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Adultery हसीन गुनाह
#2
साली की बेटी की कच्ची उम्र की लज़्ज़त मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी, मैंने सोच लिया था कि आज से मैं प्रिया वाली साइड सोऊंगा ही


नहीं लेकिन जैसे-जैसे दिन बीत रहा था, मेरा पक्का इरादा डाँवाडोल हो रहा था।

शाम आई… मैं घर आया, आते ही प्रिया मेरे लिए पानी का गिलास ले कर आई, ग़िलास पकड़ते वक़्त मैंने प्रिया की आँखों में देखा,

प्रिया ने शर्मा कर नज़र नीची कर ली और खाली गिलास ले कर चली गई।

आज रात तो कुछ हो कर रहना था, ऐसी सोच आते ही पतलून के अंदर ही मेरा लिंग भयंकर रौद्र रूप में आ गया, रात की प्रतीक्षा में


समय काटना मुश्किल हो गया था।
शाम को बाथरूम में नहाते समय मैंने एक बार फिर ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ किया।

डिनर करते समय मैंने रह रह कर आती जाती सुधा के नितंबों पर चुटकी काटी। डिनर टेबल पर ही सुधा ने मुझ से प्रिया के कमरे के

A.C के बारे में पूछा कि कब ठीक हो के आएगा?
यूं मैंने कह तो दिया कि एक-आध दिन में आ जाएगा पर मेरा इरादा तो प्रिया के कमरे के A.C को कयामत के दिन तक ना लाने का

हो रहा था।राम राम कर के डिनर निपटाया।

वैसे हम फ़ैमिली के सब लोग डिनर के बाद लिविंग रूम बैठ कर कुछ देर गप्पें हांकते है लेकिन उस दिन मैं सीधा अपने बैडरूम में

चला गया।
बाथरूम में ब्रश करने के बाद मैंने अपना अंडरवियर उतार कर वाशिंग-बास्केट में डाल दिया और पजामा बिना अंडरवियर के पहन कर

सीधे अपने बिस्तर पर जा कर A.C का टेम्प्रेचर 20 डिग्री पर सेट कर दिया।

सुधा और प्रिया अभी बैडरूम में आईं नहीं थी, मैंने बिस्तर में लेट कर आँखें बंद कर ली, बीसेक मिनट बाद दोनों बैडरूम में आईं और

मुझे सोता पाया।
10-15 मिनट हल्की-फ़ुल्की बाद गप्पें हांकने के बाद दोनों सोने की तैयारी करने लगी और बैडरूम की लाइट बंद कर दी गई।

जैसे ही बैडरूम की लाइट बंद हुई मैंने तड़ाक से आँखें खोल ली और प्रिया को देखने लगा। प्रिया तब अपने बिस्तर पर लेटने की तैयारी

कर रही थी और अपने बाल बाँध रही थी।
मैंने चुपके से अपनी दाईं बाजु प्रिया के बिस्तर पर तकिये से ज़रा सी नीचे दूर तक फैला दी।

प्रिया चादर ऊपर खींच कर जैसे ही अपने बिस्तर पर लेटी, मेरी बाजु उसकी गर्दन के नीचे से उसके परले कंधे तक पहुँच गई। उसने

अपने हाथ से अपने दाएं कंधे के पास टटोल कर देखा तो मेरा दायां हाथ उसके हाथ में आ गया।

जैसे ही प्रिया के हाथ की उंगलियां मेरे हाथ से टच हुई, मैंने उस का हाथ जोर से पकड़ लिया।
पहले तो प्रिया ने दो-चार पल अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन जल्दी ही मेरा हाथ कस के पकड़ लिया।

मुझे तो दो जहान् की खुशियां मिल गई जैसे… मानो सारी कायनात ठहर गई हो!
मेरा दिल मेरे सीने में धाड़-धाड़ बज़ रहा था और मैं अपने ही दिल की धड़कन बड़ी साफ़-साफ़ सुन रहा था। पता नहीं ऐसे दो मिनट

बीते के दो घंटे… कुछ याद नहीं।

फिर मैंने प्रिया की ओर करवट ली और अपना बायां हाथ प्रिया के बाएं उरोज़ पर रख दिया, प्रिया ने मेरा वो हाथ फ़ौरन परे झटक दिया

