पकड़ ली और बारी बारी से उनके निप्पल चूसने लगा.
भाभी को भी मजा आ रहा था. उनकी सांसे तेज हो रही थी. इतने में मैंने हाथ नीचे करके उनके लहंगे का नाडा पकड़ा और खींच दिया. लहंगा जमीन पर गिर गया और भाभी अब पूरी तरह से नंगी थी. मैं भाभी को उठाकर बिस्तर पर ले गया, अपना लंड हाथ में लिया और भाभी की चूत पर मलने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड अंदर सरकाने की कोशिश की तो भाभी ने मुझे रोक दिया.
"राजू... रुक जा... जरा कंडोम तो पहन ले."
"क्यों भाभी?"
"राजू मेरी माहवारी खत्म हुए 2 हफ्ते बीत चुके हैं. मेरी बच्चेदानी में अंडा हो सकता है. मैं गर्भधारण कर सकती हूं. इसलिए कंडोम पहन ले."
मेरा मन तो नहीं था कंडोम पहनने का लेकिन भाभी की चूत की दीवानगी ने मुझे कंडोम पहना दिया.
कंडोम पहन कर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में सरकाया और भाभी को चूम लिया.
"आह राजू... वैसे तो मुझे तेरा नंगा लंड ही अपने अंदर लेना अच्छा लगता है. लेकिन मेरी मजबूरी है. अभी तेरा नंगा लंड अंदर लिया, तो शायद तेरे नाजायज बच्चे की मां बन जाऊंगी."
"भाभी... आपकी यह बात बार-बार बोल कर मेरा दिल तोड़ देती हो."
"नहीं राजू."
"तो क्यों आप मेरे बच्चे की मां नहीं बनना चाहती हो, भाभी? मैं तो बस आपको अपने प्यार की निशानी देना चाहता हूं. आप के संग प्यारा सा बच्चा करके."
"राजू, हम इस बारे में पहले भी बात कर चुके हैं."
"मालूम है भाभी. लेकिन मैं ऐसे बार-बार इसलिए कहता हूं क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूं और अपनी आखरी सांस तक करता रहूंगा. और जिस औरत को मैं इतना प्यार करता हूं उसके साथ में बच्चा पैदा क्यों नहीं करना चाहूंगा?"
"राजू..."
"हां भाभी. मेरे मन में हमारा रिश्ता सिर्फ लंड और चूत का नहीं है. प्यार का है"
भाभी कुछ बोल नहीं पाई. मैं भी चुप हो गया और बस चुदाई करता रहा.
चुदाई के बाद मेरा लंड अपना माल कंडोम में ही छोड़ दिया. फिर भाभी के ऊपर से उतरकर उनके बगल में लेट गया. कुछ देर में मुझे नींद भी आ गई.
सुबह उठा तो भाभी मेरे बगल में ही लेटी थी. उनकी आंखें खुली थी. उन्हें देखकर लग रहा था कि वह रात भर सोई नहीं है.
"भाभी, आप रात भर सोई नहीं क्या?"
"नहीं राजू, रात भर सोच ही रही थी."
"क्या भाभी?"
"राजू, तो सच में मुझसे प्यार करता है?"
"हां भाभी... सच्चा प्यार."
भाभी मेरे पास आई और प्यार से मेरे होंठ चूम लिए.
"ठीक है राजू... मैं तेरे बच्चे की मां बनने के लिए तैयार हूं."
भाभी की यह बात सुनकर मेरी बांछें खिल उठे. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
"आप सच कह रही हो भाभी? आप सच में मेरे साथ बच्चा करना चाहती हो?"
"राजू... कल रात को जो तूने मुझसे कहा, वह कठोर से कठोर औरत के दिल को भी पिघला सकता है".
मैं भाभी के मुलायम पेट को सहलाने लगा और उनकी नाभि के साथ खेलने लगा.
"भाभी, मुझे यकीन नहीं हो रहा है. मैं इंतजार नहीं कर सकता आपके पेट को मेरे बच्चे से फूलता हुआ देखने को".
