07-05-2021, 08:49 AM
सांड़ चढ़ा
मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,... मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,
क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,...
और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,...
मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,
कम्मो ने बेदर्दी से बिल पूरी तरह फैला रखी थी , वो बेचारी निहुरि जैसे कोई ' बछिया ' पहली बार 'सांड़' के नीचे आ रही हो ,
कम्मो ने मुझे इशारा किया और मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर ' उसकी ' पतली कटीली कमरिया पर रख दी , उन्होंने कस के दबोच लिया ,
" पेल स्साले कस के "
फुसफुसाती हुयी कम्मो ने उन्हें ललकारा ,
बस कमरे का फर्श नहीं फटा , ...
बाहर फागुनी बयार में झूमते पलाश के पेड़ रुक गए ,
हवा थम गयी , ...
गजब की ताकत , उससे भी दसगुना जोश , ...
उईईईईई , ...
मेरी ननद की चीख कमरे से गूँज उठी , ... लेकिन उससे पहले कम्मो पहले से ही तैयार थी , उसकी तगड़ी हथेली ने उसका मुंह कस के भींच लिया ,
वो दर्द से तड़प रही थी , बिलख रही थी , बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे ,
मैं उसकी पीठ सहला रही थी , हिम्मत बंधा रही थी और कनखियों से देख रही थी , उसके भइया का मोटा तगड़ा खूब बड़ा सा सुपाड़ा , तीन चौथाई से ज्यादा अंदर धंसा ,
मेरी निगाह वहीँ चिपकी ,
वो पुश कर रहे थे , .... सूत सूत सरक सरक कर , घिसकता , धंसता अंदर ,
पूरी ताकत से वो ठेल रहे थे ,
वो तड़प रही थी , दर्द के मारे बिसूर रही थी पर कम्मो ने कस के उसका मुंह भींच रखा था ,
मैंने भी दोनों हाथों से कस के अपनी' 'बछिया ' की कमर को जकड रखा था , जिससे वो इंच भर भी इधर उधर न सरक सके ,
गप्पांक
सटाक
पूरा सुपाड़ा अंदर था ,
कम्मो ने मेरी ओर देखा , मैंने बिन बोले ही इशारा किया ,
घोंट लिया इसने पूरा सुपाड़ा ,...
बस कम्मो ने मुंह पर से हाथ हटा लिया , जैसे कह रही हो अब चिल्लाने दो स्साली को , पटकने दो चूतड़ ,अब सुपाड़ा पूरा घुस गया है , लाख कमर झटके चूतड़ पटके , अब निकलने वाला नहीं है ,
मेरी ननद हलके हलके कहर रही थी , बिसूर रही थी , मैं हलके हलके उसकी पीठ सहला रही थी , उसकी कमर सहला रही थी , उसके कान में फुसफुसा रही थी
" अब काहें का दर्द , तूने पूरा मोटा तो घोंट लिया , बस अब थोड़ा सा ढीला कर , उधर से ध्यान हटा दे , कस के निहुरी हुयी , हाँ बस , जरा सा टांगे और फैला न , बस ,... हाँ देखों अब दर्द ख़त्म , मज़ा शुरू। "
मैं उसे फुसला बहला रही थी और अब कम्मो एक बार फिर से 'सांड़' के पास ,
मुझे मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है , जब झिल्ली फटेगी , जब कली फूल बनेगी , तब ,...
और कनखियों से देख रही थी , कैसे कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,
उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,
मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,... मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,
क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,...
और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,...
मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,
कम्मो ने बेदर्दी से बिल पूरी तरह फैला रखी थी , वो बेचारी निहुरि जैसे कोई ' बछिया ' पहली बार 'सांड़' के नीचे आ रही हो ,
कम्मो ने मुझे इशारा किया और मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर ' उसकी ' पतली कटीली कमरिया पर रख दी , उन्होंने कस के दबोच लिया ,
" पेल स्साले कस के "
फुसफुसाती हुयी कम्मो ने उन्हें ललकारा ,
बस कमरे का फर्श नहीं फटा , ...
बाहर फागुनी बयार में झूमते पलाश के पेड़ रुक गए ,
हवा थम गयी , ...
गजब की ताकत , उससे भी दसगुना जोश , ...
उईईईईई , ...
मेरी ननद की चीख कमरे से गूँज उठी , ... लेकिन उससे पहले कम्मो पहले से ही तैयार थी , उसकी तगड़ी हथेली ने उसका मुंह कस के भींच लिया ,
वो दर्द से तड़प रही थी , बिलख रही थी , बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे ,
मैं उसकी पीठ सहला रही थी , हिम्मत बंधा रही थी और कनखियों से देख रही थी , उसके भइया का मोटा तगड़ा खूब बड़ा सा सुपाड़ा , तीन चौथाई से ज्यादा अंदर धंसा ,
मेरी निगाह वहीँ चिपकी ,
वो पुश कर रहे थे , .... सूत सूत सरक सरक कर , घिसकता , धंसता अंदर ,
पूरी ताकत से वो ठेल रहे थे ,
वो तड़प रही थी , दर्द के मारे बिसूर रही थी पर कम्मो ने कस के उसका मुंह भींच रखा था ,
मैंने भी दोनों हाथों से कस के अपनी' 'बछिया ' की कमर को जकड रखा था , जिससे वो इंच भर भी इधर उधर न सरक सके ,
गप्पांक
सटाक
पूरा सुपाड़ा अंदर था ,
कम्मो ने मेरी ओर देखा , मैंने बिन बोले ही इशारा किया ,
घोंट लिया इसने पूरा सुपाड़ा ,...
बस कम्मो ने मुंह पर से हाथ हटा लिया , जैसे कह रही हो अब चिल्लाने दो स्साली को , पटकने दो चूतड़ ,अब सुपाड़ा पूरा घुस गया है , लाख कमर झटके चूतड़ पटके , अब निकलने वाला नहीं है ,
मेरी ननद हलके हलके कहर रही थी , बिसूर रही थी , मैं हलके हलके उसकी पीठ सहला रही थी , उसकी कमर सहला रही थी , उसके कान में फुसफुसा रही थी
" अब काहें का दर्द , तूने पूरा मोटा तो घोंट लिया , बस अब थोड़ा सा ढीला कर , उधर से ध्यान हटा दे , कस के निहुरी हुयी , हाँ बस , जरा सा टांगे और फैला न , बस ,... हाँ देखों अब दर्द ख़त्म , मज़ा शुरू। "
मैं उसे फुसला बहला रही थी और अब कम्मो एक बार फिर से 'सांड़' के पास ,
मुझे मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है , जब झिल्ली फटेगी , जब कली फूल बनेगी , तब ,...
और कनखियों से देख रही थी , कैसे कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,
उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,