Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 1.33 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery लोकडाउन में मेरा परिवार
#24
अमृता ताई ने मुझे एक कुल्हाड़ी (axe) और कुदाली (spade) लेके चलने को कहा ।
उसने एक थैली और 2 रस्सियाँ भी लिया । रात का बचा हुआ चावल और सब्जी लिया और लंच बॉक्स में डाला । 2 bottle पानी लिया । हम दोनों सूरज उगने से पहले घर से खेतों की ओर चल दिये ।
वह मेरे आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे कंधे पर कुल्हाड़ी और कुदाल लेके चल रहा था । अमृता 50 साल की औरत है और वह मेरे पिता , माँ और संध्या बुआ से बड़ी हैं । साँवली हैं , ऊंचाई 5’1” जैसा है । खेतों में काम करते रहने से उसके शरीर में चर्बी नहीं आई है। यदि अपने घर की औरतों की सुंदरता को सिर्फ रंग रूप में तौला जाये तो सबसे सुंदर रेखा चाची, फिर मेरी माँ बिमला और फिर अमृता ताई और बाद में संध्या बुआ सबसे कम अच्छी लगती हैं । लेकिन उन चारों को पिता जी और ताऊ से चुदते देखा हूँ । चुदाई की कला में कोई किसी से कम नहीं है । पिता जी और राकेश ताऊ के बुआ के गाँव जाने के बाद जिस तरह मुझसे चाची और संध्या बुआ ने चुदवाया और आज मेरे साथ अमृता ताई आई है, मुझे लगा यह सब इन औरतों के प्लान के हिसाब से हो रहा है ।
करीब 20 मिनट में हम दोनों खेत में पहुंचे । उस जगह जंगलों की पहाड़ियों के बीच हमारे करीब 3 एकड़ जमीन हैं । बरसात आने से पहले उन खेतों को तैयार करना पड़ता है । टूटे मेड़ / आड़ की मरम्मत करनी होती है।
अमृता ने अपनी साड़ी को कमर में ऐसा खोंसा कि साड़ी घुटनों तक उठ गयी । और आँचल को कंधे से हटाकर कमर में बांध लिया । उसने कुदाल उठाया और खेत में कुदाई शुरू करती है । उसने भी मुझे उसी तरह करने को कहा । मैंने भी दूसरा कुदाल उठाया और उसके साथ कोड़ना शुरू किया ।
मुझे उस काम की आदत नहीं थी । आधे घंटे में लगा कि मैं थक गया हूँ । माथे से पसीना आने लगा । टी-शर्ट पसीना से भींग गया । ताई भी पसीना से भींग गयी थी लेकिन वह काम किए जा रही थी । वो बोली, “बेटा, अपना कमीज उतार दो , भींग गया है ।“ मैंने टी शर्ट उतार दिया । फिर हम काम करने लगे । काम करने से मुझे भूख लगने लगी । मैंने बोला, “बड़ी माँ, भूख लग रही है। “
उसने बोला, “ठीक है बेटा, थोड़ा आराम कर लो।“ मैं खेत के किनारे एक पेड़ के नीचे छाया में बैठ गया । ताई भी वहीं झाड़ियों से दातुन तोड़कर लाई और मुझे देते हुये बोली, “दातुन कर लो और हाथ मुंह धो लो।“
हम दोनों ने दातुन किया और पास के गड्डे के पानी से हाथ मुंह धोया । उसके बाद ताई ने नास्ते में खाना और सब्जी दिया । वह मेरे सामने बैठी थी । इतना देरी काम करने से पता चल गया कि खेती किसानी का काम आसान नहीं है । खून पसीना जलाना पड़ता है, तब जाके खाने को अनाज, सब्जी, दाल मिलता है । खाते खाते मैं उसे ध्यान से देख रहा था ।
उसने जब मुझे अपनी ओर इस तरह देखते हुये देखा तो पूछा, “ऐसे क्या देख रहा है बेटे ?”
“क ... कुछ नहीं बड़ी माँ !”
“कुछ तो बात है !”
“मैं देख रहा था कि आप कितनी अच्छी हैं, सुंदर हैं !”
“क्या बेटा, बड़ी माँ से ऐसा मज़ाक करते हैं क्या ?”