यह सुनकर भाभी मुस्कुरा दी. फिर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और प्यार से उनके होंठ चूमने लगा. होठों को चूमते हुए मैं अपने हाथ भाभी की चूचियों के ऊपर ले आया और हल्के-हल्के उनको दबाने लगा और चूचको को खींचने दबाने लगा. यह खूब देर चला. फिर मैं भाभी के एक चूचक को मुंह में लेकर चूसने लगा. भाभी मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी और प्यार से अपनी चूची मुझसे चुसवाने लगी. खूब देर उनकी चूची चूसने के बाद मैं बोला,
"भाभी, मैं इंतजार नहीं कर सकता उस दिन का जब आपकी यह चूचियां दूध देने लगेंगी और हमारे बच्चे को आप अपना दूध पिलाओगी"
भाभी इस बात पर मुस्कुराई.
"भाभी, क्या मुझे भी अपना दूध पिलाओगी?"
"राजू, मां का दूध उसके बच्चे के लिए होता है. इसलिए मेरे दूध पर सबसे पहला हक हमारे बच्चे का होगा. उसके बाद तुझे जितना मेरा दूध पीना हो, पी लेना".
यह सुनके मैं खुश हो गया और भाभी के होंठ चूम लिए. मेरा लंड पहले से ही खड़ा था. मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर टिकाया लेकिन तभी भाभी बोली, "राजू, रुक जा."
"क्या हुआ भाभी?"
"राजू, हम बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए बेहतर यह होगा कि तू अपने अंडों को थोड़ा आराम दे. इन्हें ढेर सारा बीज बनाने दे और फिर चोदना मुझे ताकि मैं जल्दी मां बन जाऊं."
"लेकिन भाभी, मेरे टट्टे तो हमेशा ही बहुत माल बनाते हैं."
"राजू मेरी बात मान. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. तुझे मेरे साथ बच्चा करना है?"
"हां भाभी, बिल्कुल करना है."
"तो ठीक है. कल शाम तक तू मेरे साथ चुदाई नहीं करेगा और ना ही अपना लंड हिलाएगा".
"कल शाम तक? भाभी, मैं तो पागल हो जाऊंगा."
"राजू, सब्र कर. तेरे लंड के बिना मेरी यह चूत भी बहुत खुजलाएगी."
"भाभी, यह आपकी शर्त है तो मेरी भी एक शर्त है."
"क्या राजू?"
"कल शाम की चुदाई हम घर के अंदर नहीं करेंगे"
"तो कहां करेंगे, राजू?"
"घर की छत पर. जहां पर सिर्फ आप और मैं होंगे और एक गद्दा. और भाभी आप एक लाल साड़ी पहन कर आओगी."
"ठीक है राजू. अगर तू यही चाहता है तो यही सही. चल अब उठ जा. मैं जरा फ्रेश हो लूं"
भाभी उठकर बाथरूम चली गयी और अपने दांत घिसने लगी. मैं भी बाथरूम में गया और मूतने लगा. मूतने के बाद में भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उनकी पीठ चूमने लगा. मेरा एक हाथ उनके पेट पर था अब दूसरा उनकी एक चूची पकड़ा हुआ था. मैं उनका पेट सहलाने लगा और फिर नाभि में उंगली डालकर नाभि से खेलने लगा. मेरी नजरें भाभी से मिली. भाभी मुझे देख कर मुस्कुराई. मैं यही करता रहा जब तक वह ब्रश करती रही. ब्रश करने के बाद वह पलटी और मैं उनके होंठ चूमने लगा.
"राजू तू भी ब्रश कर ले."
मैंने भाभी का ब्रश लिया और उन्हें ही थमा दिया.
"यह लीजिए भाभी"
"राजू, यह तो मेरा ब्रश है"
"हां भाभी, अब आप अपने ब्रश से मेरे दांत ब्रश कीजिए"
मैं कमरे से स्टूल ले आया उसपर बैठ गया. भाभी आकर मेरे दांत ब्रश करने लगी. मेरे हाथ भाभी के पेट पर थे और मैं उनकी नाभि से खेलने लगा. मुझे थोड़ी शरारत सूझी. मैंने अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर गीली की और उससे भाभी की चूत मलने लगा.
"आह राजू!"
मैं भाभी की चूत मलता रहा. भाभी की चूत बुरी तरह से रिस रही थी. मेरा हाथ उनकी चूत के पानी से पूरा भीग चुका था. मेरी नजर भाभी की भगनासा पर पड़ी. मैं अपना दूसरा हाथ नीचे लाकर उनकी भगनासा रगड़ने लगा. भाभी के मुंह से कामुक आवाज निकलने लगी.
