03-05-2021, 01:27 PM
भाभी हो जाने दो ,
मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,
" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "
तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।
लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।
कम्मो ने नीचे का मोर्चा सम्हाला ,
पैंटी खुल के फर्श पर जहाँ ब्रा गिरी पड़ी थी
उसकी हथेली , गुड्डी की चुनमुनिया पर और जोबन दोनों मेरे हवाले।
कन्या रस लेने की ट्रेनिंग मेरी भाभियों ने अच्छी तरह दे दी थी मुझे , होली में , गाँव में कोई भी सादी बियाह हो तो रतजगे में ,
कच्ची कली के कच्चे अनार का रस लेने के साथ , मैं उसे समझा भी रही थी तैयार भी कर रही थी ,
" देख तेरे भइया ऐसे रस लेते हैं , पक्के रसिया हैं , अब तो तूने हाँ कर ही दी है उन्हें अपने जोबना का दान देने का , ... देखना , खुद टाँगे फैला देगी सच। "
कभी हलके हलके मैं उसके बस आ रहे उरोज सहलाती तो कभी कस के दबा देती , मसल देती , आखिर मेरे कितने देवरों का , अपने मोहल्ले के कितने लौंडों का ये जोबन दिल जला रहे होंगे ,... बीच बीच में निप्स फ्लिक कर देती ,
पिंच कर देती ,
और फिर मेरे होंठों और हाथों ने हिस्सा बाँट लिया ,
एक होंठों के हवाले दूसरा हाथ के ,
हलके हलके चुम्बन लेती , उरोजों के एकदम बेस से मेरे होंठ सहलाते चूमते ,चूसते धीरे धीरे ऊपर की ओर बढे और गच्चाक से उस कच्ची कली के निप्स मेरे होंठों के बीच में
होंठों ने बस बहुत हलके से दबा रखा था और जीभ से बस बीच बीच में फ्लिक कर देती , और कुछ देर बाद गियर बदला
कस कस के मैंने चूसना शुरू किया और साथ में जीभ भी अब कस कस के नाच रही थी निप्स के टिप पर ,
गुड्डी रानी की आँखे बंद हो गयीं , जोबन पथरा गए थे ,
वो सिसक रही थी , मस्ता रही थी ,
दूसरे उभार को मैं बांयें हाथ से हलके हलके सहला रही , थी दबा रही थी ,
" हे तेरे भइया तो इससे भी बहुत ज्यादा , सच , एकदम मैं तो कुछ भी नहीं ,.. अब तो तूने हाँ कर दी है , और वो बिचारे तो इत्ता ललचाते हैं सिर्फ सोच सोच के आज जब ये दोनों कच्ची अमिया उन्हें मिलेगी देखना कितने खुश होंगे , सच ,... और जब एक बार उनका हाथ , उनके होंठ लगेगा , तू एकदम पागल हो जाएगी , इत्ता मस्त आकर देंगे , सच्ची , ... जो चाहे वो बाजी लगा ले। "
मेरे दाएं हाथ ने नीचे का रुख किया जहाँ अब तक कम्मो आग लगा रही थी
धीमी आंच पर कड़ाही गरम करने में वो माहिर थी ,हलके हलके बस गदोरी से ननद रानी की गुलाबो को सहला रही थी , उसे ऊँगली करने की जल्दी नहीं
लेकिन इस सहलाने , रगड़ने से ही गुड्डी की चुनमिनिया गीली हो गयी थी , और उसके बाद बस दोनों पुत्तियों को पकड़ के आपस में हलके हलके रगड़ना शुरू किया तो ननद रानी ने पानी फेंकना शुरू कर दिया ,
बस तर्जनी का पहला पोर उसने अंदर किया और उसमें ही गुड्डी रानी की चीख निकल गयी , लेकिन जल्दी ही वो चीख सिसकियों में बदल गयी ,
और अब मेरा हाथ भी मैदान में था , उसकी क्लिट , मैं बस अंगूठे से उसे छू रही थी ,
गुड्डी एकदम झड़ने के करीब पहुंच जाती तो कम्मो रुक जाती और कुछ देर बाद फिर चालू हो जाती , कभी अब वो हलके हलके ऊँगली करती तो कभी फुद्दी को रगड़ती , और उसकी ऊँगली हटती तो मेरी ऊँगली काम पर लग जाती ,...
एक बार जब वो एकदम झड़ने के कगार पर हो गयी तो मैंने सोचा झाड़ दूँ बहुत तड़प रही है , तो कम्मो ने इशारे से मना कर दिया ,
मेरी और कम्मो की उँगलियाँ गुड्डी के पानी से एकदम गीली हो गयी थीं , ...