“नहीं बड़ी माँ, आप सचमुच की बहुत अच्छी लगती हैं।“
“अरे मैं तो बूढ़ी हो गयी हूँ, तेरी माँ से भी बड़ी हूँ।“
“नहीं, आप कहाँ बूढ़ी हैं! आप तो अभी भी 30 साल की भाभियों जैसी लगती हैं।“
मैं बड़ी माँ की उभरी हुयी छाती देख रहा था । उसकी ब्लाउज पसीने से भींगकर चूचियों से चिपक गयी थी । उसका ब्लाउज कांख के पास गीला हो गया था। खाना खाकर हम दोनों फिर से खेत में काम किए । कुछ देर बाद ताई बोली, “बेटा, आज के लिए इतना ही करते हैं । धूप चढ़ गया है ।“
हम दोनों फिर छाया में आए और अपना पसीना पोंछे । थोड़ी देर छाया में बैठने के बाद हमने पानी पीया । फिर पास के पानी से हाथ पैर, चेहरा धोया । बड़ी माँ ने कुल्हाड़ी पकड़ा और कहा, “चलो थोड़ा जंगल तरफ लकड़ी और पत्ते तोड़ लाते हैं । “
मैं बोला, “चलिये।“ और हम दोनों जंगल की ओर चल दिये। हम जंगल में आधा किमी जैसा अंदर गए । एक जगह उसने सुखी लकड़ियाँ इकट्ठा किया और कुछ पत्ते तोड़ा । मैंने उसे पत्तियाँ तोड़ने में मदद क्या । उसने लकड़ी की गट्ठरी बांधी । उसके बाद वह एक पेड़ की छाया में बैठ गयी ।
“बेटा, थोड़ा बैठ कर आराम कर ले।“
मैं उसके पास गया । प्यास फिर से लगने लगी थी । मेरे मन में उसे भी चोदने की इक्षा आ रही थी । शायद अमृता ताई भी चुदना चाहती हो । मैं सोच रहा था कि इसको मैं उसी झरने में चोदूंगा जहां ये लोग पिता जी और ताऊ के चुदाई करते हैं ।
मैंने बोला, “बड़ी माँ मुझे तो प्यास लगी है और नहाने का मन है । झरना पास चलें क्या ?”
वह बोली, “प्यास तो मुझे भी लगी है, और नहाने का तो मुझे भी मन है। लेकिन मैं तो दूसरी साड़ी नहीं लाई । साबुन भी तो नहीं लाया तुम ?”
मैंने कहा, “साबुन तो लाया हूँ । ये देखिये।“ मैंने उसे निक्कर के पॉकेट से साबुन निकालकर दिखाया।“
“चलो एक और छोटा झरना दिखाती हूँ इस जंगल में । वहीं हम पानी पी लेंगे और तुम वहीं नहा लेना।“
लकड़ी की गठरी को वहीं छोड़कर वह उठी और उस जगह से नीचे पहाड़ियों के बीच की घाटी में कुछ घनी हरी झाड़ियों की तरफ चल दी । मैं भी उसके पीछे चल दिया ।
[+] 2 users Like Harihar's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: Lockdown mei mera parivar - by Harihar - 26-04-2021, 07:50 AM
RE: Lockdown mei mera parivar - by Harihar - 29-04-2021, 07:59 AM
RE: Lockdown mei mera parivar - by Harihar - 02-05-2021, 11:04 AM
RE: Lockdown mei mera parivar - by Jignesh Rana - 03-05-2021, 07:14 AM
RE: Lockdown mei mera parivar - by Harihar - 04-05-2021, 11:23 AM
RE: LOCKDOWN MEI MERA PARIVAR - by Harihar - 04-05-2021, 10:27 PM
RE: LOCKDOWN MEI MERA PARIVAR - by Harihar - 06-05-2021, 06:38 PM
RE: LOCKDOWN MEI MERA PARIVAR - by Harihar - 08-05-2021, 11:02 AM
RE: LOCKDOWN MEI MERA PARIVAR - by Harihar - 09-05-2021, 01:52 PM
RE: LOCKDOWN MEI MERA PARIVAR - by Harihar - 09-05-2021, 02:23 PM
RE: लोकडाउन में मेरा परिवार - by Harihar - 15-05-2021, 01:37 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)