14-05-2021, 05:05 PM
मालपुआ
हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले ,
" खूब ज्यादा , इत्ता सा "
मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली ,
" मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , ...."
और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने ,
आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,..
तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने ,
" है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। " कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली।
. खाते पीते ही छेड़खानी फिर से शुरू हो गयी थी ,
मैं अपनी किशोरी. फूल सी कोमल ननद की ओर और ,
कम्मो अपने देवर की ओर ,
मैंने पहले इन्हे हड़काया ,
" हे लालची नदीदे , अकेले अकेले खा रहे हो , मेरी ननद बेचारी ,... "
,और जैसे ही उन्होंने अपने हाथ की गुझिया गुड्डी के गुलाबी होंठों की ओर बढ़ाई , उस ने मुंह बढ़ा के न सिर्फ पूरा गपक किया , बल्कि ,...
मैंने हल्का सा इशारा किया और उसने क़च्चाक उनकी ऊँगली काट ली , ...
वो बड़ी जोर से चीखे , लेकिन उनकी तरफ से जवाब उनकी तरफदारी कर रही उनकी रसीली भौजी ने दिया ,
" हे अगर मेरे देवर ने काटा न , तो तेरी ननद बहुत जोर से चिल्लायेगी , ... "
: हिम्मत है आपके देवर की , " ननद की ओर से जवाब उसकी मीठी भाभी यानी मैंने दिया।
अबकी बिना मेरे इशारे के मेरी ननद ने अपने हाथ का मालपुआ उनकी ओर बढ़ाया , अब वो भी डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में हमारे टक्कर की हो गयी , शर्माते खाली उसके भइया थे , अभी चल तो रहे थे अपनी ससुराल वहां उनकी सास सलहज , ...
" चल भैया , अब मैं दे रही हूँ , ले ले , ललचा मत , ललचाने से कुछ नहीं होगा , ले लो , ले लो "
और पहले हल्का सा जूठा कर के मालपूआ उनकी ओर बढ़ाया , एकदम होंठों के पास उनके , और जब उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोला और
गप्प , गुड्डी पूरा मालपूआ अपने मुंह में ,... गप्प कर गयी ,
एक बार फिर से वही , उसने वही , वो मुंह खोलते , वो एकदम उनके होंठों से छुला के , अपने मुंह में , लेकिन तीसरी बार ,
उनकी कम्मो भौजी थीं न , उन्होंने इशारा किया और कुछ इशारों में हड़काया भी ,...
बस अबकी ननद ने उन्हें दिखाते , रिझाते, ललचाते मालपुआ अपने होंठों में , तो जैसे वो पहले से तैयार बैठे थे , उस शोख का उन्होंने सर पकड़ा , अपनी ओर खींचा , और उनके होठों उसके होठों पर , उनकी जीभ मालपुआ का टुकड़ा ढूंढती ,
मेरी और कम्मो की आँखों ने हाई फाइव किया , यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे ,
हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले ,
" खूब ज्यादा , इत्ता सा "
मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली ,
" मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , ...."
और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने ,
आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,..
तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने ,
" है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। " कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली।
. खाते पीते ही छेड़खानी फिर से शुरू हो गयी थी ,
मैं अपनी किशोरी. फूल सी कोमल ननद की ओर और ,
कम्मो अपने देवर की ओर ,
मैंने पहले इन्हे हड़काया ,
" हे लालची नदीदे , अकेले अकेले खा रहे हो , मेरी ननद बेचारी ,... "
,और जैसे ही उन्होंने अपने हाथ की गुझिया गुड्डी के गुलाबी होंठों की ओर बढ़ाई , उस ने मुंह बढ़ा के न सिर्फ पूरा गपक किया , बल्कि ,...
मैंने हल्का सा इशारा किया और उसने क़च्चाक उनकी ऊँगली काट ली , ...
वो बड़ी जोर से चीखे , लेकिन उनकी तरफ से जवाब उनकी तरफदारी कर रही उनकी रसीली भौजी ने दिया ,
" हे अगर मेरे देवर ने काटा न , तो तेरी ननद बहुत जोर से चिल्लायेगी , ... "
: हिम्मत है आपके देवर की , " ननद की ओर से जवाब उसकी मीठी भाभी यानी मैंने दिया।
अबकी बिना मेरे इशारे के मेरी ननद ने अपने हाथ का मालपुआ उनकी ओर बढ़ाया , अब वो भी डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में हमारे टक्कर की हो गयी , शर्माते खाली उसके भइया थे , अभी चल तो रहे थे अपनी ससुराल वहां उनकी सास सलहज , ...
" चल भैया , अब मैं दे रही हूँ , ले ले , ललचा मत , ललचाने से कुछ नहीं होगा , ले लो , ले लो "
और पहले हल्का सा जूठा कर के मालपूआ उनकी ओर बढ़ाया , एकदम होंठों के पास उनके , और जब उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोला और
गप्प , गुड्डी पूरा मालपूआ अपने मुंह में ,... गप्प कर गयी ,
एक बार फिर से वही , उसने वही , वो मुंह खोलते , वो एकदम उनके होंठों से छुला के , अपने मुंह में , लेकिन तीसरी बार ,
उनकी कम्मो भौजी थीं न , उन्होंने इशारा किया और कुछ इशारों में हड़काया भी ,...
बस अबकी ननद ने उन्हें दिखाते , रिझाते, ललचाते मालपुआ अपने होंठों में , तो जैसे वो पहले से तैयार बैठे थे , उस शोख का उन्होंने सर पकड़ा , अपनी ओर खींचा , और उनके होठों उसके होठों पर , उनकी जीभ मालपुआ का टुकड़ा ढूंढती ,
मेरी और कम्मो की आँखों ने हाई फाइव किया , यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे ,