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Adultery मेरी गरीब किस्मत की अमीर कामुक दास्तान
#85
Update - 9






( चैजिंग फैस )







अब दोस्तों अपडेट 9 को आगे बढाने से पहले अब स्टोरी में एक बहुत बड़ा बदलाव आयेगा. अब "मैं" यानी अब्दुल अहमद नहीं रहेगा. अब यहाँ "मैं" बदल चुका है. अब स्टोरी में "मैं "अब्दुल अहमद से हट कर स्टोरी अब्दुल अहमद के कॉटन मिल के मैनेजर रोहित गर्ग पर आ गयी है.

अब आप यह समझिये की स्टोरी का जो टाइटल है "मैरी गरीब किस्मत की अमीर कामुक दास्तान" उसका मतलब किसी गरीब के अमीर या धनवान होने से नहीं है बल्कि ""जिसको भी अपनी जिंदगी में अधूरा सेक्स मिलता है या कामवासना एवं सेक्स ही नहीं मिलता फिर उसकी जिन्दगी में कुछ बहुत बड़े बदलाव आने से उसको सेक्स की चरम सुख की प्राप्ति होती है उससे है"""

आपको यहाँ ये बता दु की स्टोरी के आगे भी "मैं" बदलते रहेगे.

अब मैं यानि रोहित गर्ग आपको अपने बारे में बताता हूँ. मैं दर-असल बनारस से हूँ. मैं एमबीए करके जॉब की तलाश में इंदौर आया था. इंदौर में रहते रहते पाँच साल हो गये थे. अभी मैं फिलहाल एक कॉटन मिल का सीनियर मैनेजर हूँ. मेरी उम्र कुछ 34 साल होगी. दिखने में ठीक ठाक हू. पहले मे ना ज्यादा मोटा था और ना ही ज्यादा पतला था. अब थोड़ा जीम जाता हू और पूरा दिन मिल में इन चुतिये कामचोर वर्करों के पीछे भागता रहता हूं तो मेरी बॉडी काफी फिट हो गयी है. मिल में आने वाली कई कामवाली और मजदूर महिलाएं मुझको ताकती है मैं भी उनको हवस भरी निगाहों से देखता हूं. पर आजतक मैं उनके साथ कुछ कर नहीं पाया हूँ. मैं


अपने बारे में ओर कुछ बताऊ तो मेरी शादी 3 साल पहले हुई थी बनारस में. शादी होने के आज तक मुझको किसी भी प्रकार का संतोषजनक सेक्स प्राप्त नहीं हुआ है इसलिये मेरी अभी तक कोई औलाद नहीं है. मेरी बीवी मुझसे नफरत करती है. मेरी और मेरी बीवी काव्या गर्ग का शादी के बाद से ही बहुत झगड़ा होने लगा था. हम दोनों की सोच बिलकुल अलग थी. मुझको बाद में यह भी पता चला कि काव्या शादी से पहले किसी वरुण नाम के आदमी से प्यार करती थी और आज भी करती है. मेरा और मेरी पत्नी के झगड़े अब इस लेवल पर आ चुके है कि अब हमारा तलाक कुछ दिनों में होने वाला है.


अब मैं मेरे ऑफिस में बैठा था के तभी मेरे टेबल पर सारे मिल में आने वाले कच्चे स्टॉक की फाइल आयी जिसमें पूरा हिसाब था. तभी मैंने उस कच्चे स्टॉक वाली फाइल को पूरा तैयार हुए रेडीमेड की फाइल से मिलाने की कोशिश करी तभी पाया कि दोनों के हिसाब में बहुत जोल चल रहा है. मुजे शक तो था कि मिल के मजदूर चोरी कर रहे है मेरी अनुपस्थिति में पर आज यह हिसाब को देख कर पक्का भी हो गया. तभी मैंने मेरे नीचे काम करने वाले एक सुपरवाइज़र को बुलाया और उस पर जोर से चिल्लाया और उसको सब कुछ सच सच बताने के लिये बोला.



