17-05-2021, 04:55 PM
ईईईईई उईईईईई
कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,
इनके कस के काटने चूसने ने , रगड़ने मसलने ने मेरी ननदिया को बौरा दिया , और रही सही कसर मैंने पूरी कर दी , कम्मो ने अपने देवर के कमर के नीचे का जिम्मा लिया तो मैंने अपनी ननद का , उसकी चिकनी बिना रोंये वाली गुलाबो का ,
मेरी उँगलियों ने ननद की बिल में सेंध लगा दी , लेकिन उसके पहले कुछ देर तक मैं उसकी मांसल जाँघों को सहलाती रही , खरोंचती रही , हथेली से हलके हलके उसकी गुलाबी सहेली को सहलाती रही और फिर ,
सिर्फ मंझली ऊँगली का एक पोर और एक पोर ही काफी था , उस नयी उमर की नयी फसल के लिए ,
उसकी बिलिया में मेरे साजन की , उसके भैया की गाढ़ी थक्केदार मलाई बजबजा रही थी , बस मैंने थोड़ी सी ऊँगली बिलिया के अंदर के दीवालों पर रगड़नी शुरू की और उसको चींटे काटने शुरू हो गए , वो चूतड़ पटकने लगी ,
उसकी चूँचियों की जबरदस्त रगड़ाई , मसलाई , चुसाई उसके भैया कर रहे थे और बिल की हाल चाल भाभी पूछ रही थीं ,
कुछ देर उंगलियाने के साथ साथ जैसे मैंने अंगूठे से बस उसकी क्लिट को छू भर दिया और जैसे वो उछल पड़ी , कांपने लगी ,
जैसे कम्मो भौजी के सुपाड़ा चूसने का असर सीधे उसके भइया पर पड़ा जो कस कस के उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ मसलने रगड़ने लगे , वैसे ही मेरी बदमाशी का असर मेरी छुटकी ननदिया पर पड़ा ,
उसने कस के अपने भैया को भींच लिया , अपने नाख़ून उनके कंधे पर गड़ा दिए , अपनी देह उनकी देह से रगड़ने लगी , बस चाह रही थी कैसे बस कैसे वो दोनों , ... वो उसके अंदर समा जाएँ ,
हालत उनकी भी यही हो रही थी , थोड़ी देर ननद के साथ खेल तमाशा करने के बाद मैंने कम्मो की आँखों में देखा , उसने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया ,
हम दोनों ने इनको बोला था , दस मिनट तक सिर्फ कमर के ऊपर ,... दस मिनट कब के ख़तम हो गए थे , दोनों पागल हो रहे थे ,... मैंने झुक के इनके कान में अपनी जीभ से सुरसुरी की , और हलके से बोला , दस मिनट हो गए ,
कम्मो ने भी इन्हे छोड़ दिया था ,
बस जैसे ये इन्तजार कर रहे थे ,
देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को
बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली ,
बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,...
और ,
एक जबरदस्त धक्का ,
अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था ,न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने ,
और न वो हिचकी , बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई
कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,
इनके कस के काटने चूसने ने , रगड़ने मसलने ने मेरी ननदिया को बौरा दिया , और रही सही कसर मैंने पूरी कर दी , कम्मो ने अपने देवर के कमर के नीचे का जिम्मा लिया तो मैंने अपनी ननद का , उसकी चिकनी बिना रोंये वाली गुलाबो का ,
मेरी उँगलियों ने ननद की बिल में सेंध लगा दी , लेकिन उसके पहले कुछ देर तक मैं उसकी मांसल जाँघों को सहलाती रही , खरोंचती रही , हथेली से हलके हलके उसकी गुलाबी सहेली को सहलाती रही और फिर ,
सिर्फ मंझली ऊँगली का एक पोर और एक पोर ही काफी था , उस नयी उमर की नयी फसल के लिए ,
उसकी बिलिया में मेरे साजन की , उसके भैया की गाढ़ी थक्केदार मलाई बजबजा रही थी , बस मैंने थोड़ी सी ऊँगली बिलिया के अंदर के दीवालों पर रगड़नी शुरू की और उसको चींटे काटने शुरू हो गए , वो चूतड़ पटकने लगी ,
उसकी चूँचियों की जबरदस्त रगड़ाई , मसलाई , चुसाई उसके भैया कर रहे थे और बिल की हाल चाल भाभी पूछ रही थीं ,
कुछ देर उंगलियाने के साथ साथ जैसे मैंने अंगूठे से बस उसकी क्लिट को छू भर दिया और जैसे वो उछल पड़ी , कांपने लगी ,
जैसे कम्मो भौजी के सुपाड़ा चूसने का असर सीधे उसके भइया पर पड़ा जो कस कस के उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ मसलने रगड़ने लगे , वैसे ही मेरी बदमाशी का असर मेरी छुटकी ननदिया पर पड़ा ,
उसने कस के अपने भैया को भींच लिया , अपने नाख़ून उनके कंधे पर गड़ा दिए , अपनी देह उनकी देह से रगड़ने लगी , बस चाह रही थी कैसे बस कैसे वो दोनों , ... वो उसके अंदर समा जाएँ ,
हालत उनकी भी यही हो रही थी , थोड़ी देर ननद के साथ खेल तमाशा करने के बाद मैंने कम्मो की आँखों में देखा , उसने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया ,
हम दोनों ने इनको बोला था , दस मिनट तक सिर्फ कमर के ऊपर ,... दस मिनट कब के ख़तम हो गए थे , दोनों पागल हो रहे थे ,... मैंने झुक के इनके कान में अपनी जीभ से सुरसुरी की , और हलके से बोला , दस मिनट हो गए ,
कम्मो ने भी इन्हे छोड़ दिया था ,
बस जैसे ये इन्तजार कर रहे थे ,
देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को
बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली ,
बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,...
और ,
एक जबरदस्त धक्का ,
अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था ,न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने ,
और न वो हिचकी , बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई