08-05-2021, 02:28 PM
दीपा झुंझलाती हुई बोली, "तरुण अब बस करो। तुम बहुत बक बक कर रहे हो। ठीक है, रुको मैं उसे भी पोंछ कर साफ़ कर देती हूँ।"
मैंने देखा की दीपा की झुंझलाहट देख तरुण मंद मंद मुस्कुरा रहा था। दीपा अपने काम में लगी हुई थी। मेरी बीबी तरुण से थोड़ा पीछे हटी और अपनी साड़ी और घाघरा को अपने घुटनोँ के ऊपर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को फैला कर दीपा वह छोटे स्टूल पर अपने सुडौल कूल्हे टिकाकर बैठ गयी। जाहिर था की तरुण का मोटा और लंबा लण्ड जो दीपा के इतने करीब आने से छड़ की तरह खड़ा हो गया था वह तरुण के पतलून में एक तम्बू की तरह बाहर की और निकला हुआ मुझे साफ़ दिखाई देता था तो दीपा को तो अपने बिलकुल करीब दिखाई पड़ना ही था। तरुण के छड़ की तरह खड़े हुए लण्ड को तरुण के पतलून में तम्बू बनाते हुए देख कर दीपा भौंचक्की सी देखती ही रही।
दीपा के बैठ जाने पर तरुण ने अपने पतलून का बेल्ट खोल दिया जिससे दीपा ऊपर के हिस्से की ठीक सफाई कर सके। दीपा ने एक हाथ से तरुण के पिछवाड़ा वाला हिस्सा तो जैसे तैसे साफ कर दिया।
दीपा का मुंह तरुण के पतलून में खड़े लण्ड के तम्बू के बिलकुल सामने था। तरुण की कमर के निचे से तौलिये से पोंछते हुए जब दीपा के हाथ की उंगलियां तरुण के खड़े हुए लण्ड के पास पहुंचीं तो दीपा रुक गयी। तरुण के खड़े हुए लंड के तम्बू के ऊपर भी काफी आटा लगा हुआ था। उसे दीपा को साफ़ करना था। मैं समझ सकता था की मेरी असमंजस में पड़ी हुई बीबी के जहन में कितना उथलपुथल चल रहा होगा। वह तरुण के खड़े हुए लण्ड से बने हुए तम्बू के ऊपर से अपनी उँगलियों से छुए बगैर उस को कैसे साफ़ करे।
तरुण के खड़े लंड से बने हुए तम्बू देख कर यह भली भाँती अंदाजा लगाया जा सकता था की तरुण का लण्ड काफी लंबा और मोटा होगा। दीपा कुछ देर तक भौंचक्की सी तरुण के पतलून में लम्बे लण्ड से बने हुए तम्बू को देखती रही। मैं अपनी साँसे रोक कर यह इंतजार करता रहा की मेरी भोली बीबी क्या करती है। दीपा तरुण के लण्ड को छूती है या नहीं?
कुछ देर सोचने के बाद दीपा ने शायद यह फैसला किया की जो काम उसे दिया गया है उसे पूरा तो करना ही पडेगा। मेरी बीबी ने कुछ सहमे हुए कुछ झिझकते हुए जहां तरुण के मोटे और लम्बे लण्ड ने तम्बू बनाया हुआ था वहाँ अपनी उंगलियां रखीं और काफी झिझक के साथ घबड़ाते हुए, दीपा ने तरुण के मोटे, लम्बे और छड़ के समान खड़े हुए लण्ड को सफाई का कपड़ा बिच में रखते हुए उसे अपनी हथेली में पकड़ा।
दीपा की उँगलियों को जैसे ही तरुण ने अपने लण्ड पर महसूस किया की एकदम तरुण के पुरे बदन में एक तेज सिहरन फ़ैल गयी और वह खड़े खड़े मचलने लगा। मैं यह देख कर हैरान रह गया की दीपा कुछ देर तक स्तब्ध सी बैठी हुए अपने हाथोंमें तरुण का तगड़ा लण्ड पकड़ कर खोयी सी कुछ सोचते हुए उसे अपनी हथेली में सहलाती रही। फिर जब अचानक उसे यह समझ आया की उसे तरुण का लण्ड पकडे हुए सहलाते हुए कुछ देर हो चुकी थी तब चौंक कर दीपा ने ऊपर देखा तो पाया की तरुण आँखें मूंदे खड़ा था। धीरे से दीपा ने तरुण के लण्ड को पकड़ रख कर उस के कारण बने हुए तम्बू के आसपास कपडे से सफाई की।
