07-04-2019, 12:34 PM
कातिक की कुतिया
एक बार तो वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे वो इसलिये कम से कम आधे घण्टे तक नान-स्टाप, और वही हुआ। जैसे कोई धुनिया रुई धुने, बस उसी तरह।
सच में तूफ़ान मेल मात ,... और मम्मी भी एकदम निहुरी , कातिक की कुतिया की तरह और ये पीछे से चढ़े , ...
मैं इनकी शैतानी समझ रही थी , एक तो इनका घोडा मार्का लंड और ऊपर से बदमाशी ,
... कस के दोनों हाथों से उन्होंने अपनी सास की कमर पकड़ ली ,
और बसथोड़ा सा , ज़रा सा बाहर , खूंटा निकाला
और फिर पूरी ताकत के साथ हचक के पेल दिया ,
फिर आलमोस्ट सुपाड़ा तक निकाल के दुबारा ,
तिबारा ,...
हर बार इनका मोटा सुपाड़ा इनकी सास के गांड के छल्ले को रगड़ता दरेरता घिसटता ,
अंदर घुस रहा था और फिर उसे वो उसी जगह पर से रगड़ते हुए बाहरनिकालते ,
बस पांच छ धक्के के बाद मम्मी जोर से चीखीं ,
" क्या करते हो , .... उह्ह्ह ओफ़्फ़फ़फ़फ़ , नहिई लगता है , ओह्ह उईईईईईई रोक , रुक ,... नहीं ,... "
और जवाब में निहुरि मम्मी की ३६ डी डी साइज की चूँचियाँ जोर से उन्होंने दबोच ली ,
और लगे कस के मसलने रगड़ने।
मुझे याद आ रहा था ये और मेरे ननदोई मेरे ममेरे भाई से मेरी मम्मी के जोबन के बारे में बाते कैसे लस लस के बातें कर रहे थे ,....
सच में मम्मी के उभार हैं ही ऐसे , खूब बड़े बड़े लेकिन एकदम कड़े कड़े , बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम खड़े तने , ....
और मेरे उभार भी , और सिर्फ मेरे क्यों मेरी दोनों छोटी बहनों के भी , अपनी उमर की लड़कियों से उनके उभार २० नहीं २२ होते हैं ,
और ये कैसे ननदोई जी से बोल रहे थे , मम्मी की चूँची पकड़ कर हचक हचक मारने के बारे में ,
और अभी पूरी ताकत से , मम्मी की दोनों गदरायी चूँचियाँ पकड़ के
कस कस के पूरी ताकत से मम्मी की गांड , अब हर धक्के में पूरा का पूरा लंड ,
एकदम जड़ तकघुस जा रहा था ,
और अब मम्मी की सिसकियों के साथ जबरदस्त गालियां उनकी समधन के लिए ,
" मादरचोद , लगता है बचपन से मेरी समधन ने गांड मरवा मरवा के , क्यों मरवाती थी न मेरी समधन तुझसे गांड , बोल भोंसड़ी के रंडी के जने ,
उन्होंने जवाब एक जबरदस्त धक्के से दिया ,
और लंड जड़ तक उनकी सास की गांड में धंस गया था ,
और क्या जबरदस्त दोनों चूँचियाँ मम्मी की मसली उन्होंने ,
उईईईईई ,... जोर से मम्मी की सिसकी निकल गयी ,
फिर तो कोई धुनिया जैसे रुई धुनें , वैसे
दोनों चूँची पकड़ के हचक हचक के , हर बार उनका मोटा बित्त्ते भर का खूंटा आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर , और फिर एक जोरदार धक्के के साथ ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , उनकी सास के गांड के छल्ले पर घिसटते वो मोटा सुपाड़ा ,
सीधे जड़ कोई दूसरा होता तो , रो रो के ,....
लेकिन वो मेरी मम्मी थीं , दामाद की असली सास ,...
कभी दर्द से चीखतीं , कभी सिसकतीं तो कभी गालियों से उनकी माँ बहन सब एक कर देतीं , ... ,
और थोड़ी देर में उनके हर धक्के का जवाब मम्मी धक्के से और गाली से दे रही थीं।
" रंडी के पूत , बचपन में अपनी माँ को गांड मरवाते देख के सीखा या अपनी माँ बुआ की गांड मार मार के ,
जबरदस्त सिखाया है तुझे मेरी रंडी छिनार समधन ने मान गयी उनको ,... "
मुझसे ज्यादा कौन जानता था उनके ऊपर माँ बहन की गाली का असर , ... किसी दिन वो थोड़ा थके ,... या उनका मन थोड़ा ,...
या तीसरे चौथे राउंड में कुछ हलके पड़ते तो ,... बस मैं अपनी नंदों का नाम उनके साथ जोड़कर , बस वियाग्रा मात ,...
और आज भी वही हुआ , ... मम्मी की गालियों का असर ,... उनके लंड की तूफानी स्पीड सुपरसानिक हो गयी ,
सास की कसी मस्त गांड में
पर कुछ देर बाद मम्मी भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , कुतिया की तरह निहुरी ,कस के दोनों हाथों से तकिये को दबोचे ,... और
मैंने जब अपने साजन के चेहरे को देखा तो सिर्फ ख़ुशी ,... इतना खुश मैंने उन्हें कभी नहीं देखा था , एकदम मस्ती से चूर ,...
उन्होंने अपने को अपनी सास के हवाले कर दिया था ,
अब धक्के वो नहीं मार रहे थे बल्कि उनकी सास ,
अपनी कमर आगे पीछे ,... पूरा ९ इंच ,
धीमे धीमे पीछे पुश कर के घोंट लेती फिर धीरे धीरे आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल के ,
पूरी ताकत से वो धक्का मारतीं और मेरे सैयां ,का दामाद का पूरे बित्ते भर का डंडा अपनी गाँड़ में ,...
मैं देख रही थी कैसे सरक सरक कर मेरे बालम का खूंटा उनकी सास की गांड में सटासट अंदर बाहर ,... और अब वो सिर्फ अपनी सास की कमर पकडे हुए थे
मेरे सैंया के चेहरे पर ऐसे भाव आ रहे थे जो मैंने कभी नहीं देखे थे , ख़ुशी , मजा , मस्ती और हल्का सा दर्द ,...
मैं अपनी मुस्कराहट रोक नहीं पायी , मेरी मम्मी भी न ,....
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगरकोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए , और मैं सोच नहीं सकती थी लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...
एक बार तो वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे वो इसलिये कम से कम आधे घण्टे तक नान-स्टाप, और वही हुआ। जैसे कोई धुनिया रुई धुने, बस उसी तरह।
सच में तूफ़ान मेल मात ,... और मम्मी भी एकदम निहुरी , कातिक की कुतिया की तरह और ये पीछे से चढ़े , ...
मैं इनकी शैतानी समझ रही थी , एक तो इनका घोडा मार्का लंड और ऊपर से बदमाशी ,
... कस के दोनों हाथों से उन्होंने अपनी सास की कमर पकड़ ली ,
और बसथोड़ा सा , ज़रा सा बाहर , खूंटा निकाला
और फिर पूरी ताकत के साथ हचक के पेल दिया ,
फिर आलमोस्ट सुपाड़ा तक निकाल के दुबारा ,
तिबारा ,...
हर बार इनका मोटा सुपाड़ा इनकी सास के गांड के छल्ले को रगड़ता दरेरता घिसटता ,
अंदर घुस रहा था और फिर उसे वो उसी जगह पर से रगड़ते हुए बाहरनिकालते ,
बस पांच छ धक्के के बाद मम्मी जोर से चीखीं ,
" क्या करते हो , .... उह्ह्ह ओफ़्फ़फ़फ़फ़ , नहिई लगता है , ओह्ह उईईईईईई रोक , रुक ,... नहीं ,... "
और जवाब में निहुरि मम्मी की ३६ डी डी साइज की चूँचियाँ जोर से उन्होंने दबोच ली ,
और लगे कस के मसलने रगड़ने।
मुझे याद आ रहा था ये और मेरे ननदोई मेरे ममेरे भाई से मेरी मम्मी के जोबन के बारे में बाते कैसे लस लस के बातें कर रहे थे ,....
सच में मम्मी के उभार हैं ही ऐसे , खूब बड़े बड़े लेकिन एकदम कड़े कड़े , बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम खड़े तने , ....
