17-05-2021, 04:54 PM
बांसुरी
![[Image: BJ-deep-8505286.gif]](https://i.ibb.co/pbZqtKJ/BJ-deep-8505286.gif)
उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच
ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते ये
मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात ,
कम्मो के देवर की हालत खराब अपनी भौजी की जीभ के आगे , सिर्फ जीभ , बल्कि जीभ की टिप ,... सच में ,...
मेरी आँखे सब छोड़कर भौजी -देवर पर चिपकी थीं ,
हाँ पहले तो होंठों का इस्तेमाल हुआ , ' कपड़ा ' , कवर उतारने के लिए , सिर्फ होंठों के हलके से जोर से धीमे धीमे , और चमड़ी सब सरक कर , नीचे
और इनका मस्ताया बौराया , खूब फूला , बड़ा सा , बौराया सुपाड़ा (काक हेड ) बाहर।
![[Image: bj-lick-55.jpg]](https://i.ibb.co/VNVMG8S/bj-lick-55.jpg)
ये तो मुझे मालूम था , नो हैंड्स , सिर्फ लिप्स , पर आज देख रही थी , सिर्फ जुबान ,...
जीभ की टिप से कम्मो इनके पी होल , पेशाब वाले छेद को छेड़ती रही , सहलाती रही , सुरसुराती रही ,
फिर जैसे कोई पतुरिया नाचे , कम्मो की जीभ की टिप इनके खुले कड़े मांसल गुलाबी सुपाड़े पर नाचती , उसे छेड़ती रगड़ती ,
फिर एक बार सिर्फ जीभ की टिप , जैसे कोई कलम की नोक से कोई इबारत लिखे , कम्मो की जीभ की टिप जहाँ सुपाड़ा चर्म दंड पर मिलता है , बस उसी जगह जोर जोर से बार बार , जीभ की टिप से रगड़ रही थी ,
![[Image: BJ-lick-tumblr-p0svv1hmy-L1ueo5r9o1-500.gif]](https://i.ibb.co/YtwTNsm/BJ-lick-tumblr-p0svv1hmy-L1ueo5r9o1-500.gif)
मान गयी मैं कम्मो को , जिस कॉलेज में मैंने दाखिला लिया था , सच में उस कॉलेज की वो हेडमास्टरनी थी ,
और फिर लांग लीक्स , इनके मोटे बित्ते भर के डंडे पर पूरा नीचे से ऊपर , खूब थूक लगा के ,
अभी तक खूंटे को उसने मुंह में नहीं लिया था , लेकिन इसी में कम्मो के देवर की हालत खराब थी ,
चाटते चाटते , एक बार जब वो खूंटे के बेस पर पहुंची तो बस हलके से , उसने इनके ' रसगुल्लों ' को भी जीभ से टच कर दिया ,
![[Image: BJ-Balls-slow-9079260.gif]](https://i.ibb.co/k1X59my/BJ-Balls-slow-9079260.gif)
जैसे करेंट छू गया हो इन्हे ,
खूंटा जैसे एकदम पत्थर ,
और एक बार फिर उसके होंठ इनके सुपाड़े पर , मैं समझ रही थी उसकी शरारत ,...
सिर्फ हलके से जोर उसके होंठ इनके खुले सुपाड़े को रगड़ रहे थे , बिना चूसे , सिर्फ होंठों का दबाव , और जब वो होंठ ऊपर तक आये , तो बस उसने खूब जोर से ' ब्लो ' किया , सीधे उनके पी होल पर
![[Image: BJ-lick-tumblr-dedb89294064c3236ac35f845...2-540.webp]](https://i.ibb.co/gdyqFW9/BJ-lick-tumblr-dedb89294064c3236ac35f845e26e6d5-8b24c132-540.webp)
मेरी भोली ननदिया को नहीं मालूम था की अपनी कम्मो भौजी को चढ़ाकर उसने अच्छे घर दावत दी है ,
कम्मो जिस तरह अपने देवर के मोटे मूसल को जीभ से होंठों से छेड़ रही थी , उनके तन मन में आग लगा रही थी , उसका असर तो मेरी और कम्मो की ननद को ही भोगना था ,
ननद का सर मेरी गोद में था और मैं हलके हलके प्यार दुलार से उसके लम्बे लम्बे खुले बाल सहला रही थी
कुछ देर पहले तक ये बड़े प्यार से धीमे धीमे , सम्हल सम्हल कर अपनी ममेरी बहन की कच्ची अमिया , बस सहला दुलरा रहे थे , कभी छू लेते कभी सहला देते , कभी झुक कर चूम लेते ,
लेकिन कम्मो की जीभ, कम्मो के होंठ जिस तरह इनके खूंटे से खिलवाड़ कर रही थी , उसका असर इनके होंठों पर , हाथों पर हुआ ,
छूना सहलाना , कस कस के मसलने , रगड़ने में बदल गया , बस अब उन्हें इस कच्चे टिकोरों का सारा रस लूटना था , उन्हें कुतरना था ,
एक हाथ कस कस के उस नयी नयी आयी जवानी वाली छोरी के जोबन को कस के मसल रहा था , दबा रहा था कुचल रहा था ,
और दुसरे पर , बस अभी आ रहे , भोर की ललछौंही ललाई ऐसे , खेत से न तोड़ी गयी कच्ची मटर के दूध भरे दाने जैसे निपल को , कभी अपनी ऊँगली से फ्लिक करते तो कभी होंठों से चूसते , जोर जोर से
![[Image: nips-pull-20912748.gif]](https://i.ibb.co/tBvk28S/nips-pull-20912748.gif)
लेकिन जब कभी उनकी बदमाश भौजाई , अपने दांत से , नाख़ून से हलके से उनके बॉल्स को , सुपाड़े को खरोंच लेती तो सीधा असर उनके ऊपर होता
वो जोर से अपने दांत अपनी ममेरी बहन के छोटे छोटे निप्स पर गड़ा देते ,
और बेचारी मेरी और कम्मो की ननदिया जोर से चीख उठती ,
पर यही तो मैं और कम्मो चाहते थे ननद की चीख पुकार , और अब तो उसको हरदम चीखना चिल्लाना था , आज अपने भइया के साथ तो बस कुछ दिनों में मेरे और कम्मो के भाइयों के साथ ,
कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,
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उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच
ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते ये
मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात ,
कम्मो के देवर की हालत खराब अपनी भौजी की जीभ के आगे , सिर्फ जीभ , बल्कि जीभ की टिप ,... सच में ,...
मेरी आँखे सब छोड़कर भौजी -देवर पर चिपकी थीं ,
हाँ पहले तो होंठों का इस्तेमाल हुआ , ' कपड़ा ' , कवर उतारने के लिए , सिर्फ होंठों के हलके से जोर से धीमे धीमे , और चमड़ी सब सरक कर , नीचे
और इनका मस्ताया बौराया , खूब फूला , बड़ा सा , बौराया सुपाड़ा (काक हेड ) बाहर।
![[Image: bj-lick-55.jpg]](https://i.ibb.co/VNVMG8S/bj-lick-55.jpg)
ये तो मुझे मालूम था , नो हैंड्स , सिर्फ लिप्स , पर आज देख रही थी , सिर्फ जुबान ,...
जीभ की टिप से कम्मो इनके पी होल , पेशाब वाले छेद को छेड़ती रही , सहलाती रही , सुरसुराती रही ,
फिर जैसे कोई पतुरिया नाचे , कम्मो की जीभ की टिप इनके खुले कड़े मांसल गुलाबी सुपाड़े पर नाचती , उसे छेड़ती रगड़ती ,
फिर एक बार सिर्फ जीभ की टिप , जैसे कोई कलम की नोक से कोई इबारत लिखे , कम्मो की जीभ की टिप जहाँ सुपाड़ा चर्म दंड पर मिलता है , बस उसी जगह जोर जोर से बार बार , जीभ की टिप से रगड़ रही थी ,
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और फिर लांग लीक्स , इनके मोटे बित्ते भर के डंडे पर पूरा नीचे से ऊपर , खूब थूक लगा के ,
अभी तक खूंटे को उसने मुंह में नहीं लिया था , लेकिन इसी में कम्मो के देवर की हालत खराब थी ,
चाटते चाटते , एक बार जब वो खूंटे के बेस पर पहुंची तो बस हलके से , उसने इनके ' रसगुल्लों ' को भी जीभ से टच कर दिया ,
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खूंटा जैसे एकदम पत्थर ,
और एक बार फिर उसके होंठ इनके सुपाड़े पर , मैं समझ रही थी उसकी शरारत ,...
सिर्फ हलके से जोर उसके होंठ इनके खुले सुपाड़े को रगड़ रहे थे , बिना चूसे , सिर्फ होंठों का दबाव , और जब वो होंठ ऊपर तक आये , तो बस उसने खूब जोर से ' ब्लो ' किया , सीधे उनके पी होल पर
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मेरी भोली ननदिया को नहीं मालूम था की अपनी कम्मो भौजी को चढ़ाकर उसने अच्छे घर दावत दी है ,
कम्मो जिस तरह अपने देवर के मोटे मूसल को जीभ से होंठों से छेड़ रही थी , उनके तन मन में आग लगा रही थी , उसका असर तो मेरी और कम्मो की ननद को ही भोगना था ,
ननद का सर मेरी गोद में था और मैं हलके हलके प्यार दुलार से उसके लम्बे लम्बे खुले बाल सहला रही थी
कुछ देर पहले तक ये बड़े प्यार से धीमे धीमे , सम्हल सम्हल कर अपनी ममेरी बहन की कच्ची अमिया , बस सहला दुलरा रहे थे , कभी छू लेते कभी सहला देते , कभी झुक कर चूम लेते ,
लेकिन कम्मो की जीभ, कम्मो के होंठ जिस तरह इनके खूंटे से खिलवाड़ कर रही थी , उसका असर इनके होंठों पर , हाथों पर हुआ ,
छूना सहलाना , कस कस के मसलने , रगड़ने में बदल गया , बस अब उन्हें इस कच्चे टिकोरों का सारा रस लूटना था , उन्हें कुतरना था ,
एक हाथ कस कस के उस नयी नयी आयी जवानी वाली छोरी के जोबन को कस के मसल रहा था , दबा रहा था कुचल रहा था ,
और दुसरे पर , बस अभी आ रहे , भोर की ललछौंही ललाई ऐसे , खेत से न तोड़ी गयी कच्ची मटर के दूध भरे दाने जैसे निपल को , कभी अपनी ऊँगली से फ्लिक करते तो कभी होंठों से चूसते , जोर जोर से
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लेकिन जब कभी उनकी बदमाश भौजाई , अपने दांत से , नाख़ून से हलके से उनके बॉल्स को , सुपाड़े को खरोंच लेती तो सीधा असर उनके ऊपर होता
वो जोर से अपने दांत अपनी ममेरी बहन के छोटे छोटे निप्स पर गड़ा देते ,
और बेचारी मेरी और कम्मो की ननदिया जोर से चीख उठती ,
पर यही तो मैं और कम्मो चाहते थे ननद की चीख पुकार , और अब तो उसको हरदम चीखना चिल्लाना था , आज अपने भइया के साथ तो बस कुछ दिनों में मेरे और कम्मो के भाइयों के साथ ,
कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,