17-05-2021, 05:56 PM
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पंडित & शीला पार्ट--1
एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत
विश्वास रकने वाली. अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का
स्कूटर आक्सिडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी
के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी एज 24 थी. उसके पापा
मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर
दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज
6 महीने हो गये थे.
शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन
उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही
रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, कंपेक्स्षन फेर था, बाल
काफ़ी लंबे थे, फेस राउंड था. उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे,
कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स राउंड और बड़े थे, यह ही कोई 37 इंच.
वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की सारी पेहेन्ति थी.
उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर
में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक कॉलेज
में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बेहन की
शादी 6 साल पहले हो गयी थी.
नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी
दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी कॉलेज चले
जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी...(यह कहानी
आप कामुक-कहानिया-ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम मे पढ़ रहे हैं )
उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पंडित था, यह ही
कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच.
सूरत भी ठीक ठाक थी. बाल बहुत छोटे छोटे थे. मंदिर में उसके
अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के
मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली
में जाता था. वो गली हमेशा सुन सान ही रहती थी क्यूंकी उस गली में अभी
कोई घर नहीं था.
नये शहर में आकर, शीला की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर
है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चले जाया करे. शीला बहुत धार्मिक थी.
पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबेह 5 बजे उठ कर वो मंदिर
जाने लगी.
पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और
जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.
शीला पहले दिन मंदिर गयी. सुबेह 5 बजे मंदिर में और कोई ना था...सिर्फ़
पंडित था. शीला ने वाइट सारी ब्लाउस पहेन रखा था.
शीला पूजा करने के बाद पंडित के पास आई...उसने पंडित के पेर छुए
पंडित: जीती रहो पुत्री.....तुम यहाँ नयी आई हो ना..?
शीला: जी पंडितजी
पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?
शीला: जी, शीला
पंडित: तुम्हारे माथे (फोर्हेड) की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम
पर क्या दुख आया है.....लेकिन पुत्री...भगवान के आगे किसकी चलती है
शीला: पंडितजी..मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.....लेकिन फिर भी उसने
मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया...
शीला की आँखों में आसू आ गये
पंडित: पुत्री....ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें
हम तुम कुछ नहीं कर सकते...उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल
सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णेय (डिसिशन) को स्वीकार करने
में ही समझ दारी है.
शीला आसू पोंछ कर बोली
शीला: मुझे हर पल उनकी याद आती है...ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं
हैं..
पंडित: पुत्री...तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का
ख़याल ईश्वर खुद रखता है...कभी कभी वो इम्तहान भी लेता है....
शीला: पंडितजी...जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता
नहीं क्यूँ
पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
शीला: हैं..पापा मम्मी....लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दूफ़्तर और मम्मी
कॉलेज चली जाती हैं...फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.......इस दौरान मैं
अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है...ऐसा क्यूँ है पंडितजी?
पंडित: पुत्री...तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था
ना..?
शीला: नहीं....कैसा हवन पंडितजी?
पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए...यह बहुत आवश्यक होता
है..
शीला: हूमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी....
पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस
पास भटकती रहेगी...और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..
शीला: पंडितजी...आप ईश्वर के बहुत पास हैं...कृपया आप कुछ कीजिए जिससे
मेरे पति की आत्मा को शांति मिले
शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पेरॉं में झुका
दिया....इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही
थी...पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो...उसने सोचा यह तो
विधवा है...और भोली भी...इसके साथ कुछ करने का स्कोप है........उसने
शीला के सिर पे हाथ रखा..
पंडित: पुत्री....यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा
को शांति आवश्य मिलेगी..
शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा
शीला: पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी...आप बताइए क्या
करना होगा..
शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे
पंडित: पुत्री...हवन करना होगा...हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.....लेकिन
वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले
सकते हैं...और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए...अगर हवन
शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को
शांति कभी नहीं मिलेगी..
शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं....आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही
करेंगे.....आग-या दीजिए कब से शुरू करना है...और क्या क्या सामग्री चाहिए
पंडित: वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही
रहनी चाहिए...अतेह..सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा...तुम
सिर्फ़ एक नारियल और तुलसी लेती आना
शीला: तो पंडितजी, शुरू काब्से करना है..
पंडित: क्यूंकी इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते
हैं...इसलिए यह हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे...और
हवन पवित्र स्थान पर होता है...जैसे की मंदिर...परंतु...यहाँ तो कोई
भी विघ्न डाल सकता है...इसलिए हम हवन इसी मंदिर के पीछे मेरे कक्ष
(रूम) में करेंगे...इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी
नहीं डालेगा..
शीला: पंडितजी...जैसा आप कहें....किस समय करना है?
पंडित: दुपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है......सो इस
समय में ही हवन शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ
जाना..नारियल और तुलसी लेके.....लेकिन सामने का द्वार बंद होगा.....आओ मैं
तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही
दिखाता हूँ..
पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे
में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था....उसने गली
में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..
पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: यह याद रखना की यह हवन गुप्त रहना चाहिए...सबसे...वरना
तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..
शीला: पंडितजी...आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही
करूँगी...मैं ठीक 12:45 बजे आ जाओंगी
ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे
गयी और खाट खटाया..
पंडित: आओ पुत्री...
शीला ने पहले पंडित के पेर छुए
पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..
शीला: नहीं पंडितजी...मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं...और जो रास्ता अपने
बताया था मैं उससी रास्ते से आई हूँ...किसी ने नहीं देखा..