इसी बीच मेरा ब्रश भी हो गया था. मैंने भाभी को स्टूल पर बैठाया और खुद जमीन पर बैठ गया. और फिर अपनी जीभ से मैंने उनकी चूत पर धावा बोल दिया. दूसरे हाथ से में उनकी भगनासा को छेड़ता रहा.
"हां.... हां..... हां... राजू. बस वही पर. हां वही पर".
भाभी की चूत का रस टपक टपक कर मेरी जीभ पर गिर रहा था. चूत का रस मुझे और चाटने को प्रेरित कर रहा था. मैं अपने हाथ भाभी की गांड पर ले गया और भाभी को आगे की तरफ खिसकाया. मैंने एक गहरी सांस ली, फिर पूरी ताकत से भाभी की चूत चाटने लगा. मैंने तो अपने आपा ही खो दिया.
"आह...आह... आह... आह...... चाटो इसे.... चाटो इसे.... चाटो.... खूब चाटो".
भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए.
"मसलो.... मसलो मेरी चूचियां... और चाटो अपनी भाभी की चुदक्कड़ फुद्दी को... चाट इसे... चाट इसे राजू".
मैं भाभी की चूची भी मसलने लगा. भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ लिया.
"राजू... मैं छूटने वाली हूं बहुत जल्द... आह...आह... आह... आह".
तभी मैंने भाभी के दोनों हाथ पकड़ कर अलग किए और अपना सर उनकी चूत से हटा दिया. मैंने उनके हाथों को छोड़ा नहीं.
"यह क्या कर रहा है राजू? चाटना क्यों बंद किया तूने?"
"भाभी... अब आप समझो मेरे लंड का दर्द. आपकी चूत के बिना यह कल शाम तक कैसे रह पाएगा? आप तो मजे से अपनी चूत मेरे से झड़वा रही थी, लेकिन मेरे इस लंड को तो कल शाम तक भूखा रहना है."
भाभी जोर-जोर से हाफ रही थी.
"भाभी आप चाहो तो मैं अभी आपको छुटा सकता हूं. अपने इस खड़े लंड से आपको चोद कर. लेकिन फिर मैं अपना माल जल्दी छोड़ दूंगा शायद कल की चुदाई में मैं आपको मां ना बना सकूं? तो फैसला कीजिए आपको क्या चाहिए? अपनी चूत की संतुष्टि या मेरा बच्चा?"
खूब देर तक हांफने के बाद भाभी शांत हुई और फिर बोली "राजू, मेरी मां बनने की चाह अपनी चूत की संतुष्टि से कहीं ऊपर है. संभाल कर रख अपना लंड और बचा कर रखा अपने टट्टों में बन रहा माल. मैं तेरे से कल शाम से पहले नहीं चुदूंगी. चल अब जा और मुझे नहाने दे."
"भाभी, मैं आपको अकेले नहीं छोड़ सकता. कहीं आप मेरे पीछे अपनी चूत रगड़ने लगी तो?"
"ओहो राजू... बड़ा जालिम है रे तू. अच्छा ठीक है चल. मैं तेरे सामने ही नहा लेती हूं."
मैं उनके शरीर को निहार रहा था.
"भाभी, आपको ऐसे नंगा देखकर सच में लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर अवतरित हो गई हो. सच में भाभी, आपके संग बच्चा करके मैं धन्य महसूस कर रहा हूं."
भाभी मुस्कुराई.
"आजा राजू. तू भी मेरे संग नहा ले."
"भाभी आज शावर के बजाय बाथटब में नहाए क्या?"
"मैं भी यही सोच रही थी राजू."
मैं कपड़े निकाल कर नंगा हो गया और बाथटब का पानी भरने के बाद उसमें बैठ गया और भाभी भी आके उसमें बैठ गई. उनकी पीठ मेरी तरफ थी.
मैं पानी से उनके शरीर को धोने लगा. वह भी साबुन लगाके अपने शरीर को धोने लगी. मैंने हाथ आगे बढ़ा के भाभी के पेट पर रख दिए और उनकी पीठ चूमने लगा.
"कितनी खूबसूरत हो तुम, सुमन भाभी. मैंने आपको आपकी शादी के समय देखा था, तभी से मेरा दिल आप पर आ गया था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि 1 दिन आपको चोदूंगा और आपके साथ बच्चे पैदा करूंगा."
"राजू, बच्चे?"
"हां भाभी. मैं आपके संग सिर्फ एक नहीं बहुत सारे बच्चे पैदा करना चाहता हूं."
मैं भाभी की गर्दन चूमने लगा.
"मेरे बच्चे आपके पेट में 9 महीने पलेंगे".
मैं उनके पेट पर हाथ फेरते हुए बोला.
"फिर आपकी चूत से पैदा होंगे".
मैं अपना हाथ उनकी चूत पर ले गया.
"और फिर आपके स्तनों से दूध पिएंगे".
मैं अपना दूसरा हाथ उनकी चूची पर लेख जाकर चूचियां मसलने लगा और दूसरे हाथ की उंगलियों से उनकी चूत चोदने लगा. बीच में भाभी की गर्दन चूम और चूस रहा था.
भाभी की सांसे तेज होने लगी. मैं उनकी चूत में उंगली करता रहा. फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया. इसी बीच मैं उनके चूचको को खींच-दबा रहा था. काफी देर तक यही चलता रहा.
मुझे महसूस हुआ कि भाभी का शरीर अकड़ रहा है. मुझे मालूम था कि इसका मतलब है कि वह छुटने वाली है. मैंने तुरंत उनकी चूत से अपनी उंगलियां निकाली और अपनी हथेली से उनकी चूत को ढक लिया.
"राजू! मैं छूटने वाली थी. इतना अत्याचार करेगा अपनी भाभी पर".
"भाभी, मेरा लंड भी तो इस अत्याचार को झेल रहा है".
भाभी को कुछ वक्त लगा शांत होने में. फिर हम दोनों बाथटब से बाहर निकले और एक दूसरे के शरीर को पोछने लगे.
"राजू, चल अब मुझे नाश्ता बनाने दे".
फिर भाभी अपनी गांड मटकाते हुए रसोई की तरफ चली गई.
मैं भाभी के बिस्तर पर आकर लेट गया और कुछ मिनट आराम किया. तब तक भाभी चाय और नाश्ता लेकर आई.
"भाभी, आपने रसोई में छूटने की कोशिश तो नहीं की ना?"
"नहीं राजू".
"खाओ मेरी कसम, भाभी".
"राजू, मैं हमारे होने वाले बच्चे की कसम खाती हूं"
फिर मैं और भाभी एक दूसरे को नाश्ता खिलाने लगे. भाभी की खूबसूरती को देखता रहा. मुझे यकीन नहीं हुआ कि मुझे इस औरत के संग बच्चा करने का मौका मिल रहा है.
फिर मैंने चाय पी.
"भाभी, चाय में चीनी थोड़ी कम है".
"रुक राजू, मैं थोड़ी चीनी ले आती हूं".
"ठहरो भाभी, मुझे मालूम है चीनी कहां से लेनी है".
मैं भाभी के पास आ गया और उनके होंठ चूमने लगा. कुछ सेकंड तक उनके होंठ चूमने के बाद मैंने चाय की एक चुसकी ली.
"भाभी, अभी चाय हो गई है मीठी".
भाभी मुस्कुराई. हम एक दूसरे को चूमते हुए चाय पीने लगी. कुछ ही मिनट में हमारी चाय खत्म हो गई.
"लो देवर जी. आ गई मैं लहंगा चोली में. अब बताओ क्या करना है?"
मैं बिस्तर पर बैठा था और भाभी को उनके हाथ से खींच कर अपने पास ले आया. थोड़ी देर उनके पेट को निहारा और फिर खूब देर उनके पेट को प्यार किया.
फिर कुछ देर बाद में बोला, "भाभी, इस लहंगा चोली में आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. लेकिन आज मैं चाहता हूं कि आप मेरे लिए एक सस्ती सी नचनिया जैसे नाचो."
मैंने भाभी के पेट को एक बार फिर चूमा और फिर गाना बजाना शुरू कर दिया. गाना था खलनायक फिल्म का "चोली के पीछे क्या है".