और अपना सर बायें से दायें हिला कर जैसे अपना एतराज़ जताया लेकिन मैंने दोबारा अपना हाथ उसके बायें उरोज़ पर रख दिया।

प्रिया ने दोबारा मेरा हाथ अपने उरोज़ पर से उठाना चाहा लेकिन इस बार मेरा हाथ ना उठाने का इरादा पक्का था, दो एक मिनट की

असफ़ल कोशिश करने के बाद प्रिया ने अपना हाथ मेरे हाथ से उठा लिया और जैसे मुझे मनमानी करने की इज़ाज़त दे दी।
मैं अँधेरे में प्रिया के उरोज़ की नरमी और गर्मी दोनों को अपने हाथ में महसूस कर रहा था।

धीरे धीरे मैंने अपनी उँगलियों को प्रिया के उरोज़ पर ज़ुम्बिश देनी शुरू की। प्रिया का उरोज़ बहुत नर्म सा था, मैं उस पर बहुत नरमी से

उंगलियां चला रहा था।
अचानक एक जगह हल्की सी कुछ सख़्त सी मालूम पड़ी। हल्का सा टटोलने पर पता पड़ा कि यह उरोज़ का निप्पल है।

जैसे ही मेरा हाथ निप्पल को लगा, वो और ज़्यादा टाईट और बड़ा हो कर ख़डा हो गया। मैंने अपना हाथ प्रिया की चादर के अंदर डाल

कर, प्रिया की नाईट सूट का ऊपर वाला एक बटन खोल कर, ब्रा के अंदर से हौले से प्रिया के उरोज़ पर रखा तो प्रिया के पूरे ज़िस्म में

झुरझुरी की एक लहर सी दौड़ गई जिसे मैंने स्पष्टत महसूस किया।

प्रिया की गर्म तेज़ साँसें मैं अपनी कलाई पर महसूस कर रहा था। प्रिया के उरोज़ के कठोर निप्पल का स्पर्श मैं अपनी हथेली के ठीक

बीचों बीच महसूस कर पा रहा था।

धीरे से मैंने अपनी पाँचों उंगलियां उरोज़ के साथ साथ ऊपर उठानी शुरू की और अंत में निप्पल उँगलियों के बीच में आ गया जिसे मैंने

हलके से दबाया।
प्रिया के मुख से शाश्वत आनन्द की ‘आह’ की हल्की सी सिसकारी प्रफुटित हुई। जल्दी ही मैंने अपना हाथ दूसरे उरोज़ की ओर सरकाया

दूर वाला उरोज़ थोड़ा दूर पड़ रहा था तो प्रिया बिना कहे खुद ही सरक कर मेरीऔर ख़िसक आई।

दूर वाला उरोज़ थोड़ा दूर पड़ रहा था तो प्रिया बिना कहे खुद ही सरक कर मेरी ओर ख़िसक आई।

अब ठीक था।मैंने अपना हाथ ब्रा के ऊपर से ही परले उरोज़ पर ऱखा और उरोज़ को थोड़ा सा दबाया। प्रिय के मुंह से बहुत ही हलकी सी ‘सी… सी’

की सिसकारी निकली।

मैंने अपना हाथ उठा कर धीरे से ब्रा के अंदर सरकाया और परले उरोज़ पर कोमलता से हाथ धर दिया। परले उरोज़ का निप्पल अभी

दबा दबा सा था लेकिन जैसे ही मेरे हाथ ने निप्पल को छूआ, निप्पल ने सर उठाना शुरू कर दिया और एक सैकिंड में ही अभिमानी

योद्धा गर्व से सर ऊंचा उठाये खड़ा हो गया।

अचानक मुझे लगा की मेरे परले हाथ की हथेली पर कुछ नरम-नरम, कुछ गरम-गरम सा लग रहा है, देखा तो अपनी चादर के अंदर

प्रिया मेरा हाथ बहुत शिद्दत से चूम रही थी, पूरे हाथ पर जीभ फ़िरा रही थी।

जल्दी ही प्रिया ने मेरे हाथ की उँगलियाँ एक एक कर के अपने मुँह में डाल कर चूसनी शुरू कर दी। मैं प्रिया के होंठों की नरमी और