पंडित ने दरवाज़ा बंद किया
पंडित: चलो फिर हवन आरंभ करें
पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था...उसमें एक खाट था...बड़ा शीशा
था...कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था...पंडित ने टिपिकल
स्टाइल में हवन के लिए आग जलाई...और सामग्री लेके दोनो आग के पास बैठ
गये...
पंडित मन्त्र बोलने लगा...शीला ने वही सुबेह वाला सारी ब्लाउस पहेना था
पंडित: यह पान का पत्ता दोनो हाथों में लो...
शीला और पंडित साथ साथ बैठे तह..दोनो चौकड़ी मार के बैठे
तह...दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पत्ता ले लिया........पंडित ने फिर उस
पत्ते में थोड़े चावल डाले...फिर थोड़ी चीनी....फिर थोडा
दूध...................फिर उसने शीला से कहा..
पंडित: पुत्री....अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों....मैं मन्त्र
पाड़ूँगा और तुम अपने पति का ध्यान करना..
शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों मे रख दिए....यह उनका पहला स्किन टू
स्किन कॉंटॅक्ट था..
क्रमशः........................
गतांक से आगे...........................
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हे यह कहना होगा कि तुम अपने पति से बहुत
प्रेम करती हो.....जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना
शीला: जी पंडितजी
शीला के हाथ पंडित के हाथ में थे
पंडित: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
शीला: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
पंडित: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
शीला: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
पंडित: अब पान का पता मेरे साथ अग्नि में डाल दो
दोनो ने हाथ में हाथ लेके पान का पता आग में डाल दिया
पंडित: वेदों के अनुसार...अब मैं तुम्हारे चरण धौँगा...अपने चरण यहाँ
साइड में करो..
शीला ने अपने पेर साइड में किए...पंडित ने एक गिलास मैं से थोड़ा पानी हाथ
में भरा और शीला के पेरो को अपने हाथों से धोने लगा.....
पंडित: तुम अपने पति का ध्यान करो..
पंडित मन्त्र पड़ने लगा...शीला आँखें बंद करके पति का ध्यान करने
लगी.....
शीला इस वक़्त टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ के बैठी थी..
पंडित ने उसके पेर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पेर धोने लगा.. ?
टाँग उठनेः से शीला की सारी के अंदर का नज़ारा दिखनेः लगा?.उसकी थाइस
दिख रही थी?.और सारी के अंदर के अंधेरे में हल्की हल्की उसकी वाइट
कछि भी दिख रही थी?..लेकिन शीला की आँखें बंद थी?.वो तो अपने
पति का ध्यान कर रही थी?.और पंडित का ध्यान उसकी सारी के अंदर के
नज़ारे पे था?.पंडित के मूह में पानी आ रहा था..लेकिन वो इसका रेप करने
से डरता था....सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए...
पेर धोने के बाद कुछ देर उसने मन्तर पड़े..
पंडित: पुत्री....आज इतना ही काफ़ी है...असली पूजा कल से शुरू होगी....तुम्हें
भगवान शिव को प्रसन्न करना है.....वो प्रसन्न होंगे तभी तुम्हारे पति की
आत्मा को शांति मिलेगी....अब तुम कल आना..
शीला: जो आग्या पंडितजी..
अग्लेः दिन..
पंडित: आओ पुत्री.....तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं...अगर कोई देख लेगा तो
तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं..
शीला: नहीं पंडितजी...किसी ने नहीं देखा...आप मुझे आग्या दे..
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है..
शीला: पंडितजी...वैसे तो सभी भगवान बराबर हैं...लेकिन पता नहीं
क्यूँ..भगवान शिव के प्रति मेरी श्रधा ज़्यादा है..
पंडित: अच्छी बात है.....पुत्री..शिव को प्रसन्न करने के लिए तुम्हें पूरी
तरह शूध होना होगा....सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना
होगा......शूध वस्त्रा पहेनेः होंगे...और थोड़ा शृंगार करना होगा..
शीला: शृंगार पंडितजी..
पंडित: हाँ......शिव स्त्री- प्रिय (वुमन लविंग) हैं...सुंदर स्त्रियाँ उन्हे
भाती हैं...यूँ तो हर स्त्री उनके लिए सुंदर है...लेकिन शृंगार करने से
उसकी सुंदरता बढ़ जाती है....जब भी पार्वती ने शिव को मनाना होता
है...तो वह भी शृंगार करके उनके सामने आती हैं..
शीला: लेकिन पंडितजी...क्या एक विधवा का शृंगार करना सही रहेगा....?
पंडित: पुत्री...शिव के लिए कोई भी काम किया जा सकता है....विधवा तो तुम
इस समाज के लिए हो...
शीला: जो आग्या पंडितजी...
पंडित: अब तुम स्नान-ग्रे (बाथरूम) में जा के कच्चे दूध का स्नान
करो...मैने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्यूंकी तुम्हारे लिए कच्चा
दूध घर से लाना मुश्किल है.......और हाँ...तुम्हारे वस्त्रा भी स्नान-ग्रेह
में ही रखें हैं..
पंडित ने ऑरेंज कलर का ब्लाउस और पेटिकोट बाथरूम में रखा था...पंडित
ने ब्लाउस के हुक निकाल दिए थे..हुक्स पीठ की साइड पे थे...(आस कंपेर्ड
टू दा हुक्स राइट इन फ्रंट ऑफ बूब्स)
शीला दूध से नहा कर आई.....सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में उसे पंडित के
सामने शरम आ रही थी..
शीला: पंडितजी.....
पंडित: आ गयी..
शीला: पंडितजी....मुझे इन वस्त्रों में शरम आ रही है...
पंडित: नहीं पुत्री...ऐसा ना बोलो....शिव नाराज़ हो जाएगा....यह जोगिया
वस्त्रा शूध हैं....यदि तुम शूध नहीं होगी तो शिव प्रसन्न कदापि नहीं
होंगे...
शीला: लेकिन पंडितजी..इस...स....ब..ब्लाउस के हुक्स नहीं हैं...
पंडित: ओह!...मैनेह देखा ही नहीं...वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही
है...लेकिन यदि तुम ब्लाउस के कारण पूजा नहीं कर सकती को हम कल से पूजा
कर लेंगे....लेकिन शायद शिव को यह विलंभ (डेले) अच्छा ना लगे..
शीला: नहीं पंडितजी....पूजा शुरू कीजिए..
पंडित: पहले तुम उस शीशे पे जाकर शृंगार कर लो...शृंगार की सामग्री
वहीं है..
शीला ने लाल लिपस्टिक लगाई....थोड़ा रूज़....और थोड़ा पर्फ्यूम...
शृंगार करके वो पंडित के पास आई..
पंडित: अति सुंदर.....पुत्री...तुम बहुत सुंदर लग रही हो...
शीला शरमाने लगी....यह फीलिंग्स उसने पहली बार एक्सपीरियेन्स की थी...
पंडित: आओ पूजा शुरू करें...
वो दोनो अग्नि के पास बैठ गये....पंडित ने मन्त्र पड़नेः शुरू किए....
थोड़ी गर्मी हो गयी थी इसलिए पंडित ने अपना कुर्ता उतार दिया.......उनसे
शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपनी चेस्ट पूरी शेव कर ली थी....उसकी बॉडी
मस्क्युलर थी.....अब वो केवल लूँगी में था...
शीला थोड़ा और शरमाने लगी..
दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे..
पंडित: पुत्री....यह नारियल अपनी झोली में रखलो...इसे तुम प्रसाद
समझो......तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के शिव का ध्यान करो....
शीला सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी....पंडित उसकी झोली में फल
(फ्रूट्स) डालता रहा...
शीला की इस पोज़िशन में उसके बूब्स और नंगा पेट पंडित के लंड को सख़्त कर
रहे थे...
शीला की नेवेल भी पंडित को सॉफ दिख रही थी....
पंडित: शीला....पुत्री...यह मौलि (थ्रेड) तुम्हें पेट पे बाँधनी
है....वेदों के अनुसार इसे पंडित को बाँधना चाहिए....लेकिन यदि तुम्हें
इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बाँध लो...परंतु विधि
तो यही है की इसे पंडित बाँधे...क्यूंकी पंडित के हाथ शूध होते
हैं..जैसे तुम्हारी इच्छा..
शीला: पंडितजी.....वेदों का पालन करना मेरा धर्म है....जैसा वेदों में
लिखा है आप वैसा ही कीजिए...
पंडित: मौलि बाँधने से पहले गंगाजल से वो जगह सॉफ करनी होती है....
पंडित ने शीला के पेट पे गंगाजल छिड़-का...और उसका नंगा पेट गंगाजल से
धोने लगा....शीला की पेट की स्किन (लाइक मोस्ट विमन) बहुत स्मूद
थी....पंडित उसके पेट को रगड़ रहा था...फिर उसने तौलिए (टवल) से शीला
का पेट सुखाया...
शीला के हाथ सिर के ऊपर थे.....पंडित शीला के सामने बैठ कर उसके
पेट पे मौलि बाँधने लगा...पहली बार पंडित ने शीला के नंगे पेट को
छुआ....
नाट बाँधते समय पंडित ने अपनी उंगली शीला के नेवेल पे रखी.....
अब पंडित ने उंगली पे तिक्का (रेड विस्कस लिक्विड विच इस सपोज़्ड सेक्रेड)
लगाया...
पंडित: शीला....शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पे चित्रकारी करने में आनंद
आता है....
यह कह कर पंडित शीला के पेट पे तिक्का लगाने लगा...उसने शीला के पेट पर
त्रिशूल बनाया.....
शीला की नेवेल पर आ कर पंडित रुक गया...अब अपनी उंगली उसकी नेवेल में
घुमाने लगा...वह शीला की नेवेल में तिक्का लगा रहा था..शीला के दोनो
हाथ ऊपर थे....वह भोली थी.......वह इन सब चीज़ों को धरम समझ
रही थी.....लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था....
फिर पंडित घूम कर शीला के पीछे आया.....उसने शीला की पीठ पर
गंगाजल छिड़-का और हाथ से उसकी पीठ पे गंगाजल लगाने लगा..
पंडित: गंगाजल से तुम्हारी देह और शूध हो जाएगी, क्यूंकी गंगा शिव की जटा
से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं..
शीला के ब्लाउस के हुक्स नहीं थे....पंडित ने खुले हुए हुक्स को और साइड
में कर दिया....शीला की ऑलमोस्ट सारी पीठ नंगी होगआई...पंडित उसकी नंगी
पीठ पर गंगाजल डाल के रगड़ रहा था..वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से
धो रहा र्था.....शीला की नंगी पीठ को छूकर पंडित का बंटी ( लंड ) टाइट हो गया
था...
