09-05-2021, 09:12 AM
(This post was last modified: 09-05-2021, 09:13 AM by vijayveg. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गिरधारी - चल पैंटी उतार, फिर खुद ही मना करता हुआ - अच्छा रुक, ये चाकू किस दिन काम आयेगा | न तेरी पैंटी होती न इतना बवाल होता | अब तुझे दुबारा चोद रहा होता | चुदाई का आधा जोश तो कपड़े उतारने में ही चला जाता | तेरे जिस्म पर पैंटी न होती तो तुरंत ही लंड तेरी गांड में डाल देता | इतना कहकर उसने रीमा रीमा को पलटने का इशारा किया | रीमा पेट के बल हो गयी |
गिरधारी - क्या चूतड़ है मैडम, साला मजा आ जायेगा तुमारी गाड़ मारने में | अब इस बांस को हमेशा के लिए काट देता हूँ ताकि आगे कोई बांसुरी न बने | इतना कहकर उसने पैंटी की इलास्टिक में चाकू फंसाया और उसे काट कर दो टुकड़े कर दिया |
अब रीमा पूरी तरह नंगी थी | उसके जिस्म की दो गुलाबी सुरंगे बिलकुल बेपर्दा हो चुकी थी |
गिरधारी - अभी तक गांड का छल्ला सुजा हुआ है, मेरे बाद भी किसी से गांड मरवाए हो क्या |
रीमा कुछ नहीं बोली | गिरधारी उसके मांसल उठे हुए चिकने चुताड़ो पर चाकू फिसलता - कही बॉस तो नहीं चोद दिए | है वो बहुत हरामी, पक्का उनसे रहा नहीं गया होगा | जलते है मुझे, जरा भी ख्याल नहीं किया दुखती परपराती गांड का आपकी | क्यों मैडम मेरे जाने के आपकी गांड मारे थे क्या बॉस |
रीमा बिलकुल मरी आवाज में बोली - हाँ |
गिरधारी चौड़ा होता हुआ - हमको साला पता था उनको हजम नहीं हुआ होगा की गिरधारी साला उनका नौकर कैसे मैडम की चोद लिया | ससुरा हमसे बहुत जलते है | बतावो पहले से चुदी, सूजी कराहती गांड का बाजा बजा दिए, एको बार नहीं सोचा की अगले 15 दिन तक ये कित्ता दुखेगी | दुसरे के दुःख दर्द से कोई मतलब ही नहीं है | आधा घंटा पैतालीस मिनट से कम चोदते भी नहीं है | सारी पोजीशन बना बना कर चोदे होंगे, क्यों मैडम, कचूमर निकाल दिया आपकी गाड़ |
गिरधारी के लंड में वो सख्ती अभी भी नहीं आ पा रही थी | रीमा के चुताड़ो पर हाथ फेरते फेरते उसने एक अँगूठा रीमा की गाड़ में घुसा दिया | रीमा का छल्ला इतना भी नरम नहीं था | उसे थोडा जोर लगाना पड़ा और अंगूठा रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के आगोश में समां गया | रीमा के मुहँ से एक दर्द भरी सिसकारी फुट गयी | कुछ देर तक गिरधारी अँगूठा अन्दर बाहर करता रहा फिर दो उंगलियाँ घुसेड दी | उंगलिया घुस तो गयी लेकिन रीमा के मुहँ से कराह भी निकाल गयी | गिरधारी रीमा के ऊपर आ गया | उसने अपने सुपाडे को रीमा के गांड के गुलाबी छेद पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया | रीमा के सामने कोई विकल्प नहीं सिवाय गिरधारी को अपनी मनमानी करने देने के |
रीमा मन ही मन बहुत पछता रही थी | उसका बस चले तो वो गिरधारी को गोली मार दे | गोली से याद आया की जितेश सारी पिस्टल तो अपने साथ ले गया है | एक ले दे के चाकू है वो गिरधारी के साथ में है गिरधारी तो अब उसकी किसी भी सुरंग में लंडपेलेगा | जो मर्जी होगी वो करेगा कोई रोकने टोकने वाला तोड़े है | इतनी बेबस वो कब हुई थी आखिरी बार | इसी बात ने रीमा को रोहित की वो बात फिर से याद दिला दी | हर हाल में दिमाग का इस्तेमाल करो और कभी हिम्मत न हारो |
गिरधारी का लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड को चीरता हुआ उसमे घुस जाये | कुछ देर तक रीमा के चुताड़ो की दरार में अपना लंड फिसलाने के बाद - चलो सीधी हो जावो मैडम | आपकी गांड की हालत ठीक नहीं है, मै बॉस की तरह बेदर्द नहीं हूँ | मै आपकी चूत चोदूंगा |
रीमा - याद रखना गिरधारी मेरी मज़बूरी का फायदा उठाकर तुम ज्यादा दूर जा नहीं पावोगे |
गिरधारी - चल हट साली रंडी छिनार, रात रात भर मेरे बॉस से चुदवाती है तब कुछ नहीं | मैंने जरा सी गांड क्या मांग ली, चरित्रवान होने का नाटक करती है | चुपचाप चुदवा लो वरना तेरी चूत की इतनी छीछा लेदर करके चोदूंगा, साली जिंदगी भर के लिए चुदने लायक नहीं रहेगी |
रीमा - तुझे जितेश का भी डर नहीं, जब उसे सच पता चलेगा तो तुझे जिन्दा काट डालेगा |
गिरधारी - तुझे क्या लगता है रंडी मैडम तेरे जैसी छिनार चूत के लिए बॉस अपने इस वफादार कुत्ते को गोली मार देगे | बहुत भोली हो तुम मैडम जी |अरे तेरी चूत बॉस ने 7 दिन पहले देखि है हम 7 साल से एक साथ जिंदगी मौत की लडाई लड़ रहे है |
तुम्हे लगता है तेरी उस गुलाबी चूत और गांड के लिए बॉस मुझे छोड़ देगे |
रीमा - आने दो जितेश को सब बताउंगी |
गिरधारी - क्या बतावोगी मैडम, बॉस सूर्यदेव से तुमारा ही सौदा करने गया है | आगे पीछे ऊपर नीचे चारो तरफ से तुम्हे चोद तो चूका ही है अब चुदी हुई चूत गाड़ के दस पन्द्रह लाख मिल जाये तो क्या बुराई है |
रीमा के लिए ये गिरधारी की उसको चोदने की ख्वाइश से बड़ा झटका था | उसे यकीन नहीं हुआ |
रीमा - तुम झूठ बोल रहे हो |
गिरधारी - सामने गुलाबी चूत है उसको चोदने जा रहे लंड की कसम मै क्यों झूठ बोलूँगा | जो झूठ बोले उसका लंड जिंदगी भर के लिए न खड़ा हो |
रीमा के लिए ये ज्यादा बड़ा सदमा था | अब गिरधारी अगर उसे चोद भी ले तो कोई फर्क नहीं पड़ता | जितेश उसके साथ ये करेगा ये उसने सपने में भी नहीं सोचा था | जिसको अपना सब कुछ दे दिया | जिस पर अपना सब कुछ लुटा दिया वो उसी का सौदा करने गया है | हाय मै कितनी बड़ी बुद्धू हूँ | रीमा जड़ सी हो गयी | उसके लिए सच झूठ भरोसा धोखा सही गलत सब बेमानी लगने लगे | आखिर किस पर भरोसा करे | रोहित कहाँ हो तुम, तुम्हे के सच्चे मर्द हो जो मेरे जिस्म से नहीं मुझ से प्यार करते हो |