उस की जीभ का नरम स्पर्श अपनी उँगलियों पर महसूस कर कर के रोमांचित हो रहा था।मेरा लिंग 90 डिग्री पर चादर और पजामे का तंबू बनाये फौलाद सा सख्त खड़ा था, मारे उत्तेज़ना के मेरे नलों में तेज़ दर्द हो रहा था।

अब सहन करना मुश्किल था, लेकिन इस से और आगे बढ़ना खतरे से खाली नहीं था।

अपने ही बैडरूम में, अपनी ही पत्नी की कुंवारी भांजी के साथ शारीरिक संबंध बनाते या बनाने की कोशिश करते, अपनी ही पत्नी के

हाथों रंगे-हाथ पकड़े जाने से ज़्यादा शर्मनाक कुछ और हो नहीं सकता था।मैं ऐसी बेवकूफी करने वाला हरगिज़ नहीं था।जिंदगी रही तो आगे ऐसे बहुत मौक़े मिलेंगे जब आदमी अपने दिल की कर गुज़रे और प्रिया तो राज़ी थी ही!बेमन से मन ममोस कर मैं उठा और बाथरूम में जाकर पेशाब करने के लिए पजामा खोला तो मेरा लिंग झटके से बाहर आया।

जैसे ही मैंने लिंग का मुंह कमोड की ओर पेशाब करने के लिए किया, मेरे पेशाब की धार कमोड में नीचे जाने की बजाए कमोड के ऊपर

सामने दीवार कर पड़ी, मैं अपने लिंग को नीचे की ओर झुकाऊं पर मेरा लिंग नीचे की ओर हो ही ना!

जैसे तैसे पेशाब करके मैं वापिस बैडरूम में आया ही था कि सुधा ने मुझ से टाइम पूछा, मेरी तो फट के हाथ में आ गई।ख़ैर जी!सुधा को टाइम बता कर A.C का टेम्प्रेचर थोड़ा बढ़ा कर मैं भी सोने की कोशिश करने लगा, उधर प्रिया भी चुपचाप चित पड़ी सोने का

बहाना कर रही थी।

बहुत रात बीतने के बाद मुझे नींद आई।



अगला सारा दिन मैंने मन ही मन चिढ़ते कुढ़ते हुए गुज़ारा। जो कुछ और जितना कुछ प्रिया के साथ रातों को हो रहा था, उस से ज़्यादाहोने की गुंजाईश बहुत कम थी और ऐसा होना भी बहुत दिनों तक ऐसा होना मुमकिन नहीं था।

आज नहीं तो कल, प्रिया के कमरे का A.C ठीक हो कर आना ही था। ऊपर से अपने ही बैडरूम में सुधा के किसी भी क्षण उठ जाने का डर हम दोनों को खुल कर खेलने नहीं देता था।

मुझे जल्दी ही कुछ करना था।किसी दिन प्रिया को ले कर किसी होटल में चला जाऊं?ना… ना! यह निहायत ही बकवास आईडिया था, आधा शहर मुझे जानता था और प्रिया को होटल ले कर जाने के अपने खतरे थे।



और… घर में? घर में मेरे बच्चे थे, सुधा थी… नहीं नहीं! ऐसा होना भी मुमकिन नहीं था।तो फिर… क्या करूँ? कुछ समझ में नहीं आ रहा था, लिहाज़ा मैं चिड़चिड़ा सा हो रहा था।

रात को डिनर करने के बाद फिर बाथरूम में ब्रश करने के बाद मैं अपना अंडरवियर उतार कर पजामा बिना अंडरवियर के पहन कर A.C का टेम्प्रेचर 20 डिग्री पर सेट कर के सीधे अपने बिस्तर पर जा पड़ा। आज प्रिया और सुधा दोनों अभी तक बेडरूम में नहीं आई थी।

अपने आप में उलझे हुए मेरी कब आँख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला।

अचानक मेरे कान में कुछ सुरसुरी सी हुई, मैंने नींद में ही हाथ चलाया तो मेरे हाथ में प्रिया का हाथ आ गया, प्रिया चुपके से मुझे जगाने की कोशिश कर रही थी।