भाभी उस गाने पर नाचने लगी. माधुरी दीक्षित की तरह अपनी कमर मटका के भाभी मुझे रिझा रही थी. मेरा लंड हरकत में आने लगा. गाना अभी भी चल रहा था भाभी मस्त होकर नाच रही थी. मेरे लंड में भाभी की चूत की खुजली होने लगी थी. मैंने भाभी को पकड़ लिया और फिर उनके होंठ चूमने लगा. मेरे हाथ चोली के ऊपर से भाभी की चूचियां पकड़े हुए थे. मैंने धीरे से भाभी की चोली के आगे वाले दो हिस्से पकड़े और एक झटके में अलग कर दिए. भाभी की चोली आगे से फट गई थी और मैंने उनकी नंगी चूचियां पकड़ ली और बारी बारी से उनके निप्पल चूसने लगा.
भाभी को भी मजा आ रहा था. उनकी सांसे तेज हो रही थी. इतने में मैंने हाथ नीचे करके उनके लहंगे का नाडा पकड़ा और खींच दिया. लहंगा जमीन पर गिर गया और भाभी अब पूरी तरह से नंगी थी. मैं भाभी को उठाकर बिस्तर पर ले गया, अपना लंड हाथ में लिया और भाभी की चूत पर मलने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड अंदर सरकाने की कोशिश की तो भाभी ने मुझे रोक दिया.
"राजू... रुक जा... जरा कंडोम तो पहन ले."
"क्यों भाभी?"
"राजू मेरी माहवारी खत्म हुए 2 हफ्ते बीत चुके हैं. मेरी बच्चेदानी में अंडा हो सकता है. मैं गर्भधारण कर सकती हूं. इसलिए कंडोम पहन ले."
मेरा मन तो नहीं था कंडोम पहनने का लेकिन भाभी की चूत की दीवानगी ने मुझे कंडोम पहना दिया.
कंडोम पहन कर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में सरकाया और भाभी को चूम लिया.
"आह राजू... वैसे तो मुझे तेरा नंगा लंड ही अपने अंदर लेना अच्छा लगता है. लेकिन मेरी मजबूरी है. अभी तेरा नंगा लंड अंदर लिया, तो शायद तेरे नाजायज बच्चे की मां बन जाऊंगी."
"भाभी... आपकी यह बात बार-बार बोल कर मेरा दिल तोड़ देती हो."
"नहीं राजू."
"तो क्यों आप मेरे बच्चे की मां नहीं बनना चाहती हो, भाभी? मैं तो बस आपको अपने प्यार की निशानी देना चाहता हूं. आप के संग प्यारा सा बच्चा करके."
"राजू, हम इस बारे में पहले भी बात कर चुके हैं."
"मालूम है भाभी. लेकिन मैं ऐसे बार-बार इसलिए कहता हूं क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूं और अपनी आखरी सांस तक करता रहूंगा. और जिस औरत को मैं इतना प्यार करता हूं उसके साथ में बच्चा पैदा क्यों नहीं करना चाहूंगा?"
"राजू..."
"हां भाभी. मेरे मन में हमारा रिश्ता सिर्फ लंड और चूत का नहीं है. प्यार का है"
भाभी कुछ बोल नहीं पाई. मैं भी चुप हो गया और बस चुदाई करता रहा.
चुदाई के बाद मेरा लंड अपना माल कंडोम में ही छोड़ दिया. फिर भाभी के ऊपर से उतरकर उनके बगल में लेट गया. कुछ देर में मुझे नींद भी आ गई.
सुबह उठा तो भाभी मेरे बगल में ही लेटी थी. उनकी आंखें खुली थी. उन्हें देखकर लग रहा था कि वह रात भर सोई नहीं है.
"भाभी, आप रात भर सोई नहीं क्या?"
"नहीं राजू, रात भर सोच ही रही थी."
"क्या भाभी?"
"राजू, तो सच में मुझसे प्यार करता है?"
"हां भाभी... सच्चा प्यार."
भाभी मेरे पास आई और प्यार से मेरे होंठ चूम लिए.
"ठीक है राजू... मैं तेरे बच्चे की मां बनने के लिए तैयार हूं."
भाभी की यह बात सुनकर मेरी बांछें खिल उठे. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
"आप सच कह रही हो भाभी? आप सच में मेरे साथ बच्चा करना चाहती हो?"