पंडित: तुम्हारी राशी क्या है..?
शीला: कुंभ..
पंडित: मैं टिक्के से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा
हूँ...गंगाजल से शूध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशी लिखनेः से
तुम्हारे ग्रेहों की दिशा लाभदायक हो जाएगी..
पंडित ने शीला की नंगी पीठ पे टिक्के से कुंभ लिखा...
क्रमशः........................
......................
फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..
पंडित: अब अपने चरण सामने करो..
शीला ने पेर सामने कर दिए...पंडित ने उसका पटटीकोआट थोड़ा ऊपर
चड़ाया.....उसकी टाँगों पे गंगाजल छिड़-का....और उसकी टाँगें हाथों से
रगड़नेः लगा..
पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..गंगाजल से
धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता....तुम
शिव का ध्यान करो..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: शीला...यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो....यह तुम
स्वयं कर लो...परंतु वेदों के अनुसार यह कार्य-यह पंडित को ही करना
चाहिए..
शीला: नहीं पंडितजी...यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी
प्रसन्न नहीं होंगे.....और भगवान के कार्य- में लज्जा कैसी ..?..
शीला अंधविश्वासी थी..
पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया...अब शीला की
टाँगें थाइस तक नंगी थी...
पंडित ने उसकी थाइस पे गंगाजल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने
लगा...शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी...
पंडित ने कहा..
पंडित: शीला...अपनी टाँगें खोलो..
शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी.....अब शीला पंडित के सामने
टाँगें खोल के बैठी थी...उसकी ब्लॅक कछि पंडित को सॉफ दिख रही
थी....पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ...और उन्हे गंगाजल से रगड़ने
लगा.....
इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे.....कुछ देर शीला के
आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उनेह तौलिए से सुखानेः
लगा........फिर उसने उंगली में तिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे
लगानेः लगा..
शीला: पंडितजी...यहाँ भी टीका लगाना होता.है...(शीला शरमातेः हुए
बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)
पंडित: हाँ....यहाँ शिवलिंग बनाना होता है..
शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों
से शिवलिंग बना रहा था..
पंडित: शीला...लज्जा ना करना..
शीला: नहीं पंडितजी..
जैसे उंगली से माथे (फोर्हेड) पर टीका लगातेः हैं....पंडित कछि के
ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टीका लगानेः लगा....शीला शर्म से लाल
हो रही थी...लेकिन गरम भी हो रही थी...पंडित टीका लगानेः के बहानेः
5-6 सेकेंड्स तक कछि के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा...
चूत से हाथ हटानेः के बाद पंडित बोला...
पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा...अब तुम इस गंगाजल
को मेरी छाती पे लगाओ..
पंडित लेट गया...
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी...और पेट भी...उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल
हेरलेस और स्मूद थे...शीला गंगाजल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़नेः
लगी.....शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था...उसके
मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल
शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे..
पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से गणेश बना दो.....गणेश इस प्रकार
बनना चाहिए कि मेरे यह दोनो निपल्स गदेश के ऊपर के दोनो खानो की
बिंदुएं हो..
निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी...
शीला ने गणेश बनाया....लेकिन उसने सिर्फ़ गणेश के नीचे के दो खानो की
बिंदुए ही बनाई टिक्के से..
पंडित: शीला....गणेश में चार बिंदुए डालती हैं..
शीला: पंडितजी...लेकिन ऊपर की दो बिंदुए तो पहले से ही बनी हुई हैं..
पंडित: परंतु टीका उन पर भी लगेगा..
शीला पंडित के निपल्स पर टीका लगानेः लगी...
पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का स्त्रोत (सोर्स) होती है...अतेह यहाँ भी
टीका लगाओ...
शीला: जो आग्या पंडितजी..
शीला ने उंगली में टीका लगाया....पंडित की नेवेल में उंगली डाली...और
टीका लगानेः लगी.....पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और
चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई
थी...इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी.....शीला सोच रही थी कि इतनी
चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है....शीला पंडित के बदन की तरफ
खीची चली जा रही थी....ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए
थे...
शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली...पंडित ने अपने थैले
से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली.....लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी....5
इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी...
लकड़ी के एंड में एक छेद था...पंडित ने उस छेद में डाल कर मौलि
बाँधी...
पंडित: यह लो...यह शिवलिंग है...
शीला ने शिवलिंग को प्रणाम किया..
पंडित: इस शिवलिंग को अपनी कमर में बाँध लो.....यह हमेशा तुम्हारे
सामने आना चाहिए...तुम्हारे पेट के नीचे...
शीला: पंडितजी...इससे क्या होगा..?
पंडित: इस से शिव तुम्हारे साथ रहेगा....यदि किसी और ने इसे देख लिया
तो शिव नाराज़ हो जाएगा...अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं.....और
तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है.......सोतेः समय भी....
शीला: जैसा आप कहें पंडितजी...
पंडित: लाओ...मैं बाँध दू..
दोनो खड़े हो गये...पंडित ने वो शिवलिंग शीला की कमर में डाला और उसके
पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधनेः लगा...उसके हाथ शीला की नंगी कमर
को छू रहे थे...गाँठ लगानेः के बाद पंडित बोला..
पंडित: अब इश्स शिवलिंग को अंदर डाल लो..
शीला ने शिवलिंग को अपनेह पेटिकोट के अंदर कर लिया....शिवलिंग शीला की
टाँगों के बीच में आ रहा था...