मैंने देखा की दीपा की झुंझलाहट देख तरुण मंद मंद मुस्कुरा रहा था। दीपा अपने काम में लगी हुई थी। मेरी बीबी तरुण से थोड़ा पीछे हटी और अपनी साड़ी और घाघरा को अपने घुटनोँ के ऊपर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को फैला कर दीपा वह छोटे स्टूल पर अपने सुडौल कूल्हे टिकाकर बैठ गयी। जाहिर था की तरुण का मोटा और लंबा लण्ड जो दीपा के इतने करीब आने से छड़ की तरह खड़ा हो गया था वह तरुण के पतलून में एक तम्बू की तरह बाहर की और निकला हुआ मुझे साफ़ दिखाई देता था तो दीपा को तो अपने बिलकुल करीब दिखाई पड़ना ही था। तरुण के छड़ की तरह खड़े हुए लण्ड को तरुण के पतलून में तम्बू बनाते हुए देख कर दीपा भौंचक्की सी देखती ही रही।
दीपा के बैठ जाने पर तरुण ने अपने पतलून का बेल्ट खोल दिया जिससे दीपा ऊपर के हिस्से की ठीक सफाई कर सके। दीपा ने एक हाथ से तरुण के पिछवाड़ा वाला हिस्सा तो जैसे तैसे साफ कर दिया।
दीपा का मुंह तरुण के पतलून में खड़े लण्ड के तम्बू के बिलकुल सामने था। तरुण की कमर के निचे से तौलिये से पोंछते हुए जब दीपा के हाथ की उंगलियां तरुण के खड़े हुए लण्ड के पास पहुंचीं तो दीपा रुक गयी। तरुण के खड़े हुए लंड के तम्बू के ऊपर भी काफी आटा लगा हुआ था। उसे दीपा को साफ़ करना था। मैं समझ सकता था की मेरी असमंजस में पड़ी हुई बीबी के जहन में कितना उथलपुथल चल रहा होगा। वह तरुण के खड़े हुए लण्ड से बने हुए तम्बू के ऊपर से अपनी उँगलियों से छुए बगैर उस को कैसे साफ़ करे।
मैंने देखा की दीपा की झुंझलाहट देख तरुण मंद मंद मुस्कुरा रहा था। दीपा अपने काम में लगी हुई थी। मेरी बीबी तरुण से थोड़ा पीछे हटी और अपनी साड़ी और घाघरा को अपने घुटनोँ के ऊपर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को फैला कर दीपा वह छोटे स्टूल पर अपने सुडौल कूल्हे टिकाकर बैठ गयी। जाहिर था की तरुण का मोटा और लंबा लण्ड जो दीपा के इतने करीब आने से छड़ की तरह खड़ा हो गया था वह तरुण के पतलून में एक तम्बू की तरह बाहर की और निकला हुआ मुझे साफ़ दिखाई देता था तो दीपा को तो अपने बिलकुल करीब दिखाई पड़ना ही था। तरुण के छड़ की तरह खड़े हुए लण्ड को तरुण के पतलून में तम्बू बनाते हुए देख कर दीपा भौंचक्की सी देखती ही रही।
दीपा के बैठ जाने पर तरुण ने अपने पतलून का बेल्ट खोल दिया जिससे दीपा ऊपर के हिस्से की ठीक सफाई कर सके। दीपा ने एक हाथ से तरुण के पिछवाड़ा वाला हिस्सा तो जैसे तैसे साफ कर दिया।
दीपा का मुंह तरुण के पतलून में खड़े लण्ड के तम्बू के बिलकुल सामने था। तरुण की कमर के निचे से तौलिये से पोंछते हुए जब दीपा के हाथ की उंगलियां तरुण के खड़े हुए लण्ड के पास पहुंचीं तो दीपा रुक गयी। तरुण के खड़े हुए लंड के तम्बू के ऊपर भी काफी आटा लगा हुआ था। उसे दीपा को साफ़ करना था। मैं समझ सकता था की मेरी असमंजस में पड़ी हुई बीबी के जहन में कितना उथलपुथल चल रहा होगा। वह तरुण के खड़े हुए लण्ड से बने हुए तम्बू के ऊपर से अपनी उँगलियों से छुए बगैर उस को कैसे साफ़ करे।
तरुण के खड़े लंड से बने हुए तम्बू देख कर यह भली भाँती अंदाजा लगाया जा सकता था की तरुण का लण्ड काफी लंबा और मोटा होगा। दीपा कुछ देर तक भौंचक्की सी तरुण के पतलून में लम्बे लण्ड से बने हुए तम्बू को देखती रही। मैं अपनी साँसे रोक कर यह इंतजार करता रहा की मेरी भोली बीबी क्या करती है। दीपा तरुण के लण्ड को छूती है या नहीं?