"राजू... कल रात को जो तूने मुझसे कहा, वह कठोर से कठोर औरत के दिल को भी पिघला सकता है".
मैं भाभी के मुलायम पेट को सहलाने लगा और उनकी नाभि के साथ खेलने लगा.
"भाभी, मुझे यकीन नहीं हो रहा है. मैं इंतजार नहीं कर सकता आपके पेट को मेरे बच्चे से फूलता हुआ देखने को".
यह सुनकर भाभी मुस्कुरा दी. फिर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और प्यार से उनके होंठ चूमने लगा. होठों को चूमते हुए मैं अपने हाथ भाभी की चूचियों के ऊपर ले आया और हल्के-हल्के उनको दबाने लगा और चूचको को खींचने दबाने लगा. यह खूब देर चला. फिर मैं भाभी के एक चूचक को मुंह में लेकर चूसने लगा. भाभी मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी और प्यार से अपनी चूची मुझसे चुसवाने लगी. खूब देर उनकी चूची चूसने के बाद मैं बोला,
"भाभी, मैं इंतजार नहीं कर सकता उस दिन का जब आपकी यह चूचियां दूध देने लगेंगी और हमारे बच्चे को आप अपना दूध पिलाओगी"
भाभी इस बात पर मुस्कुराई.
"भाभी, क्या मुझे भी अपना दूध पिलाओगी?"
"राजू, मां का दूध उसके बच्चे के लिए होता है. इसलिए मेरे दूध पर सबसे पहला हक हमारे बच्चे का होगा. उसके बाद तुझे जितना मेरा दूध पीना हो, पी लेना".
यह सुनके मैं खुश हो गया और भाभी के होंठ चूम लिए. मेरा लंड पहले से ही खड़ा था. मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर टिकाया लेकिन तभी भाभी बोली, "राजू, रुक जा."
"क्या हुआ भाभी?"
"राजू, हम बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए बेहतर यह होगा कि तू अपने अंडों को थोड़ा आराम दे. इन्हें ढेर सारा बीज बनाने दे और फिर चोदना मुझे ताकि मैं जल्दी मां बन जाऊं."
"लेकिन भाभी, मेरे टट्टे तो हमेशा ही बहुत माल बनाते हैं."
"राजू मेरी बात मान. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. तुझे मेरे साथ बच्चा करना है?"
"हां भाभी, बिल्कुल करना है."
"तो ठीक है. कल शाम तक तू मेरे साथ चुदाई नहीं करेगा और ना ही अपना लंड हिलाएगा".
"कल शाम तक? भाभी, मैं तो पागल हो जाऊंगा."
"राजू, सब्र कर. तेरे लंड के बिना मेरी यह चूत भी बहुत खुजलाएगी."
"भाभी, यह आपकी शर्त है तो मेरी भी एक शर्त है."
"क्या राजू?"
"कल शाम की चुदाई हम घर के अंदर नहीं करेंगे"
"तो कहां करेंगे, राजू?"
"घर की छत पर. जहां पर सिर्फ आप और मैं होंगे और एक गद्दा. और भाभी आप एक लाल साड़ी पहन कर आओगी."
"ठीक है राजू. अगर तू यही चाहता है तो यही सही. चल अब उठ जा. मैं जरा फ्रेश हो लूं"
भाभी उठकर बाथरूम चली गयी और अपने दांत घिसने लगी. मैं भी बाथरूम में गया और मूतने लगा. मूतने के बाद में भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उनकी पीठ चूमने लगा. मेरा एक हाथ उनके पेट पर था अब दूसरा उनकी एक चूची पकड़ा हुआ था. मैं उनका पेट सहलाने लगा और फिर नाभि में उंगली डालकर नाभि से खेलने लगा. मेरी नजरें भाभी से मिली. भाभी मुझे देख कर मुस्कुराई. मैं यही करता रहा जब तक वह ब्रश करती रही. ब्रश करने के बाद वह पलटी और मैं उनके होंठ चूमने लगा.
"राजू तू भी ब्रश कर ले."
मैंने भाभी का ब्रश लिया और उन्हें ही थमा दिया.