दो चार बार के बाद गुड्डी खुद बोलने लगी ,
भाभी हो जाने दो ,
मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,
" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "
तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।
लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।
कम्मो ने नीचे का मोर्चा सम्हाला ,
पैंटी खुल के फर्श पर जहाँ ब्रा गिरी पड़ी थी
उसकी हथेली , गुड्डी की चुनमुनिया पर और जोबन दोनों मेरे हवाले।
कन्या रस लेने की ट्रेनिंग मेरी भाभियों ने अच्छी तरह दे दी थी मुझे , होली में , गाँव में कोई भी सादी बियाह हो तो रतजगे में ,
कच्ची कली के कच्चे अनार का रस लेने के साथ , मैं उसे समझा भी रही थी तैयार भी कर रही थी ,
" देख तेरे भइया ऐसे रस लेते हैं , पक्के रसिया हैं , अब तो तूने हाँ कर ही दी है उन्हें अपने जोबना का दान देने का , ... देखना , खुद टाँगे फैला देगी सच। "
कभी हलके हलके मैं उसके बस आ रहे उरोज सहलाती तो कभी कस के दबा देती , मसल देती , आखिर मेरे कितने देवरों का , अपने मोहल्ले के कितने लौंडों का ये जोबन दिल जला रहे होंगे ,... बीच बीच में निप्स फ्लिक कर देती ,
पिंच कर देती ,
और फिर मेरे होंठों और हाथों ने हिस्सा बाँट लिया ,
एक होंठों के हवाले दूसरा हाथ के ,
हलके हलके चुम्बन लेती , उरोजों के एकदम बेस से मेरे होंठ सहलाते चूमते ,चूसते धीरे धीरे ऊपर की ओर बढे और गच्चाक से उस कच्ची कली के निप्स मेरे होंठों के बीच में
होंठों ने बस बहुत हलके से दबा रखा था और जीभ से बस बीच बीच में फ्लिक कर देती , और कुछ देर बाद गियर बदला
कस कस के मैंने चूसना शुरू किया और साथ में जीभ भी अब कस कस के नाच रही थी निप्स के टिप पर ,
गुड्डी रानी की आँखे बंद हो गयीं , जोबन पथरा गए थे ,
वो सिसक रही थी , मस्ता रही थी ,
दूसरे उभार को मैं बांयें हाथ से हलके हलके सहला रही , थी दबा रही थी ,
" हे तेरे भइया तो इससे भी बहुत ज्यादा , सच , एकदम मैं तो कुछ भी नहीं ,.. अब तो तूने हाँ कर दी है , और वो बिचारे तो इत्ता ललचाते हैं सिर्फ सोच सोच के आज जब ये दोनों कच्ची अमिया उन्हें मिलेगी देखना कितने खुश होंगे , सच ,... और जब एक बार उनका हाथ , उनके होंठ लगेगा , तू एकदम पागल हो जाएगी , इत्ता मस्त आकर देंगे , सच्ची , ... जो चाहे वो बाजी लगा ले। "
मेरे दाएं हाथ ने नीचे का रुख किया जहाँ अब तक कम्मो आग लगा रही थी
धीमी आंच पर कड़ाही गरम करने में वो माहिर थी ,हलके हलके बस गदोरी से ननद रानी की गुलाबो को सहला रही थी , उसे ऊँगली करने की जल्दी नहीं
लेकिन इस सहलाने , रगड़ने से ही गुड्डी की चुनमिनिया गीली हो गयी थी , और उसके बाद बस दोनों पुत्तियों को पकड़ के आपस में हलके हलके रगड़ना शुरू किया तो ननद रानी ने पानी फेंकना शुरू कर दिया ,
बस तर्जनी का पहला पोर उसने अंदर किया और उसमें ही गुड्डी रानी की चीख निकल गयी , लेकिन जल्दी ही वो चीख सिसकियों में बदल गयी ,
और अब मेरा हाथ भी मैदान में था , उसकी क्लिट , मैं बस अंगूठे से उसे छू रही थी ,
गुड्डी एकदम झड़ने के करीब पहुंच जाती तो कम्मो रुक जाती और कुछ देर बाद फिर चालू हो जाती , कभी अब वो हलके हलके ऊँगली करती तो कभी फुद्दी को रगड़ती , और उसकी ऊँगली हटती तो मेरी ऊँगली काम पर लग जाती ,...
एक बार जब वो एकदम झड़ने के कगार पर हो गयी तो मैंने सोचा झाड़ दूँ बहुत तड़प रही है , तो कम्मो ने इशारे से मना कर दिया ,
मेरी और कम्मो की उँगलियाँ गुड्डी के पानी से एकदम गीली हो गयी थीं , ...
दो चार बार के बाद गुड्डी खुद बोलने लगी ,
भाभी हो जाने दो ,