रीमा उधर सदमे में थी तो इधर गिरधारी को उसके लंड की नरमी परेशान किये हुई थी | इसी वजह से उसने रीमा की गांड मारने का इरादा छोड़ दिया | असल में ऐसा करके गिरधारी अपनी कमजोरी छिपाना चाहता था | उसका लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड के छल्ले को आसानी से चीर सके और इस वक्त रीमा के सामने जैसे वो शेर बना हुआ था ऐसी हालत में अगर वो एक बार में रीमा की गांड में लंड नहीं घुसा पाया तो उसकी बहुत बेज्जती हो जाती | इसलिए उसने रीमा के चूत चोदने का प्लान बनाया | चूत में तो आधे मुरझाये लंड भी कई बार सफ़र कर आते है | रीमा चूत चोदने की बात सुनकर और टूट गयी | जैसी पेट के बल निढाल पड़ी थी वैसी ही पड़ी रही |
गिरधारी बाल पकड़कर गर्दन पर चाकू लगाता हुआ - सुना नहीं क्या मैडम जी | मैंने इरादा बदल दिया है |
रीमा जितेश की हकीकत से रूबरू हुए सदमे से निकलने की कोशिश करती हुई, गिरधारी की धमकी बेमन से पलट कर सीधी हुई | उसे पता था गिरधारी उसे चोदे बिना मानेगा नहीं | इस चुदाई और अपमान से बचने की उम्मीद बिलकुल न के बराबर थी अब तो जितेश की उम्मीद नहीं थी इसलिए रीमा ने अपने अतीत को याद किया, उसी भरोसे उसने एक आखिरी कोशिश करने अपने दम पर करने की ठानी | शायद उम्मीदे उसे कमजोर बनाये हुए थी | अब कोई उम्मीद नहीं ज्यादा से ज्यादा रेप ही करगा मेरा लेकिन अगर इसे नहीं रोका तो भी तो ये रेप ही करेगा मेरा | बस मन में एक कसक रहेगी काश एक कोशिश की होती शायद गिरधारी से चुदने से बाख जाती | रीमा फौलादी इरादे से, न केवल गिरधारी को सबक सीखना है बल्कि अब यहाँ से जितना जल्दी हो सके निकलना है |
रीमा - क्या कहा था तुमने, तुम मेरी गांड नहीं मरोगे, मैंने ठीक से सुना नहीं था |
रीमा ने गिरधारी के आधे कड़क लंड की तरफ देखकर हँसते हुए - तुम्हे मेरी गांड मारनी है तो तुम मेरी गांड ही मारो , लेकिन प्लीज इस चाकू को मुझसे दूर रखो, मुझे बहुत डर लगता है, तुम जो कहोगे वो करूंगी | मुझे पता है तुमने मेरी गांड मारने का इरादा क्यों बदल दिया | अगर तुम इस चाकू को मुझसे दूर कर दो मै अभी फट से तुमारा लंड फौलाद की तरह सख्त कर दूँगी |
गिरधारी - ये चाकू मेरे हाथ से दूर नहीं होगा | उसकी चूत पर टिकाते हुए - ज्यादा नौटंकी करोगी तो यही एक दूसरा छेद भी खोल दूंगा |
गिरधारी ने रीमा की गर्दन से चाकू सटा दिया और रीमा के जिस्म के ऊपर छाने लगा |
रीमा को लगा ये चाकू तो दूर करने से रहा फिर क्या करू | मै इस लीचड़ से अपनी चूत तो नहीं चुदवाउंगी |
रीमा - ठीक है तुम चाकू नहीं दूर करना चाहते तो कोई बात नहीं लेकिन अब मेरी गांड ही मारो | इतना ठुकने के बाद भी इसकी खुजली अभी मिटी नहीं है | प्लीज मेरी गांड भी मारो |
रीमा को भी लग रहा था की अगर ये प्लान भी फ़ैल हुए तो सिर्फ गांड ही मरवानी पड़ेगी | गिरधारी पहले भी उसकी गांड चोद चूका है तो नैतिक रूप से वो खुद को जवाब देने लायक रहेगी |
रीमा ने खुद ही गिरधारी का लंड अपने गांड के मुहाने पर लगा दिया हालाँकि वो जानती थी आधा मुर्छित लंड किसी भी हाल में उसकी गांड के अन्दर नहीं जायेगा |
