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Thriller कामुक अर्धांगनी
भाभी भले ही मुझे चोदने का बोल रही थी पर सच्चाई मे वो मुझे बस रंडी नाच के लिए उकसाने के सिवा ओर कोई इरादा नही था, खैर जब लुल्ली ही सही बिल्कुल अकड़ मे हो तो धक्के मारना क्या गलत है वैसे भी भाभी हो या मेरी जीवनंघ्नी दोनों की चूत मेरे लिए भोसड़ा समान ही था जहाँ असली मज़ा केवल मर्दों को ही आता, मेरे जैसे नामर्दों को तो बस ये सुख रहता कि गर्म योनि मे लुल्ली नहाने का सोच खुदाई कर रही है पर असली झरना बहना तो दूर रिसाव की भी उमीद रखना महज़ खुद को झूठी तसल्ली देने बराबर था
 
 
भाभी के योनि मे थोड़ा बहुत तरल सा था वो भी उनके हिल स्टेशन की पुरानी यादों से रीसा था जो मेरे लुल्ली को चिपचिपा एहसास दिए जा रहा था और उनकी झूठी आहे मुझे बस बरगलाने मे लगी हुई थी भाभी थोड़े देर मे ही अपने तेवरों को बदल बोली देवर जी नीचे लेटो ज़रा चूत रगड़ लेती हूँ तेरे चेहरे पर, झटपट मैं नीचे पसर गया वो अपनी साड़ी उठाए मेरे चेहरे पर अपनी चूत लगा खुद रगड़ मारने लगी और उनका गांड का छेद मेरे नाक पर टिक गया, जब वो बोली देवर जी हामी भर दो सोचो मत ज्यादा कहती , वो बोली ,लंबी साँस लो और अपने फेफड़ों मे जाने दो ये महक मेरे गांड की और एक तेज़ स्वास के साथ भाभी की गांड की महक मेरे तन बदन मे घुलने लगी और वो हँसते बोली जब मेरे दोनों छेदों मे मर्दों की मलाई रहेगी तब स्वास ले के देखना वो गर्म मलाई तेरे नाक से तेरे मुँह मे जाएगी और तुम रोक नही पाओगे अपने आप को बोलती भाभी ने मेरे नाक पर चूत लगा एक घर्षण से हल्की चिप चिप करती मलाई लगाई और बोली अब स्वास लो, जैसे है एक स्वास खिंचा भाभी आह करती अपनी योनि से कुछ तरल बूंदे मेरे नाक से मेरे मुँह मे आ गई और भाभी के ऐसे एहसास दिलाने के बाद मैंने एक एक करके न जाने कितनी बूंदों को आपने नाक से मुँह मे लिया और अद्भुत सहवास युक्त क्रीड़ा करने लगा जब भाभी ने बोला देवर जी ज़रा टांग उठा के मुझे अपनी गांड दिखाओ ।
 
 
बीते कुछ घंटों मे ही भाभी ने मुझे बखूबी पहचान लिया था जिस वजह से वो मेरे हर नब्ज को जान चुकी थी यही कारण था कि मेरे टांगों के उठ जाने के बाद फोरन भाभी ने मेरे गांड पर थूक दिया और बिना किसी देरी के अपनी दो उँगलियों को फसाते मेरी गांड ऊपर की और खिंचते बोली गांडू तेरी गांड भी जल्दी भोसड़े की तरह हो जाएगी क्या मस्त ऊँगली फिसल रही है तेरे इस गांड मे । भाभी ने तनाव से मेरी गांड पर उँगलियों को मोड़ फसा दिया और अपनी गांड उठा कर बोली जीभ से मेरी चूत चाटो ओर मैं तो कुत्ते की तरह चाटने लगा, अपने गांड की नस नस खिंचवाते उधर भाभी बोली दिल तो करता है तेरे मुँह मे मुत दु गांडू देवर ,ये सुनते मैं कुत्ते का पिल्ला बोल उठा मुत दे ना भाभी वो हँसते बोली कुत्ते ही हो तुम और मेरे मुँह को पूरा खुलवा कर वो चूत लगा कर बैठ गई और मेरे मुँह मे मूतने लगी । भाभी की नमकीन गर्म मुत मेरे हलक से नीचे जाते जाते मुझे एहसास दिलाया कि अब भाभी की नज़रों मे मेरी हैसियत बस कुत्ते की रह गई हैं ओर उनका मुत पीने के बाद जब भाभी ने अपने उँगली से मेरी गांड की चमड़ी नोच डाली और मैं तिलमिला उठा पर उनके चौड़े गांड के नीचे से निकल न पाया और उनके अत्याचार को सहता रूवासा हो गया तब वो बोली देवर जी तेरी गांड मस्त है चलो चाट के देखती हूँ बोल वो बाजू मे लेट कर बोली चल जल्दी से चटवा अपनी गांड, मेरी बुद्धि मानो छीन हो चुकी थी समझ नही आ रहा था कि ये मालकिन है या नौकरानी मजे दोनों ओर से कर रही कभी कुत्ता बना के कभी कुतिया बन के । उनके मुँह पर मे गांड टिका कर बैठा वो जीभ से चाटने लगी उफ्फ्फ ऐसा अनोखा मज़ा पा कर मेरी हालत गुलज़ार सी होने लगी थी कि भाभी बोली थोड़ा ऊपर कर ले तेरी ये नामर्द आड़े भी चख लेन दे उफ्फ्फ भाभी मानो मेरी ऊपर कहर बरपाने पर अड़ चुकी थी वो मेरी लटकती अण्डों से साथ मेरी गांड भी लपलप चाट रही थी ।
 
 
 
उनका जोश बढ़ने लगा था वो मेरी गांड मे दो उँगलियों को डाल मेरी आडो को चाटते बोली उछल ले अब लौड़ा कहाँ से लाऊ ऐसे ही मज़ा दे देती हूँ तुझे देवर जी, अपने गांडू देवर को अपने उँगली पर नचाने लगी थी ।
 
 
कहानी जारी रहेगी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 08-05-2021, 02:10 AM



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