"यह लीजिए भाभी"
"राजू, यह तो मेरा ब्रश है"
"हां भाभी, अब आप अपने ब्रश से मेरे दांत ब्रश कीजिए"
मैं कमरे से स्टूल ले आया उसपर बैठ गया. भाभी आकर मेरे दांत ब्रश करने लगी. मेरे हाथ भाभी के पेट पर थे और मैं उनकी नाभि से खेलने लगा. मुझे थोड़ी शरारत सूझी. मैंने अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर गीली की और उससे भाभी की चूत मलने लगा.
"आह राजू!"
मैं भाभी की चूत मलता रहा. भाभी की चूत बुरी तरह से रिस रही थी. मेरा हाथ उनकी चूत के पानी से पूरा भीग चुका था. मेरी नजर भाभी की भगनासा पर पड़ी. मैं अपना दूसरा हाथ नीचे लाकर उनकी भगनासा रगड़ने लगा. भाभी के मुंह से कामुक आवाज निकलने लगी.
इसी बीच मेरा ब्रश भी हो गया था. मैंने भाभी को स्टूल पर बैठाया और खुद जमीन पर बैठ गया. और फिर अपनी जीभ से मैंने उनकी चूत पर धावा बोल दिया. दूसरे हाथ से में उनकी भगनासा को छेड़ता रहा.
"हां.... हां..... हां... राजू. बस वही पर. हां वही पर".
भाभी की चूत का रस टपक टपक कर मेरी जीभ पर गिर रहा था. चूत का रस मुझे और चाटने को प्रेरित कर रहा था. मैं अपने हाथ भाभी की गांड पर ले गया और भाभी को आगे की तरफ खिसकाया. मैंने एक गहरी सांस ली, फिर पूरी ताकत से भाभी की चूत चाटने लगा. मैंने तो अपने आपा ही खो दिया.
"आह...आह... आह... आह...... चाटो इसे.... चाटो इसे.... चाटो.... खूब चाटो".
भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए.
"मसलो.... मसलो मेरी चूचियां... और चाटो अपनी भाभी की चुदक्कड़ फुद्दी को... चाट इसे... चाट इसे राजू".
मैं भाभी की चूची भी मसलने लगा. भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ लिया.
"राजू... मैं छूटने वाली हूं बहुत जल्द... आह...आह... आह... आह".
तभी मैंने भाभी के दोनों हाथ पकड़ कर अलग किए और अपना सर उनकी चूत से हटा दिया. मैंने उनके हाथों को छोड़ा नहीं.
"यह क्या कर रहा है राजू? चाटना क्यों बंद किया तूने?"
"भाभी... अब आप समझो मेरे लंड का दर्द. आपकी चूत के बिना यह कल शाम तक कैसे रह पाएगा? आप तो मजे से अपनी चूत मेरे से झड़वा रही थी, लेकिन मेरे इस लंड को तो कल शाम तक भूखा रहना है."
भाभी जोर-जोर से हाफ रही थी.
"भाभी आप चाहो तो मैं अभी आपको छुटा सकता हूं. अपने इस खड़े लंड से आपको चोद कर. लेकिन फिर मैं अपना माल जल्दी छोड़ दूंगा शायद कल की चुदाई में मैं आपको मां ना बना सकूं? तो फैसला कीजिए आपको क्या चाहिए? अपनी चूत की संतुष्टि या मेरा बच्चा?"
खूब देर तक हांफने के बाद भाभी शांत हुई और फिर बोली "राजू, मेरी मां बनने की चाह अपनी चूत की संतुष्टि से कहीं ऊपर है. संभाल कर रख अपना लंड और बचा कर रखा अपने टट्टों में बन रहा माल. मैं तेरे से कल शाम से पहले नहीं चुदूंगी. चल अब जा और मुझे नहाने दे."
"भाभी, मैं आपको अकेले नहीं छोड़ सकता. कहीं आप मेरे पीछे अपनी चूत रगड़ने लगी तो?"
"ओहो राजू... बड़ा जालिम है रे तू. अच्छा ठीक है चल. मैं तेरे सामने ही नहा लेती हूं."
मैं उनके शरीर को निहार रहा था.
"भाभी, आपको ऐसे नंगा देखकर सच में लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर अवतरित हो गई हो. सच में भाभी, आपके संग बच्चा करके मैं धन्य महसूस कर रहा हूं."