गिरधारी खुश था की रीमा साथ देने को राजी हो गयी लेकिन रीमा की लात इतनी जोरदार थी पेडू के दर्द की वजह से लंड अपने पुराने फौलादी कठोरता को हासिल नहीं कर पा रहा था | गिरधारी एक हाथ से रीमा की गर्दन पर चाकू लगाये था | दुसरे से अपने जिस्म का वजन संभाले था | उसका लंड अब बस उसकी कमर के लगते झटको के भरोसे था |
रीमा ने आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथ में थाम लिया, और मसलने लगी | रीमा के ऊपर लदा गिरधारी बिलकुल चोदने के अंदाज में अपने कमर हिलाकर रीमा के जिस्म से अपना लंड रगड़ कर उसे सख्त करने की कोशिश कर रहा था | रीमा को डर था कही कमर के झटके जरा ऊँच नीच हो गयी तो लंड सीधे उसकी चूत में पैबस्त हो जायेगा | वासना के इस खेल में अब उसके और गिरधारी के बीच कोई पर्दा तो बचा नहीं था | सब कुछ तो हो रहा था या हो चूका था जो चुदाई में होता है सिवाय लंड के चूत की गुलाबी सुरंग में घुसने के | वैसे भी बिना लंड के चूत में घुसे चुदाई पूरी भी नहीं मानी जाती |
इसलिए रीमा ने अपनी चूत को गिरधारी के लंड से सुरक्षित करने के लिए उसके लंड को अपने हाथो में छल्ला बना थाम लिया | अब हर धक्के के साथ गिरधारी का लंड रीमा की चूत के फांको को छूता हुआ रीमा के हाथ से मालिश कराता हुआ उसके चूत त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | कमर के झटको के हिसाब से कभी लंड रीमा की चूत के ओठो को रगड़ता हुआ निकलता कभी ऊपर ही ऊपर चूत दाने को रगड़ता हुआ | गिरधारी के लंड में खून का दौरान बढ़ने लगा था | रीमा की दिल की धड़कने तेज थी | इस वक्त वही समझ सकती थी की उसकी क्या हालत है | एक जरा सी चुक और गिरधारी उसकी चूत की कोमल सुरंग के अन्दर | रीमा बहुत सतर्क थी और अपने नियंत्रण में भी | इतना सब कुछ होने के बाद भी उसके जिस्म में वासना का नाममात्र का नामोनिशान नहीं था | वो खुद हैरान थी | ऐसी हालत में उसकी चूत झरना बन जाती थी और उसके जिस्म में वासना की चींटियाँ रेगने लगती थी | फिलहाल अभी ऐसा कुछ नहीं था | रीमा हर हाल में गिरधारी से जुगत पाने की कोशिश कर रही थी | रीमा के कोमल हाथों का सख्त छल्ला अब गिरधारी के लंड में खून भरने लगा |
कभी कभी रीमा गिरधारी के लंड के ऊपर अपने हाथ की सख्त जकड़न छोड़कर उसको सहलाने लगती | ऊपर से उसकी चूत के नरम ओंठो की गरम गीली गर्माहट, कुल मिलाकर गिरधारी के लंड में फिर से जान आ गयी | जब रीमा अपने चूत त्रिकोण मुहाने पर फिसलते लंड को अपने नरम हाथो से सहला रही थी तभी बीच गिरधारी ने जोश में एक जोरदार झटका मारा जिसे रीमा का हाथ संभाल नहीं पाया और लंड फिसल कर सीधे रीमा की चूत के मुहाने पर जा लगा | जिसका रीमा को डर था वही हो गया | लंड की ठोकर से रीमा के चूत के गुलाबी गीले ओंठ पूरी तरह फ़ैल गये और उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने ने गिरधारी के लंड के फूले सुपाडे का स्पर्श कर लिया | रीमा ने तेजी से अपनी कमर पीछे को ठेली ताकि लंड को अंदर घुसने से रोक सके | रीमा का डर और दहशत में मुहँ फ़ैल गया | मन में पहला ख्याल यही आया - अब तो चुद गयी मै | सब खत्म हो गया | गिरधारी ने चुदाई का आखिरी ब्रेकर भी पार कर लिया |
रीमा अन्दर तक बुरी तरह काँप गयी | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया
गिरधारी - क्या चूतड़ है मैडम, साला मजा आ जायेगा तुमारी गाड़ मारने में | अब इस बांस को हमेशा के लिए काट देता हूँ ताकि आगे कोई बांसुरी न बने | इतना कहकर उसने पैंटी की इलास्टिक में चाकू फंसाया और उसे काट कर दो टुकड़े कर दिया |
अब रीमा पूरी तरह नंगी थी | उसके जिस्म की दो गुलाबी सुरंगे बिलकुल बेपर्दा हो चुकी थी |
गिरधारी - अभी तक गांड का छल्ला सुजा हुआ है, मेरे बाद भी किसी से गांड मरवाए हो क्या |
रीमा कुछ नहीं बोली | गिरधारी उसके मांसल उठे हुए चिकने चुताड़ो पर चाकू फिसलता - कही बॉस तो नहीं चोद दिए | है वो बहुत हरामी, पक्का उनसे रहा नहीं गया होगा | जलते है मुझे, जरा भी ख्याल नहीं किया दुखती परपराती गांड का आपकी | क्यों मैडम मेरे जाने के आपकी गांड मारे थे क्या बॉस |
रीमा बिलकुल मरी आवाज में बोली - हाँ |
गिरधारी चौड़ा होता हुआ - हमको साला पता था उनको हजम नहीं हुआ होगा की गिरधारी साला उनका नौकर कैसे मैडम की चोद लिया | ससुरा हमसे बहुत जलते है | बतावो पहले से चुदी, सूजी कराहती गांड का बाजा बजा दिए, एको बार नहीं सोचा की अगले 15 दिन तक ये कित्ता दुखेगी | दुसरे के दुःख दर्द से कोई मतलब ही नहीं है | आधा घंटा पैतालीस मिनट से कम चोदते भी नहीं है | सारी पोजीशन बना बना कर चोदे होंगे, क्यों मैडम, कचूमर निकाल दिया आपकी गाड़ |
गिरधारी के लंड में वो सख्ती अभी भी नहीं आ पा रही थी | रीमा के चुताड़ो पर हाथ फेरते फेरते उसने एक अँगूठा रीमा की गाड़ में घुसा दिया | रीमा का छल्ला इतना भी नरम नहीं था | उसे थोडा जोर लगाना पड़ा और अंगूठा रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के आगोश में समां गया | रीमा के मुहँ से एक दर्द भरी सिसकारी फुट गयी | कुछ देर तक गिरधारी अँगूठा अन्दर बाहर करता रहा फिर दो उंगलियाँ घुसेड दी | उंगलिया घुस तो गयी लेकिन रीमा के मुहँ से कराह भी निकाल गयी | गिरधारी रीमा के ऊपर आ गया | उसने अपने सुपाडे को रीमा के गांड के गुलाबी छेद पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया | रीमा के सामने कोई विकल्प नहीं सिवाय गिरधारी को अपनी मनमानी करने देने के |
रीमा मन ही मन बहुत पछता रही थी | उसका बस चले तो वो गिरधारी को गोली मार दे | गोली से याद आया की जितेश सारी पिस्टल तो अपने साथ ले गया है | एक ले दे के चाकू है वो गिरधारी के साथ में है गिरधारी तो अब उसकी किसी भी सुरंग में लंडपेलेगा | जो मर्जी होगी वो करेगा कोई रोकने टोकने वाला तोड़े है | इतनी बेबस वो कब हुई थी आखिरी बार | इसी बात ने रीमा को रोहित की वो बात फिर से याद दिला दी | हर हाल में दिमाग का इस्तेमाल करो और कभी हिम्मत न हारो |
गिरधारी का लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड को चीरता हुआ उसमे घुस जाये | कुछ देर तक रीमा के चुताड़ो की दरार में अपना लंड फिसलाने के बाद - चलो सीधी हो जावो मैडम | आपकी गांड की हालत ठीक नहीं है, मै बॉस की तरह बेदर्द नहीं हूँ | मै आपकी चूत चोदूंगा |
रीमा - याद रखना गिरधारी मेरी मज़बूरी का फायदा उठाकर तुम ज्यादा दूर जा नहीं पावोगे |
गिरधारी - चल हट साली रंडी छिनार, रात रात भर मेरे बॉस से चुदवाती है तब कुछ नहीं | मैंने जरा सी गांड क्या मांग ली, चरित्रवान होने का नाटक करती है | चुपचाप चुदवा लो वरना तेरी चूत की इतनी छीछा लेदर करके चोदूंगा, साली जिंदगी भर के लिए चुदने लायक नहीं रहेगी |
रीमा - तुझे जितेश का भी डर नहीं, जब उसे सच पता चलेगा तो तुझे जिन्दा काट डालेगा |
गिरधारी - तुझे क्या लगता है रंडी मैडम तेरे जैसी छिनार चूत के लिए बॉस अपने इस वफादार कुत्ते को गोली मार देगे | बहुत भोली हो तुम मैडम जी |अरे तेरी चूत बॉस ने 7 दिन पहले देखि है हम 7 साल से एक साथ जिंदगी मौत की लडाई लड़ रहे है |
तुम्हे लगता है तेरी उस गुलाबी चूत और गांड के लिए बॉस मुझे छोड़ देगे |
रीमा - आने दो जितेश को सब बताउंगी |
गिरधारी - क्या बतावोगी मैडम, बॉस सूर्यदेव से तुमारा ही सौदा करने गया है | आगे पीछे ऊपर नीचे चारो तरफ से तुम्हे चोद तो चूका ही है अब चुदी हुई चूत गाड़ के दस पन्द्रह लाख मिल जाये तो क्या बुराई है |
रीमा के लिए ये गिरधारी की उसको चोदने की ख्वाइश से बड़ा झटका था | उसे यकीन नहीं हुआ |
रीमा - तुम झूठ बोल रहे हो |
गिरधारी - सामने गुलाबी चूत है उसको चोदने जा रहे लंड की कसम मै क्यों झूठ बोलूँगा | जो झूठ बोले उसका लंड जिंदगी भर के लिए न खड़ा हो |
रीमा के लिए ये ज्यादा बड़ा सदमा था | अब गिरधारी अगर उसे चोद भी ले तो कोई फर्क नहीं पड़ता | जितेश उसके साथ ये करेगा ये उसने सपने में भी नहीं सोचा था | जिसको अपना सब कुछ दे दिया | जिस पर अपना सब कुछ लुटा दिया वो उसी का सौदा करने गया है | हाय मै कितनी बड़ी बुद्धू हूँ | रीमा जड़ सी हो गयी | उसके लिए सच झूठ भरोसा धोखा सही गलत सब बेमानी लगने लगे | आखिर किस पर भरोसा करे | रोहित कहाँ हो तुम, तुम्हे के सच्चे मर्द हो जो मेरे जिस्म से नहीं मुझ से प्यार करते हो |
रीमा उधर सदमे में थी तो इधर गिरधारी को उसके लंड की नरमी परेशान किये हुई थी | इसी वजह से उसने रीमा की गांड मारने का इरादा छोड़ दिया | असल में ऐसा करके गिरधारी अपनी कमजोरी छिपाना चाहता था | उसका लंड इतना सख्त नहीं था की रीमा की गांड के छल्ले को आसानी से चीर सके और इस वक्त रीमा के सामने जैसे वो शेर बना हुआ था ऐसी हालत में अगर वो एक बार में रीमा की गांड में लंड नहीं घुसा पाया तो उसकी बहुत बेज्जती हो जाती | इसलिए उसने रीमा के चूत चोदने का प्लान बनाया | चूत में तो आधे मुरझाये लंड भी कई बार सफ़र कर आते है | रीमा चूत चोदने की बात सुनकर और टूट गयी | जैसी पेट के बल निढाल पड़ी थी वैसी ही पड़ी रही |
