08-05-2021, 02:30 PM
दीपा को आगे से साफ़ करने के बाद तरुण ने अचानक वह तौलिया एक तरफ फेंक दिया और दीपा को घुमा कर दीपा की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने आगे कर लिया और खुद मेरी बीबी के पीछे खड़े हो कर अपने फौलादी छड़ से खड़े हुए लण्ड के ऊपर मेरी बीबी दीपा की साड़ी में छिपी करारी गाँड़ को टिका दिया और पीछे से अपने पेंडू से अपने लण्ड को दीपा की गाँड़ में धकेलने लगा। हालांकि मेरी बीबी के स्तन बिलकुल साफ़ थे, तरुण दोनों हाथों को उसने दीपा के ब्लाउज और ब्रा के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूँचियों को साफ़ करने का ढोंग करते हुए उद्दण्डता पूर्वक उन्हें दबाने और मसलते हुए बोलने लगा, "भाभी अब मुझे मौक़ा दो आपकी सफाई करने का।"
तरुण के ऐसे आवेग पूर्ण रवैये से दीपा की साँसें फूलने लगीं। दीपा की उभरी हुई छाती जोर से ऊपर निचे होने लगी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था की तरुण उस हद तक जा सकता था। तरुण के ब्रा में हाथ डाल कर मसलने के कारण दीपा के उरोज ऊपर निचे हो रहे थे। पूरा दृश्य मेरे लण्ड को खड़ा कर देने वाला था। मेरी बीबी भयंकर असमंजस में थी। वह सोच रही थी की क्या वह चिल्लाये? क्या वह तरुण को एक जोरदार थप्पड़ मार कर उसकी उद्दण्डता का उसे एहसास दिलाये? वह चिल्लाना नहीं चाहती थी। कुछ ही समय पहले मैंने दीपा और तरुण को एकदूसरे पर चढ़ते हुए देख कर शरारत भरी टिपण्णी की थी। अगर वह चिल्लाई तो मैं भाग कर आऊंगा और फिर उन दोनों की हरकत को पकडूँगा। फिर क्या होगा यह वह सोच कर शायद दीपा घबड़ायी हुई थी।
दीपा तरुण की हरकतों से इतनी घबरा गयी थी की उसकी शक्ल रोने जैसी हो गयी। दीपा की समझ से बाहर था की वह तरुण को रोके तो रोके कैसे? अपनी शेरनी का रूप अगर वह दिखाए तो उसे दहाड़ना पडेगा। और वह चिल्लाई तो मैं वहाँ पहुंचूंगा और फिर दुबारा उन दोनों को उस हाल में देखा तो फिर तो मैं यह मान ही लूंगा की दीपा के उकसाने से ही तरुण ऐसी हरकतें कर रहा था, क्यूंकि दीपा ने तो तरुण को पहले से ही अच्छा कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे दिया था। दीपा नहीं चाहती थी की मैं दुबारा उसको तरुण के साथ उस हाल में देखूं। वह मेरे मजाक का विषय नहीं बनना चाहती थी। वह शायद तरुण की ऐसी हरकतों के कारण हमारी दोस्ती को भी तुड़वाना नहीं चाहती थी।
दीपा को धीरे धीरे यह यकीन हो चुका था की उसके चिल्लाने से या दहाड़ने से तरुण उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं था।
दीपा के दिमाग में इतनी उलझनें थी की जब दीपा को कुछ और रास्ता ना सुझा तो तंग आकार आखिर में स्त्रियों का एक कारगर ब्रह्मास्त्र जो उसके पास बचा था उसको मेरी प्यारी बीबी ने इस्तेमाल किया। दीपा रोने लग गयी। उसने अपने हाथ जोड़ कर तरुण से कहा, "तरुण, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। तुम मुझे इतना तंग क्यों कर रहे हो? प्लीज तुम मुझे जाने दो। प्लीज अभी मुझे और परेशान मत करो। अगर दीपक ने हमें ऐसे देख लिया तो तुम्हें तो कुछ नहीं कहेंगे पर मेरी तो वह ऐसी की तैसी कर देंगे। वैसे ही मेरी बहुत बदनामी हो चुकी है।"
तरुण के ऐसे आवेग पूर्ण रवैये से दीपा की साँसें फूलने लगीं। दीपा की उभरी हुई छाती जोर से ऊपर निचे होने लगी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था की तरुण उस हद तक जा सकता था। तरुण के ब्रा में हाथ डाल कर मसलने के कारण दीपा के उरोज ऊपर निचे हो रहे थे। पूरा दृश्य मेरे लण्ड को खड़ा कर देने वाला था। मेरी बीबी भयंकर असमंजस में थी। वह सोच रही थी की क्या वह चिल्लाये? क्या वह तरुण को एक जोरदार थप्पड़ मार कर उसकी उद्दण्डता का उसे एहसास दिलाये? वह चिल्लाना नहीं चाहती थी। कुछ ही समय पहले मैंने दीपा और तरुण को एकदूसरे पर चढ़ते हुए देख कर शरारत भरी टिपण्णी की थी। अगर वह चिल्लाई तो मैं भाग कर आऊंगा और फिर उन दोनों की हरकत को पकडूँगा। फिर क्या होगा यह वह सोच कर शायद दीपा घबड़ायी हुई थी।
दीपा तरुण की हरकतों से इतनी घबरा गयी थी की उसकी शक्ल रोने जैसी हो गयी। दीपा की समझ से बाहर था की वह तरुण को रोके तो रोके कैसे? अपनी शेरनी का रूप अगर वह दिखाए तो उसे दहाड़ना पडेगा। और वह चिल्लाई तो मैं वहाँ पहुंचूंगा और फिर दुबारा उन दोनों को उस हाल में देखा तो फिर तो मैं यह मान ही लूंगा की दीपा के उकसाने से ही तरुण ऐसी हरकतें कर रहा था, क्यूंकि दीपा ने तो तरुण को पहले से ही अच्छा कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे दिया था। दीपा नहीं चाहती थी की मैं दुबारा उसको तरुण के साथ उस हाल में देखूं। वह मेरे मजाक का विषय नहीं बनना चाहती थी। वह शायद तरुण की ऐसी हरकतों के कारण हमारी दोस्ती को भी तुड़वाना नहीं चाहती थी।
दीपा को धीरे धीरे यह यकीन हो चुका था की उसके चिल्लाने से या दहाड़ने से तरुण उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं था।
दीपा के दिमाग में इतनी उलझनें थी की जब दीपा को कुछ और रास्ता ना सुझा तो तंग आकार आखिर में स्त्रियों का एक कारगर ब्रह्मास्त्र जो उसके पास बचा था उसको मेरी प्यारी बीबी ने इस्तेमाल किया। दीपा रोने लग गयी। उसने अपने हाथ जोड़ कर तरुण से कहा, "तरुण, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। तुम मुझे इतना तंग क्यों कर रहे हो? प्लीज तुम मुझे जाने दो। प्लीज अभी मुझे और परेशान मत करो। अगर दीपक ने हमें ऐसे देख लिया तो तुम्हें तो कुछ नहीं कहेंगे पर मेरी तो वह ऐसी की तैसी कर देंगे। वैसे ही मेरी बहुत बदनामी हो चुकी है।"