पंडित & शीला पार्ट--1
एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत
विश्वास रकने वाली. अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का
स्कूटर आक्सिडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी
के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी एज 24 थी. उसके पापा
मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर
दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज
6 महीने हो गये थे.
शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन
उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही
रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, कंपेक्स्षन फेर था, बाल
काफ़ी लंबे थे, फेस राउंड था. उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे,
कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स राउंड और बड़े थे, यह ही कोई 37 इंच.
वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की सारी पेहेन्ति थी.
उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर
में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक कॉलेज
में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बेहन की
शादी 6 साल पहले हो गयी थी.
नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी
दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी कॉलेज चले
जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी...(यह कहानी
आप कामुक-कहानिया-ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम मे पढ़ रहे हैं )
उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पंडित था, यह ही
कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच.
सूरत भी ठीक ठाक थी. बाल बहुत छोटे छोटे थे. मंदिर में उसके
अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के
मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली
में जाता था. वो गली हमेशा सुन सान ही रहती थी क्यूंकी उस गली में अभी
कोई घर नहीं था.
नये शहर में आकर, शीला की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर
है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चले जाया करे. शीला बहुत धार्मिक थी.
पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबेह 5 बजे उठ कर वो मंदिर
जाने लगी.
पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और
जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.
शीला पहले दिन मंदिर गयी. सुबेह 5 बजे मंदिर में और कोई ना था...सिर्फ़
पंडित था. शीला ने वाइट सारी ब्लाउस पहेन रखा था.
शीला पूजा करने के बाद पंडित के पास आई...उसने पंडित के पेर छुए
पंडित: जीती रहो पुत्री.....तुम यहाँ नयी आई हो ना..?
शीला: जी पंडितजी
पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?
शीला: जी, शीला
पंडित: तुम्हारे माथे (फोर्हेड) की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम
पर क्या दुख आया है.....लेकिन पुत्री...भगवान के आगे किसकी चलती है
शीला: पंडितजी..मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.....लेकिन फिर भी उसने
मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया...
शीला की आँखों में आसू आ गये
पंडित: पुत्री....ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें
हम तुम कुछ नहीं कर सकते...उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल
सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णेय (डिसिशन) को स्वीकार करने
में ही समझ दारी है.
शीला आसू पोंछ कर बोली
शीला: मुझे हर पल उनकी याद आती है...ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं
हैं..
पंडित: पुत्री...तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का
ख़याल ईश्वर खुद रखता है...कभी कभी वो इम्तहान भी लेता है....
शीला: पंडितजी...जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता
नहीं क्यूँ
पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
शीला: हैं..पापा मम्मी....लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दूफ़्तर और मम्मी
कॉलेज चली जाती हैं...फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.......इस दौरान मैं
अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है...ऐसा क्यूँ है पंडितजी?
पंडित: पुत्री...तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था
ना..?
शीला: नहीं....कैसा हवन पंडितजी?
पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए...यह बहुत आवश्यक होता
है..
शीला: हूमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी....
पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस
पास भटकती रहेगी...और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..
शीला: पंडितजी...आप ईश्वर के बहुत पास हैं...कृपया आप कुछ कीजिए जिससे
मेरे पति की आत्मा को शांति मिले
शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पेरॉं में झुका
दिया....इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही
थी...पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो...उसने सोचा यह तो
विधवा है...और भोली भी...इसके साथ कुछ करने का स्कोप है........उसने
शीला के सिर पे हाथ रखा..
पंडित: पुत्री....यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा
को शांति आवश्य मिलेगी..
शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा
शीला: पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी...आप बताइए क्या
करना होगा..
शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे
पंडित: पुत्री...हवन करना होगा...हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.....लेकिन
वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले
सकते हैं...और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए...अगर हवन
शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को
शांति कभी नहीं मिलेगी..
शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं....आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही
करेंगे.....आग-या दीजिए कब से शुरू करना है...और क्या क्या सामग्री चाहिए
पंडित: वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही
रहनी चाहिए...अतेह..सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा...तुम
सिर्फ़ एक नारियल और तुलसी लेती आना
शीला: तो पंडितजी, शुरू काब्से करना है..
पंडित: क्यूंकी इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते
हैं...इसलिए यह हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे...और
हवन पवित्र स्थान पर होता है...जैसे की मंदिर...परंतु...यहाँ तो कोई
भी विघ्न डाल सकता है...इसलिए हम हवन इसी मंदिर के पीछे मेरे कक्ष
(रूम) में करेंगे...इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी
नहीं डालेगा..
शीला: पंडितजी...जैसा आप कहें....किस समय करना है?
पंडित: दुपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है......सो इस
समय में ही हवन शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ
जाना..नारियल और तुलसी लेके.....लेकिन सामने का द्वार बंद होगा.....आओ मैं
तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही
दिखाता हूँ..
पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे
में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था....उसने गली
में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..
पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: यह याद रखना की यह हवन गुप्त रहना चाहिए...सबसे...वरना
तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..
शीला: पंडितजी...आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही
करूँगी...मैं ठीक 12:45 बजे आ जाओंगी
ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे
गयी और खाट खटाया..
पंडित: आओ पुत्री...
शीला ने पहले पंडित के पेर छुए
पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..
शीला: नहीं पंडितजी...मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं...और जो रास्ता अपने
बताया था मैं उससी रास्ते से आई हूँ...किसी ने नहीं देखा..
