17-05-2021, 06:07 PM
पंडित: बस...अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जा सकती हो...जो टीका मैने
लगाया है उसे ना हटाना...चाहे तो घर जा कर सारी उतार के सलवार
कमीज़ पहेन लेना.....जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना...
शीला: परंतु स्नान करतेः समय तो टीका हट जाएगा...
पंडित: उसकी कोई बात नहीं....
शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी.....उसने टाँगों के बीच शिवलिंग
पहन रखा था...पूरे दिन वह टाँगों के बीच शिवलिंग लेके चलती फिरती
रही....शिवलिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा...उसकी स्किन को टच करता
रहा....
रात को सोतेः वक़्त शीला कछि नहीं पेहेन्ति थी.....जब रात को शीला
सोनेः के लिए लेटी हुई थी तो शिवलिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में
था...शीला शिवलिंग को दोनो टाँगें टाइट्ली जोड़ के दबानेः लगी...उसे
अच्छा लग रहा था...उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही
थी......उसनेह सलवार का नाडा खोला...शिवलिंग को हाथ में लिया और
शिवलिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबानेः लगी....फिर शिवलिंग को अपनी
चूत पे रगड़नेः लगी....वह गरम हो रही थी......तभी उसे ख़याल आया
"शीला, यह तू क्या कर रही है.....शिवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप
है....".....यह सोच कर शीला ने शिवलिंग से हाथ हटा लिया.....सलवार का
नाडा बाँधा और सोनेः की कोशिश करने लगी....
तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली....उसे अपनी हिप्स के बीच में
कुछ चुभ रहा था....उसने सलवार का नाडा खोला....हाथ हिप्स के बीच में
ले गयी....तो पाया की शिवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फ़सा हुआ
था...शिवलिंग का मूँह शीला के अशोल से चिपका हुआ था....शीला को पीछे
से यह चुभन अच्छी लग रही थी....उसने शिवलिंग को अपने गांद पे और
प्रेस किया......उसे मज़ा आया...और प्रेस किया....और मज़ा आया...उसके गांद
मैं आग सी लगी हुई थी...उसका दिल चाह रहा था कि पूरा शिवलिंग अशोल
में दबा दे.....तभी उसे फिर ख़याल आया कि शिवलिंग के साथ ऐसा करना
पाप है.....उसने यह भी सोचा की "क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना
चाहते हैं?".....डर के कारण उसने शिवलिंग को टाँगों के बीच में कर
दिया....नाडा बाँधा....और सो गयी...
अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहेन करआ
गयी.....
पंडित: आओ शीला....जाओ दूध से स्नान कर आओ....और वस्त्रा बदल लो..
शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया
ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कछि भी पड़ी थी.....उसने
अपनी ब्लॅक कछि उतार के जोगिया कछि पहन ली...नहा के बाहर आई...
पंडित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था....
शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..
पंडित: शीला.....आज तो तुम्हारे सारे वस्त्रा शूध हैं ना..?
शीला थोडा शर्मा गयी..
शीला: जी पंडितजी...
क्रमशः........................
लगाया है उसे ना हटाना...चाहे तो घर जा कर सारी उतार के सलवार
कमीज़ पहेन लेना.....जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना...
शीला: परंतु स्नान करतेः समय तो टीका हट जाएगा...
पंडित: उसकी कोई बात नहीं....
शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी.....उसने टाँगों के बीच शिवलिंग
पहन रखा था...पूरे दिन वह टाँगों के बीच शिवलिंग लेके चलती फिरती
रही....शिवलिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा...उसकी स्किन को टच करता
रहा....
रात को सोतेः वक़्त शीला कछि नहीं पेहेन्ति थी.....जब रात को शीला
सोनेः के लिए लेटी हुई थी तो शिवलिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में
था...शीला शिवलिंग को दोनो टाँगें टाइट्ली जोड़ के दबानेः लगी...उसे
अच्छा लग रहा था...उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही
थी......उसनेह सलवार का नाडा खोला...शिवलिंग को हाथ में लिया और
शिवलिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबानेः लगी....फिर शिवलिंग को अपनी
चूत पे रगड़नेः लगी....वह गरम हो रही थी......तभी उसे ख़याल आया
"शीला, यह तू क्या कर रही है.....शिवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप
है....".....यह सोच कर शीला ने शिवलिंग से हाथ हटा लिया.....सलवार का
नाडा बाँधा और सोनेः की कोशिश करने लगी....
तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली....उसे अपनी हिप्स के बीच में
कुछ चुभ रहा था....उसने सलवार का नाडा खोला....हाथ हिप्स के बीच में
ले गयी....तो पाया की शिवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फ़सा हुआ
था...शिवलिंग का मूँह शीला के अशोल से चिपका हुआ था....शीला को पीछे
से यह चुभन अच्छी लग रही थी....उसने शिवलिंग को अपने गांद पे और
प्रेस किया......उसे मज़ा आया...और प्रेस किया....और मज़ा आया...उसके गांद
मैं आग सी लगी हुई थी...उसका दिल चाह रहा था कि पूरा शिवलिंग अशोल
में दबा दे.....तभी उसे फिर ख़याल आया कि शिवलिंग के साथ ऐसा करना
पाप है.....उसने यह भी सोचा की "क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना
चाहते हैं?".....डर के कारण उसने शिवलिंग को टाँगों के बीच में कर
दिया....नाडा बाँधा....और सो गयी...
अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहेन करआ
गयी.....
पंडित: आओ शीला....जाओ दूध से स्नान कर आओ....और वस्त्रा बदल लो..
शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया
ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कछि भी पड़ी थी.....उसने
अपनी ब्लॅक कछि उतार के जोगिया कछि पहन ली...नहा के बाहर आई...
पंडित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था....
शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..
पंडित: शीला.....आज तो तुम्हारे सारे वस्त्रा शूध हैं ना..?
शीला थोडा शर्मा गयी..
शीला: जी पंडितजी...
क्रमशः........................