05-05-2021, 09:46 AM
'बछिया '
मैंने भी अपना रोल निभाया ,
" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "
…..
मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,
आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,
मेरी बछिया सिकुड़ी , दबकी , घबड़ायी बगल के कमरे में दुबकी बैठी थी , अपने हाथों से दोनों नए आये छोटे छोटे जोबन को छुपाने की कोशिश करती ,
नहीं नहीं हम लोगों ने उसके सब कपडे नहीं उतारे थे सिर्फ टॉप और स्कर्ट उठाके काम चला लिया था , हाँ ब्रा और पैंटी जरूर और बाद में कम्मो ने टॉप भी , स्कर्ट वो अभी पहने थी ,...
पहले तो मैंने उसे गुदगुदी लगाई , कान में फूका , गाल पर हलकी सी चुम्मी ली , चपत लगाई , फिर धीमे से बोली
" हे अभी तो खुद परेशान हो रही थी , भौजी झाड़ दो , झाड़ दो , अब आगया है झाड़ने वाला तो घबड़ा रही है , तेरी दोनों सहेलिया कब की फड़वा चुकी ,.... चल यार , .... "
" नहीं नहीं भाभी , "
उसने अपने दोनों हाथों से पलंग जिस पर वो बैठी उसे कस के पकड़ने की कोशिश की , बस उसके दोनों कच्चे टिकोरे खुल गए और मेरी चांदी हो गयी ,
किसी लड़की की चूँचिया बस मेरे हाथ में आ जाये , दो मिनट में उसे पनिया देने की ट्रिक मेरी गाँव की भाभियों ने मुझे नौवें दर्जे में ही सिखा दी थी , निप्स को कैसे फ्लिक करें , कैसे कभी दबाएं , कभी सहलाएं ,
और मेरी 'बछिया ' मेरी ननद , इनकी ममेरी बहन दो मिनट में गरमा गयी , पनिया गयी ,
उसे गुदगुदी बहुत लगती थी , मेरा एक हाथ उसकी जांघों पर ,... वो खिलखिलाने लगी , फिर तो मेरी हथेली जांघों के बीच , अपनी गदोरी से मैं वहां रगड़ने लगी , पहले से पनिया रही थी , अब तो एकदम गीली ,....
" देख यार , कभी न कभी तो फटनी ही है तो आज ,... मौका भी है , दस्तूर भी है ,... "
मेंने सारे टोने टोटके पहले से कर लिए थे अपनी इस छोटी ननद के साथ , उनके गन्ने का पूरा रस , इसे पिला चुकी थी , उन्ही के सामने ,
उन्हें भी मालूम था की उनकी सीधी साधी बहिनिया उनका गाढ़ा वीर्य रस घोंट रही है ,
और उनकी बहन को भी ,
इनकी सास ने नहीं मेरी सास ने ये टोटका बताया था , किसी मर्द की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को पिला दो तो बस उस लड़की की गुलाबो पर उस मर्द के खूंटे का नाम लिख जाता है , और अगर उस मरद को उस कुँवारी लड़की की चासनी चटा दो , तो फिर तो खुद ही वो ,...
मुझे मालूम था की इनकी मस्त चढ़ती जवानी में बौराई बहिनिया आने वाली है, बस इनके मोटे कड़े खूंटे को मैंने जम के चूसा , कटोरी से भी ज्यादा रबड़ी मलाई मेरे मुंह में , और बिना ज़रा भी खुद घोंटे इनके सामने ही मेरे मुंह से इनकी बहिनिया के मुंह में ,
इसकी चासनी भी भी मैंने पहले भी चटाई थी इन्हे और आज कम्मो ने भी अपने 'सांड़ ' को ,...
इसने तो उनके मसल की कितनी फोटुएं देखी थी , और मुझे उसे घोटते हुए भी , मन तो उसका कर ही रहा था , बस डर लग रहा था ,
और ये बात उसकी बात से भी जाहिर हो गयी , ...
" भाभी ,... लेकिन ,... लेकिन दर्द बहुत होगा। "
एकदम डरती कांपती थरथराती आवाज में , रुक रुक कर , सहमी हुयी , ...
जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,
मैंने भी अपना रोल निभाया ,
" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "
…..
मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,
आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,
मेरी बछिया सिकुड़ी , दबकी , घबड़ायी बगल के कमरे में दुबकी बैठी थी , अपने हाथों से दोनों नए आये छोटे छोटे जोबन को छुपाने की कोशिश करती ,
नहीं नहीं हम लोगों ने उसके सब कपडे नहीं उतारे थे सिर्फ टॉप और स्कर्ट उठाके काम चला लिया था , हाँ ब्रा और पैंटी जरूर और बाद में कम्मो ने टॉप भी , स्कर्ट वो अभी पहने थी ,...
पहले तो मैंने उसे गुदगुदी लगाई , कान में फूका , गाल पर हलकी सी चुम्मी ली , चपत लगाई , फिर धीमे से बोली
" हे अभी तो खुद परेशान हो रही थी , भौजी झाड़ दो , झाड़ दो , अब आगया है झाड़ने वाला तो घबड़ा रही है , तेरी दोनों सहेलिया कब की फड़वा चुकी ,.... चल यार , .... "
" नहीं नहीं भाभी , "
उसने अपने दोनों हाथों से पलंग जिस पर वो बैठी उसे कस के पकड़ने की कोशिश की , बस उसके दोनों कच्चे टिकोरे खुल गए और मेरी चांदी हो गयी ,
किसी लड़की की चूँचिया बस मेरे हाथ में आ जाये , दो मिनट में उसे पनिया देने की ट्रिक मेरी गाँव की भाभियों ने मुझे नौवें दर्जे में ही सिखा दी थी , निप्स को कैसे फ्लिक करें , कैसे कभी दबाएं , कभी सहलाएं ,
और मेरी 'बछिया ' मेरी ननद , इनकी ममेरी बहन दो मिनट में गरमा गयी , पनिया गयी ,
उसे गुदगुदी बहुत लगती थी , मेरा एक हाथ उसकी जांघों पर ,... वो खिलखिलाने लगी , फिर तो मेरी हथेली जांघों के बीच , अपनी गदोरी से मैं वहां रगड़ने लगी , पहले से पनिया रही थी , अब तो एकदम गीली ,....
" देख यार , कभी न कभी तो फटनी ही है तो आज ,... मौका भी है , दस्तूर भी है ,... "
मेंने सारे टोने टोटके पहले से कर लिए थे अपनी इस छोटी ननद के साथ , उनके गन्ने का पूरा रस , इसे पिला चुकी थी , उन्ही के सामने ,
उन्हें भी मालूम था की उनकी सीधी साधी बहिनिया उनका गाढ़ा वीर्य रस घोंट रही है ,
और उनकी बहन को भी ,
इनकी सास ने नहीं मेरी सास ने ये टोटका बताया था , किसी मर्द की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को पिला दो तो बस उस लड़की की गुलाबो पर उस मर्द के खूंटे का नाम लिख जाता है , और अगर उस मरद को उस कुँवारी लड़की की चासनी चटा दो , तो फिर तो खुद ही वो ,...
मुझे मालूम था की इनकी मस्त चढ़ती जवानी में बौराई बहिनिया आने वाली है, बस इनके मोटे कड़े खूंटे को मैंने जम के चूसा , कटोरी से भी ज्यादा रबड़ी मलाई मेरे मुंह में , और बिना ज़रा भी खुद घोंटे इनके सामने ही मेरे मुंह से इनकी बहिनिया के मुंह में ,
इसकी चासनी भी भी मैंने पहले भी चटाई थी इन्हे और आज कम्मो ने भी अपने 'सांड़ ' को ,...
इसने तो उनके मसल की कितनी फोटुएं देखी थी , और मुझे उसे घोटते हुए भी , मन तो उसका कर ही रहा था , बस डर लग रहा था ,
और ये बात उसकी बात से भी जाहिर हो गयी , ...
" भाभी ,... लेकिन ,... लेकिन दर्द बहुत होगा। "
एकदम डरती कांपती थरथराती आवाज में , रुक रुक कर , सहमी हुयी , ...
जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,