गिरधारी बाल पकड़कर गर्दन पर चाकू लगाता हुआ - सुना नहीं क्या मैडम जी | मैंने इरादा बदल दिया है |
रीमा जितेश की हकीकत से रूबरू हुए सदमे से निकलने की कोशिश करती हुई, गिरधारी की धमकी बेमन से पलट कर सीधी हुई | उसे पता था गिरधारी उसे चोदे बिना मानेगा नहीं | इस चुदाई और अपमान से बचने की उम्मीद बिलकुल न के बराबर थी अब तो जितेश की उम्मीद नहीं थी इसलिए रीमा ने अपने अतीत को याद किया, उसी भरोसे उसने एक आखिरी कोशिश करने अपने दम पर करने की ठानी | शायद उम्मीदे उसे कमजोर बनाये हुए थी | अब कोई उम्मीद नहीं ज्यादा से ज्यादा रेप ही करगा मेरा लेकिन अगर इसे नहीं रोका तो भी तो ये रेप ही करेगा मेरा | बस मन में एक कसक रहेगी काश एक कोशिश की होती शायद गिरधारी से चुदने से बाख जाती | रीमा फौलादी इरादे से, न केवल गिरधारी को सबक सीखना है बल्कि अब यहाँ से जितना जल्दी हो सके निकलना है |
रीमा - क्या कहा था तुमने, तुम मेरी गांड नहीं मरोगे, मैंने ठीक से सुना नहीं था |
रीमा ने गिरधारी के आधे कड़क लंड की तरफ देखकर हँसते हुए - तुम्हे मेरी गांड मारनी है तो तुम मेरी गांड ही मारो , लेकिन प्लीज इस चाकू को मुझसे दूर रखो, मुझे बहुत डर लगता है, तुम जो कहोगे वो करूंगी | मुझे पता है तुमने मेरी गांड मारने का इरादा क्यों बदल दिया | अगर तुम इस चाकू को मुझसे दूर कर दो मै अभी फट से तुमारा लंड फौलाद की तरह सख्त कर दूँगी |
गिरधारी - ये चाकू मेरे हाथ से दूर नहीं होगा | उसकी चूत पर टिकाते हुए - ज्यादा नौटंकी करोगी तो यही एक दूसरा छेद भी खोल दूंगा |
गिरधारी ने रीमा की गर्दन से चाकू सटा दिया और रीमा के जिस्म के ऊपर छाने लगा |
रीमा को लगा ये चाकू तो दूर करने से रहा फिर क्या करू | मै इस लीचड़ से अपनी चूत तो नहीं चुदवाउंगी |
रीमा - ठीक है तुम चाकू नहीं दूर करना चाहते तो कोई बात नहीं लेकिन अब मेरी गांड ही मारो | इतना ठुकने के बाद भी इसकी खुजली अभी मिटी नहीं है | प्लीज मेरी गांड भी मारो |
रीमा को भी लग रहा था की अगर ये प्लान भी फ़ैल हुए तो सिर्फ गांड ही मरवानी पड़ेगी | गिरधारी पहले भी उसकी गांड चोद चूका है तो नैतिक रूप से वो खुद को जवाब देने लायक रहेगी |
रीमा ने खुद ही गिरधारी का लंड अपने गांड के मुहाने पर लगा दिया हालाँकि वो जानती थी आधा मुर्छित लंड किसी भी हाल में उसकी गांड के अन्दर नहीं जायेगा |
गिरधारी खुश था की रीमा साथ देने को राजी हो गयी लेकिन रीमा की लात इतनी जोरदार थी पेडू के दर्द की वजह से लंड अपने पुराने फौलादी कठोरता को हासिल नहीं कर पा रहा था | गिरधारी एक हाथ से रीमा की गर्दन पर चाकू लगाये था | दुसरे से अपने जिस्म का वजन संभाले था | उसका लंड अब बस उसकी कमर के लगते झटको के भरोसे था |
