17-05-2021, 04:54 PM
कच्ची अमिया
एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,... शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी ,
उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी
और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था ,
पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , ...
वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते ,
हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे ,
कितना ललचाती थी मैं इन्हे इनकी बहन के जोबन के लिए , कच्ची अमिया , कच्चे टिकोरे ,
और ये भले धत्त बोलते हों इनका खूंटा खड़ा होकर इनके मन की गवाही देता था ,
जब पहली बार मैंने इन्हे इन चूजों की फोटो दिखाई थी ,
गुड्डी की ब्रा सुंघाई थी , तीन बार की कुश्ती के बाद भी ,... उन चूजों के बारे में सोच के ही खूंटा खड़ा हो गया था ,... और मेरी वो धुनाई की थी उन्होंने
आज वो चूजे उनके हाथों के बीच थे , छोटे छोटे मुलायम फाहे बस अभी उभरते
और थोड़ी देर बाद इनके होंठ सीधे मेरी ननद के उरोजों पर , ...
लेकिन गुड्डी के होंठ जैसे ही आजाद हुए उसे अपनी भौजी को छेड़ने का मौका मिल गया , कम्मो भौजी को , उनसे वो शोख एकदम असली ननद की तरह बोली ,
" भौजी कुल काम ननद ही करेगी , आप के देवर का शेर बेचारा शोर कर रहा है , उसे कोई पूछ नहीं रहा है थोड़ा भौजाई का फर्ज भी निभाइये ,"
इनके गुस्साए शेर को देख कर कम्मो के मुंह में खुद पानी आ रहा था , फिर अगर अपने देवर के शेर को अच्छी तरह जगा भड़का देंगी तो ऐसी की तैसी इस बड़बोली ननद की ही होनी थी , पहली बार में ही इन्हे इतना टाइम लगा था , सेकेण्ड टाइम तो पक्का आधे पौन घंटे से कम नहीं कुटाई होने वाली थी , मेरी ननद की ,
,उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच
ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात
एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,... शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी ,
उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी
और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था ,
पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , ...
वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते ,
हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे ,
कितना ललचाती थी मैं इन्हे इनकी बहन के जोबन के लिए , कच्ची अमिया , कच्चे टिकोरे ,
और ये भले धत्त बोलते हों इनका खूंटा खड़ा होकर इनके मन की गवाही देता था ,
जब पहली बार मैंने इन्हे इन चूजों की फोटो दिखाई थी ,
गुड्डी की ब्रा सुंघाई थी , तीन बार की कुश्ती के बाद भी ,... उन चूजों के बारे में सोच के ही खूंटा खड़ा हो गया था ,... और मेरी वो धुनाई की थी उन्होंने
आज वो चूजे उनके हाथों के बीच थे , छोटे छोटे मुलायम फाहे बस अभी उभरते
और थोड़ी देर बाद इनके होंठ सीधे मेरी ननद के उरोजों पर , ...
लेकिन गुड्डी के होंठ जैसे ही आजाद हुए उसे अपनी भौजी को छेड़ने का मौका मिल गया , कम्मो भौजी को , उनसे वो शोख एकदम असली ननद की तरह बोली ,
" भौजी कुल काम ननद ही करेगी , आप के देवर का शेर बेचारा शोर कर रहा है , उसे कोई पूछ नहीं रहा है थोड़ा भौजाई का फर्ज भी निभाइये ,"
इनके गुस्साए शेर को देख कर कम्मो के मुंह में खुद पानी आ रहा था , फिर अगर अपने देवर के शेर को अच्छी तरह जगा भड़का देंगी तो ऐसी की तैसी इस बड़बोली ननद की ही होनी थी , पहली बार में ही इन्हे इतना टाइम लगा था , सेकेण्ड टाइम तो पक्का आधे पौन घंटे से कम नहीं कुटाई होने वाली थी , मेरी ननद की ,
,उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच
ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात