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Thriller कामुक अर्धांगनी
भाभी की उंगलियों ने मेरे तन बदन मे आग लगा रखी थी और मेरी बेकार लुल्ली बेवजह तमतमाने लगी थी कि भाभी ने तीसरी उँगली अंदर डाल कर मेरे गांड की नस नस हिला दी और मेरा गांडू जिस्म खुद उँगलियों पर नाचने लगा जो देख भाभी बोली चल ले घूमने देखना एक से बढ़ कर एक तगड़े लौड़े दिलाऊंगी तुझे देवर जी ऐसे उछल उछल कर मरवाना तुम अपनी ये प्यासी गांड और मेरी लुल्ली को वो हिलाने लगी मेरी अहह तीव्र होने लगी और भाभी बस यही बोलती चलेगा एक बार बोल दे देवर जी चलेगा अपनी गांड मरवाने उनके उँगलियों की चुदाई से मैं हार गया और बोला हाँ भाभी जाऊँगा ,खा मेरी कसम तू अपनी बीवी संग जाएगा वहाँ और मेरी हर बात मनेगा खा कसम मेरे कुत्ते ,भाभी की बातों ने मुझे बिन सोचे कसम खाने पर मजबूर कर दिया और मैं बोला तेरी कसम भाभी तेरी देवरानी रांड बनेगी और तेरा देवर गांड मरवाएगा तेरे इशारे पर भाभी ये सुनते मेरे गांड मे उँगलियों को फसा कर मेरे लुल्ली को मुँह मे ले ज़ोर से चूसने लगी और मेरी सारी अकड़ चंद मिनटों मे टूट गई और मेरी लुल्ली भाभी के मुँह मे एक एक बूंद करती ढीली होने लगी और भाभी ने लुल्ली के टोपे को यू कस कर चूसा की एक बूंद भी नही बची मेरे अण्डों मे ।
मैं निढाल उनके पेट पर जा गिरा और उनके चूत के ऊपर मुँह रख हाँफने लगा और वो बोली देखना मेरी देवरानी एक हफ्ते मे इतना मज़ा करेगी कि मर्द कम पड़ जाएंगे बोलती वो उँगली निकाल कर अपने चूत पर रगड़ती रही और दोनों ऐसे ही पड़े पड़े हाँफते रहे ।पसीने से लस लस करते भाभी संग देवर गांडू करीबन आधा घंटा सासों को सम्हालने मे लगे रहे तब जा कर कही भाभी ने मुझे अपने बाजू मे पटक कर बोला चाय लाती हूँ जा के मेरी देवरानी को उठा लो आज बाहर खाने चलते हैं हम दोनो परिवार बोल के भाभी ने मुझे फिर पसोपेश मे डाल दिया ।
 
मैं उठ कर अपनी सोती हुई अर्धाग्नि को जगाने लगा वो आँखे मीच बोली क्या हुआ जी मैं बोला भाभी आई है उठो शाम हो गयी है वो थकावट से चूर बिस्तर पर अंगड़ाइयाँ लेते बोली उफ्फ्फ बहुत थक गई थी और वो उठ कर मेरे होंठो पर चुम्बन दे कर बोली चलिए ज़रा नाहा के आई मैं।
 
भाभी चाय बना कर आते ही कपड़े पहन बैठी पर मैं नंगा ही बैठ गया भाभी के कमर को अपने हाथों मैं दबोचे उधर मधु नाइटी पहनी बिना पोछे गीला बदन आ बैठी और चाय की चुस्की लेते बोली दीदी आपने क्यों तकलीफ की मुझे जगा देती मैं चाय बना लेती वो हँसते बोली सुना तू वसंत से ताबड़तोड़ ठुकाई कर के सोई है सोची सोने देती हूँ तेरी नींद क्यों खराब करती और वैसे भी तू सोई थी तोह अच्छा था न गांडू देवर संग खेलने मिल गया और वो मेरे लुल्ली को पकड़ के बोली पूरा चूस के पी हूँ इसका अब जल्दी चाय पियो बाहर खाना खाने चलते है क्या घर पर रोज खाना खाते रहेंगे बोल के शालिनी भाभी ने चाय खत्म कर बोली थोड़े देर मैं तयार हो कर शर्मा जी संग आती हूँ तुम दोनों भी त्यार हो जाओ बोल के भाभी गांड मटकाती निकल गई और मधु बोली अच्छा भाभी संग खेल लिया आपने और वो हँसते बोली चलिए बाहर बहुत दिनों से खाये नही अच्छा हुआ भाभी संग जाने के बहाने थोड़ा लजीज पकवान भी मिल जाएगा बोल के मधु तयार होने चल पड़ी ।
 
 
 
बाह कटी पीछे से दो डोरी आगे से अपने स्तनों को आधे दिखाती हल्के गुलाबी ब्लाउज पहने हाथों मे गुलाबी चूड़ियां माथे मे बालों को अच्छी तरह गूथ कर अपनी माँग मे सिन्दूर डाले गुलाबी बिंदी लगा कर काजल से अपने आँखों को मोहिनी सा सजा के होंठो पर गुलाबी लिपस्टिक लगा कर गले मे एक पतली सोने की चैन और अपने स्तनों के बीचों बीच सुहाग की निशानी यानी मंगलसूत्र डाल कर अपने गालो को न जाने क्या क्या लगा कर मेरी बीवी निखरे जा रही थी जो देख मेरा दिल दहकने लगा कि कही कोई इसे न नोच खाए ,उसने नाक मे चमकीले पत्थर वाली नथुनी डाली और कानों मे एक भारी झुमका डाल अपने कांखों पर खुशबूदार सेंट लगाया और उठ कर कमर पर साड़ी लपेटने लगी देख कर लगा बरसों बाद अपनी अर्धाग्नि को यू सजते संवरते देख रहा हूँ, वो साड़ी के पल्लू को क्लिप लगती ब्लाउज से मिला लेती पर उसकी स्तनों की गहराई पतली आँचल से साफ दिखाई देती ऊपर से आधा स्तन बेबाक खुला रहता और वो कमर पर कमरबंद बांध कर उसके लटकन को तिरछा कर के यू मिलाने लगी कि उसकी गहरी नाभी खुली रहे ,ऐसा लग रहा था कि मधु त्यार हो किसी मर्द के पास जा रही हो ये सोच मेरा मन वापस भाभी को दी हुई कसम की और जाने लगा जो मैंने अब तक मधु से बताई तक नही ।
 
मेरी मधु बिल्कुल मेनका की तरह कामुक्ता को प्रदशित करती त्यार हो कर बोली कैसी लग रही हूँ मैं मधु को जी भर घूरता बोला न जाने कितने मर्द तुझे देख आज चोदने को मचल जाएंगे वो ये सुनते बोली आपकी बीवी हूँ हर मचलते मर्द की प्यास बुझा दूँगी वो ऐसा बोल मेरे पास आ कर बोली जी आप त्यार हो जाइए मे ज़रा भाभी घर से आई बोल वो मटकती चली गई ।
 
 
मैं जीन्स शर्ट पहन के गेट पर बाहर खड़ा ही हुआ था कि शालिनी भाभी मधु के जैसे ही रूपमती बनी आते दिखी उनको देख लगा ही नहीं कि उनकी उम्र अधिक है लगा मानो मधु की बहन हो खैर शर्मा जी ने गाड़ी निकाला और हम दोनों गांडू आगे और दोनों रूपवती पीछे बैठी ।
 
 
भाभी ने शर्मा जी को बोला सबसे बढ़िया वाला जो ढाबा है वहाँ चलिए ,शर्मा जी बोले वो तो बहुत दूर है ना भाभी बोली तो क्या दिक़त है चलिए कौन सा आपको कोई काम करना है ,मैंने शर्मा जी से पूछा कितनी दूर वो बोले वही हाईवे से जो आगे वाला है ना मैं बोला वो तोह बार वाला रेस्टुरेंट है वही न शर्मा जी बोले हाँ वही वहाँ तो बड़ी भीड़ रहती है भाभी टपाक से बोली देवर जी वहाँ अपनी सीट बुक है आपको क्या लगता है देवर जी ऐसे जगह मेरी जान पहचान नही हो सकती ,मैं बोला भाभी आप तो मनमोहिनी है आपको तो शहर का हर कोई जानता है वो हँसते बोली हाँ और अब मधु को भी हर कोई जानेगा कहते भाभी ने स्पष्ट कर दिया कि मेरी बीवी अब न जाने कहाँ कहाँ बिस्तर गर्म करेगी ये पता लगाना भी बेकार है ।
 
एक घंटे बाद कार रुकी भाभी मधु का हाथ पकड़ के बोली चलो चले ये आ जाएंगे और शर्मा जी ने बोला बहनचोद लगता है शालिनी यहाँ चुदवाने आती थी मैं हँसते बोला क्या फर्क पड़ता है वैसे भी हम दोनों गांडू है अब मर्द होते तो यहाँ ला के चोदते नहीं है तो ला के चुदवाते ,शर्मा जी हँसने लगे और दोनों ने सिगरेट की कस लगा कर अपना सत्य स्वीकार करते अंदर दाखिल हुए ।
 
 
काफी भीड़ भाड़ होने की वजह से दोनों दिख नही रही थी तभी वेटर आ कर बोला मैडम ने बोला आपको ऊपर आने ,हम दोनों लिफ्ट से ऊपर पहुँचे दोनों एक आलीशान सोफे पर बैठी थी और वहाँ चारों तरफ एक से एक रईस मर्दो का जमावड़ा था जो मदिरा का मज़ा ले रहे थे जिनमें न जाने कितनों की नज़रे हम दोनों की बीवियों पर थी ये तो बस बीवियों को पता था ।
 
 
भाभी ने मेरे पहुँचते बोला बोलिए देवर जी क्या पिएंगे मैं बोला आप क्या पी रहे है वो हँसते बोली हम देवरानी संग वोदका आप दोनों क्या लेंगे शर्मा जी बोले मैं तो व्हिस्की लूँगा मैं बोला मैं भी और भाभी ने वैस्टर को बुला के आर्डर दिया साथ मे स्नैक्स बोल के भाभी ने मधु के कानों मे क्या बोला पता नही पर मधु हँसते बोली हां भाभी ।
 
 
दो राउंड पीने के बाद शर्मा जी बोले चलो लगी है क्या मैं बोला चलिए दोनों जैसे ही उठे भाभी बोली हम भी चलते है चारों चलने लगे जब शर्मा जी अंदर घुसे भाभी ने बोला देवर जी थोड़ा शर्मा जी को सम्हाल लिजेएगा मैं मधु को यहाँ घुमा लाती हूँ ,मधु की तरफ देखा तो लगा वो उत्सुकता से भरी पड़ी थी और दोनों लिफ्ट से ऊपर चल गई और मैं शर्मा जी संग निवृत हो कर वापस पीने बैठा तो शर्मा जी बोलने लगी पहले जब शालिनी कुतिया संग आया था वो ऐसे ही हल्का होने का बोल के गई थी दो घन्टे लौटीं नही थी ,मैं बोला आज मधु संग है आ जाएंगी वो बोले तुझे की लगता है मधु संग क्यों है ।
 
 
शर्मा जी ने एक घुट मे गिलास खत्म कर के बोले चल पी दिखाता हुँ कहाँ क्या कर रही है दोनों ।
 
 
 
कहानी जारी है ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 17-05-2021, 03:15 AM



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