और मेरे उभार भी , और सिर्फ मेरे क्यों मेरी दोनों छोटी बहनों के भी , अपनी उमर की लड़कियों से उनके उभार २० नहीं २२ होते हैं ,
और ये कैसे ननदोई जी से बोल रहे थे , मम्मी की चूँची पकड़ कर हचक हचक मारने के बारे में ,
और अभी पूरी ताकत से , मम्मी की दोनों गदरायी चूँचियाँ पकड़ के
कस कस के पूरी ताकत से मम्मी की गांड , अब हर धक्के में पूरा का पूरा लंड ,
एकदम जड़ तकघुस जा रहा था ,
और अब मम्मी की सिसकियों के साथ जबरदस्त गालियां उनकी समधन के लिए ,
" मादरचोद , लगता है बचपन से मेरी समधन ने गांड मरवा मरवा के , क्यों मरवाती थी न मेरी समधन तुझसे गांड , बोल भोंसड़ी के रंडी के जने ,
उन्होंने जवाब एक जबरदस्त धक्के से दिया ,
और लंड जड़ तक उनकी सास की गांड में धंस गया था ,
और क्या जबरदस्त दोनों चूँचियाँ मम्मी की मसली उन्होंने ,
उईईईईई ,... जोर से मम्मी की सिसकी निकल गयी ,
फिर तो कोई धुनिया जैसे रुई धुनें , वैसे
दोनों चूँची पकड़ के हचक हचक के , हर बार उनका मोटा बित्त्ते भर का खूंटा आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर , और फिर एक जोरदार धक्के के साथ ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , उनकी सास के गांड के छल्ले पर घिसटते वो मोटा सुपाड़ा ,
सीधे जड़ कोई दूसरा होता तो , रो रो के ,....
लेकिन वो मेरी मम्मी थीं , दामाद की असली सास ,...
कभी दर्द से चीखतीं , कभी सिसकतीं तो कभी गालियों से उनकी माँ बहन सब एक कर देतीं , ... ,
और थोड़ी देर में उनके हर धक्के का जवाब मम्मी धक्के से और गाली से दे रही थीं।
" रंडी के पूत , बचपन में अपनी माँ को गांड मरवाते देख के सीखा या अपनी माँ बुआ की गांड मार मार के ,
जबरदस्त सिखाया है तुझे मेरी रंडी छिनार समधन ने मान गयी उनको ,... "
मुझसे ज्यादा कौन जानता था उनके ऊपर माँ बहन की गाली का असर , ... किसी दिन वो थोड़ा थके ,... या उनका मन थोड़ा ,...
या तीसरे चौथे राउंड में कुछ हलके पड़ते तो ,... बस मैं अपनी नंदों का नाम उनके साथ जोड़कर , बस वियाग्रा मात ,...
और आज भी वही हुआ , ... मम्मी की गालियों का असर ,... उनके लंड की तूफानी स्पीड सुपरसानिक हो गयी ,
सास की कसी मस्त गांड में
पर कुछ देर बाद मम्मी भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , कुतिया की तरह निहुरी ,कस के दोनों हाथों से तकिये को दबोचे ,... और
मैंने जब अपने साजन के चेहरे को देखा तो सिर्फ ख़ुशी ,... इतना खुश मैंने उन्हें कभी नहीं देखा था , एकदम मस्ती से चूर ,...
उन्होंने अपने को अपनी सास के हवाले कर दिया था ,
अब धक्के वो नहीं मार रहे थे बल्कि उनकी सास ,
अपनी कमर आगे पीछे ,... पूरा ९ इंच ,
धीमे धीमे पीछे पुश कर के घोंट लेती फिर धीरे धीरे आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल के ,
पूरी ताकत से वो धक्का मारतीं और मेरे सैयां ,का दामाद का पूरे बित्ते भर का डंडा अपनी गाँड़ में ,...
मैं देख रही थी कैसे सरक सरक कर मेरे बालम का खूंटा उनकी सास की गांड में सटासट अंदर बाहर ,... और अब वो सिर्फ अपनी सास की कमर पकडे हुए थे
मेरे सैंया के चेहरे पर ऐसे भाव आ रहे थे जो मैंने कभी नहीं देखे थे , ख़ुशी , मजा , मस्ती और हल्का सा दर्द ,...
मैं अपनी मुस्कराहट रोक नहीं पायी , मेरी मम्मी भी न ,....
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगरकोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए , और मैं सोच नहीं सकती थी लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...