मैंने प्रिया का हाथ अपनी छाती पर रख कर ऊपर अपना हाथ रख दिया और प्रिया की साइड वाला हाथ चादर के अंदर से उसके चेहरे पर फेरने लगा।माथा, गाल, कान, आँखें, नाक, होंठ, ठुड्डी, गर्दन… धीरे-धीरे मेरा हाथ नीचे की ओर अग्रसर था और प्रिया की साँसें क्रमशः भारी होती जा रही थी और प्रिया मुझे पिछले रोज़ की तरह से रोक भी नहीं रही थी, लगता था कि प्रिया खुद ऐसा चाह रही थी।
जैसे ही मेरा हाथ गर्दन के नीचे से होता हुआ प्रिया कंधे से होता हुआ प्रिया की छातियों तक पहुंचा तो मैं एक सुखद आश्चर्य से भर उठा। आज प्रिय ने नाईट सूट के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, बस एक पतली बनियान सी पहनी हुई थी। मेरा हाथ उरोज़ को छूते ही प्रिया के शरीर में वही परिचित झुनझुनाहट की लहर उठी।

आज मैं कल जैसी नर्म दिली से पेश नहीं आ रहा था, उरोज़ का निप्पल हाथ में आते ही फूल कर सख़्त हो गया था, मैं अंगूठे और एक उंगली के बीच में निप्पल लेकर हल्के हल्के मसलने लगा।

प्रिया का दायां हाथ मेरे हाथ के ऊपर रखा था, जहां जहां उसे तीव्र आनन्द की अनुभूति होती, वहीं वहीं उसका हाथ मेरे हाथ पर कस जाता।मेरा मन कर रहा था कि मैं प्रिया के उरोज़ों का अपने होंठों से रसपान करूँ लेकिन उस में अभी भयंकर ख़तरा था सो मैंने अपने मन पर काबू पाया और इसी खेल को आगे बढ़ाने में लग गया।

मैंने अपना दायां हाथ प्रिया के उरोजों से उठा कर प्रिया के बाएं हाथ पर (जो मेरी छाती पर ही पड़ा था) रख दिया।प्रिया के हाथ को सहलाते सहलाते मैंने प्रिया का हाथ उठा कर पजामे के ऊपर से ही अपने गर्म, तने हुए लिंग पर रख दिया।

प्रिया को जैसे 440 वाट का करंट लगा, उसने झट से अपना हाथ मेरे लिंग से उठाने की कोशिश की लेकिन उस के हाथ के ऊपर तो मेरा हाथ था, कैसे जाने देता?

दो एक पल की धींगामुश्ती के बाद प्रिया ने हार मान ली और मेरे लिंग पर से अपना हाथ हटाने की कोशिश छोड़ दी।

मैंने अपने हाथ से जो प्रिया का वो हाथ थामे था जिस की गिरफ़्त में मेरा गर्म, फौलाद सा तना हुआ लिंग था, को दो पल के लिए अपने लिंग से हटाया और अपना पजामा अपनी जांघों से नीचे कर के वापिस अपना लिंग प्रिया को पकड़ा दिया। प्रिया के शरीर में फिर से वही जानी-पहचानी कंपकंपी की लहर उठी।

अब के प्रिया का हाथ खुद ही लिंग की चमड़ी को आगे पीछे कर के मेरे लिंग से खेलने लगा, कभी वो शिशनमुंड पर उंगलिया फेरती, कभी लिंग की चमड़ी पीछे कर के शिशनमुंड को अपनी हथेली में भींचती, कभी मेरे अण्डकोषों को सहलाती।

ऊपर मेरे हाथों द्वारा प्रिया की छातियों का काम-मर्दन जारी था। धीरे धीरे मैं अपना दायां हाथ प्रिया के पेट पर ले गया, नाईट सूट के अप्पर को पेट से ऊंचा करके मैंने प्रिया के पेट पर हल्के से हाथ फेरा और फिर से प्रिया के शरीर में वही जानी पहचानी कंपकंपी की लहर को महसूस किया, प्रिया का हाथ मेरे लिंग पर जोरों से कस गया।

*********मैं धीरे धीरे अपना हाथ प्रिया के पेट पर घुमाता घुमाता नाभि के आस पास ले गया, प्रिया के शरीर में रह रह कर कंपन की लहरें उठ रही थी।

जैसे ही मेरा हाथ प्रिया के नाईट सूट के लोअर के नाड़े को टच हुआ, प्रिया ने अपने दाएं हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और मजबूती से मेरा हाथ ऊपर को खींचने लगी।मैंने जैसे-तैसे अपना हाथ छुड़ाया और फिर से दोबारा जैसे ही प्रिया के नाईट सूट के लोअर के नाड़े को छूआ, प्रिया की फिर वापिस वही प्रतिक्रिया हुई, उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ कर वापिस ऊपर खींच लिया।

ऐसा लगता था कि प्रिया मुझे किसी कीमत पर अपना लोअर खोलने नहीं देगी।मजबूरी थी… प्यार था, लड़ाई नहीं जो जोर जबरदस्ती करते, जो करना था खामोशी से और आपसी समझ बूझ से ही करना था।

मैंने प्रिया का हाथ उठा कर वापिस अपने लिंग पर रख दिया और अब की बार अपना हाथ चादर के अंदर पर उसके नाईट सूट के सूती लोअर बाहर से ही प्रिया की बाईं जांघ कर रख दिया प्रिया के शरीर में कंपन की लहर उठी और अब मैं प्रिया की जांघ सहलाते सहलाते अपना हाथ जांघ अंदर को और ऊपर की ओर ले जाने लगा।

मेरी स्कीम काम कर गई, आनन्द स्वरूप प्रिया के मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसका हाथ जोर-जोर से मेरे लिंग पर ऊपर-नीचे चलने लगा।प्रिया की बाईं जांघ पर स्मूथ चलती मेरी उंगलियों ने अचानक महसूस किया कि उंगलियों और रेशमी जांघ के बीच में कोई मोटा सा कपड़ा आ गया हो।

मैं समझ गया कि यह प्रिया की पेंटी थी। धीरे धीरे मैं जाँघों के ऊपरी जोड़ की ओर बढ़ा।उफ़! एकदम गर्म और सीली सी जगह… मैंने वहां अपना हाथ रोक कर अपनी उंगलियों से सितार सी बजाई।फ़ौरन ही प्रिया ने मेरे लिंग को इतने जोर से दबाया कि पूछो मत!

मैंने नाईट सूट के सूती लोअर के बाहर से ही प्रिया की पेंटी को साइड से ऊपर उठाया और नाईट सूट के कपडे समेत अपनी चारों उंगलियां प्रिया की पेंटी के अंदर डाल दी। मेरे हाथ के नीचे जन्नत थी पर मुझे इस जन्नत पर कुछ जटाजूट सा कुछ महसूस होता। शायद प्रिया अपने गुप्तांगों के बाल नहीं काटती थी।

मैं कुछ देर अपनी उंगलियों से सितार बजाने जैसी हरकत करता रहा और इधर प्रिया मेरे लिंग को मथती जा रही थी।अचानक ही मैंने अपना दायां हाथ प्रिया की योनि से उठाया और फुर्ती से प्रिया के नाईट सूट के लोअर का नाड़ा खोल कर अपना हाथ प्रिया की पेंटी के अंदर से प्रिया की बालों भरी योनि पर रख दिया।

प्रिय ने फ़ौरन अपना दायां हाथ मेरे हाथ पर रखा और मेरा हाथ अपनी योनि से उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन अब तो बाज़ी बीत चुकी थी, अब मैं कैसे हाथ उठाने देता।मैंने सख्ती से अपना हाथ प्रिया की योनि पर टिकाये रखा और साथ साथ अपनी बीच वाली उंगली योनि की दरार पर ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर फिराता रहा।
कुछ ही देर बाद प्रिया ने मेरे उस हाथ की पुश्त पर जिससे मैं उसकी योनि का जुग़राफ़िया नाप रहा था, एक हल्की सी चपत मारी और अपना हाथ उठा कर परे करके जैसे मुझे खुल कर खेलने की परमीशन दे दी।
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हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 07:29 AM
RE: हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 07:33 AM
RE: हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 07:38 AM
RE: हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 07:45 AM
RE: हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 07:51 AM
RE: हसीन गुनाह - by Gpoint - 04-05-2021, 08:03 AM
RE: हसीन गुनाह - by Rahulk11 - 25-06-2021, 12:53 AM
RE: हसीन गुनाह - by raj500265 - 03-07-2022, 04:35 PM



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