सुपरवाइज़र - साहब माफ़ कर दो मैं आपको पहले ही बताना चाहता था पर हिम्मत नहीं हुई. क्योंकि मैं भी थोड़ा थोड़ा कमिशन कमा रहा था. पर जब से वो गांव का गँवार चौकीदार अब्दुल अहमद आया है तब से तो चोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है.

मैं गालियाँ बकते हुए उस सुपरवाइज़र से बोला कि तू अपना सारा कमिशन अभी के अभी लाकर इधर मेरे टेबल पर रख और उस चुतिये चोर हरामखोर चौकीदार को बुला और तुम दोनों मेरे साथ बॉस के पास चलो.


सुपरवाइज़र - सहाब माफ़ कर दो मुझको. मुझको बड़े सहाब जैल भेज देगे. माफ़ करदो अगली बार ऐसा नहीं होगा.

मेने बोला - तू और तेरा चौकीदार जैल जाये या कहीं ओर मुझको नहीं पता. तू बस उस चौकीदार को बुला ओर मेरे साथ चल.

सुपरवाइज़र - पर सहाब वो चौकीदार अब्दुल तो आज आया ही नहीं है.

मैंने बोला वो सब मुझको नहीं पता वो अभी एक घंटे में यहां होना चाहिये.

सुपरवाइज़र - सहाब उसका फोन नहीं लग रहा. आपको ही अगर उसको लाना है तो उसके कमरे पर जाना होगा. मेरे पास कोई गाड़ी नहीं है.

पहले तो मैं सुपरवाइज़र पर चिल्लाया की - मैं तुम्हारा नौकर और ड्राइवर नहीं हू जो तुम्हारे पिछे भागता रहु.

पर फिर मुझको अहसास हुआ कि अगर इन् दोनों को अभी बॉस के हाथों में नहीं दिया तो बॉस मेरी गाण्ड मार लेगा. हो भी सकता है मुझको मैनेजर की नोकरी से निकल दे. नहीं नहीं ! ये चौकीदार को लेकर आना पड़ेगा मामला काफी गंभीर है.

फिर मैंने सुपरवाइज़र से कहां - मुझको तू उस अब्दुल के कमरे का पता दे. और मैं जब तक वापस आता हूं उसको लेकर तब तक तू इधर ही खड़ा रह.

फिर सुपरवाइज़र ने मुझको पता दिया और मैं अपनी कार लेकर मिल से निकल गया अब्दुल को लेने.

जैसे मैं सुपरवाइज़र के दिये हुए पते पर पहुंचा तो वहां एक टूटी फूटे मकान में कुछ पांच से छह छोटे छोटे कमरे थे. मकान के वो कमरे बनाये ऐसे गये थे कि कोई भी आ जा सकता था. हर कमरे के बाहर एक गेट और एक खुली जाली वाली खिड़की थी जिससे अन्दर कमरे में क्या हो रहा है सब देखा जा सकता था. तभी मैं वो सलीम के कमरे के बाहर गया.

उसके कमरे के गेट को जैसे ही मै नोक या बजाने वाला था तभी ही मुझको अन्दर से तीन से चार लोगों की आवाज आयी. और वो आवाजें काफी कामुक और अजीब थी. तो मैंने सीधा गेट को खड़खडाने के बजाये पास वाली खिड़की मैं जाका और कमरे में क्या हो रहा है देखने लगा.




पहली नजर में मैंने जो कमरे में देखा उसको देख कर तो मुझको शौक लग गया. अन्दर कमरे में 2 काले मोटे सांड जैसे देहाती आदमी वो भी पूरे नंगे. और दो औरते जिसमें एक साधारण काली शक्ल की हट्टी कट्टी औरत और दूसरी सुडोल सेक्सी शरीर की गोरी औरत और वो भी दोनों पूरी नंगी.

मैंने आज तक फोरसम सेक्स पोर्न वीडियो में देखा था कभी अपनी आखों के सामने लाइव होते हुए नहीं देखा था. मुझको लग रहा था कि आज वो भी देखने को मिल जायेगी.

फिर मैं शांति से खिड़की के सहारे देखने लगा कमरे के अंदर बिना कोई आवाज करे चुप चाप.

मैंने अन्दर खडे हाथ में लोडे लिये दो में से एक आदमी को तो पहचान लिया वो चौकीदार अब्दुल ही था. और दूसरे वाले को पहचान नहीं पाया. पर दूसरा वाला देखने में कोई ***** ही लग रहा था. दोनों के क्या बड़े बड़े ** हुए लोडे थे. पर मेरा भी लोडा इनसे थोड़ा ही छोटा था. मैं भी किसी से कम नहीं था.

फिर मैं अन्दर ओर ध्यान से देखने लगा तो पाया कि एक काली वाली औरत दोनों आदमियों को गाइड कर रही थी और खुद भी मजे ले रही थी कुछ ऐसे "


वो काली औरत उस गोरी औरत से बोली- तू यूसुफ का लण्ड धीरे धीरे चूस, साथ ही साथ अब्दुल तेरी चूत को चोदेगा। दो-दो लण्डों का मज़ा जब तु लेंगी तो गाण्ड मरवाने में दिक्कत नहीं आएगी। दूसरे वाले आदमी यूसुफ ने अपना लण्ड उस सेक्सी औरत के मुँह में डाल दिया। फिर वो हरामखोर चौकीदार अब्दुल ने उसकी की चूत को अपनी 3-4 उँगलियों से सहलानी शुरू कर दी, उसकी चूत के दाने पर दूसरे वाले आदमी यानी यूसुफ की रगड़ तेज होती जा रही थी। वो तीनों सेक्स का आनन्द ले रहे थे।

फिर जब मैंने ध्यान से उस गोरी सेक्सी औरत को देखने की कोशिश करी. मैंने जो देखा उसको देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी ! मेरी आंखे ही बाहर आ गयी ! मुझको तो जैसे कोई 440 वाट का झटका लग गया. क्योंकि वो गोरी सेक्सी औरत ओर कोई नहीं मेरी पड़ोसन नेहा गुप्ता थी. मुझको यकीन ही नहीं हुआ मैं फिर से देखने लगा कि क्या यह सही है पर मैंने जो देखा वो बिलकुल सही था. फिर मैं आश्चर्य चकित होकर बाहर खड़ा रहा और अन्दर का नंगा तमाशा देखता रहा.


एक मिनट के बाद मेरी पड़ोसन नेहा लण्ड मुँह से बाहर निकालते हुए बोली - धीरे से सेक्स कीजिये ना ! मैं मना थोड़ी कर रही हूँ । लग रहा था कि सबीना इसी का इंतजार कर रही थी फिर बोली- अब्दुल मिया, अब इसकी चूत फाड़ दीजिए। अब्दुल ने बिना देर किये नेहा की गीली चूत में अपना लण्ड घुसा दिया।

मुझको तो भरोसा नहीं हो रहा था कि नेहा गुप्ता. मेरी पड़ोसन जो बहुत पतिव्रता और संस्कारी बनतीं थी कॉलोनी में वो इन घटिया वाहियात देहाती लोगों के साथ यह सब कर रही थी. वो दूसरे ***** ** के लोगों के साथ. ऐसी तो क्या मजबूरी आ गई होगी नेहा को. मुझको तो अब नेहा को देख कर उसके पति के लिये दुख हो रहा था कहा वो अपनी पत्नी को सुन्दर, सुशील, समझदार और संस्कारी समझता है. और वेसे भी अगर उसका पति उसको संतुष्ट नहीं कर पा रहा था तो मुझको बोल देती. हम किस लिये बैठे है. पर अब मैंने यानी रोहित गर्ग ने यह ठान ली थी कि मोका मिलने पर मैं नेहा के प्रति अपनी सेक्स की सभी इच्छाओं को पूरा करूगा. पर पहले ये दो सांड तो हटे मेरी प्यारी पड़ोसन नेहा के ऊपर से.

मैं अपना सात इंच का लण्ड मसलते हुए यह सोच रहा था कि ये सांड अब्दुल **** साला देखो कैसे नेहा की चूत मे अपना लण्ड डाल रहा हैं. इस चुतिये को तो मिल कि कोई कामवाली भी नहीं पूछती. और यहां क्या तरक्की करी हैं वाह ! साला जिस नेहा को मेरी पड़ोस में होते हुए मैं नहीं फंसा पाया इतने सालों में ! कैसे किया इस चुतिये ने ?

अब अन्दर सबीना के कहे अनुसार चूचियाँ दबाते हुए तेज धक्कों के साथ अब्दुल ने नेहा को चोदना शुरू कर दिया था। यूसुफ ने सबीना के इशारे पर अपना लण्ड निकाल लिया था। मुझको तो नेहा को देख कर ऐसा लग रहा थी की आज पहली बार नेहा की चुत में नौ इंची मोटा लण्ड घुसा था, नेहा दर्द से बोली - ऊई आह ! मर गई ! फट गई ! ओह फक !नहीं ओह फक ! की आवाज़ करती हुई वो कालिये अब्दुल से चुद रही थी। 

सबीना यूसुफ से बोली- अब इसकी चुदाई के बाद आप इसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेलना। मोटे लण्ड से चुद रही है अब इसे गाण्ड में दर्द भी कम लगेगा। नेहा को कुछ देर चोदने के बाद अब्दुल ने सबीना के इशारे पर लण्ड बाहर निकाल लिया. 

सबीना ने अब यूसुफ का लण्ड नेहा की गाण्ड पर छुआ दिया और बोली- यूसुफ जी थोडा सा इसकी गाण्ड में ठोक कर अपने वीर्य से इसकी गाण्ड भर दो ! और आप अपनी इच्छा अनुसार उद्घाटन कर दो. यूसुफ ने नेहा की गाण्ड में लण्ड घुसा दिया। सिर्फ तीन इंच जाते ही नेहा दर्द से कराइ !!!! यूसुफ प्यार से उसकी गाण्ड ठोंक रहा था पर उसका पूरा लण्ड घुसने के बाद नेहा जोर जोर से दर्द से चिल्लाने लगी थी बड़ी मुश्किल से उसका मोटा लण्ड घुसा होगा। उसके बाद यूसुफ के 5-7 छोटे बड़े धक्कों के बाद नेहा की गाण्ड वीर्य से नहा गई।


इसके बाद सबीना ने एक गीले कपड़े से यूसुफ का लण्ड पौंछा और यूसुफ को अपने पास बैठा दिया । सबीना को देख कर लग रहा था कि यह बहुत पहुंची हुई रंडी है. बहुत लोगों का बिस्तर गरम किया है इसने. इसको सेक्स के बारे में बहुत कुछ पता है.



नेहा बिस्तर पर उल्टी लेट गई थी। मुझको नेहा के चेहरे से गाण्ड ठुकाई का दर्द दिख रहा था। उसकी गाण्ड में अंदर तक यूसुफ शैख का वीर्ये घुसा हुआ था। पाँच मिनट के आराम के बाद सबीना ने नेहा के बालों पर हाथ फिराया और बोली- चलो उठो और अब अपनी गाण्ड अपने नये यार अब्दुल से फटवाओ ! आज के रंगीन माहौल के मज़े लो ! नेहा को कोहनी के बल सबीना ने लिटाया और उसके मुँह में पहले यूसुफ का लण्ड डलवा दिया और नेहा को धीरे धीरे लण्ड के आगे के हिस्से को चूसने को कहा। नेहा बेचारी ना ना मैं सर हिलाते हुई बोली यह बहुत बदबूदार है. पर वो इन हवस के हेवानो के सामने लाचार थी उसको मुँह में ना चाहते हुए भी यूसुफ का लण्ड वापस लेना पड़ा.

फिर कुछ देर बाद सबीना के इशारे पर यूसुफ का लण्ड अंदर तक नेह की सुन्दर मुँह में चलने लगा। अब अब्दुल ने रेखा की गाण्ड पर लण्ड छुआ दिया था। 5 इंच के करीब रेखा की गाण्ड पहले ही फट गई थी और यूसुफ के वीर्ये से नेहा की गाण्ड चिकनी भी हो रही थी इसलिए अब्दुल का नौ इंची लण्ड आधे से ज्यादा घुस गया था।अब नेहा के चिल्लाने पर अब्दुल को थोड़ी देर के लिए लण्ड निकाल लिया और नेहा की चूचियाँ दबाते हुए उसे कस कर पकड़ लिया. अब वापस अब्दुल अपने मूसल लण्ड से धीरे धीरे नेहा की गाण्ड ठोक या मार रहा था, नेहा चिल्ला रही थी, उसकी आँखों से पानी गिर रहा था, अब्दुल की पकड़ मजबूत थी इसलिए वो लण्ड निकाल नहीं पा रही थी।

सबीना अब चिल्ला रही थी- साली रंडी ! अंदर लेने की कोशिश कर ! बाहर क्यों निकाल रही है? सबीना ने उसके बाल कस कर खींचना शुरू कर दिए और अब्दुल पर चिल्लाते हुए बोली- थोड़ा सा बच रहा है, जल्दी घुसा दे। अब्दुल पूरी ताकत से लण्ड अंदर पेलने लगा थोड़ी देर में अब्दुल का नौ इंची लण्ड पूरा गाण्ड में घुसा हुआ था।


सबीना ने नेहा के बाल अब सहलाने शुरू कर दिए और बोली- अब तेरी गाण्ड में पूरा घुसा हुआ है, आराम से गाण्ड मरवा और मज़े कर ! शुरू में सबके दर्द होता है। यूसुफ मिया का लण्ड तेरे मुँह के आगे है मन करे तो चूस लेना, दुगना मज़ा आएगा। अब्दुल ने धीरे धीरे उसकी गाण्ड चोदनी शुरू कर दी थी। 

नेहा इधर ....हूँम......नही ......अमह ..... ओह फक... ..की सिसकारी भर रही थी। थोड़ी देर में अब्दुल ने गाण्ड बजाना शुरू कर दिया अब नेहा की गाण्ड अच्छी तरह बज रही थी, नेहा की चिल्लाने की आवाजें गूँज रही थी ! ...... सेव मी......ओह फक.......!
 

यहां नेहा की कामुक आवाजें सुन कर मेरा भी लोड़ा हुंकारे मार रहा था तेजी से और मुझको भी अब अन्दर जाने का मन तेजी से कर रहा था पर मैं अभी सही समय का इन्तेज़ार कर रहा था.


अन्दर नेहा मस्ती से गाण्ड मरवा रही थी और चिल्ला रही थी। अब दूसरी ओर बैठे अब्दुल शैख का मूसल लण्ड नेहा के मुँह के आगे उछालें मार रहा था। सबीना ने यूसुफ को इशारा किया और बोली- अब साली को मसल दो। यूसुफ आगे बढ़कर लण्ड मुँह में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोरी डार्क गुलाबी चूचियों को कस कस कर हाथों से दबाने लगा। अब नेहा की गाण्ड चुद रही थी और मुँह में यूसुफ का लण्ड चल रहा था। चूचियों की मालिश और बूब्स एवं निप्पल नोचते हुए यूसुफ नेहा को अपना लण्ड चुसवा रहा था, देख कर लग रहा था कि यह शादी शुदा पतिव्रता पत्नी नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था। और कहा मैं इसको अपनी बीवी काव्या से सो गुना ज्यादा समझदार, संस्कारी और ईमानदार पत्नी समझता था.....? 



पर कुछ भी बोलो देखने में भी मुझको बहुत मज़ा आ रहा था. कैसे ये सभी राक्षस मिल कर मेरी मासूम पड़ोसन को मसल रहे थे.......








To Be Continued..............
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RE: मेरी गरीब किस्मत की अमीर कामुक दास्तान - by Dani Daniels - 07-05-2021, 03:23 PM



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