पंडित ने दरवाज़ा बंद किया
पंडित: चलो फिर हवन आरंभ करें
पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था...उसमें एक खाट था...बड़ा शीशा
था...कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था...पंडित ने टिपिकल
स्टाइल में हवन के लिए आग जलाई...और सामग्री लेके दोनो आग के पास बैठ
गये...
पंडित मन्त्र बोलने लगा...शीला ने वही सुबेह वाला सारी ब्लाउस पहेना था
पंडित: यह पान का पत्ता दोनो हाथों में लो...
शीला और पंडित साथ साथ बैठे तह..दोनो चौकड़ी मार के बैठे
तह...दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पत्ता ले लिया........पंडित ने फिर उस
पत्ते में थोड़े चावल डाले...फिर थोड़ी चीनी....फिर थोडा
दूध...................फिर उसने शीला से कहा..
पंडित: पुत्री....अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों....मैं मन्त्र
पाड़ूँगा और तुम अपने पति का ध्यान करना..
शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों मे रख दिए....यह उनका पहला स्किन टू
स्किन कॉंटॅक्ट था..
क्रमशः........................
गतांक से आगे...........................
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हे यह कहना होगा कि तुम अपने पति से बहुत
प्रेम करती हो.....जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना
शीला: जी पंडितजी
शीला के हाथ पंडित के हाथ में थे
पंडित: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
शीला: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
पंडित: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
शीला: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
पंडित: अब पान का पता मेरे साथ अग्नि में डाल दो
दोनो ने हाथ में हाथ लेके पान का पता आग में डाल दिया
पंडित: वेदों के अनुसार...अब मैं तुम्हारे चरण धौँगा...अपने चरण यहाँ
साइड में करो..
शीला ने अपने पेर साइड में किए...पंडित ने एक गिलास मैं से थोड़ा पानी हाथ
में भरा और शीला के पेरो को अपने हाथों से धोने लगा.....
पंडित: तुम अपने पति का ध्यान करो..
पंडित मन्त्र पड़ने लगा...शीला आँखें बंद करके पति का ध्यान करने
लगी.....
शीला इस वक़्त टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ के बैठी थी..
पंडित ने उसके पेर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पेर धोने लगा.. ?
टाँग उठनेः से शीला की सारी के अंदर का नज़ारा दिखनेः लगा?.उसकी थाइस
दिख रही थी?.और सारी के अंदर के अंधेरे में हल्की हल्की उसकी वाइट
कछि भी दिख रही थी?..लेकिन शीला की आँखें बंद थी?.वो तो अपने
पति का ध्यान कर रही थी?.और पंडित का ध्यान उसकी सारी के अंदर के
नज़ारे पे था?.पंडित के मूह में पानी आ रहा था..लेकिन वो इसका रेप करने
से डरता था....सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए...
पेर धोने के बाद कुछ देर उसने मन्तर पड़े..
पंडित: पुत्री....आज इतना ही काफ़ी है...असली पूजा कल से शुरू होगी....तुम्हें
भगवान शिव को प्रसन्न करना है.....वो प्रसन्न होंगे तभी तुम्हारे पति की
आत्मा को शांति मिलेगी....अब तुम कल आना..
शीला: जो आग्या पंडितजी..
अग्लेः दिन..
पंडित: आओ पुत्री.....तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं...अगर कोई देख लेगा तो
तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं..
शीला: नहीं पंडितजी...किसी ने नहीं देखा...आप मुझे आग्या दे..
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है..
शीला: पंडितजी...वैसे तो सभी भगवान बराबर हैं...लेकिन पता नहीं
क्यूँ..भगवान शिव के प्रति मेरी श्रधा ज़्यादा है..
पंडित: अच्छी बात है.....पुत्री..शिव को प्रसन्न करने के लिए तुम्हें पूरी
तरह शूध होना होगा....सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना
होगा......शूध वस्त्रा पहेनेः होंगे...और थोड़ा शृंगार करना होगा..
शीला: शृंगार पंडितजी..
पंडित: हाँ......शिव स्त्री- प्रिय (वुमन लविंग) हैं...सुंदर स्त्रियाँ उन्हे
भाती हैं...यूँ तो हर स्त्री उनके लिए सुंदर है...लेकिन शृंगार करने से
उसकी सुंदरता बढ़ जाती है....जब भी पार्वती ने शिव को मनाना होता
है...तो वह भी शृंगार करके उनके सामने आती हैं..
शीला: लेकिन पंडितजी...क्या एक विधवा का शृंगार करना सही रहेगा....?
पंडित: पुत्री...शिव के लिए कोई भी काम किया जा सकता है....विधवा तो तुम
इस समाज के लिए हो...
शीला: जो आग्या पंडितजी...
पंडित: अब तुम स्नान-ग्रे (बाथरूम) में जा के कच्चे दूध का स्नान
करो...मैने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्यूंकी तुम्हारे लिए कच्चा
दूध घर से लाना मुश्किल है.......और हाँ...तुम्हारे वस्त्रा भी स्नान-ग्रेह
में ही रखें हैं..
पंडित ने ऑरेंज कलर का ब्लाउस और पेटिकोट बाथरूम में रखा था...पंडित
ने ब्लाउस के हुक निकाल दिए थे..हुक्स पीठ की साइड पे थे...(आस कंपेर्ड
टू दा हुक्स राइट इन फ्रंट ऑफ बूब्स)
शीला दूध से नहा कर आई.....सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में उसे पंडित के
सामने शरम आ रही थी..