भाभी मुस्कुराई.
"आजा राजू. तू भी मेरे संग नहा ले."
"भाभी आज शावर के बजाय बाथटब में नहाए क्या?"
"मैं भी यही सोच रही थी राजू."
मैं कपड़े निकाल कर नंगा हो गया और बाथटब का पानी भरने के बाद उसमें बैठ गया और भाभी भी आके उसमें बैठ गई. उनकी पीठ मेरी तरफ थी.
मैं पानी से उनके शरीर को धोने लगा. वह भी साबुन लगाके अपने शरीर को धोने लगी. मैंने हाथ आगे बढ़ा के भाभी के पेट पर रख दिए और उनकी पीठ चूमने लगा.
"कितनी खूबसूरत हो तुम, सुमन भाभी. मैंने आपको आपकी शादी के समय देखा था, तभी से मेरा दिल आप पर आ गया था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि 1 दिन आपको चोदूंगा और आपके साथ बच्चे पैदा करूंगा."
"राजू, बच्चे?"
"हां भाभी. मैं आपके संग सिर्फ एक नहीं बहुत सारे बच्चे पैदा करना चाहता हूं."
मैं भाभी की गर्दन चूमने लगा.
"मेरे बच्चे आपके पेट में 9 महीने पलेंगे".
मैं उनके पेट पर हाथ फेरते हुए बोला.
"फिर आपकी चूत से पैदा होंगे".
मैं अपना हाथ उनकी चूत पर ले गया.
"और फिर आपके स्तनों से दूध पिएंगे".
मैं अपना दूसरा हाथ उनकी चूची पर लेख जाकर चूचियां मसलने लगा और दूसरे हाथ की उंगलियों से उनकी चूत चोदने लगा. बीच में भाभी की गर्दन चूम और चूस रहा था.
भाभी की सांसे तेज होने लगी. मैं उनकी चूत में उंगली करता रहा. फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया. इसी बीच मैं उनके चूचको को खींच-दबा रहा था. काफी देर तक यही चलता रहा.
मुझे महसूस हुआ कि भाभी का शरीर अकड़ रहा है. मुझे मालूम था कि इसका मतलब है कि वह छुटने वाली है. मैंने तुरंत उनकी चूत से अपनी उंगलियां निकाली और अपनी हथेली से उनकी चूत को ढक लिया.
"राजू! मैं छूटने वाली थी. इतना अत्याचार करेगा अपनी भाभी पर".
"भाभी, मेरा लंड भी तो इस अत्याचार को झेल रहा है".
भाभी को कुछ वक्त लगा शांत होने में. फिर हम दोनों बाथटब से बाहर निकले और एक दूसरे के शरीर को पोछने लगे.
"राजू, चल अब मुझे नाश्ता बनाने दे".
फिर भाभी अपनी गांड मटकाते हुए रसोई की तरफ चली गई.
मैं भाभी के बिस्तर पर आकर लेट गया और कुछ मिनट आराम किया. तब तक भाभी चाय और नाश्ता लेकर आई.
"भाभी, आपने रसोई में छूटने की कोशिश तो नहीं की ना?"
"नहीं राजू".
"खाओ मेरी कसम, भाभी".
"राजू, मैं हमारे होने वाले बच्चे की कसम खाती हूं"
फिर मैं और भाभी एक दूसरे को नाश्ता खिलाने लगे. भाभी की खूबसूरती को देखता रहा. मुझे यकीन नहीं हुआ कि मुझे इस औरत के संग बच्चा करने का मौका मिल रहा है.
फिर मैंने चाय पी.
"भाभी, चाय में चीनी थोड़ी कम है".
"रुक राजू, मैं थोड़ी चीनी ले आती हूं".
"ठहरो भाभी, मुझे मालूम है चीनी कहां से लेनी है".
मैं भाभी के पास आ गया और उनके होंठ चूमने लगा. कुछ सेकंड तक उनके होंठ चूमने के बाद मैंने चाय की एक चुसकी ली.
"भाभी, अभी चाय हो गई है मीठी".
भाभी मुस्कुराई. हम एक दूसरे को चूमते हुए चाय पीने लगी. कुछ ही मिनट में हमारी चाय खत्म हो गई.