कुछ देर सोचने के बाद दीपा ने शायद यह फैसला किया की जो काम उसे दिया गया है उसे पूरा तो करना ही पडेगा। मेरी बीबी ने कुछ सहमे हुए कुछ झिझकते हुए जहां तरुण के मोटे और लम्बे लण्ड ने तम्बू बनाया हुआ था वहाँ अपनी उंगलियां रखीं और काफी झिझक के साथ घबड़ाते हुए, दीपा ने तरुण के मोटे, लम्बे और छड़ के समान खड़े हुए लण्ड को सफाई का कपड़ा बिच में रखते हुए उसे अपनी हथेली में पकड़ा।
दीपा की उँगलियों को जैसे ही तरुण ने अपने लण्ड पर महसूस किया की एकदम तरुण के पुरे बदन में एक तेज सिहरन फ़ैल गयी और वह खड़े खड़े मचलने लगा। मैं यह देख कर हैरान रह गया की दीपा कुछ देर तक स्तब्ध सी बैठी हुए अपने हाथोंमें तरुण का तगड़ा लण्ड पकड़ कर खोयी सी कुछ सोचते हुए उसे अपनी हथेली में सहलाती रही। फिर जब अचानक उसे यह समझ आया की उसे तरुण का लण्ड पकडे हुए सहलाते हुए कुछ देर हो चुकी थी तब चौंक कर दीपा ने ऊपर देखा तो पाया की तरुण आँखें मूंदे खड़ा था। धीरे से दीपा ने तरुण के लण्ड को पकड़ रख कर उस के कारण बने हुए तम्बू के आसपास कपडे से सफाई की।
मैंने देखा की दीपा की झुंझलाहट देख तरुण मंद मंद मुस्कुरा रहा था। दीपा अपने काम में लगी हुई थी। मेरी बीबी तरुण से थोड़ा पीछे हटी और अपनी साड़ी और घाघरा को अपने घुटनोँ के ऊपर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को फैला कर दीपा वह छोटे स्टूल पर अपने सुडौल कूल्हे टिकाकर बैठ गयी। जाहिर था की तरुण का मोटा और लंबा लण्ड जो दीपा के इतने करीब आने से छड़ की तरह खड़ा हो गया था वह तरुण के पतलून में एक तम्बू की तरह बाहर की और निकला हुआ मुझे साफ़ दिखाई देता था तो दीपा को तो अपने बिलकुल करीब दिखाई पड़ना ही था। तरुण के छड़ की तरह खड़े हुए लण्ड को तरुण के पतलून में तम्बू बनाते हुए देख कर दीपा भौंचक्की सी देखती ही रही।
दीपा के बैठ जाने पर तरुण ने अपने पतलून का बेल्ट खोल दिया जिससे दीपा ऊपर के हिस्से की ठीक सफाई कर सके। दीपा ने एक हाथ से तरुण के पिछवाड़ा वाला हिस्सा तो जैसे तैसे साफ कर दिया।
दीपा का मुंह तरुण के पतलून में खड़े लण्ड के तम्बू के बिलकुल सामने था। तरुण की कमर के निचे से तौलिये से पोंछते हुए जब दीपा के हाथ की उंगलियां तरुण के खड़े हुए लण्ड के पास पहुंचीं तो दीपा रुक गयी। तरुण के खड़े हुए लंड के तम्बू के ऊपर भी काफी आटा लगा हुआ था। उसे दीपा को साफ़ करना था। मैं समझ सकता था की मेरी असमंजस में पड़ी हुई बीबी के जहन में कितना उथलपुथल चल रहा होगा। वह तरुण के खड़े हुए लण्ड से बने हुए तम्बू के ऊपर से अपनी उँगलियों से छुए बगैर उस को कैसे साफ़ करे।