शीला: पंडितजी.....
पंडित: आ गयी..
शीला: पंडितजी....मुझे इन वस्त्रों में शरम आ रही है...
पंडित: नहीं पुत्री...ऐसा ना बोलो....शिव नाराज़ हो जाएगा....यह जोगिया
वस्त्रा शूध हैं....यदि तुम शूध नहीं होगी तो शिव प्रसन्न कदापि नहीं
होंगे...
शीला: लेकिन पंडितजी..इस...स....ब..ब्लाउस के हुक्स नहीं हैं...
पंडित: ओह!...मैनेह देखा ही नहीं...वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही
है...लेकिन यदि तुम ब्लाउस के कारण पूजा नहीं कर सकती को हम कल से पूजा
कर लेंगे....लेकिन शायद शिव को यह विलंभ (डेले) अच्छा ना लगे..
शीला: नहीं पंडितजी....पूजा शुरू कीजिए..
पंडित: पहले तुम उस शीशे पे जाकर शृंगार कर लो...शृंगार की सामग्री
वहीं है..
शीला ने लाल लिपस्टिक लगाई....थोड़ा रूज़....और थोड़ा पर्फ्यूम...
शृंगार करके वो पंडित के पास आई..
पंडित: अति सुंदर.....पुत्री...तुम बहुत सुंदर लग रही हो...
शीला शरमाने लगी....यह फीलिंग्स उसने पहली बार एक्सपीरियेन्स की थी...
पंडित: आओ पूजा शुरू करें...
वो दोनो अग्नि के पास बैठ गये....पंडित ने मन्त्र पड़नेः शुरू किए....
थोड़ी गर्मी हो गयी थी इसलिए पंडित ने अपना कुर्ता उतार दिया.......उनसे
शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपनी चेस्ट पूरी शेव कर ली थी....उसकी बॉडी
मस्क्युलर थी.....अब वो केवल लूँगी में था...
शीला थोड़ा और शरमाने लगी..
दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे..
पंडित: पुत्री....यह नारियल अपनी झोली में रखलो...इसे तुम प्रसाद
समझो......तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के शिव का ध्यान करो....
शीला सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी....पंडित उसकी झोली में फल
(फ्रूट्स) डालता रहा...
शीला की इस पोज़िशन में उसके बूब्स और नंगा पेट पंडित के लंड को सख़्त कर
रहे थे...
शीला की नेवेल भी पंडित को सॉफ दिख रही थी....
पंडित: शीला....पुत्री...यह मौलि (थ्रेड) तुम्हें पेट पे बाँधनी
है....वेदों के अनुसार इसे पंडित को बाँधना चाहिए....लेकिन यदि तुम्हें
इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बाँध लो...परंतु विधि
तो यही है की इसे पंडित बाँधे...क्यूंकी पंडित के हाथ शूध होते
हैं..जैसे तुम्हारी इच्छा..
शीला: पंडितजी.....वेदों का पालन करना मेरा धर्म है....जैसा वेदों में
लिखा है आप वैसा ही कीजिए...
पंडित: मौलि बाँधने से पहले गंगाजल से वो जगह सॉफ करनी होती है....
पंडित ने शीला के पेट पे गंगाजल छिड़-का...और उसका नंगा पेट गंगाजल से
धोने लगा....शीला की पेट की स्किन (लाइक मोस्ट विमन) बहुत स्मूद
थी....पंडित उसके पेट को रगड़ रहा था...फिर उसने तौलिए (टवल) से शीला
का पेट सुखाया...
शीला के हाथ सिर के ऊपर थे.....पंडित शीला के सामने बैठ कर उसके
पेट पे मौलि बाँधने लगा...पहली बार पंडित ने शीला के नंगे पेट को
छुआ....
नाट बाँधते समय पंडित ने अपनी उंगली शीला के नेवेल पे रखी.....
अब पंडित ने उंगली पे तिक्का (रेड विस्कस लिक्विड विच इस सपोज़्ड सेक्रेड)
लगाया...
पंडित: शीला....शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पे चित्रकारी करने में आनंद
आता है....
यह कह कर पंडित शीला के पेट पे तिक्का लगाने लगा...उसने शीला के पेट पर
त्रिशूल बनाया.....
शीला की नेवेल पर आ कर पंडित रुक गया...अब अपनी उंगली उसकी नेवेल में
घुमाने लगा...वह शीला की नेवेल में तिक्का लगा रहा था..शीला के दोनो
हाथ ऊपर थे....वह भोली थी.......वह इन सब चीज़ों को धरम समझ
रही थी.....लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था....
फिर पंडित घूम कर शीला के पीछे आया.....उसने शीला की पीठ पर
गंगाजल छिड़-का और हाथ से उसकी पीठ पे गंगाजल लगाने लगा..
पंडित: गंगाजल से तुम्हारी देह और शूध हो जाएगी, क्यूंकी गंगा शिव की जटा
से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं..
शीला के ब्लाउस के हुक्स नहीं थे....पंडित ने खुले हुए हुक्स को और साइड
में कर दिया....शीला की ऑलमोस्ट सारी पीठ नंगी होगआई...पंडित उसकी नंगी
पीठ पर गंगाजल डाल के रगड़ रहा था..वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से
धो रहा र्था.....शीला की नंगी पीठ को छूकर पंडित का बंटी ( लंड ) टाइट हो गया
था...