रीमा ने आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथ में थाम लिया, और मसलने लगी | रीमा के ऊपर लदा गिरधारी बिलकुल चोदने के अंदाज में अपने कमर हिलाकर रीमा के जिस्म से अपना लंड रगड़ कर उसे सख्त करने की कोशिश कर रहा था | रीमा को डर था कही कमर के झटके जरा ऊँच नीच हो गयी तो लंड सीधे उसकी चूत में पैबस्त हो जायेगा | वासना के इस खेल में अब उसके और गिरधारी के बीच कोई पर्दा तो बचा नहीं था | सब कुछ तो हो रहा था या हो चूका था जो चुदाई में होता है सिवाय लंड के चूत की गुलाबी सुरंग में घुसने के | वैसे भी बिना लंड के चूत में घुसे चुदाई पूरी भी नहीं मानी जाती |
इसलिए रीमा ने अपनी चूत को गिरधारी के लंड से सुरक्षित करने के लिए उसके लंड को अपने हाथो में छल्ला बना थाम लिया | अब हर धक्के के साथ गिरधारी का लंड रीमा की चूत के फांको को छूता हुआ रीमा के हाथ से मालिश कराता हुआ उसके चूत त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | कमर के झटको के हिसाब से कभी लंड रीमा की चूत के ओठो को रगड़ता हुआ निकलता कभी ऊपर ही ऊपर चूत दाने को रगड़ता हुआ | गिरधारी के लंड में खून का दौरान बढ़ने लगा था | रीमा की दिल की धड़कने तेज थी | इस वक्त वही समझ सकती थी की उसकी क्या हालत है | एक जरा सी चुक और गिरधारी उसकी चूत की कोमल सुरंग के अन्दर | रीमा बहुत सतर्क थी और अपने नियंत्रण में भी | इतना सब कुछ होने के बाद भी उसके जिस्म में वासना का नाममात्र का नामोनिशान नहीं था | वो खुद हैरान थी | ऐसी हालत में उसकी चूत झरना बन जाती थी और उसके जिस्म में वासना की चींटियाँ रेगने लगती थी | फिलहाल अभी ऐसा कुछ नहीं था | रीमा हर हाल में गिरधारी से जुगत पाने की कोशिश कर रही थी | रीमा के कोमल हाथों का सख्त छल्ला अब गिरधारी के लंड में खून भरने लगा |
कभी कभी रीमा गिरधारी के लंड के ऊपर अपने हाथ की सख्त जकड़न छोड़कर उसको सहलाने लगती | ऊपर से उसकी चूत के नरम ओंठो की गरम गीली गर्माहट, कुल मिलाकर गिरधारी के लंड में फिर से जान आ गयी | जब रीमा अपने चूत त्रिकोण मुहाने पर फिसलते लंड को अपने नरम हाथो से सहला रही थी तभी बीच गिरधारी ने जोश में एक जोरदार झटका मारा जिसे रीमा का हाथ संभाल नहीं पाया और लंड फिसल कर सीधे रीमा की चूत के मुहाने पर जा लगा | जिसका रीमा को डर था वही हो गया | लंड की ठोकर से रीमा के चूत के गुलाबी गीले ओंठ पूरी तरह फ़ैल गये और उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने ने गिरधारी के लंड के फूले सुपाडे का स्पर्श कर लिया | रीमा ने तेजी से अपनी कमर पीछे को ठेली ताकि लंड को अंदर घुसने से रोक सके | रीमा का डर और दहशत में मुहँ फ़ैल गया | मन में पहला ख्याल यही आया - अब तो चुद गयी मै | सब खत्म हो गया | गिरधारी ने चुदाई का आखिरी ब्रेकर भी पार कर लिया |
रीमा अन्दर तक बुरी तरह काँप गयी | रीमा का कलेजा मुहँ को आ गया