पंडित: तुम्हारी राशी क्या है..?
शीला: कुंभ..
पंडित: मैं टिक्के से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा
हूँ...गंगाजल से शूध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशी लिखनेः से
तुम्हारे ग्रेहों की दिशा लाभदायक हो जाएगी..
पंडित ने शीला की नंगी पीठ पे टिक्के से कुंभ लिखा...
क्रमशः........................
......................
फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..
पंडित: अब अपने चरण सामने करो..
शीला ने पेर सामने कर दिए...पंडित ने उसका पटटीकोआट थोड़ा ऊपर
चड़ाया.....उसकी टाँगों पे गंगाजल छिड़-का....और उसकी टाँगें हाथों से
रगड़नेः लगा..
पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..गंगाजल से
धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता....तुम
शिव का ध्यान करो..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: शीला...यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो....यह तुम
स्वयं कर लो...परंतु वेदों के अनुसार यह कार्य-यह पंडित को ही करना
चाहिए..
शीला: नहीं पंडितजी...यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी
प्रसन्न नहीं होंगे.....और भगवान के कार्य- में लज्जा कैसी ..?..
शीला अंधविश्वासी थी..
पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया...अब शीला की
टाँगें थाइस तक नंगी थी...
पंडित ने उसकी थाइस पे गंगाजल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने
लगा...शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी...
पंडित ने कहा..
पंडित: शीला...अपनी टाँगें खोलो..
शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी.....अब शीला पंडित के सामने
टाँगें खोल के बैठी थी...उसकी ब्लॅक कछि पंडित को सॉफ दिख रही
थी....पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ...और उन्हे गंगाजल से रगड़ने
लगा.....
इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे.....कुछ देर शीला के
आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उनेह तौलिए से सुखानेः
लगा........फिर उसने उंगली में तिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे
लगानेः लगा..
शीला: पंडितजी...यहाँ भी टीका लगाना होता.है...(शीला शरमातेः हुए
बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)
पंडित: हाँ....यहाँ शिवलिंग बनाना होता है..
शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों
से शिवलिंग बना रहा था..
पंडित: शीला...लज्जा ना करना..
शीला: नहीं पंडितजी..
जैसे उंगली से माथे (फोर्हेड) पर टीका लगातेः हैं....पंडित कछि के
ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टीका लगानेः लगा....शीला शर्म से लाल
हो रही थी...लेकिन गरम भी हो रही थी...पंडित टीका लगानेः के बहानेः
5-6 सेकेंड्स तक कछि के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा...
चूत से हाथ हटानेः के बाद पंडित बोला...
पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा...अब तुम इस गंगाजल
को मेरी छाती पे लगाओ..
पंडित लेट गया...
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी...और पेट भी...उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल
हेरलेस और स्मूद थे...शीला गंगाजल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़नेः
लगी.....शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था...उसके
मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल
शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे..
पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से गणेश बना दो.....गणेश इस प्रकार
बनना चाहिए कि मेरे यह दोनो निपल्स गदेश के ऊपर के दोनो खानो की
बिंदुएं हो..
निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी...
शीला ने गणेश बनाया....लेकिन उसने सिर्फ़ गणेश के नीचे के दो खानो की
बिंदुए ही बनाई टिक्के से..
पंडित: शीला....गणेश में चार बिंदुए डालती हैं..
शीला: पंडितजी...लेकिन ऊपर की दो बिंदुए तो पहले से ही बनी हुई हैं..
पंडित: परंतु टीका उन पर भी लगेगा..
शीला पंडित के निपल्स पर टीका लगानेः लगी...
पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का स्त्रोत (सोर्स) होती है...अतेह यहाँ भी
टीका लगाओ...
शीला: जो आग्या पंडितजी..
शीला ने उंगली में टीका लगाया....पंडित की नेवेल में उंगली डाली...और
टीका लगानेः लगी.....पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और
चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई
थी...इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी.....शीला सोच रही थी कि इतनी
चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है....शीला पंडित के बदन की तरफ
खीची चली जा रही थी....ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए
थे...
शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली...पंडित ने अपने थैले
से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली.....लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी....5
इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी...
लकड़ी के एंड में एक छेद था...पंडित ने उस छेद में डाल कर मौलि
बाँधी...
पंडित: यह लो...यह शिवलिंग है...
शीला ने शिवलिंग को प्रणाम किया..
पंडित: इस शिवलिंग को अपनी कमर में बाँध लो.....यह हमेशा तुम्हारे
सामने आना चाहिए...तुम्हारे पेट के नीचे...
शीला: पंडितजी...इससे क्या होगा..?
पंडित: इस से शिव तुम्हारे साथ रहेगा....यदि किसी और ने इसे देख लिया
तो शिव नाराज़ हो जाएगा...अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं.....और
तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है.......सोतेः समय भी....
शीला: जैसा आप कहें पंडितजी...
पंडित: लाओ...मैं बाँध दू..
दोनो खड़े हो गये...पंडित ने वो शिवलिंग शीला की कमर में डाला और उसके
पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधनेः लगा...उसके हाथ शीला की नंगी कमर
को छू रहे थे...गाँठ लगानेः के बाद पंडित बोला..
पंडित: अब इश्स शिवलिंग को अंदर डाल लो..
शीला ने शिवलिंग को अपनेह पेटिकोट के अंदर कर लिया....शिवलिंग शीला की
टाँगों के बीच में आ रहा था...